छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी आईएएस अधिकारी भी थे, इसलिए वे बेहतर जानते हैं कि सुर्खियों में बने रहना ही राजनीति में रहना होता है. अजीत जोगी शायद देश के पहले शख्स हैं जो सरकार और कानून को चुनौती दे रहे हैं कि, तो आप ही बताओ मेरी जाति क्या है. हमारे देश में एक दफा आदमी भूखा आसमान तले सो सकता है पर जाति का टैग नहीं छोड़ पाता.
जोगी के जाति विवाद को चलते 2 दशक होने को आ रहे हैं पर कोई उन की जाति तय नहीं कर पा रहा है. खुद को आदिवासी बताने वाले जोगी पर छत्तीसगढ़ के एक इंजीनियर संत कुमार नेताम ने याचिका दायर की थी कि वे, दरअसल, सतनामी जाति के हैं जो संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति में आती है.
बकौल जोगी, उन का जाति प्रमाणपत्र आधा दर्जन दफा रद्द किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट तक तय नहीं कर पाया कि जोगी किस जाति के अंतर्गत आते हैं. इसलिए बेहतर होगा कि जोगी जो कहें वही उन की जाति मान कर बेवजह का एक पचड़ा खत्म किया जाए.
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