Chandra Shekhar Aazad : राजनीति में छवि माने रखती है. छवि एक बार खराब हो जाए तो वापस आना लगभग नामुमकिन होता है. चपलचालाक राजनेता वही माना जाता है जो भले चाहे जैसा हो लेकिन उस की छवि दागदार न हो. मगर कई ऐसे मामले आए हैं जहां सिर्फ एक घटना से नेताओं को अपना राजनीतिक कैरियर छोड़ना पड़ा.
पिछले दिनों भीम आर्मी के संस्थापक और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ पर एक पीएचडी स्कौलर डा. रोहिणी घावरी ने यौन शोषण का आरोप लगाया. डा. रोहिणी कोई आम महिला नहीं, बल्कि पढ़ीलिखी, आत्मनिर्भर और विदेश में काम करने वाली एक खूबसूरत महिला हैं.
डा. रोहिणी घावरी मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की रहने वाली हैं, वाल्मीकि समुदाय से आती हैं. उन के पिता इंदौर के एक बीमा अस्पताल में सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत हैं. बेहद साधारण बैकग्राउंड से आने के बावजूद रोहिणी ने शिक्षा और आत्मविश्वास के दम पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई. उन्होंने स्विट्जरलैंड की एक यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और पीएचडी के लिए एक करोड़ रुपए की स्कौलरशिप भी हासिल की थी. उन्होंने बिजनैस एडमिनिस्ट्रेशन में पीएचडी की है.
इस से पहले उन्होंने इंस्टिट्यूट औफ कौमर्स से फौरेन ट्रेड में बीबीए किया और उस के बाद इंस्टिट्यूट औफ मैनेजमैंट से मार्केटिंग में एमबीए की पढ़ाई की. वे 5 सालों से स्विट्जरलैंड में जौब कर रही हैं और एक स्वयंसेवी संस्था भी चला रही हैं जो सामाजिक मुद्दों पर काम करती है. साल 2019 में वे पढ़ाई के सिलसिले में विदेश गई थीं और वहीं से उन का संपर्क चंद्रशेखर आजाद से हुआ. दोनों के बीच प्रेम हुआ और शारीरिक संबंध बने.
रोहिणी का आरोप है कि चंद्रशेखर के साथ 5 साल तक संबंध में रहने के दौरान उन्होंने कई बार महसूस किया कि वे सिर्फ उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने खुद को ‘विक्टिम नंबर 3’ बताया और यह भी दावा किया कि उन के जैसी और भी कई पीड़िताएं हैं जिन का यौन और भावनात्मक शोषण चंद्रशेखर ने किया और जिन की आवाज आज तक नहीं सुनी गई. चंद्रशेखर ने हर लड़की से अपने शादीशुदा होने की बात छिपाई और उन का विश्वास तोड़ा.
रोहिणी चंद्रशेखर के खिलाफ एफआईआर कराने और कानूनी लड़ाई लड़ने के मूड में है. निश्चित ही उन्हें उन राजनीतिक ताकतों का अप्रत्यक्ष सहयोग मिल रहा होगा जो राजनीति के मैदान में चंद्रशेखर की बढ़ती ताकत से घबराए हुए हैं.
चंद्रशेखर आजाद एक बहुजन नेता के रूप में चर्चा में उस वक्त आए जब उन्होंने अपने गांव के बाहरी इलाके में ‘द ग्रेट चमार औफ घड़खौली वेलकम यू’ नामक एक होर्डिंग लगाई. फरवरी 2021 में टाइम पत्रिका ने उन्हें भविष्य को आकार देने वाले 100 उभरते नेताओं की अपनी वार्षिक सूची में शामिल किया.
चंद्रशेखर आजाद ने सतीश कुमार और विनय रतन सिंह के साथ मिल कर वर्ष 2014 में भीम आर्मी नामक संगठन बनाया, जो भारत में शिक्षा के माध्यम से दलितों की मुक्ति के लिए काम करता है. यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों के लिए मुफ्त स्कूल चलाता है और मुफ्त शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराता है.
2020 में चंद्रशेखर आजाद ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की स्थापना की. 2024 के आम चुनाव में चंद्रशेखर आज़ाद ने नगीना लोकसभा क्षेत्र में 1,51,473 वोटों से बड़ी जीत हासिल की और क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में दलित और पिछड़े समाज के बीच उन की तूती बोलने लगी.
बसपा नेत्री मायावती, जो खुद को दलितों की अकेली देवी समझती थीं, दलित समाज का आजाद के प्रति बढ़ते आकर्षण को देख कर घबरा उठीं. उन को अपना वोटबैंक आजाद की ओर तेजी से खिसकता नजर आया तो आजाद के मुकाबले में उन्हें अपने भतीजे आकाश आनंद, जो कि चंद्रशेखर की तरह ही धुआंधार भाषणबाजी का महारथी है, को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर मैदान में उतारना पड़ा. बसपा ही नहीं, बल्कि भाजपा, जो पिछड़े और दलितों को साधने में दिनरात एक किए हुए है, भी चंद्रशेखर की बढ़ती ताकत और प्रसिद्धि से घबरा उठी. ऐसे समय में अचानक एक महिला का सामने आना और चंद्रशेखर पर यौन शोषण का आरोप लगाना, इन राजनीतिक पार्टियों के लिए बिलकुल वैसे ही हुआ जैसे अंधे के हाथ बटेर लग गए. चंद्रशेखर का चरित्र हनन करने में ये पार्टियां तुरंत जुट गईं.
जाहिर है, डा. रोहिणी घावरी को इन पार्टियों का सपोर्ट मिला. तभी वे इतनी मुखर हुईं. वरना 5 साल तक वे मुंह में दही जमाए बैठी रहीं. हालांकि जिस दिन उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वे प्रेम में छली गईं, उन्हें तो उसी दिन आजाद के खिलाफ एफआईआर करवानी चाहिए थी. रही बात चंद्रशेखर की शादीशुदा जिंदगी छिपाने की, तो जो व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में 2014 में ही आ गया और जिस ने कई चुनाव लड़े, उस का पूरा बायोडाटा तो वैसे ही इंटरनैट पर उपलब्ध है. साफ है कि चंद्रशेखर की बढ़ती ताकत और बढ़ता वोटबैंक जिन लोगों को खटक रहा है, डा. रोहिणी घावरी को सामने रख कर चंद्रशेखर को बलात्कारी घोषित करने और किसी तरह उन के जेल जाने का रास्ता तैयार करने में उन्हीं लोगों का हाथ है.
इस से पहले अभिनेता और उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट से भाजपा सांसद रवि किशन पर भी एक लड़की शिनोवा सोनी ने आरोप लगाया था कि रवि किशन के उस की मां अपर्णा सोनी से संबंध थे और वह रवि किशन की बेटी है. लड़की का आरोप है कि रवि किशन ने कभी भी सार्वजनिक रूप उसे बेटी स्वीकार नहीं किया, जबकि घर आने पर वह उस से एक पिता की तरह ही बहुत प्यार करते थे. लड़की का आरोप है कि शादीशुदा होते हुए भी रवि किशन ने उस की मां अपर्णा सोनी से संबंध बनाए और वे हमेशा उन के घर आतेजाते रहे. पिता होने के बावजूद शिनोवा सोनी उन को अंकल कह कर बुलाने के लिए मजबूर थी.
गौरतलब है कि शिनोवा सोनी ने यह आरोप उस समय लगाए जब चुनाव नजदीक थे और रवि किशन भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे.
अब चूंकि रवि किशन भाजपा से जुड़े हुए थे, तो यहां मामला उलटा पड़ गया और रवि किशन की पत्नी प्रीति शुक्ला ने अपर्णा सोनी, उस के पति राजेश सोनी, बेटी शिनोवा, बेटा सौनक के साथ ही सपा नेता विवेक कुमार पांडेय समेत कुछ अन्य लोगों के खिलाफ लखनऊ के एक थाने में केस दर्ज करा दिया. इन सभी के खिलाफ धारा 120-बी, 195, 386, 388, 504 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. इस एफआईआर में सपा नेता पर महिला के साथ मिल कर आपराधिक षड्यंत्र करने का आरोप लगाया गया.
प्रीति की एफआईआर के मुताबिक, मुंबई की एक महिला, जिस का नाम अपर्णा सोनी उर्फ अपर्णा ठाकुर है, ने धमकी देते हुए कहा कि उस के और उस के साथियों के अंडरवर्ल्ड माफियाओं से संबंध हैं. अगर हमारी बात नहीं मानी और 20 करोड़ रुपए रंगदारी नहीं दी, तो तुम्हारे पति (रवि किशन शुक्ला) को मेरे साथ बलात्कार करने के मामले में फंसा दूंगी. साथ ही, सपा के इशारे पर उन के पति को बदनाम कर छवि धूमिल करने का भी आरोप लगाया गया.
पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक डा. अयूब भी राजनीति के क्षेत्र में बड़ी तेजी से उभर रहे थे पर तभी एक लड़की के परिजनों ने उन पर रेप का आरोप लगाया. उस समय डा. अयूब की पार्टी प्रदेश में अपना खासा स्थान बना चुकी थी और बड़ी संख्या में मुसलमान उन को अपने नेता के रूप स्वीकार कर उन से जुड़ रहे थे.
आरोप है कि संतकबीर नगर निवासी एक युवती को डा. अय्यूब डाक्टर बनाने का झांसा दे कर लखनऊ लाए और एक निजी इंस्टिट्यूट में बीएससी नर्सिंग में दाखिला करवा कर उस का यौन शोषण करने लगे. बाद में पीड़िता से पीछा छुड़ाने के लिए उसे गलत दवाएं दे कर उस की किडनी और लिवर को खराब कर दिया. युवती को गंभीर हालत में 23 फरवरी, 2017 को ट्रामा सैंटर में भरती करवाया गया, जहां 24 फरवरी, 2017 की रात उस की मौत हो गई.
लड़की के परिजनों ने डा. अयूब की गिरफ़्तारी के लिए सीएम तक से गुहार लगाई. ढाई महीने चली जांच के बाद डा. अयूब को रेप केस में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
लखनऊ पुलिस के मुताबिक़ फरवरी 2016 से अयूब की कौल रिकौर्ड चैक करने पर पता चला कि 365 दिनों में 312 बार अयूब और लड़की के बीच बातचीत हुई. अयूब ने जहां 128 बार लड़की को कौल किया तो वहीं 184 बार लड़की ने अयूब को कौल किया. तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के मुताबिक, पुलिसिया जांच में एक साल के अंदर कई बार लड़की और अयूब की लोकेशन साथ मिलीं, इन में मैट्रो सिटी स्थित घर और विधायक निवास का घर दोनों शामिल हैं. आरोप लगाने वाली लड़की के भाई का कहना है कि वह वर्ष 2012 से ही डा. अयूब के साथ रह रही थी. डा. अयूब पर बलात्कार का आरोप लगने और जेल जाने से पार्टी को काफी धक्का लगा और धीरेधीरे पार्टी सिमट गई व तमाम नेता पार्टी से अलग हो गए.
नारायण दत्त तिवारी के नाजायज रिश्ते का मामला 2008 में सामने आया था जब रोहित शेखर नामक व्यक्ति ने दावा किया था कि एन डी तिवारी उन के पिता हैं. रोहित शेखर और उन की मां उज्ज्वला तिवारी ने एन डी तिवारी के खिलाफ पितृत्व का मुकदमा दायर किया था. इस मामले में नारायणदत्त तिवारी की बुढ़ापे में काफी छीछालेदर हुई और इस प्रकरण ने तिवारी के राजनीतिक कैरियर को लगभग ख़त्म कर दिया था. काफी समय तक वे डीएनए टैस्ट के लिए तैयार न हुए. मगर कोर्ट के आदेश के आगे उन्हें झुकना पड़ा. डीएनए टैस्ट के बाद यह साबित हो गया कि रोहित शेखर एन डी तिवारी के बेटे हैं. तब एन डी तिवारी ने रोहित शेखर को अपना बेटा मान लिया और उन के साथ अपने रिश्ते को स्वीकार किया. हालांकि, कुछ सालों बाद ही नारायण दत्त तिवारी का देहांत हो गया और उस के कुछ समय बाद ही उन का बेटा रोहित शेखर भी असमय मौत की नींद सो गया.
प्रेम और शारीरिक संबंध दो बालिग़ लोगों के बीच मरजी से बनाया रिश्ता होता है. इस में दोनों की भूमिका बराबर होती है. प्रेम यदि सच्चा है तो वहां तो कोई सवाल ही कभी पैदा नहीं होता. मगर प्रेम यदि विवाह की इच्छा से हो और पुरुष मुकर जाए या व्यक्ति स्त्री से अपनी शादी की बात छिपा कर शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी करने से इनकार करे तो वह अपराध है और स्त्री को तुरंत उस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए. मगर देखा गया कि फ़िल्मी हस्तियों और राजनेताओं के मामले में औरतों का मुंह मौक़ा देख कर खुलता है.
राजनेताओं के इर्दगिर्द बड़ी संख्या में औरतें डोलती रहती हैं और उन की निकटता पाना चाहती हैं. कुछ इस लालच में कि उन को पार्टी में कोई छोटामोटा पद मिल जाए, कुछ धन की आशा में तो कुछ आकर्षण में. सत्ता, पैसा और प्रसिद्धि – ये तत्त्व स्वाभाविक रूप से कई लोगों को आकर्षित करते हैं. जब कोई व्यक्ति राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होता है तो लोग उस के आसपास रहना चाहते हैं, क्योंकि उस से उन्हें सामाजिक, आर्थिक या व्यक्तिगत लाभ मिलने की उम्मीद होती है. कुछ महिलाएं राजनीति या समाज में अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावशाली नेताओं के संपर्क में आना चाहती हैं. इस से उन्हें टिकट, पद, अनुशंसा या प्रचार का मौका मिल जाता है. कभीकभी उन के बीच व्यक्तिगत संबंध बन जाते हैं और वे सार्वजनिक जीवन में चर्चित हो जाते हैं.
ऐसे रिश्ते सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति के लिए कभीकभी काफी घातक साबित होते हैं. सार्वजानिक जीवन में जो व्यक्ति है उस से पहली आशा यही होती है कि उस का चरित्र बेदाग़ हो. वह निष्कलंक और नैतिक रूप से दृढ़ हो. जनता अपने प्रतिनिधि पर तभी भरोसा करती है जब उसे लगे कि वह ईमानदार, न्यायप्रिय, सद्गुणी और सच्चा है. उस का आचरण समाज के लिए प्रेरणा बनता है. एकाध अपवादों को छोड़ दें तो जिनजिन नेताओं के चरित्र पर दाग लगा उन का राजनीतिक कैरियर लगभग ख़त्म हो गया. वो चाहे हरियाणा के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा हों, उत्तर प्रदेश के अमरमणि त्रिपाठी हों या नारायण दत्त तिवारी. पी वी नरसिंह राव सरकार के मंत्री जवाहरलाल डर्डा, शिबू सोरेन जैसे कई नेता यौन उत्पीड़न या स्त्रियों से जुड़ी छवि के कारण आलोचना में आए और अपने कैरियर में बैकफुट पर चले गए.
औरतों की संगत, नाजायज संबंधों या उन से जुड़े कथित या वास्तविक स्कैंडलों ने भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई राजनेताओं के कैरियर को प्रभावित किया है. कुछ मामलों में तो उन के राजनीतिक कैरियर को पूरी तरह से खत्म कर दिया.
अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की नामक इंटर्न के बीच यौन संबंधों का मामला उजागर हुआ तो क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग चला. हालांकि वे राष्ट्रपति पद पर बने रहे लेकिन उन की राजनीतिक साख को गहरी चोट पहुंची.
ब्रिटेन और अमेरिका में स्ट्रिप क्लब स्कैंडल्स हुआ था जिस में कई सांसद और मंत्री क्लबों में औरतों के साथ पकड़े गए, जिस से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा या उन का राजनीतिक कैरियर थम गया.
फ्रांस के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के प्रमुख डोमिनिक स्ट्रास-कान पर वर्ष 2011 में न्यूयौर्क के एक होटल में एक नौकरानी ने यौन हमले का आरोप लगाया. डोमिनिक स्ट्रास-कान को न सिर्फ आईएमएफ प्रमुख पद से इस्तीफा देना पड़ा बल्कि उन की फ्रांस के राष्ट्रपति बनने की संभावनाएं भी समाप्त हो गईं.
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक जीवन में ‘चरित्र’ की उम्मीद बहुत अहम होती है. महिलाओं से जुड़े विवाद, चाहे सही आरोप हों या गलत, नेताओं की छवि और विश्वसनीयता को गहरे तक प्रभावित करते हैं. इसलिए राजनीति में यदि ऊंचाइयां छूनी हैं तो औरतों से दूर रहना जरूरी है, खासकर उन औरतों से जो किसी लालचवश आप की गोद में आ गिरती हैं और लालच पूरा न होने पर आप के खिलाफ सड़क पर खड़ी हो जाती हैं.