सारदा चिटफंड ऐसे हमाम की तरह है जिस में राज्य की तमाम पार्टियां नंगी नजर आ रही हैं. मामले की छानबीन जितनी गहरा रही है. अब तो मामला सीबीआई के पास जाने के बाद केंचुए के बदले सांप निकलने का अंदेशा भी उतना ही गहरा रहा है. फिर वह तृणमूल कांगे्रस हो या कांग्रेस. फिलहाल यह मामला प्रवर्तन निदेशालय के अधीन है और 1 साल से निदेशालय इस मामले को खंगालने में जुटा है. निदेशालय से जो भी खबरें छनछन कर बाहर आ रही हैं, उन से यही लग रहा है कि केंचुए की तलाश में कहीं कोई सांप न निकल आए.
पहली नजर में भले ही यह मामला ऐसा लगे कि यह अकेले ममता बनर्जी के गले की फांस बना हुआ है पर धीरेधीरे राज्य की तमाम प्रमुख पार्टियों के नेताओं के नाम इस में सामने आ रहे हैं. दिलचस्प बात यह भी है कि जिस नेता ने सारदा चिटफंड घोटाले के लिए सीबीआई को भी पत्र लिखा था, खुद उस नेता का नाम इस घोटाले में उभर कर आ रहा है.
तृणमूल कांगे्रस को अंदेशा है कि मामले को प्रवर्तन निदेशालय को सौंपने के पीछे केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम का हाथ रहा है. चुनाव के मद्देनजर केंद्र गड़े मुरदे उखाड़ रहा है. जबकि सचाई यह है कि चुनावी सरगर्मियां शुरू होने से बहुत पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने सारदा चिटफंड कांड को ले कर छानबीन शुरू कर दी थी. गौरतलब है कि सितंबर 2013 को मामला प्रवर्तन निदेशालय के पास गया. वह भी असम प्रवर्तन निदेशालय के पास. निदेशालय ने सारदा चिटफंड के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं के लिए एफआईआर दर्ज कर ली और वह ‘मनी लौंडिं्रग’, हवाला और हुंडी के जरिए पैसों के लेनदेन की जांच कर रहा है. वहीं, इस मामले की अलग से जांच कौर्पोरेट मंत्रालय, सेबी और आयकर विभाग जैसी कई सरकारी एजेंसियां भी कर रही हैं.
जाहिर है मामले को संभालने के मद्देनजर ममता बनर्जी के पास करने को कुछ खास नहीं है. वहीं, कोलकाता हाईकोर्ट में भी एक जनहित याचिका दायर है, जिस में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई है. उधर, असम सरकार भी सीबीआई जांच के पक्ष में है. जबकि वाममोरचा भी लंबे समय से मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है. लेकिन ममता बनर्जी सीबीआई जांच के पक्ष में कतई नहीं हैं.
फिलहाल मामला असम के प्रवर्तन निदेशालय में ही नहीं, कोलकाता हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है. गौरतलब है कि सारदा चिटफंड ने न केवल पश्चिम बंगाल से पैसों की उगाही की, बल्कि असम और ओडिशा में भी लोगों को करोड़ों का चूना लगाया. लेकिन पश्चिम बंगाल से बाहर असम के प्रवर्तन निदेशालय में एफआईआर दायर की गई है.
चुनावी समर में गरमाया मुद्दा
बहरहाल, चुनाव प्रचार के दौरान इसे ममता के खिलाफ हथियार जरूर बनाया जाना था, सो बनाया गया. इस को ले कर हर तरफ से आरोपप्रत्यारोप का सिलसिला भी बदस्तूर चलता रहा. माकपा नेता गौतम देव का कहना है कि मां, माटी, मानुष की बात ममता करती हैं और इसीलिए मां, माटी, मानुष की करोड़ों की रकम वे डकार गईं. वहीं, विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए हैलिकौप्टर के पैसे चिटफंड से ही निकल कर आ रहे हैं.
यहां तक कि राहुल गांधी ने भी मौका हाथ से नहीं जाने दिया. पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने चिटफंड कांड मामले में ममता बनर्जी का नाम ले कर जम कर खिंचाई की. ममता ने पलटवार किया. कहा, ‘‘अगर हिम्मत है तो मुझे टच कर के कोई दिखाए. मैं न तो मायावती हूं और न ही मुलायम सिंह. मैं ममता बनर्जी हूं, ममता बनर्जी.’’
इधर, प्रवर्तन निदेशालय से जानकारी मिली है कि सारदा कांड की तमाम रकम के बारे में अभी तक कुछ खास पता नहीं चल पाया है. सुदीप्तो सेन समेत 14 गिरफ्तार लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं. इस के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय को लगता है कि इस संबंध में शासक दल के कुछ नेता और मंत्रियों के नाम तो सामने आए हैं लेकिन साथ ही प्रदेश कांगे्रस के कुछ नेताओं के भी नाम सामने आए हैं. छानबीन में गोपनीयता के मद्देनजर किसी का भी नाम नहीं लिया गया.
हालांकि इतना जरूर कहा गया कि जिन के भी नाम आए हैं उन सब से कड़ी पूछताछ होनी है. अब तक 60 लोगों को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस भेजे जा चुके हैं. इन में तृणमूल कांगे्रस के 2 सांसद, 1 छात्र नेता और कोलकाता के एक नामी फुटबौल क्लब के अधिकारियों से प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पूछताछ भी हो चुकी है.
सुदीप्तो के पक्षधर
तृणमूल कांगे्रस की राज्य सरकार के मंत्री सारदा ग्रुप की ओर से आयोजित ज्यादातर कार्यक्रमों में अकसर मंच पर विराजमान रहे हैं और सारदा ग्रुप में निवेश के लिए दर्शकदीर्घा में बैठे लोगों से अपील भी करते रहे हैं. उन्होंने सुदीप्तो सेन की शान में कसीदे भी पढ़े. यही नहीं, उन्होंने सुदीप्तो सेन की दूसरी पत्नी के लिए फ्लैट का इंतजाम भी किया.
तृणमूल कांगे्रस के 1 अन्य प्रभावशाली नेता का नाम सामने आया है, जिन्होंने सारदा कांड का खुलासा होने के बाद सुदीप्तो सेन को बंगाल से फरार होने में मदद की थी. इतना ही नहीं, सुदीप्तो सेन के परिवार को सुरक्षा देने में भी इन की बड़ी भूमिका रही है.
घोटाले की कडि़यां
उल्लेखनीय है कि सारदा चिटफंड के सुदीप्तो सेन की पहली पत्नी और बेटे को भी गिरफ्तार किया जा चुका है. सुदीप्तो सेन की दूसरी पत्नी और बेटे शुभाजित से भी पूछताछ हो चुकी है. सुदीप्तो सेन की दूसरी पत्नी ने बताया कि उत्तर 24 परगना के तृणमूल कांगे्रस के एक प्रभावशाली नेता के कारण ही सुदीप्तो सेन ने उन्हें और उन के बेटे को अलगथलग रखा था.
तृणमूल कांगे्रस के एक सांसद पत्रकार कुणाल घोष, जो जेल में हैं, के माध्यम से ही तृणमूल के इस प्रभावशाली नेता का परिचय सुदीप्तो सेन से हुआ था और यह तृणमूल नेता भी कुणाल घोष के निशाने पर रहा है. कुणाल ने गिरफ्तारी से पहले प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर तृणमूल के जिन नेताओं की सूची मीडिया को दी थी, उस में भी उस नेता का नाम है.
इस के अलावा कांगे्रस के 1 सांसद और 1 नेता के भी नाम सामने आए हैं. सारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन के साथ इस कांगे्रसी नेता का नियमित संपर्क रहा है. कांगे्रसी नेता की सिफारिश पर कइयों को सारदा ग्रुप में नौकरी भी दी गई. वहीं, एक दूसरे कांगे्रसी नेता का पिछले चुनाव का खर्च सारदा ग्रुप ने ही उठाया था, जिस का जिक्र सारदा ग्रुप के दस्तावेजों में भी पाया गया है.
यह सच है कि सारदा चिटफंड का कारोबार वाममोरचा के शासनकाल में शुरू हुआ, लेकिन वह फलाफूला ममता बनर्जी के समय. ममता बनर्जी को सत्ता में लाने में सारदा ग्रुप का बड़ा हाथ रहा है. यही वजह है कि मौजूदा चुनाव प्रचार के दौरान वामपंथी पार्टियों से ले कर कांगे्रस तक ने इस मुद्दे को ममता बनर्जी के खिलाफ खूब उछाला.
हालांकि प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में लोकसभा चुनाव से बहुत पहले काम शुरू कर दिया था. देखना यह है कि उस की छानबीन में केवल केंचुए ही बाहर आते हैं या कोई बड़ा सांप भी.