सरकार सौर ऊर्जा यानी साफसुथरी ऊर्जा के उत्पादन को विशेष महत्त्व दे रही है. इस की बड़ी वजह यह है कि सरकार ने 1 दशक में सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य 1 लाख मेगावाट निर्धारित किया है. यह लक्ष्य कितना बड़ा है, इस का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इस समय देश में 2,500 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है और 1 साल में इस उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. सरकार ने सौर ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 6 लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान लगाया है. इस साफसुथरी ऊर्जा के उत्पादन में विश्व बैंक साथ दे रहा है और जरमनी जैसे प्रमुख देश इस प्रणाली को और मजबूत बनाने में सहयोग करने के लिए तैयार हैं. राजधानी दिल्ली में इस लक्ष्य को हासिल करने की एक तरह से शुरुआत भी की जा चुकी है. दिल्ली बिजली नियामक आयोग ने लोगों से अपने घरों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की सलाह दी है और कहा है कि सरकार उन से 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेगी. इस के लिए बाकायदा आवेदन मंगवाए गए हैं. आवेदनपत्र की कीमत 500 रुपए रखी गई है.

आवेदन के स्वीकृत होते ही आवेदक पंजीकृत हो जाएगा और 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बेचने का हकदार बन जाएगा. दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने हाल ही में गुजरात का दौरा किया था और वहां किस तरह से सौर ऊर्जा पैनल के जरिए बिजली तैयार कर के बेची जा रही है, इस बारे में जानकारी हासिल की और अब दिल्ली में उस व्यवस्था को लागू करने की योजना है.

उत्तर प्रदेश सरकार तो इस से एक कदम आगे निकल रही है और इस के लिए वह नैट मीटर सिस्टम शुरू कर रही है. इस सिस्टम से उत्पादक अपनी छत पर पैदा की गई बिजली को ऊर्जा वितरण कंपनी को बेच सकेगा. इस व्यवस्था के लागू होने के साथ ही उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा बेचने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है. बहरहाल, यह योजना उन्हीं क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावी साबित हो सकती हैं जहां आबादी भले ही कम हो लेकिन घर ज्यादा हों. दिल्ली जैसे शहरों में आबादी बहुत है लेकिन सारी आबादी बहुमंजिले आवासों में घुसी हुई है, जहां न खुली हवा आती है और न ही सूर्य की रोशनी पहुंचती है. 500 गज जमीन पर 500 परिवार गुजरबसर कर रहे हैं. सब की छत एक ही होगी और इस से आबादी के अनुपात से सौर ऊर्जा उत्पादन नगण्य ही होगा. इसलिए सरकार को यदि सचमुच छत पर बिजली पैदा करनी ही है तो उसे गांव का रुख करना पड़ेगा और गांव की हर छत को सौर ऊर्जा प्रणाली से जोड़ कर गांव को सौऊर्जा उत्पादन के केंद्र बना कर और ऊर्जा की कमाई से उन्हें संपन्न बनाना होगा. वहां पर्याप्त रूप से खुली और बेकार जमीन भी है जिस का फायदा सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उठाया जा सकता है और गांवों को सीधे रोजगार से जोड़ा जा सकता है.

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