Sperm Count : मोबाइल फोन और लैपटौप के अत्यधिक उपयोग से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी हो सकती है. आज के दौर में जब औनलाइन काम बढ़ गया है इस का खतरा बढ़ता जा रहा है. लैपटौप को गोद में रख कर और मोबाइल को जेब में रख कर काम करना अंडकोष के तापमान को बढ़ा सकती है, जिस से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पडता है.
मोबाइल और लैपटौप से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी विद्युत चुम्बकीय तरंगें शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर प्रभाव डालती है. यह स्पर्म काउंट को घटा सकती है. स्पर्म काउंट का मतलब है वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या.
सामान्य स्पर्म काउंट 15 मिलियन से 200 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर वीर्य माना जाता है. यदि शुक्राणुओं की संख्या इस से कम है, तो इसे कम स्पर्म काउंट या ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है. जो गर्भधारण में समस्या पैदा कर सकता है.
स्पर्म काउंट के लिए वीर्य का नमूना लिया जाता है और शुक्राणुओं की संख्या प्रति मिलीलीटर वीर्य के रूप में मापा जाता है. हार्मोनल असंतुलन, अनुवांशिक समस्याएं, टेस्टिकल्स (अंडकोष) में समस्या, नसों की समस्याएं, चोट, कुछ दवाएं, तनाव, मोटापा, शराब और धूम्रपान भी स्पर्म कांउट को घटाने का कारण होते है.
इस परेशानी से बचने के लिए मोबाइल और लैपटौप के उपयोग को सीमित करें. लैपटौप को गोद में रखने से और मोबाइल को जेब में रखने से बचें. संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें, तनाव कम करें, धूम्रपान और शराब का सेवन न करें. डाक्टर से सलाह लें. केवल शुक्राणुओं की संख्या ही गर्भधारण की संभावना को प्रभावित नहीं करती है, बल्कि शुक्राणुओं की गुणवत्ता, गतिशीलता और आकार भी महत्वपूर्ण हैं.