Tere Ishq Mein Movie Review : इश्क पर बौलीवुड में सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. इश्क का जनून सभी फिल्मों में दिखाया गया है. कभी इश्क आंखों में छिपा दर्द बन कर दिखा तो कभी इश्क में प्यार और गुस्सा देखने को मिला. कभी इश्क में प्रेमीप्रेमिका दीवानों की तरह पागल हो जाते हैं तो कभी इश्क में वे मरनेमारने पर उतर आते हैं. उर्दू शायरी में ‘इश्क’ के महत्त्व को दर्शाया गया है. दो दिलों के धड़कने का नाम है इश्क, जज्बातों की आंधी है इश्क, एकदूसरे की चाहत में कुछ कर गुजरने का जज्बा है इश्क. बौलीवुड में इश्क पर बनी फिल्में बरसों तक याद रह जाती हैं.
अब तक इश्क पर आई सैकड़ों फिल्मों में एक और फिल्म जुड़ गई है ‘तेरे इश्क में’. यह हिंदी में बनी म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा फिल्म है. इस का निर्देशन आनंद एल रौय ने किया है. आनंद एल रौय रोमांटिक फिल्में बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं. उन्हें 2011 में बनी रोमांटिक कौमेडी ड्रामा ‘तनु वेड्स मनु’ और इस के सीक्वल तथा 2013 में बनी ‘रांझणा’ के निर्देशन के लिए जाना जाता है. इस के अलावा कई पारिवारिक कौमेडी ड्रामा फिल्मों का भी उन्होंने निर्देशन किया है.
‘तेरे इश्क में’ एक लव स्टोरी है, जो जनूनी आशिकी और मरमिटने वाली मोहब्बत की दास्तान सुनाती है. इश्क की इसी तरह की दास्तान वे ऐक्टर धनुष के साथ फिल्म ‘रांझणा’ में दिखा चुके हैं. इस फिल्म के ‘मैं प्यार में पड़ गया तो दिल्ली फूंक दूंगा’ जैसे संवाद अग्रिम पंक्ति के दर्शकों को बहुत पसंद आ रहे हैं.
कहानी दिल्ली विश्वविद्यालय की है. विश्वविद्यालय के छात्रसंघ का अध्यक्ष शंकर (धनुष) अपने गुस्सैल और दबंगई के कारण कालेज में कोई न कोई कांड करता रहता है. उसी कालेज में पढऩे वाली मुक्ति देनी वाली एक रिसर्च स्कौलर है. समझदार मुक्ति अपनी रिसर्च द्वारा यह साबित करना चाहती है कि हिंसक इंसान के स्वभाव को भी बदला जा सकता है.
वह शंकर से दोस्ती बढ़ाती है. शंकर को उस से प्यार हो जाता है. अब शंकर का गुस्सा कम होने लगता है. मुक्ति का प्यार पाने के लिए वह खुद में बदलाव लाता है. मगर जब उसे पता चलता है कि मुक्ति उस से प्यार नहीं करती तो वह दुनिया को जला देने का आतुर हो जाता है. 7 साल बाद मुक्ति और शंकर जब मिलते हैं तब मुक्ति भी शंकर के इश्क में पूरी तरह डूब चुकी थी. उसे शंकर से इश्क हो गया था.
फिल्म की यह कहानी काफी दिलचस्प है. कहानी में मसाले के साथसाथ इमोशंस और ड्रामा भरपूर हैं. धनुष के जनून और कृति सेनन के प्यार ने ‘रांझणा’ वाले इश्क को दोहराया है. धनुष और कृति सेनन की कैमिस्ट्री ताजीताजी मोहब्बत जैसी लगती है. फिल्म के कई सीन पावरफुल हैं, जो दर्शकों को कुरसी से बांधे रखते हैं.
जैसेजैसे कहानी आगे बढ़ती है, प्रेम कहानी में जनून की आग दिखने लगती है. मध्यांतर से पहले 2 विपरीत पृष्ठभूमि से आए नायकनायिका के बीच का टकराव, प्यार का पागलपन, दिल टूटना, मोहब्बत की हदें पार करना दिखाया गया है जबकि मध्यांतर के बाद कहानी बिखरने लगती है.
फिल्म थोड़ी और छोटी होती तो ठीक था. तकनीकी दृष्टि से फिल्म अच्छी है. कैमरावर्क बढ़िया है. ए आर रहमान से उम्मीदें ज्यादा थीं मगर ‘तेरे इश्क में…’ और ‘जिगर ठंडा…’ जैसे गाने ही याद रह पाते हैं.
धनुष और कृति सेनन दोनों ने बढिय़ा अभिनय किया है. मोहम्मद जीशान अय्यूब ने दिल जीत लिया है. प्रकाशराज और पैन्यूली ने भी अपनेअपने किरदार बढ़िया ढंग से निभाए हैं. Tere Ishq Mein Movie Review :





