Film Review: एक दीवाने की दीवानियत- रोमांटिक फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ से मिलतीजुलती कुछ फिल्में पहले बन चुकी हैं, जिन में अजय देवगन और उर्मिला मातोंडकर की 2002 में बनी ‘दीवानगी’ फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही. उस फिल्म के लिए अजय देवगन को खलनायक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था. वह एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म थी.

1992 में ऋषि कपूर, दिव्या भारती, शाहरुख खान को ले कर राजकंवर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दीवाना’ एक रोमांटिक ड्रामा थी. वह फिल्म 1992 में सब से ज्यादा कमाई करने वाली दूसरी फिल्म थी.

दीवानों और उन की दीवानगी पर बहुत सी फिल्में बन चुकी हैं. शायद ही कोई ऐसी फिल्म होगी जिस में हीरो की दीवानगी न दिखाई गई हो. कहते हैं, जब प्यार हद से ज्यादा गुजर जाए तो दीवानगी बन जाती है और जब दीवानगी सियासत से टकरा जाए तो कहानी बन जाती है ‘एक दीवाने की दीवानियत’ की. इस फिल्म में दिखाई गई कहानी दीवानगी की नहीं, जबरदस्ती के प्यार और औरत की मरजी की है कि एक लड़की सम्मान को पाने के लिए अपने प्यार को सजा बना लेती है.

प्रेम के त्रिकोण पर आधारित यह फिल्म एकतरफा और जबरदस्ती के जनूनी प्यार पर आधारित है. फिल्म 1990 के दशक को फील कराती है. कहानी एक दबंग पौलिटिशियन के बेटे विक्रमादित्य उर्फ विक्रम भोंसले (हर्षवर्धन राणे) की है. मुख्यमंत्री तक उस की पहुंच है. बचपन से उस के पिता (सचिन खेडकर) ने उसे इस तरह पाला कि वह हर बात में हुक्म चलाने लगा. सत्ता के नशे में चूर विक्रम की नजर जब बौलीवुड की सितारा अदा (सोनम बाजवा) पर पड़ती है तो वह उसे पाने की ठान लेता है लेकिन अदा विक्रम को एक अहंकारी मर्द मानती है मगर विक्रम साम, दाम, दंड, भेद अपना कर भी अदा से शादी करना चाहता है. अदा परेशान हो जाती है और उस का जवाब उसी तेवर में देती है.

प्रतिशोध में आ कर वह ऐलान कर देती है कि जो दशहरे तक विक्रमादिव्य को मार डालेगा, अदा उस के साथ रात गुजारेगी. घटनाएं इस तरह बदलती हैं कि विक्रम का पागलपन, अदा का प्रतिरोध, दोनों के बीच की टकराहट उन्हें ऐसे दोराहे पर ले जाते हैं जहां प्यार, नफरत, ताकत, विनाश की सीमाएं धुंधली पड़ जाती हैं.

जब से अदा ने विक्रम को मारने की बात की है तब से उस पर बहुत से अटैक होने लगे. अब विक्रम 100 जोड़ों की शादी करवाने की मुनादी कराता है. अदा की विक्रम के प्रति नफरत बढ़ती जाती है. विक्रम 100 जोड़ों की शादी कराता है लेकिन अदा वहां सफेद साड़ी में पहुंच कर विक्रम की मौत की दुआ मांगती है. यहां विक्रम पर अटैक होते रहते हैं.

इधर विक्रम पर अटैक होते हैं तो वह अदा से माफी मांगने जाता है कि तभी अदा पर गोली चलती है मगर गोली विक्रम को लग जाती है और वह मर जाता है. अदा बच जाती है. मरते वक्त विक्रम अदा से कहता है कि अगले जन्म में भी वह उसी से प्यार करेगा.

यह फिल्म कई टर्न्स और ट्विस्ट्स से भरी पड़ी है. ‘औरत की मरजी ही उस की मरजी है’ जैसे संवादों पर फ्रंट बैंचर्स सीटियां मारते हैं. मुंबई को कलरफुल दिखाया गया है. कोरियोग्राफी अच्छी है, सभी कौस्ट्यूम्स भी अच्छे हैं. गाने प्यारमोहब्बत वाला फील देते हैं. कुछ गाने फिल्म की जान हैं. हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी प्यार और नफरत को शिद्दत से दिखाने में कामयाब रही है. सोनम बाजवा ग्लैमरस लगी है. सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. Film Review.

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