वर्ष 2014 से देश के एक नए इतिहास के लिखे जाने की उम्मीद है. इस बार के आम चुनावों में जिस तरह नरेंद्र मोदी व भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है, वह कांगे्रस को भी अपवादों में मिलती थी.

यह स्पष्ट है कि इस जीत के पीछे देश की जनता की धर्म, जाति, क्षेत्र और पूर्व इतिहास भुला कर एक नया शासन चुनने की इच्छा है ताकि पिछले 10 वर्षों से सत्ता पर काबिज भ्रष्ट, ढुलमुल, धीमी सरकार से उसे मुक्ति मिल सके. जो भारी बहुमत भारतीय जनता पार्टी को मिला है उस के पीछे नरेंद्र मोदी की समाज के हर तरह के वर्ग के लोगों को पार्टी से जोड़ने और उन पर पूरा भरोसा कर उन्हें मनमानी सीटें भी देने की नीति से हुआ है. नरेंद्र मोदी ने यह जोखिम लिया कि अगर बहुमत न मिला तो ये छोटे दल आंखें तरेर सकते हैं. उन का आत्मविश्वास सभी राजनीतिक विचारकों की सोच को धराशायी कर गया और तरहतरह के दलों को जोड़ने की नीति के कारण उन्हें कहीं भी पराया नहीं समझा गया.

देश आज ऐसे मोड़ पर है जहां स्थायी सरकार की दरकार है जो कांगे्रस किसी भी हालत में दे नहीं सकती थी. कांगे्रस के नेता आलसी और कमजोर होने लगे थे. उन्हें लगने लगा था कि सत्ता की थाली गांधी परिवार उन्हें सजा कर बारबार देता रहेगा और वे मजे से खाते रहेंगे. चूंकि सोनिया गांधी बीमार हो गईं, मनमोहन सिंह थक गए और राहुल गांधी अपनी दयनीयता को छोड़ नहीं पाए, ऐसे में गांधी परिवार पर भरोसा करना बेमतलब हो गया था.

यह डर था कि यदि जनता ने कांगे्रस को सबक सिखाया तो कहीं छिटपुट दलों की भरमार न हो जाए जो आपस में ज्यादा लड़ें और सरकार कम चलाएं. यह अद्भुत बात रही कि जनता ने दलों की नब्ज पहचान ली और वोट देते समय समझ लिया कि कौन कितने पानी में है और सारे अनुमानों की तरह 2004 व 2009 से कहीं अलग आंकड़ों के साथ उस ने नरेंद्र मोदी को जीत दे दी.

अब नरेंद्र मोदी को साबित करना है कि उन पर लगने वाले आरोप निरर्थक हैं. वे अपने अनुभवों से बहुतकुछ सीख चुके हैं और देश पहले और धर्म व दंभ बाद में, उन की नीति का आदर्श बनेंगे. जो बहुमत उन्हें मिला है वह बहुत जिम्मेदारी वाला है. पहले की कई सरकारें इस तरह के बहुमत को बरबाद करती रही हैं.

जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने ऐसे मिले बहुमत का दुरुपयोग अपनी सत्ता को जमाने में और अपनी तानाशाही चलाने की नीयत से खराब किया और जब भी उन की सरकारें गईं, लोगों ने राहत की सांसें लीं. जनता पार्टी जिसे 1977 में इस तरह का बहुमत मिला था, बहुत ही पिटपिटा कर गई थी.

नरेंद्र मोदी को इतिहास से सीखना होगा ताकि वे देश को ऐसी सरकार दे सकें जो देश को चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका के मुकाबले खड़ा कर सके. ‘सरिता’ कहती रही है कि जब ‘हम हिंदू बाहुबल, बुद्धि, संख्या में किसी से कम नहीं तो 2 हजार वर्षों तक गुलाम क्यों रहे.’ आज जनता ने नरेंद्र मोदी को अवसर दिया है कि वे देश को गरीबी, भ्रष्टाचार, सरकारशाही से मुक्ति दिलाएं.

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