Indira Gandhi : 25-26 जून, 1975 की रात को भारत में आपातकाल की घोषणा हुई थी. रेडियो पर आपातकाल की घोषणा 26 जून, 1975 को सुबह इंदिरा गांधी ने औल इंडिया रेडियो पर सुबह के प्रसारण में देश को संबोधित करते हुए कहा, “राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा कर दी है. इस में घबराने की कोई बात नहीं है.”
यह उन का सब से प्रसिद्ध बयान था, जिस का उद्देश्य जनता को आश्वस्त करना था कि आपातकाल सामान्य नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि देश की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए है.
अपने रेडियो संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा कि देश में ‘गहरी साजिश’ रची जा रही थी, जिस का उद्देश्य उन की सरकार को अस्थिर करना और देश को अराजकता की ओर धकेलना था. उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग ‘प्रगतिशील कदमों’ (जैसे गरीबों और महिलाओं के लिए उन के सुधार) का विरोध कर रहे थे. इंदिरा गांधी ने आपातकाल को आंतरिक अशांति के आधार पर लागू किया, उसे ‘राष्ट्रीय हित’ में बताया. इंदिरा गांधी के चुनाव को इलाहाबाद के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण की चुनावी याचिका के मद्देनजर रद्द कर दिया था.
इंदिरा गांधी का पूरा भाषण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. उन के भाषण का मुख्य उद्देश्य जनता को शांत रखना और आपातकाल को आवश्यक कदम के रूप में प्रस्तुत करना था. हालांकि, बाद में उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि ‘जब मैं ने आपातकाल लगाया, एक कुत्ता भी नहीं भूंका.’ यह उन के इस विश्वास को दर्शाता है कि जनता ने शुरू में इस का विरोध नहीं किया.
अमेरिका आज डोनाल्ड ट्रंप के शासन में आपातकाल जैसी स्थिति से जूझ रहा है और वहां लोकतंत्र समर्थक भारत के जयप्रकाश नारायण जैसा आंदोलन कर रहे हैं.