Readers’ Problems: पाठकों की समस्याएं:

 

मेरी नौकरानी तंग कपड़े पहन कर मेरे घर आती है.

मैं 32 वर्ष की गृहिणी हूं. वह अपने काम में बहुत अच्छी है, समय पर आती है, साफसुथरा काम करती है और घर के सभी सदस्य उसे पसंद करते हैं. लेकिन मुझे एक बात बहुत खटकती है, वह काम करते समय बहुत गहरे गले और तंग कपड़े पहनती है. मेरे पति घर से काम करते हैं. कई बार मुझे असहज महसूस होता है कि उन की नजर अनजाने में उस पर पड़ सकती है. मैं नहीं चाहती कि घर का माहौल बिगड़े, पर उस से सीधेसीधे कहना भी अजीब लगता है. मैं उसे कैसे समऊं कि वह थोड़ा सादे कपड़े पहना करे, बिना उसे बुरा लगे?

आप की असहजता पूरी तरह स्वाभाविक है. आप किसी के कपड़ों पर टिप्पणी करना नहीं चाहतीं लेकिन घर का वातावरण भी आपके लिए सुरक्षित और सहज रहना चाहिए. ऐसे मामलों में सीधी परंतु शालीन बातचीत ही सबसे सही रास्ता है. सही समय और लहजा चुनें. एक दिन जब घर में कोई और न हो तो उससे धीरे से कहें, ‘‘तुम बहुत अच्छा काम करती हो, हम तुम्हारे काम से खुश हैं. बस, एक छोटी सी बात है, अगर तुम घर पर काम करते समय थोड़ा साधारण कपड़े पहन लो तो मुझे अच्छा लगेगा. हमारे घर में सब लोग रहते हैं तो थोड़ा ध्यान रखना. तुम चाहो तो मैं तुम्हारे लिए एक एप्रन रख दूं ताकि काम करते समय आराम रहे.’’ आप का लहजा आरोप लगाने वाला नहीं, बल्कि स्नेहपूर्ण होना चाहिए. सीधे पति का नाम न लाएं. इससे उसे शर्म या झिझक महसूस हो सकती है. बात को घर के माहौल या परिवार के नियम के रूप में रखें. अगर आप स्नेह और मर्यादा के साथ बात करेंगी तो वह आप की बात समझेगी.

 

मेरा बड़ा भाई अब पहले से बहुत ज्यादा बदल गया है.

बचपन में हम बहुत करीब थे- खेलना, पढ़ना, हर बात साकरना लेकिन अब जब वह नौकरी करने बाहर चला गया है तो हमारे बीच दूरी बढ़ गई है. वह अब ज्यादा बात नहीं करता, कभीकभी फोन भी नहीं उठाता. जब मैं शिकायत करती हूं तो कह देता है कि ‘मैं व्यस्त हूं.’ मुझे बहुत दुख होता है, लगता है जैसे मेरा भाई अब पहले जैसा नहीं रहा. क्या यह स्वाभाविक है या मैं ने ही कुछ गलत किया है?

भाई-बहन का रिश्ता बचपन की यादों से जुड़ा होता है, इसलिए जब उस में बदलाव आता है तो दिल को चोट पहुंचती है. लेकिन याद रखिए, जिंदगी के अलगअलग पड़ाव रिश्तों की अभिव्यक्ति भी बदल देते हैं. आप का भाई अब जिम्मेदारियों में व्यस्त है, शायद मानसिक दबाव भी झेल रहा हो. इस का यह मतलब नहीं कि उस के मन में आप के लिए अपनापन कम हो गया है. बस, उस का तरीका बदल गया है. उस से नाराज होने के बजाय प्यार से बात करें. अपने जीवन में भी कुछ नया जोड़ें- कोई हौबी, पढ़ाई या काम. इस से मन का खालीपन कम होगा. त्योहार या जन्मदिन पर उसे छोटा सा उपहार या पत्र भेजें. शब्दों में अपनापन झलकता है. समय और स्नेह दोनों सब से बड़े सेतु हैं. थोड़ा धैर्य रखें. भाईबहन का रिश्ता कभी टूटता नहीं. बस, कभीकभी धूल जम जाती है, जिसे हमें खुद साफ करना पड़ता है.

 

क्या दोस्ती भी किसी रिश्ते की तरह बदल जाती है.

मेरी सब से अच्छी दोस्त रिया शादी के बाद बदल गई है. पहले हम हर बात शेयर करते थे, हर पल साथ बिताते थे लेकिन अब वह मुझे कम फोन करती है, बातें औपचारिक रह गई हैं और हमारी मुलाकातें भी कम हो गई हैं. मुझे उस की खुशी चाहिए लेकिन लगता है जैसे मैं अब उस के जीवन में पहले की तरह अहम नहीं रही. कभी जो मेरी ताकत थी, अब वही दूरी बन गई है. क्या दोस्ती शादी के बाद भी वैसे ही बनी रह सकती है, क्या मैं फिर से उसके जीवन में पहले जैसी जगह पा सकती हूं?

रिया की शादी के बाद जो बदलाव आया है, वह स्वाभाविक है. हर इंसान के जीवन में एक समय आता है जब जिम्मेदारियां, वातावरण व प्राथमिकताएं नई दिशा ले लेती हैं. वह अब एक नई दुनिया में है जहां उसे नए रिश्तों को निभाने, खुद को साबित करने और संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. शादी के बाद चीजें बदलती ही हैं क्योंकि लड़की नए घर में जाती है. भले ही वह आप से कम बात करती हो या मेलजोल कम कर रही हो तो इस का मतलब यह नहीं कि आप को वह अहमियत नहीं दे रही. इस स्थिति को छोड़ दिए जाने की तरह न देखिए. कभीकभी हमें अपने रिश्तों को सांस लेने की जगह देनी पड़ती है ताकि वे खुद से लौटें, मजबूरी से नहीं, अपनत्व से. रिया से बात कीजिए लेकिन शिकायत के लहजे में नहीं बल्कि सहजता से. चूंकि वह नए घर में गई है तो थोड़ा समय उसे सैटल होने में लगेगा ही. सच्ची दोस्ती कभी नहीं खोती. बस, कभीकभी खामोश हो जाती है. समय, अपनापन और थोड़ा धैर्य देने से रिया फिर से वही बन जाएगी जो आप के हर सुखदुख में पहले थी. दोस्ती की खूबसूरती यह है कि जब लौटे तो वहीं से शुरू हो जहां छोड़ा था.

-कंचन

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