Senior Citizen Rights : देश के संविधान ने बुजुर्गों के अधिकार और भरण पोषण को ले कर कई कानून बनाए हैं. बुजुर्गों की समस्या कानूनी पचड़ों में पड़ने से नहीं बल्कि युवाओं के साथ मेलजोल से सुलझाना ज्यादा बेहतर होता है.
केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश डब्लू.ए. नंबर 1301/ 2019 में कहा, ‘निःसंतान वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण मामले में आदेश देते में कहा है कि ‘केवल कानूनी उत्तराधिकारी ही निःसंतान बुजुर्ग के भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी माने जाएंगे. किसी वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति पर कब्जा अपने आप में भरण का दायित्व नहीं बनाता, जब तक कि वह व्यक्ति लागू पर्सनल ला के तहत कानूनी उत्तराधिकारी न हो. हाई कोर्ट ने मेंटिनेंस ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल का फैसला खारिज करते हुए कहा कि अपीलकर्ता महिला बुआ सास (पति की बुआ) के भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी नहीं हैं.’
मेंटिनेंस ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल ने मातापिता व वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण कानून, 2007 के तहत महिला को बुआ सास का भरण पोषण करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था क्योंकि निःसंतान वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति उस के पास थी. घटना के मुताबिक अपीलकर्ता एस. सीजा नामक 40 साल की महिला के पति की अविवाहित व निःसंतान बुआ ने 1992 में अपनी संपत्ति भतीजे को उपहार में दे दी थी और 2008 में भतीजे की मृत्यु के बाद वह संपत्ति उस की पत्नी के पास चली गई थी. ऐसे में भतीजे की मृत्यु के बाद बुजुर्ग महिला ने वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण कल्याण कानून के तहत भतीजे की पत्नी को भरण पोषण का आदेश देने की मांग की थी.
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