Cloud Burst Incidents : विगत वर्षों में बादल फटने की घटनाएं अकसर हो रही हैं. इस से जान व माल की हानि हो रही है. बादलों का प्रैशर बढ़ने से वे फट जाते हैं और वेग के साथ मलवा, पत्थर और विशाल शिलाएं अपने साथ ले कर आते हैं. मगर इन प्राकृतिक घटनाओं से बचा जा सकता है जो इंसानी लापरवाहियों के चलते हो नहीं पा रहा.
मैं उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में रहती हूं. गढ़वाल क्षेत्र में भी मेरा नियमित तौर पर भ्रमण रहता है क्योंकि मैं एक घुमक्कड़ हूं. घुमक्कड़ी मेरा महज शौक नहीं बल्कि अपने आसपास के भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवेश के बारे में जानकारी हासिल करने का खास माध्यम भी है. बरसात में, जिसे स्थानीय भाषा में हम चौमास भी कहते हैं, पानी बरसना स्वाभाविक है लेकिन इस की निकासी का उचित प्रयास प्रशासन को ही करना होगा.
एक समय था जब आबादी कम थी तो किसी न किसी तरह पानी की निकासी हो जाती थी लेकिन आज, 2021 के आंकड़ों के अनुसार, हल्द्वानी की जनसंख्या 6,56,000 दर्ज है जो बीते 5 वर्षों में और बड़ी होगी. पहाड़ी क्षेत्र से जितना भी पलायन हुआ है, इस का सब से अधिक भार हल्द्वानी शहर पर ही पड़ा है. आज से लगभग 25-30 वर्षों पहले यह शहर रहने लायक नहीं माना जाता था. यह भाबर का इलाका है, जहां गरमी और मच्छर की वजह से परिस्थितियां प्रतिकूल थीं. धीरेधीरे जनसंख्या का घनत्व बढ़ा और शहर फैलता गया. महानगरों वाली संस्कृति धीरेधीरे यहां भी दिखाई दे रही है. बड़ेबड़े मौल हैं. और्डर करते ही 10 मिनट में पहुंच जाने वाला ब्लिंकिट भी है. सुविधाओं में इजाफा हुआ है लेकिन जलभराव की समस्या काफी बढ़ गई है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन