AI Impact : युवा अब जानकारियों के लिए एआई का सहारा लेने लगे हैं जहां उन्हें सीधीसीधी जानकारी मिल जाती है. मगर समस्या यह है कि इस से उन में खुद से रिसर्च करने की काबिलियत खोती जा रही है.

आजकल की जनरेशन हर काम के लिए एआई का सहारा लेने लगी है. चाहे किसी सवाल का जवाब चाहिए हो, कोई प्रोजेक्ट बनाना हो, चैटिंग करनी हो या फिर डाइट और हैल्थ से जुड़ी सलाह लेनी हो, सबकुछ एआई से ही करवाने लगी है.

पहले जहां बच्चे छोटीबड़ी बातों के लिए पेरैंट्स, टीचर्स या अपने दोस्तों से गाइडेंस लेते थे, वहीं अब एआई उन की पहली पसंद बन चुका है. बाहर से देखने पर ये सब बहुत आसान और एडवांस लगता है, लेकिन असल में ये धीरेधीरे उन की जिंदगी को टैक्नोलौजी के जाल में फंसा रहा है.

इंसानों से दूरी

यूथ अब अपने पेरैंट्स से पूछने की बजाय डायरेक्ट एआई से पूछता है. हाल ही में एक्ट्रेस काजोल ने बताया, “आज की जेनरेशन बहुत अलग और एडवांस है. पहले जब हम छोटे हुआ करते थे तो हर बात मातापिता से पूछते थे लेकिन आजकल के बच्चे मांबाप से दूर भागते हैं और किसी चीज का जवाब ढूंढ़ने के लिए इंटरनेट का सहारा लेते हैं, ऐसे में बच्चों और पेरैंट्स के बीच की बौंडिंग कम होती जाती है.”

जैसे पहले जब किसी को डाइट प्लान चाहिए होता था, तो वे घर के बड़ेबुजुर्गों से या डाक्टर से सलाह लेते थे. लेकिन अब बच्चे सीधे एआई से पूछते हैं “मेरे लिए कौन सा डाइट अच्छा होगा?

नतीजा ये होता है कि वे पेरैंट्स की बात को इग्नोर करने लगते हैं और घर में बातचीत कम हो जाती है. धीरेधीरे रिश्तों में इमोशनल कनेक्शन खत्म होने लगता है.

हैल्थ और डाइट पर गलत असर

डाइट और हैल्थ बहुत पर्सनल चीज होती है. हर इंसान का शरीर अलग होता है. इस के अलावा आप कुछ भी चैट जीपीटी, ग्रोक या किसी दूसरे प्लेटफौर्म पर सर्च करते हैं तो बैकअप में आप के सारे सर्चेज रिकौर्ड होते रहते हैं, इसलिए जब भी आप कुछ सर्च करते हैं तो उस का जवाब एआई आप के पुराने रिकौर्ड्स को देख कर देता है. ऐसे में आप का डाइट प्लान या बीमारी का इलाज चैट जीपीटी जैसे प्लेटफौर्म कितना बेहतर तरीके से दे सकते हैं इस की कोई गारंटी नहीं है.

अगर किसी को एआई से वेट गेन का डाइट प्लान मिला और उस ने बिना डाक्टर की सलाह लिए फौलो करना शुरू कर दिया, तो हो सकता है उस का पेट और बिगड़ जाए, क्योंकि हो सकता है उसे पहले से कब्ज या गैस्ट्रिक की प्रौब्लम हो. लेकिन एआई ये गहराई से नहीं समझ पाएगा.

एआई से डाइट प्लान के कई मामले हालफिलहाल देखने को मिले हैं. हाल ही में एक शख्स ने एआई चैट जीपीटी की मदद से वेट लौस कर लिया है और इस के लिए उसे जिम जाने की जरूरत भी नहीं पड़ी. यह ट्रांसफोर्मेशन घर पर हो गया, बस 56 साल के शख्स ने चैट जीपीटी के वेट लास टिप्स फौलो किए.

वजन घटाने के लिए डाइट कैसी होनी चाहिए, कौन से फूड खाएं, पतले होने के लिए क्या नहीं खाना चाहिए, कौन सी एक्सरसाइज बेस्ट होती हैं, ऐसे कुछ सवाल पूछ कर कोडी क्रोन ने सारी जानकारी हालिस कर ली. बता दें कि कोडी पेशे से यूट्यूबर हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वो वाइफ और 2 बच्चों के साथ पैसिफिक नौर्थ वेस्ट में रहते हैं.

कई स्टडीज में भी यह पाया गया है कि अगर आप चैट जीपीटी पर सही प्रौम्प्ट डालेंगे तो आप को सही जवाब मिल सकता है जो आप के लिए कारगर साबित हो सकता है.

फैसले लेने की क्षमता कमजोर होना

जब हर सवाल का जवाब एआई से मिल जाता है, तो खुद सोचने और सहीगलत का चुनाव करने की आदत कम हो जाती है.

किसी स्टूडैंट को प्रोजेक्ट या असाइनमेंट बनाना हो तो वह खुद मेहनत करने की बजाय पूरा कंटेंट एआई से ले लेता है. इस से उस की क्रिएटिविटी और प्रौब्लम सौल्विंग स्किल्स धीरेधीरे कमजोर हो जाती हैं.

वर्चुअल दुनिया में खो जाना

आजकल कुछ लोग तो एआई चैटबोट्स को पार्टनर बना कर उन से बातें करते रहते हैं.

नवीन जिसे असल जिंदगी में दोस्त बनाने में दिक्कत है, वह दिनरात एआई से चैट करता है. इस से उसे रियल लाइफ रिलेशनशिप बनाने में और डर लगने लगता है. असल में यह उसे और सोशली आइसोलेटेड बना देता है.

टैक्नोलौजी पर खतरनाक डिपेंडेंसी

सब से बड़ा खतरा ये है कि यूथ धीरेधीरे बिना एआई के सोच ही नहीं पाता. यह एडिक्शन इतनी गहरा हो चला है कि लोग अब गूगल पर सर्च करने में भी आलस करने लगे हैं. क्योंकि जब आप गूगल पर किसी बारे में सर्च करते हैं तो उस से संबंधित कई ब्लौग और न्यूज पेज खुल जाते हैं और सही जवाब पाने के लिए कम से कम 3-4 आर्टिकल्स पर नजर डालनी पड़ती है. ऐसे में जब चैट जीपीटी, ग्रोक और पर्प्लैक्सिटी जैसे एआई डायरेक्ट जवाब देते हैं तो लोग रिसर्च करने की भी जहमत नहीं उठाते.
ये एक सरल और जल्दी का रास्ता तो हो सकता है लेकिन यह हमारे सोचनेसमझने और क्रिटिकल थींकिंग को कम करता है.

अगर नेट बंद हो जाए या एआई टूल्स न मिलें, तो बहुत सारे स्टूडैंट्स बेसिक सवालों का जवाब भी खुद से नहीं दे पाते.

एआई एक बेहतरीन टूल है, लेकिन इसे बस सहारे की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, जीवन का आधार बना कर नहीं. इंसान की असली ताकत उस के सोचने की क्षमता, और खुद मेहनत करने में है. अगर यूथ हर छोटीबड़ी चीज के लिए सिर्फ एआई पर भरोसा करने लगेगा तो उस की जिंदगी मशीनों की गुलाम बन जाएगी.  AI Impact 

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