सरकार की गुप्त सूचनाएं जगजाहिर करना देशद्रोह है या नहीं, यह मामला अमेरिका में तूल पकड़ रहा है. अमेरिकी सरकार जनता पर लगातार नजर रख रही है और आम आदमियों से ले कर खास हस्तियों तक के ईमेल पढ़े जा रहे हैं, टैलीफोन वार्त्तालाप सुने जा रहे हैं और मैसेज कहां से आए व कहां गए, का रिकौर्ड रखा जा रहा है. इन गुप्त बातों को जानने के लिए कभी दूसरे देश के गुप्तचर भारी रकम देने को तैयार रहते थे पर आज उत्साही युवा बिना मूल्य के अपनी सरकार के गुप्त भेद जगजाहिर कर रहे हैं.
29 साल के एडवर्ड जोसेफ स्नोडेन ने आतंकियों को पकड़ने के नाम पर रिकौर्ड की गई बातों को अमेरिकी प्रैस को खुल्लमखुल्ला, बिना कुछ चाहे, बता दिया. अमेरिकी सरकार अब उन्हें पकड़ना चाहती है और वे एक देश से दूसरे देश भाग रहे हैं कि उन्हें कहीं शरण मिल जाए.
2 वर्ष पहले जूलियन असांजे ने विकीलीक्स के मारफत कुछ ऐसा ही कदम उठाया था जब गुप्त जानकारियां इंटरनैट पर डाल कर हरेक तक पहुंचा दी थीं और दुनियाभर के नेताओं व सरकारों को सकते में डाल दिया?था. आस्ट्रेलियाई असांजे को स्वीडन में एक रेप में फंसा कर गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है पर फिलहाल वे इक्वाडोर के लंदन स्थित दूतावास में छिपे हैं.
लोकतंत्र का तकाजा है कि सरकार कुछ भी छिपा कर न करे. शत्रुओं की बातें जानने के लिए की जा रही जासूसी भी इतनी गुप्त न हो कि उन का दुरुपयोग किया जाने लगे. तानाशाह देश पहले बोलने, सोचने व कुछ करने की स्वतंत्रता पर रोक लगाते हैं, फिर जल्दी ही तानाशाह अपना राज बनाए रखने के लिए विरोधियों की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर देता है. अगर लोकतंत्र में भी यही हुआ तो फिर कैसा लोकतंत्र.
अमेरिकी सरकार का कहना है कि वह नागरिकों की बातें इसलिए सुन रही है ताकि आतंकवादियों की जानकारी पहले मिल जाए. पर इस बात की कौन गारंटी लेगा कि पूर्व राष्ट्रपति निक्सन की तरह कोई राष्ट्रपति अपने विरोधी दल की बात सुनना न शुरू कर दे जो वाटरगेट के नाम से कुख्यात हुआ.
स्नोडेन को सिरफिरा, फितूरी कहा जा सकता है पर ऐसे ही लोग असल में लोकतंत्र के रक्षक हैं और निरंकुश सरकार पर रोक लगा सकते हैं. स्नोडेन अमेरिका से भाग निकले वरना उन का वहां भारतीय शैली में एनकाउंटर करने में देर न लगती.