Hindi Kavita : तुम

जब भी मेरे पास आना

पूरा आना

आधे-अधूरे आने से

ना तो मित्रता में

स्पंदन होता है

ना रिश्तेदारी

साँस ले पाती है

अपनेपन की हृदय गति

असंतुलित सी हो जाती है

जब भी आना

भावों का,भावनाओं का

सौंदर्य का,प्रेम का

गुलदस्ता लाना

मन में सजाकर

और हाँ

समय के साथ आना

जब भी वक़्त मिले आना

ज़रूर आना पर

जब भी

जिस रूप में भी आना

पूरा आना

तुम।

लेखक : अनिल कुमार मिश्र

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