अक्तूबर का महीना किसानों के लिए खास होता है, क्योंकि इन दिनों रबी की फसलें लगाने के लिए खेतों की तैयारी का काम भी शुरू कर देते हैं और पिछली बोई गई खरीफ की फसल को समेटने का दौर होता है. आइए, अक्तूबर माह में खेतीकिसानी से जुड़े खास कामों पर डालते हैं एक नजर :
* धान की तैयार हो चुकी अगेती व मध्य किस्मों की फसलों की कटाई का काम निबटाएं. धान का भंडारण करते वक्त खास खयाल रखें कि धान के दानों में नमी न हो, वरना उन के खराब होने का खतरा रहता है और उन में कीटपतंगे लग जाते हैं. हां, अगर धान बीज के लिए भंडारण करना है तो निम्न तापमान व निम्न आर्द्रता जरूरी है. इस के लिए आप को धान बीज वेयरहाउस (धान संग्रहण केंद्र) में रखना होगा.
* यह धान की बासमती किस्मों में फूल आने का वक्त भी होता है. जरूरत के मुताबिक खेत में नमी का ध्यान रखें. फसलों पर कड़ी नजर रखें और अगर उन पर कीड़ों या बीमारी का असर नजर आए, तो फौरन माहिरों से पूछ कर कारगर दवाओं का इस्तेमाल करें.
* जाड़े के मौसम वाले गन्ने की बोआई का काम 15 अक्तूबर तक पूरा कर लें. ध्यान रखें कि अक्तूबर के तीसरेचौथे हफ्ते तक सर्दी बढ़ने लगती है, लिहाजा तब गन्ने की बोआई सही नतीजा नहीं देती. ठंड में पौधों का जमाव ठीक से नहीं होता.
* गन्ने की जल्दी पकने वाली किस्में मध्यम या देर से पकने वाली किस्मों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने जिले के ‘कृषि विज्ञान केंद्र’ से संपर्क करें या जानकारों से राय ले लें, क्योंकि समयसमय पर नएनए बीज भी ईजाद होते रहते हैं जो अधिक फायदा देते हैं.
* राई व सरसों की बोआई का काम भी अक्तूबर के पहले से दूसरे हफ्ते में निबटा लें.
* गेहूं की खेती की बुनियाद भी अक्तूबर में ही की जाती है, इस के लिए अच्छी तरह से खेत तैयार करें. खेत में खरपतवार न रहें. गेहूं की अगेती और मध्यम किस्मों की बोआई करने के लिए खेतों का पलेवा करें, ताकि नवंबर के पहले से तीसरे हफ्ते के दौरान बोआई की जा सके. गेहूं की अगेती, मध्यम और पछेती किस्मों की बोआई किस्मों के मुताबिक तय समय पर ही करें.
* जौ की बोआई का काम अक्तूबर व नवंबर महीनों के दौरान किया जा सकता?है. बोआई से पहले बीजों को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करना न भूलें.
* असिंचित इलाकों में मटर, मसूर व चना की बोआई का अक्तूबर के मध्य तक निबटा लें. बोआई से पहले खेत को बाकायदा तैयार करें और खरपतवारनाशी दवा का इस्तेमाल जरूर करें.
* कभीकभार अरहर की फसल पर पत्ती लपेटक व फली बेधक कीटों का हमला होता है. इन घातक कीटों से बचाव के लिए 35 ईसी वाली मोनोक्रोटोफास दवा को पानी में घोल कर फसल पर छिड़काव करें.
* मूंग, उड़द, मक्का, ज्वार व बाजरे की फसल अमूमन अक्तूबर तक पक कर तैयार हो जाती है. पकी फसल की फौरन कटाई करें, ताकि रबी की फसल की तैयारी की जा सके.
* इस माह में मूंगफली की फसल में टिक्का बीमारी का हमला हो सकता है. अगर ऐसा हो तो कृषि वैज्ञानिक से सलाह ले कर कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें.
* सोयाबीन में ज्यादातर फलियां पक जाएं तो शीघ्र ही सोयाबीन की कटाई करें. खलिहान में 5-8 दिन फलियों को सुखा कर गहाई करें. बीज को अच्छी तरह सुखा कर भंडारण करें.
* सभी दलहनी फसलों के बीजों को राईजोबियम कल्चर व पीएसबी से उपचारित करें. लहसुन की उन्नतशील प्रजाति जी-282 की बोनी शुरू करें और 20 किलो सल्फर प्रति एकड़ डालें.
* आलू की बोआई भी अक्तूबर महीने में शुरू की जाती है. इस की तैयारी के लिए खेत को अच्छी तरह जुताई करें और उस में भरपूर मात्रा में कंपोस्ट खाद या ढंग से सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. खाद डालने के 15-20 दिनों बाद अच्छी किस्म के आलू की बोआई करें.
* जो किसान जड़ वाली फसल सब्जी बोना चाहते हैं, वे महीने में ही जड़ वाली सब्जियों यानी शलगम, मूली व गाजर की भी बोआई कर सकते?हैं.
* अगर पालक, मेथी, धनिया व लहसुन वगैरह सब्जियों की बोआई सितंबर में करने से चूक गए हैं, तो इन्हें अक्तूबर में भी बोया जा सकता है.
* फूलगोभी की रोपाई नहीं की गई हो, तो उसे फौरन कर लें. रोपाई करने से पहले अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद डाल कर खेत तैयार करें. रोपाई के तुरंत बाद हलकी सिंचाई जरूर करें.
* अक्तूबर तक अमरूद की बरसाती फसल खत्म होने लगती?है. बचेखुचे अमरूदों की तोड़ाई कर के बाग की सफाई करें. बीमारी से खराब हुई पेड़ों की टहनियों को काट कर जला दें.
* आम के बाग की जुताई करें और पेड़ों के थालों को अच्छी तरह साफ करें, जिस से उन में पानी ठीक से दे सकें.
* आमतौर पर आम में अक्तूबर के आसपास गुच्छा नामक बीमारी लग जाती है. इस की रोकथाम के लिए कृषि जानकारों को बीमारी के लक्षण बता कर दवा का छिड़काव करें. पुराने पौधों को सही आकार देने के लिए शाखाओं की कटाईछंटाई करें.
* गायभैंसों के चारे के लिए बरसीम की बोआई करें, क्योंकि इस के बिना जानवरों का काम नहीं चलने वाला.
* अक्तूबर में सर्दी का असर तेजी से बढ़ता है, जो गायभैंस के बच्चों के लिए खतरनाक होता है, उन्हें ठंड से बचाने का इंतजाम करें.
* गरमी में आने वाली गायभैंस का कृत्रिम तरीके से गर्भाधान कराएं. ऐसा न हो कि वे गरमी में आएं और आप को पता ही न चले. गरमी में आने पर गायभैंसें ज्यादा आवाज निकालती हैं व उन के अंग से तरल ज्यादा मात्रा में होता है.
* चूंकि ठंड से इस मौसम की शुरुआत होती है, इसलिए अपने पशुओं को ठंड से बचाने का इंतजाम करें.
* डाक्टर की राय पर अपने पशुओं को जरूरी टीके लगवाएं व कीड़े मारने वाली दवा खिलाएं.
* मुरगी के शेड की अच्छी तरह से सफाई कर के उन्हें जाड़े के मौसम के हिसाब से तैयार कराएं, क्योंकि ज्यादा सर्दी मुरगेमुरगियों के लिए भी घातक होती है.
* मुरगी के चूजों को ठंड से बचाने का बंदोबस्त करें. डाक्टर की सलाह के मुताबिक मुरगेमुरगियों को टीके लगवाएं.