शादी किसी भी जोडे़ की जिंदगी के सब से अहम लमहों में से एक होती है. उस के बाद रोमरोम को गुदगुदा देने वाली बारी आती है यानी हनीमून पर जाने की. जीवन के इस खास समय को यादगार बनाने की तमन्ना जवान हो उठती है. 2 अजनबियों के लिए शादी के बंधन में बंधने के बाद यही मौका होता है एकदूसरे को समझने का, करीब आने का. आइए, कुछ ऐसी ही जगहों से आप को रूबरू कराएं जहां आप अपने जीवनसाथी के साथ यादगार पल गुजार सकें.

गोआ की मस्ती

आप की नई शादी हुई है और अपने जीवनसाथी के संग अंतरंग पल गुजारना चाहते हैं तो आप गोआ में हनीमून का प्लान कर सकते हैं. यहां के नीले, हरे समुद्री तट और यहां का फ्रैंक स्टाइल आप को एकदूसरे के साथ सुकून भरे पल तो देंगे ही, साथ ही आप यह कहे बिना नहीं रह पाएंगे कि जगह हो तो गोआ जैसी. आइए, चलते हैं यहां के नीले, हरे रंग के बीचों की ओर.

अंजुना बीच

समुद्र की लहरें जब पैरों को छू कर जाएं और मन में गुदगुदाहट का एहसास कराना हो तो अंजुना बीच जाना न भूलें. समुद्र के किनारे लहलहाते, झुके हुए खजूर के पेड़ और चमकीली रेत के नजारे इस बीच की खूबसूरती को चारचांद लगाते हैं. अंजुना बीच गोआ का बड़ा समुद्र तट है. डबोलिन एअरपोर्ट से इस की दूरी 57 किलोमीटर है. यह 3 हिस्सों में बंटा है. एक उत्तर, दूसरा दक्षिण और तीसरा इन दोनों के मध्य में. इस बीच के उत्तरी भाग में कई बड़े रैस्टोरैंट व होटल मौजूद हैं, जहां आप अपने पार्टनर के साथ मनचाहे फूड का स्वाद चख सकेंगे, साथ ही यहां बहुत बड़ा साप्ताहिक बाजार हर बुधवार को लगता है. यहां कम दामों में अच्छी शौपिंग हो जाती है बशर्ते कि आप   मोलभाव करने में माहिर हों.

पणजी और पुराना गोआ

पणजी गोआ की राजधानी है. यहां आप न सिर्फ समुद्र तटों को देख आकर्षित होंगे बल्कि यहां आप को भारतीय संस्कृति से जुड़ी कई कलाकृतियां भी प्रभावित करेंगी. यहां संकरी गलियों में बने चर्च की खूबसूरती भी देखने लायक है. यहां आप फोटो क्लिक किए बगैर नहीं रह पाएंगे. पणजी में पहुंच कर आप दूधसागर फौल, गोआ स्टेट म्यूजियम और चैपल औफ सिवेस्त्यित देखना न भूलें.

कैलेंगुट बीच

मानसून के वक्त गोआ की खूबसूरती देखने लायक होती है. ऐसे में हनीमून कपल्स समुद्र की लहरों में छईछप्पा छई करने को बेताब रहते हैं. कैलेंगुट आप डबोलिन एअरपोर्ट से 48 किलोमीटर की दूरी तय कर पहुंच जाएंगे. यह बीच तैराकी के लिए बहुत अच्छी जगह है. इस बीच के आसपास बने रैस्टोरैंट में अच्छा खाना भी उपलब्ध है. इन सब के बाद आप लौटने से पहले यहां की मार्केट भी जरूर ट्राई करें.

अन्य दर्शनीय स्थल

गोआ का दूसरा बड़ा शहर मडगांव है. यहां आप अपनी जीवनसंगिनी को शौपिंग करने की छूट दे सकते हैं क्योंकि यह प्लेस शौपिंग के लिए बैस्ट है. मडगांव आ कर आप शौपिंग के साथसाथ यहां के मुख्य केंद्र चर्च औफ होली स्पिरिट, हाउस औफ सेवन गेबेल्स कोल्वा बीच, एनसेस्ट्रल गोआ आदि देखना न भूलें. इस के अलावा मापुसा गोआ का तीसरा बड़ा शहर है. यहां के साप्ताहिक बाजार का मजा उठाइए. यहां कुछ दर्शनीय स्थल भी हैं जो पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं. पहली बार आए कपल्स दोला पाउला, आरामबोल, कोलवा, मीरामार, बागाटोर, अगोंडा आदि बीच पर जाना न भूलें क्योंकि यहां भी आप को खूब मजा आएगा.

जाने का समय : गोआ जाने के लिए आप अक्तूबर से मार्च के बीच जाएं क्योंकि इन महीनों में यहां का मौसम बेहतर रहता है. जून से सितंबर के बीच यहां बहुत वर्षा होती है तो समुद्र तटों में वर्षा का स्तर बढ़ जाने से आप यहां का मजा नहीं उठा सकेंगे. इसलिए बेहतर है कि आप सही मौसम में गोआ जाएं. क्रिसमस के समय गोआ में बहुत सारे सांस्कृतिक आयोजन होते हैं तो यह समय गोआ जाने के लिए अच्छा होता है.

कैसे पहुंचें

अगर आप वायुमार्ग अपनाते हैं तो आप को गोआ के निकटतम डबोलिन एअरपोर्ट पर उतरना होगा. यहां से गोआ 29 किलोमीटर पर स्थित है. गोआ के लिए बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई से सीधी उड़ानें हैं. इसी साल से पटना से भी गोआ के लिए सीधी फ्लाइट शुरू हो गई है जोकि आप को गोआ 5 घंटे में पहुंचा देगी. अगर आप रेलमार्ग से जाते हैं तो गोआ कोंकण रेलवे से जुड़ा है. तो यहां आप ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं. 2 तरह की टैक्सियां यहां चलती हैं, मीटर वाली और दूसरी बिना मीटर वाली. बिना मीटर वाली टैक्सियों में आप किराय तय कर के ही बैठें. राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा भी गोआ का सीधा संबंध मुंबई, बेंगलुरु और पुणे आदि शहरों से है.

खजुराहो

आप पार्टनर के साथ जीवन की नई शुरुआत करने जा रहे हैं तो खजुराहो से बैस्ट प्लेस आप के लिए दूसरा नहीं होगा. इस जगह को रोमांस को दिखाती शिल्पकारी के लिए जाना जाता है. खजुराहो के मंदिरों की कलात्मकता और शिल्पकारी देखते ही बनती है. यहां के सभी मंदिर संपूर्ण भारत की ओर से प्रेम के अनूठे अनमोल उपहार हैं. इस के अलावा अगर आप झील देखने के शौकीन हैं तो आप खजुराहो में अजय पालका झील देखना न भूलें. यहां पहुंच कर न सिर्फ आप को प्राकृतिक सुंदरता के दर्शन होंगे बल्कि आप यहां एकदूसरे की बांहों में खो जाएंगे.

बेहतर समय : खजुराहो जाने के लिए अक्तूबर से मार्च तक का समय बेहतर है. सर्दी के मौसम में यहां सब से ज्यादा पर्यटक आते हैं.

खरीदारी : खजुराहो आ कर आप यहां की छोटीछोटी दुकानों से लोहे, तांबे और पत्थर के गहने खरीद सकते हैं. यहां से आप पत्थरों और धातुओं पर उकेरी गई कामसूत्र की भंगिमाएं खरीद कर अपने ड्राइंगरूम और बैडरूम की शोभा बढ़ा सकते हैं.

कैसे पहुंचें

वायुमार्ग : खजुराहो वायुमार्ग द्वारा दिल्ली, वाराणसी, आगरा और काठमांडू से जुड़ा हुआ है. खजुराहो एअरपोर्ट सिटी सैंटर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है.

रेलमार्ग : अगर आप रेलमार्ग अपनाते हैं तो दिल्ली और वाराणसी से खजुराहो रेलवे स्टेशन के लिए सीधी रेल सेवा है. दिल्ली और मुंबई से जाने वाले पर्यटकों के लिए झांसी भी सही विकल्प है. वहीं चेन्नई, वाराणसी से आने वालों के लिए सतना रेलवे स्टेशन नजदीक पड़ेगा. इन रेलवे स्टेशनों पर उतर कर आप सड़क से टैक्सी या बस के माध्यम से सुविधाजनक सफर कर सकते हैं.

सड़कमार्ग : सड़कमार्ग से जाने के लिए आप सतना, छतरपुर, झांसी, पन्ना, हरपालपुर, महोबा, ग्वालियर, आगरा, जबलपुर, इंदौर, भोपाल, वाराणसी और इलाहाबाद से सीधा रूट अपना सकते हैं. दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से पलवल, कोसीकला, मथुरा, आगरा, ग्वालियर होते हुए धौलपुर और मुरैना के रास्ते खजुराहो पहुंचा जा सकता है.

महाराजा लग्जरी ट्रेन का सफर

हनीमून पर जाने के वक्त अगर आप को महाराजाओं जैसी सवारी गाड़ी मिल जाए तो आप की यात्रा में चारचांद  लग जाएं. महाराजाओं जैसा सफर करने के लिए अब आप अक्तूबर से अप्रैल के बीच महाराजा लग्जरी ट्रेन की सवारी ले सकते हैं. यह ट्रेन 2,307 किलोमीटर दूरी तय करती है. इस ट्रेन द्वारा दिल्ली से जयपुर, रणथंभौर, फतेहपुर सीकरी, आगरा, ग्वालियर, ओरछा, खजुराहो, वाराणसी होते हुए दिल्ली वापस आया जा सकता है.

लक्षद्वीप

लक्षद्वीप में समुद्री बीच आप के दिलोदिमाग पर यादगार छाप छोड़ देगा और यह आप को एकांत के पल बिताने के लिए मजबूर कर देगा. लक्षद्वीप को हंडे्रड थाउजैंड आइलैंड भी कहते हैं. आप यहां समुद्री जीवन से नजदीक से रूबरू हो सकते हैं. अपने साथी के साथ जाने के लिए पानी के खेल स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग जरूर करें, इस से आप के हनीमून का मजा दोगुना हो जाएगा.

क्या देखें

कलपेनी : लक्षद्वीप का कलपेनी तट आप दोनों को लहरों से और भी ज्यादा करीब लाने का एहसास कराएगा. यह तट अपनी सुंदरता और तिलक्कम व पिट्टी नामक छोटे टापुओं के लिए मशहूर है. कलपेनी समुद्र ्रतट चारों ओर से विशाल ताल से घिरा हुआ है, यहां की सुंदरता देखते ही बनती है. इस के अलावा अगर आप तैराकी के शौकीन हैं तो आप के लिए यह एक बैटर प्लेस है. यहां आप सैल बोट और पैडल बोट आदि का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

कदमत : यहां की फैली सुंदरता हनीमून मनाने आए कपल्स को अविस्मरणीय आनंद की अनुभूति कराती है.

मिनिकाय : अगर आप भारतीय संस्कृति के मुरीद हैं तो मिनिकाय जाना न भूलें. मिनिकाय कावारत्ती से 200 किलोमीटर दूर है. यहां तरहतरह की संस्कृतियों के दर्शन होते हैं. यहां का लावा नृत्य आप का मन मोह लेगा और आप दोनों भी इन कलाकारों के साथ थिरकने को मजबूर हो उठेंगे.

अनद्रोथ : अनद्रोथ सब से बड़ा द्वीप है. यहां के स्थानीय लोग मछलियों का व्यवसाय करते हैं और अगर आप भी मछली पकड़ने या खाने के शौकीन हैं तो जरूर जाएं. यहां भारत सरकार ने अनद्रोथ के पूर्व में आधुनिक लाइटहाउस टावर बनवाया है.

कब जाएं

यहां जाने का बेहतरीन समय दिसंबर से मई तक का है.

खरीदारी : अगर आप की पौकेट भारी है तो ही यहां आप शौपिंग करें क्योंकि लक्षद्वीप सस्ती जगह नहीं है. लेकिन अगर आप यहां आ जाएं तो यहां से शुद्ध नारियल पाउडर, नारियल तेल खरीदना न भूलें. इस के अलावा फिश पिकल और स्मारिका यादगार के रूप में खरीद सकते हैं.

कैसे जाएं

वाईमार्ग : अगर आप हवाई मार्ग अपनाते हैं तो कोचन से अगत्ती द्वीप तक सीधी हवाई सेवा है. अगत्ती से हैलिकौप्टर या बोट के माध्यम से आगे जाया जा सकता है. दूसरे द्वीपों के लिए हैलिकौप्टर सेवा उपलब्ध है.

जलमार्ग : एमवी टीपू सुलतान, एमवी भारत सीमा, एमवी अमिनदिती और एमवी मिनिकाय कोचीन से लक्षद्वीप के कई आइलैंड को शिप जाते हैं. यहां पहुंचने में आप को 14 से 18 घंटे लग सकते हैं.

अंडमान निकोबार

हिंदमहासागर में बसा निर्मल और शांत अंडमान द्वीपसमूह पर्यटकों के मन को असीम आनंद की अनुभूति कराता भारत का एक लोकप्रिय द्वीपसमूह है. यह अपने आंचल में मूंगा, भित्ति, साफसुथरा सागरतट, पुरानी स्मृतियों से जुड़े खंडहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियां संजोए है. यहां का 86 प्रतिशत क्षेत्रफल जंगलों से ढका हुआ है.  समुद्री जीवन, इतिहास और जलक्रीड़ाओं में रुचि रखने वाले पर्यटकों को यह द्वीप अपनी ओर आकर्षित करता है. अंगरेज सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह सैल्युलर जेल, जो ‘काला पानी’ के रूप में आम आदमी के हृदय में भय जगाती थी, आज इस द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इस द्वीपसमूह के पूर्व में अंडमान सागर और पश्चिम में बंगाल की खाड़ी है. 572 द्वीपों से घिरा यह द्वीपसमूह लगभग 8,250 वर्ग किलोमीटर में फैला है. मुख्य भूमि से इस की दूरी लगभग 1,200 किलोमीटर है. भूमि से इतनी दूरी ही इस द्वीपसमूह को प्रदूषणरहित बनाती है. सैलानियों को इस की हरियाली व समुद्र अपनी ओर आकर्षित रते हैं.

दर्शनीय स्थल

सैल्युलर जेल : सैल्युलर जेल और स्वतंत्रता संग्राम एकदूसरे के पर्याय हैं. इस जेल के बिना स्वतंत्रता संग्राम की हर बात अधूरी है. यहां भारतीय बंदियों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया जाता था. आजादी के मतवालों ने यहां बहुत यातनाएं झेली थीं. उन की वीरता, प्रतिरोध और बलिदान की बदौलत ही हम आज स्वतंत्र हवा में सांस ले रहे हैं. औक्टोपस के आकार में 7 शाखाओं में बनाई गई इस जेल में 694 कोठरियां थीं. आज इस की केवल 3 शाखाएं बची हैं. इस जेल की दीवारों पर शहीदों के नाम अंकित हैं. जेल के सामने सावरकर पार्क है. इस पार्क में जेल के आतंक से शहीद हुए बलिदानी वीरों की आदमकद प्रतिमाएं लगी हुई हैं. जेल के दाईं ओर एक संग्रहालय है, जहां अंगरेजी शासन के अत्याचार के मूक गवाह अस्त्रों को देखा जा सकता है. जेल के विशाल प्रांगण में एक ओपनएअर थिएटर भी है, जहां आयोजित होने वाला हिंदी व अंगरेजी में साउंड एंड लाइट शो इस द्वीप के पूरे इतिहास को बड़े ही प्रभावपूर्ण ढंग से दर्शाता है. सोमवार को बंद रहने वाले इस थिएटर में 4 शो होते हैं.

कार्बिन कोव्स बीच : अंगरेजी के यू आकार का प्राकृतिक रूप से हरेभरे वृक्षों से घिरा यह समुद्रतट पर्यटकों के लिए मनोरम स्थान है. यहां से सूर्यास्त का अद्भुत नजारा काफी आकर्षक प्रतीत होता है. यह बीच अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए लोकप्रिय है.

रोस आईलैंड : यह द्वीप ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खंडहरों के लिए प्रसिद्ध है. पोर्ट ब्लेयर से मात्र 3 किलोमीटर दूर स्थित इस द्वीप में चर्च, स्विमिंग पूल, चीफ कमिश्नर आवास, प्रिंटिंग प्रैस, पावर हाउस, जल संग्रह हेतु भवन आदि के खंडहर दर्शाते हैं कि अंगरेज अधिकारियों ने इस द्वीप को अंगरेजी संस्कृति व स्वयं की रक्षा हेतु एक किले के रूप में विकसित किया था. यहां पर्यटकों के आवागमन से बेफिक्र हिरणों के झुंड पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

बैरन द्वीप : यहां भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है. यह द्वीप लगभग 3 किलोमीटर में फैला है.

डिगलीपुर : उत्तरी अंडमान द्वीप में स्थित प्रकृतिप्रेमियों की यह पसंदीदा जगह है. यह स्थान अपने संतरों, चावलों और समुद्री जीवन के लिए प्रसिद्ध है. यहां की सेडल पीक आसपास के द्वीपों में सब से ऊंचा पौइंट है. यह 732 मीटर ऊंचा है. अंडमान की एकमात्र नदी कलिंपोंग यहां से बहती है.

वाइपर द्वीप : किसी जमाने में गुलाम भारत से लाए गए कैदियों को पोर्ट ब्लेयर के पास वाइपर द्वीप में उतारा जाता था. आज यह द्वीप सैलानियों के लिए पिकनिक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है.

हैवलौक द्वीप : यहां के स्वच्छ निर्मल पानी का सौंदर्य सैलानियों का मन मोह लेता है. इस द्वीप में कई बार तैरती हुई डौल्फिन मछलियों के झुंड देखे जा सकते हैं. शीशे की तरह साफ पानी के नीचे जलीय पौधे व रंगीन मछलियों को तैरते देख पर्यटक अपनी दुनिया को भूल जाते हैं.

कार निकोबार : कार निकोबार, निकोबार जिले का मुख्यालय है. यह समतल उपजाऊ द्वीप है. यह चारों ओर से नारियल के वृक्षों व मनमोहक समुद्रतटों से घिरा हुआ है. इन समुद्रतटों से लहरों के आनेजाने की आवाज लगातार सुनाई देती रहती है.

ग्रेट निकोबार (इंदिरा पौइंट) : इंदिरा पौइंट निकोबार द्वीपसमूह का दक्षिणी छोर है. यह द्वीप जैविक आरक्षित क्षेत्र है.

डाइव स्थल : पानी के भीतर की दुनिया में जाने की कला डाइविंग एक साहसिक खेल है. रंगबिरंगी मछलियों के झुंड आप को सम्मोहित कर सकते हैं. आप पानी के भीतर फोटोग्राफी करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं. अंडमान  डाइविंग एक खास अनुभव प्रदान करता है. डाइविंग के लिए सब से अच्छा मौसम दिसंबर से अप्रैल माह है. यहां का स्वच्छ पानी 80 फुट तक साफ दिखाई देता है. गहरे डाइव के द्वारा समुद्री जीवन की विविधता देखी जा सकती है.

महोत्सव व संस्कृति

अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की एक अलग ही संस्कृति है. यहां विभिन्न धर्म, भाषा, जाति के लोग पूरी शांति व सद्भाव के साथ रहते हैं. इसीलिए इसे ‘लघु भारत’ कहा जाता है. प्रत्येक वर्ष (दिसंबर-जनवरी) के दौरान द्वीप पर्यटन उत्सव मनाया जाता है. इस उत्सव के दौरान आयोजित प्रदर्शनी में सरकारी एजेंसियां और निजी उद्यमी भाग लेते हैं. इस में जलक्रीड़ा प्रतियोगिताएं जैसे निकोबारी होड़ी दौड़, जादू का प्रदर्शन, कठपुतली प्रदर्शन, फ्लोटिंग रेस्तरां, शिशु प्रदर्शनी, डौगशो, नौका दौड़, स्कूबा डाइविंग मुख्य आकर्षण होते हैं.

कैसे पहुंचें

वायुमार्ग : इंडियन एअर- लाइंस की उड़ानें सप्ताह में 3 बार पोर्ट ब्लेयर से चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और भुवनेश्वर को जाती हैं व इन शहरों से पोर्ट ब्लेयर के लिए आती हैं.

जलमार्ग : कोलकाता, चेन्नई और विशाखापट्टनम से जलयान पोर्ट ब्लेयर जाते हैं. पहुंचने में 2-3 दिन का समय लगता है.

नील द्वीप का आकाश

ससार के खूबसूरत द्वीपों में दूसरा स्थान रखने व केवल 2,868 लोगों के निवास वाले नील द्वीप की अपनी विशेषता है. इस के बारे में अभिनेता इंद्रजीत बताते हैं कि डा. बिजू द्वारा निर्देशित ‘आकाशनिंटे निरम’ की शूटिंग के लिए अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बिलकुल अकेले नील द्वीप में मैं भी पहुंचा था. पोर्ट ब्लेयर में हवाई जहाज से उतरने के बाद जलमार्ग से नील द्वीप की ओर गए. हम लोगों की यूनिट टीम पहुंचने से पहले कला निर्देशक

संतोष रामन के नेतृत्व में 17 लोगों का गु्रप द्वीप में पहुंचा था. द्वीप तक की ढाई घंटे की जहाजयात्रा बहुत मनोरंजक थी. द्वीप में पहुंचा तो अविश्वसनीय सा लगा. इतना सुंदर स्थान हमारे देश में है, यकीन नहीं हो रहा था.  साउथ अंडमान से 40 किलोमीटर दूर पर नील द्वीप स्थित है. जंगल, सागर, आकाश की प्रकृति वाला यह द्वीप संसार के खूबसूरत द्वीपों में दूसरे स्थान पर है. यहां सुबह 4 बजे ही सूर्योदय  हो जाता है और 5.30 बजे तक सूर्यास्त होता है.

प्रकृति के बदलाव

नील द्वीप में सूर्यास्त जल्द हो जाता है, इसलिए शूटिंग प्रकृति के बदलावों के मुताबिक करनी पड़ी. कभी कड़ी धूप होती है तो कभी तेज बारिश. वहां इतनी तेज हवाएं चलती हैं कि शूटिंग सैट को संभालना मुश्किल था. किसी तरह हम ने शूटिंग पूरी की. इस द्वीप का अधिकांश हिस्सा जंगल है, इसलिए हरित सौंदर्य में कोई कमी नहीं है. अपनी फिल्म की शूटिंग के दौरान हम स्वयं को द्वीप का रहवासी जैसा महसूस करने लगे थे. ‘फिर आएंगे’, कहते हुए हम लौट आए. लेकिन आज भी हम जब इस द्वीप की सुंदरता के बारे में सोचते हैं तो मन प्रफुल्लित हो उठता है.

– गीतांजलि के साथ अब्दुल जलील

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