पिछले दिनों कंगना राणावत की फिल्म ‘क्वीन’ की काफी तारीफ हुई. उस फिल्म में कंगना ने अभिनय की ऊंचाइयों को छुआ. दर्शकों का दिल जीतने के बाद अब कंगना ने ‘रिवौल्वर रानी’ में एक बेहद सख्त किरदार किया है. दिमाग से वह मानसिक रोगी लगती है, धांयधांय करती गोलियां बरसाती है और देखते ही देखते लाशों के ढेर लगा देती है. उस के अंदर सैक्स की भूख है. वह चंबल के बीहड़ों में रहती है और डकैत से पौलिटिशियन बनी है. दिखने में बदसूरत है. हमेशा आंखों पर काले रंग का मोटा चश्मा चढ़ाए रहती है. जी हां, यही वह किरदार है जिसे ‘रिवौल्वर रानी’ कहा गया है.

यह रिवौल्वर रानी ऊपर से जितनी सख्त है, अंदर से उतनी नरम भी है. हालांकि यह रिवौल्वर रानी इतनी ज्यादा ग्लैमरस नहीं लगी है फिर भी जिन दर्शकों को ‘बैड वूमंस’ और ‘बैड लोग’ पसंद आते हैं वे इसे एंजौय करेंगे. जिन्हें खुशनुमा फिल्म देखने की चाह हो वे इस से दूर रह सकते हैं.

‘रिवौल्वर रानी’ में कंगना राणावत ने अभिनय का वह परचम नहीं लहराया है जो उस ने ‘क्वीन’ में लहराया था. फिर भी इस फिल्म को ‘क्वीन’ का फायदा तो मिल ही जाएगा.

अलका सिंह (कंगना राणावत) बचपन से ही उपेक्षित रही थी. उस के बचपन में एक ठाकुर उस की मां के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है और उस के बाप को गोली मार देता है. एक दिन अलका उस आदमी का खून कर देती है. अलका का मामा बल्ली (पीयूष मिश्रा) उसे चंबल ले आता है. वह बन जाती है ‘रिवौल्वर रानी’. अब उस इलाके का मंत्री उदयभान तोमर (जाकिर हुसैन) उस का दुश्मन बन जाता है. अलका की मुलाकात एक फंक्शन के दौरान रोहन कपूर (वीरदास) से होती है. अलका उस से प्यार करने लगती है.

चुनाव सिर पर हैं. इधर, अलका अपने मामा पर दबाव डाल कर रोहन कपूर से शादी कर लेती है. वह गर्भवती हो जाती है. वह रोहन कपूर को साथ ले कर वेनिस में बसने की योजना बनाती है. लेकिन उस के विरोधी लोग उसे घेर कर गोलियों से छलनी कर देते हैं. घायल होने पर भी वह रोहन कपूर को भाग निकलने के लिए कहती है परंतु रोहन कपूर खुद उस पर गोलियां चला कर उसे ठंडा कर देता है.

‘रिवौल्वर रानी’ ब्लैकशेड लिए हुए है. इस फिल्म का हर किरदार धोखा देता नजर आता है. यहां तक कि नायिका से प्यार का दंभ भरने वाला नायक भी क्लाइमैक्स में खलनायक बन नायिका को मौत की नींद सुलाता है और उस के 10 करोड़ रुपए ले कर आगे बढ़ जाता है.

‘रिवौल्वर रानी’, जैसा कि शीर्षक से लगता है, नायिका प्रधान फिल्म है. कंगना राणावत ने एक पजैसिव प्रेमिका और पेट में पल रहे बच्चे के प्रति अपने भावों को खूबसूरती से प्रकट किया है. वीरदास इस से पहले ‘देल्ही बेली’ में अभिनय कर चुका है. वह ठंडा रहा है. पीयूष मिश्रा और जाकिर हुसैन के काम शानदार है.

फिल्म का निर्देशन कुछ अच्छा है. निर्देशक ने कई दृश्यों में नाटकीयता ला दी है. संवादों में चंबल के इलाके की बोली का प्रयोग किया गया है. क्लाइमैक्स में खूब गोलीबारी है. अलका सिंह के मरने के बाद राजनीतिबाजों द्वारा औनर किलिंग की बात भी कही गई है. फिल्म का गीतसंगीत पक्ष साधारण है. छायांकन अच्छा है.

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