जल को ले कर हम कितने संवेदनहीन और गैरजिम्मेदार हैं, यह तो देश में विकराल होते जल संकट से आसानी से सम?ा जा सकता है. संवेदनहीनता की हद पार करते हुए कुछ नामी लोग तो जल संकट की समस्या का मजाक उड़ाते भी दिखते हैं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के कई इलाके सूखे की चपेट में हैं, जिस के चलते कई किसान अपनी फसल और जानवरों के लिए पानी उपलब्ध न कर पाने की बेबसी में प्रशासन से खुदकुशी तक की गुहार लगा चुके हैं. इसी बीच, सरकार में शामिल राष्ट्रवादी कांगे्रस पार्टी के मुखिया शरद पवार के भतीजे अजित पवार बड़ी ही बेशर्मी से कहते हैं कि जब बांध में पानी है ही नहीं तो क्या पेशाब कर के दें पानी?
नेता के बाद हमारे तथाकथित धर्मगुरु आसाराम बापू तो इन से भी दो कदम आगे निकलते हुए महाराष्ट्र में ही होली के नाम पर सरेआम लाखों लिटर पानी बहा देते हैं. धर्मगुरु और नेता अगर इतने महान हैं तो हमारे अभिनेता भी भला पीछे रहने वाले कहां हैं. लिहाजा, शाहरुख खान अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रैस’ की शूटिंग के लिए डैम से खरीदा हुआ पानी सिर्फ इसलिए बरबाद करते हैं क्योंकि उन्हें फिल्म के एक ऐक्शन सीन के लिए मोटरसाइकिल कीचड़ में दौड़ानी है.
जिस देश में आम आदमी पानी की एक बूंद के लिए तरस रहा है वहां साधु, नेता और अभिनेता पानी की बरबादी सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी पानी की किल्लत नहीं देखी, कभी सरकारी नलों या हैंडपंपों में लाइन नहीं लगाई और कभी पानी के लिए मारामारी नहीं की. लेकिन भविष्य में जब पानी जमीन से पूरी तरह खत्म हो जाएगा तब शायद उन्हें अंदाजा होगा कि उन्होंने कितना बड़ा अपराध किया है.
बहरहाल, अभी इन लोगों का जल संरक्षण से सरोकार नहीं है. राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर जल को बचाने के लिए कोई गंभीर नहीं दिखता, यह तो सम?ा में आता है पर आम आदमी यानी हम इस दिशा में कोई कदम क्यों नहीं उठाते, यह चिंता की बात है.
हम हैं जिम्मेदार
दरअसल, विकास और लालच ने हमें स्वार्थी बना दिया है. नतीजतन, अधिकांश नदियों, तालाबों, ?ाल, पोखरों का अस्तित्व मिट गया. एक समय ये सभी माध्यम जल के मुख्य सोर्स हुआ करते थे. लेकिन आज हम इतने लापरवाह हो गए हैं कि हमें भविष्य के खतरे की आहट ही नहीं सुनाई पड़ रही है.
वाटर क्राइसेस सर्वे से जुड़ी रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में विश्व की लगभग 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है, लेकिन उस के लिए मात्र 3 प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है. आंकड़े बताते हैं कि विश्व के लगभग 88 करोड़ लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में तो पाइपलाइनों के वौल्व की खराबी के कारण प्रतिदिन 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है.
इस के अलावा हम घरों में ब्रश करने, नहाने और कपड़े व गाड़ी धोने में पानी बरबाद करते हैं. जहां पानी की 1 बालटी से काम किया जा सकता है वहां 2 बालटी पानी का इस्तेमाल होता है. अधिकतर लोगों की यही सोच रहती है कि 1-2 बालटी और खर्च हो जाए तो क्या है? लेकिन वे यह नहीं जानते कि जब एकएक बालटी करोड़ों लोग बारबार बरबाद करते हैं तो कितनी भारी मात्रा में पानी बरबाद होता है.
दरअसल, भारत में पानी के प्रबंधन को ले कर कोई जागरूकता नहीं दिखती. बरसात के पानी को संरक्षित करने की दिशा में हम कोई ठोस कदम नहीं उठाते. इसलिए वर्षा के जल की हार्वेस्टिंग भी कहींकहीं हो पा रही है. हम पीने वाले पानी और इस्तेमाल करने वाले पानी में अंतर नहीं सम?ाते.
नई पीढ़ी की जिम्मेदारी
आधुनिकता की दौड़ में हम जल के महत्त्व को सही माने में महसूस नहीं कर पा रहे हैं. जबकि जल को बचाए रखना नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है. प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत स्तर पर पानी का दुरुपयोग न कर बचत भी करनी चाहिए. समय आ गया है जल संरक्षण और पानी की बचत की दिशा में गंभीर होने का. आवश्यक हो तो पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए विदेशों की तर्ज पर कड़े कानून बनाने चाहिए.
आज जरूरत है कि पर्यावरण संरक्षण के साथसाथ निरंतर घटते जल स्तर को बढ़ाया जाए. अंधाधुंध वृक्षों को काटने के बजाय हमें नए पेड़पौधे रोपने होंगे. इस से बारिश होगी और जमीन का गिरता जलस्तर सुधरेगा. बरसात के पानी का संरक्षण भी बेहद जरूरी है. यह पानी जानवरों को पिलाने, फसल की सिंचाई से ले कर कई जरूरी कामों में इस्तेमाल हो सकता है. अगर शुरुआत खुद से की जाए तो दूसरों को भी इस के लिए शिक्षित और प्रेरित किया जा सकता है.
प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि कोई जल का दुरुपयोग कर रहा हो तो उसे उस के दुष्परिणाम बताते हुए ऐसा करने से रोकें. विशेषज्ञ मानते हैं कि जल संकट से नजात पाने के लिए कई कारगर कदम उठाए जा सकते हैं जैसे सरकार द्वारा पानी पर टैक्स लगाना या नदियों को समुद्र में मिलने से रोकना आदि.
इस के साथ ही किसानों को सम?ाया जा सकता है कि फसलों को इस तरीके से लगाएं कि जिस से पानी का न्यूनतम इस्तेमाल हो. सरकार और आम लोग मिल कर ही इस समस्या से नजात पा सकते हैं.
ऐसे बचाएं पानी
- टूथब्रश करते समय नल खुला न छोड़ें.
- टब या शावर के बजाय बालटी से नहाने से काफी पानी बचता है.
- किसी भी पाइप या नल में से पानी टपक रहा है तो उसे तुरंत ठीक करवाएं.
- प्रतिदिन कपड़े धोने से ज्यादा पानी खर्च होता है, इसलिए इकट्ठा कपड़े धोएं.
- वाश्ंिग मशीन पर एकसाथ जमा कपड़े धोएं. बारबार कपड़े धोने से पानी बरबाद होता है.
- टौयलेट में पानी की टंकी को आधा दबाएं.
- टौयलेट में लगी फ्लश की टंकी में प्लास्टिक की बोतल में रेत भर कर रख देने से हर बार एक लिटर जल बचता है.
- सब्जी, बरतन आदि धोने के बाद इकट्ठा हुए पानी को पौधों में डाल दें या फिर पोंछा, फर्श की धुलाई, कार धोने या टौयलेट साफ करने आदि में प्रयोग करें.
- अपने पालतू जानवरों को गार्डन में नहलाएं ताकि पानी घास व पौधों को मिल सके.
- बरसात का पानी जमा करें.
- ग्रामीण इलाकों में धरती में गड्ढे आदि खोद कर उस में बरसात का पानी जमा किया जा सकता है.
- गाड़ी धोने के लिए पाइप के बजाय बालटी का पानी ही इस्तेमाल करें.
- नाली को साफ रखें वरना सफाई में बहुत पानी व्यर्थ जाएगा.