AI Monkey : इंस्टाग्राम में एआई बंदर खूब वायरल हो रहे हैं जो तर्क की बातें कर धार्मिक पाखंड पर चोट करते हैं. दिलचस्प यह कि इन की वेशभूषा धार्मिक सरीकी है और बातें ठीक विपरीत.
विज्ञान तकनीक देता है. तकनीक सहूलियत देता है. इस का इस्तेमाल कैसे करना है यह इंसान पर निर्भर करता है. यही इंसान इसी तकनीक का इस्तेमाल विज्ञान को गाली देने में भी कर सकता है.
अकसर सत्संगों, धर्म सभाओं में माइक स्पीकर, एसी कूलर, आरो का पानी पीपी कर तमाम ऐयाशियों में जी रहे कथावाचक व बाबा विज्ञान को कोसते रहते हैं. वे कहते हैं कि सब मोहमाया है और अध्यात्म ही असल सच है, जबकि सब से ज्यादा मोह से यही घिरे रहते हैं. गुची के बैग से ले कर रोल्स रोयस गाड़ी तक, रे बेन के चश्मों से ले कर पराडा के स्नीकर तक, क्याक्या ये इस्तेमाल नहीं करते. मगर जैसे ही बात दूसरों को प्रवचन देने की आती है तो अध्यात्म का चूर्ण बाटने लगते हैं.
हालांकि जैसे को तैसा भी कुछ लोग देते रहते हैं. ऐसे ही सोशल मीडिया पर आजकल इन्हीं पाखंडियों की धोती खोलने वाले एक एआई बंदर बाबा बवाल काटे हुआ है. बंदर लीला योगी नाम से इस एआई बंदर ने अभी तक मात्र 18 पोस्ट की हैं और रीच ऐसी कि मेटा सोफ्टवेयर भी हैरान हो जाए. एआई का ऐसा भी इस्तेमाल हो सकता है यह अपनेआप में अनोखा प्रयोग है.
इस अकाउंट में एक एआई द्वारा निर्मित बंदर है जो इमेजनरी कथावाचक बाबा बना है. इस की रील्स में इस बंदर बाबा का सत्संग चलता है. सत्संग में एआई से ही लोगों की भीड़ हाथ जोड़े दिखाई देती है. जैसे ही बाबा कुछ कहती है ये लोग अपने भाव उसी तरह बनाते हैं, जैसे धार्मिक कथावाचकों के सत्संगों में आई भीड़. भव्य नजारा ऐसा होता है जैसा धीरेंद्र शास्त्री या अनिरुद्धाचार्य के सत्संगों में होता है. पीछे स्क्रीन पर विषय से संबंधित स्लाइड चलती रहती है.
‘बंदर लीला योगी’ नाम के इस बंदर के हाथ में एक माइक है और कपड़े भगवा पहना हुआ है. देख कर लगता है इसे जानबूझ कर भगवा कपड़े पहनाए गए हैं, मगर ज्ञान की ऐसी बातें करता है, जो धर्म में अंधे जाहिलों का सीना चीर दे. दरअसल इस का कांसेप्ट थोड़ा अलग है, यह बाबा धर्म सत्संग लगा कर धार्मिक पाखंड की ही बखियां उधेड़ रहा है.
यही इसे अनोखा और क्रिएटिव भी बना रहा है और लोगों के बीच वायरल भी करा रहा है. जैसे एक रील में यह बंदर कहता है, “जब भगवान को प्रसाद चढ़ाते हैं तो सब में बांटते हैं,’ एआई वाले लोग ‘हां’ कहते हैं. फिर कहता है, ‘जब भगवान को चढ़ाया प्रसाद लोगों में बांटते हैं तो भगवान को चढ़ाया पैसा लोगों में क्यों नहीं बांटते?’ अपनी इस पहली ही रील में इस ने 18 लाख रीच हासिल कर ली.
अपनी एक और वीडियो में यह कहता है, “यह कैसा धर्म है कि सोमवार मंगलवार को मांस खाने पर तो भ्रष्ट होता है मगर मंगलवार को खाया जाए तो कुछ नहीं होता है.” वह कटाक्ष करते आगे कहता है, “भक्तों अब सावन ख़त्म हो गया है अब मुर्गों बकरों को पवित्र आहार में गिन सकते हैं.” वह कहता है, “जो सावन में दूसरों की थाली की हड्डी देख कर अपना धर्म आहात कर लेते थे. सावन ख़त्म होते ही वही भक्त मांस पर ऐसे टूट पड़ा है जैसे उस की सारी भक्ति सारी पवित्रता मांसाहार के लिए बैचेन थी.”
इस की रील्स धर्म और धर्म की दुकान खोले हुए बाबाओं पर चोट करती हैं. क्योंकि जो धार्मिक कथावाचक लोगों को भगवा कपड़े पहन कर भाग्यवादी और अंधविश्वासी बना रहे हैं उसी पोशाक को ओढ़े यह बंदर धार्मिक कर्मकांडों की पोल खोल रहा है. यहां तक कि देश की बेहाल स्थिति पर सरकार से सवाल कर रहा है.
अपनी एक रील में यह कहता है, “जिस देश में सरकारी स्कूलों की छत टपकती हों और मंदिरों की छतें सोने से जड़ी हों उस देश में विकास नहीं हो सकता. अगर मंदिरों में भगवान का पैसा जमा है उस पैसे से सरकारी स्कूलों को ठीक कर दिया जाए तो भारत विकसित हो सकता है लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि कुछ लोगों को डर है आप के बच्चे पढ़लिख गए तो सवाल पूछने लगेंगे.”
यह नहीं भूलना चाहिए, यह बंदर ऐसे समय में ये रीलें बना रहा है जहां सत्ताविरोधी बात करने पर या तो चैनल डब्बा बंद कर दिया जाता है या धारा वारा लगा या डराधमका कर चुप करा दिया जाता है.
हाल में हुए एसएससी छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर भी इस ने रील बनाई है. इस में वह छात्रों के समर्थन में कहता है, “हमें ऐसा सिस्टम चाहिए जिस में पेपर लीक न हो और कोई हेरफेर न हो. लोकतंत्र की खूबी यह है कि आप अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं, मगर दिक्कत यह है कि आवाज सुनी नहीं जाती और बात मनवाने के लिए विरोध लंबा करना पड़ता है.
यही नहीं, बिहार में हो रहे चुनाव आयोग के एसआईआर सर्वे पर भी इस बंदर ने सवाल उठाए. बंदर अपनी एक वीडियो में कहता है, “बिहार में इन लोगों ने वोटबंदी लगा दी है. पहले नोटबंदी में लाइन में लगाया अब वोटबंदी में. बिहार की भयानक बारिश और बाढ़ में आप कहते हो कि 50 साल पुराना कागज़ ढूंढ के लाओ. जो आदमी दिनभर में कंस्ट्रक्शन साईट पर ईंट ढो रहा है वो रात को रोटी बनाए या फौर्म भरे. एक पढ़ेलिखे आदमी को भी औनलाइन फौर्म भरने में पसीना छूट जाता है और आप यह गरीब अनपढ़ों से भरने को कह रहे हैं. वह आगे कहता है,v “चुनाव आयोग कहता है वोटर लिस्ट में इमिग्रेंट्स हैं, विदेशी हैं, जब इन से पूछो कि कितने हैं तो कुछ नहीं कहते. यह विपक्ष के वजूद की अंतिम लड़ाई है.”
दिखने में अनोखा और हैरान करने वाला यह बंदर ऐसा नहीं है कि अपनी तकनीक के चलते वायरल हो रहा है. एआई या एनीमेशन का इस्तेमाल आज हर चौथा आदमी कर ही रहा है. लेकिन बड़ी बात यह कि इस बंदर के पीछे बैठा आदमी इस का इस्तेमाल काफी सोचसमझ कर धर्म और सत्ता की काट के लिए कर रहा है.
जाहिर है इन रीलों के पीछे जरूर विज्ञान और तर्क के आधार पर अपनी बात रखने वाला आदमी है. बंदर चूंकि हिंदू धर्म में पूजनीय बना दिया गया है, और बहुत आम सा जानवर है इसलिए उस ने काफी सोच समझ कर बंदर के चेहरे का इस्तेमाल किया है और सत्संग को अपनी बात पहुंचाने का जरिया बनाया है. वही सत्संग जिसे कथावाचक ताकत, पैसा और अय्याशी पाने का जरिया बनाए हुए हैं.
फिलहाल इस ने अपनी पहचान गुप्त रखी हुई है, मगर इंस्टाग्राम पर इस ने एक लिंक दिया है जिस का प्रोफाइल नाम ‘मान सिंह’ है. इस के अलावा यह ट्विटर पर भी इसी नाम से ख़ासा एक्टिव है. जहां इस के 5 हजार फौलोवर्स हैं.
हालांकि ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया पर यह एकलौता ऐसा बंदर है. वर्चुअल बंदर अब ढेरों में दिखने लगे हैं. कुछ व्लौग बना रहे हैं. ऐसा ही एक व्लौगर एआई बंदर ‘व्लौगर बबलू एआई’ के नाम से है. यह बंदर अलगअलग जगह घूमता है. व्लौग बनाता है. इस बंदर की भी पोशाक भगवा है मगर इस की रील्स उतनी सामाजिक नहीं जितनी ‘बंदर लीला’ की हैं. हां बीचबीच में जरूर सामाजिक मुद्दों पर बार करता है. मगर अधिकतर हंसीमजाक वाली वीडियो होती हैं. मगरयह तय है कि इसे बनाने में जरूर दिमाग और मेहनत लग रही है. इस बंदर को बनाने वाला ‘लखन सिंह’ नाम का इंस्टाग्राम यूजर है.
साकेत सचिन नाम से एक अन्य यूजर है जिस के 34 हजार फौलोवर्स हैं. अपने पेज पर वह अधिकतर अम्बेडरवादी पोस्ट करता है. उस ने भी कुछ एआई बंदर की रील्स पोस्ट की हैं. अनोखा यह कि इस में बंदर ने भगवा कपड़े की जगह नीले कपड़े पहने हैं. इसे डा. भीम राव आंबेडकर का एआई बंदर वर्जन कहा जा सकता है, जिस के हाथ में संविधान की प्रति भी है.
इस रील में एआई आंबेडकर कहता है, “दुनिया में इंसान एक तरह से पैदा होते हैं. यह अकेला ऐसा देश है जहां कोई मुख से पैदा हो गया, कोई भुजाओं से पैदा हो गया. जब हमारे देश में ऐसी टैक्नोलौजी है तो फ्रांस से राफेल और रूस से एस400 मंगाने की क्या जरूरत?”
इस के अलावा धर्मेन्द्र कुमार नाम से एक और इंस्टाग्राम यूजर है. इन के इंस्टाग्राम पर 70 हजार के लगभग फौलोवर्स हैं. ये फेसबुक और यूट्यूब पर भी एक्टिव हैं. उम्र में 40-45 साल के दिखाई पड़ते हैं. साधारण से हैं. छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं. इन की बायो बताती है कि ये गोरखपुर के हैं. ये भी एआई बंदर का इस्तेमाल करते हैं. बल्कि ये ज्यादा वोकल दिखाई पड़ते हैं.
इन की एक रील में जब एक महिला बंदर से सवाल करती हैं कि लोग कहते हैं गाय का मूत्र सब से पवित्र होता है इस पर क्या जवाब देंगे. तो बंदर जवाब देता है, “यदि गौमूत्र पवित्र होता तो भगवान् को चढ़ाना चाहिए मंदिर में जाके. तो प्रसाद न चढ़ा कर रोज एक लोटा गौमूत्र चढ़ाना चाहिए. इस से वे भी पवित्र हो जाएंगे.”
एक और रील में वह कहता है, “भगवान को सोने का मुकुट चढ़ाने से पहले किसी भूखे को रोटी चढ़ाओ. भक्ति का मतलब भीड़ में धक्का देना नहीं किसी गिरते को संभालना है.”
इन एआई बंदरों के पीछे बैठे दिमागों को देख कर लगता है कि विज्ञान की कृत्रिम बौद्धिकता के पीछे भी बुद्धि की जरूरत होती है. तकनीक का इस्तेमाल हर तरह से किया जा सकता है. यही तकनीक धर्मान्धियों के लिए पाखंड फैलाने का साधन भी बनती है, मगर पाखंड का विरोध करने वालों का जरिया भी बन सकती है. यह इंसान को ही तय करना होता है कि वह इस का कैसे इस्तेमाल करे. एआई का इस्तेमाल कर कुछ तार्किक लोग अपनी बात कह पा रहे हैं यह अच्छी बात है. मगर अभी भी इन वैज्ञानिक प्लेटफौर्मो पर पाखंडियों का ही कब्ज़ा है. AI Monkey