Porn And Mythology : सुखी जीवन के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार रहते हैं इस के लिए जिस तरह धर्म मोक्ष को आखिरी मंजिल बताता है उसी तरह सैक्स ओर्गज्म को, लेकिन ये दोनों ही भ्रामक सुख और अवस्थाएं हैं. ये सहज क्या मुश्किल से भी मिलने बाली चीजें नहीं हैं बल्कि इन के लिए कई कर्मकांडों को करते रहना पड़ता है. सुख प्राप्ति के लिए कब, क्या, क्यों और कैसे करना है यह हम आप नहीं बल्कि सुखों के ठेकेदार तय करते हैं.

ईश्वर प्राप्ति यानी मोक्ष के जो जो मुख्य मार्ग धर्म ग्रन्थों ने बताए हैं वे हैं कर्म, ज्ञान और भक्ति मार्ग. इन में भी सब से सरल है भक्ति मार्ग क्योंकि उस में वही करते रहना पड़ता है जो धर्म के ठेकेदार बताते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो आदमी अपनी हैसियत के मुताबिक दान दक्षिणा दे कर और बहुत सा वक्त बर्बाद कर मोक्ष मिलने न मिलने की झंझट और डर से मुक्त हो जाता है. ओर्गज्म इसी तरह का शाब्दिक सुख है जिस का एक बड़ा जरिया इन दिनों पोर्न फिल्में हैं. इन फिल्मों का सेवन भक्ति के नशे जैसा ही होता है जिस में कुछ देर झूमझाम कर लोग वापस वास्तविक जीवन में आ कर यह मान बैठते हैं कि यही सुख था.

पोर्न फिल्मों में आखिर ऐसा होता क्या है जिस का जूनून इतने सर चढ़ कर बोल रहा है, इस मसले पर दुनिया भर की अदालतें भी असमंजस में हैं. हाल ही में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला देते कहा है कि पोर्न बेबसाइटों को यह तय करना होगा कि उन की साइट्स देखने वाले बालिग यानी 18 साल से बड़ी उम्र के हैं. इस के लिए उन्हें यूजर्स से सरकारी पहचान पत्रों या दूसरे तरीकों से उम्र की पुष्टि करनी होगी. अगर कोई वेबसाइट ऐसा नहीं करती है तो उसे हर दिन 10 हजार डौलर का जुर्माना देना पड़ेगा. अगर कोई नाबालिग उन की वेबसाइट देखते पाया गया तो यह जुर्माना बढ़ कर 25 हजार डौलर तक होगा.

दरअसल में टेक्सास ने साल 2023 में एक कानून ( एचबी 1181 ) पारित किया था जिस का मकसद नाबालिगों को औन लाइन पोर्नोग्राफी से बचाना है. इस कानून को वयस्क मनोरंजन उद्योग का प्रतिनिधित्व करती संस्था फ्री स्पीच कोएलिशन ने यह दलील देते चुनौती दी थी कि यह अभिव्यक्ति की आजादी और निजता के अधिकार का उल्लंघन है. निचली अदालत ने इस कानून के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक करार दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया. हालांकि फैसला देने बाले 6 जजों में से 3 निचली अदालत के फैसले से सहमत थे.

अब आगे जो भी हो लेकिन हालफिलहाल टेक्सास में पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स ने पोर्न फिल्में दिखाना बंद कर दी हैं. क्योंकि यह उन के लिए वाकई मुश्किल और महंगा काम है कि वे दर्शकों की उम्र का सत्यापन करती फिरें. टेक्सास सहित अमेरिका के कुछ अन्य राज्यों के लोग भी अब पोर्न सुख से वंचित हो गए हैं. लेकिन इस का यह मतलब नहीं कि वे पोर्न फिल्में देखना बंद कर देंगे या पोर्न इंडस्ट्री को कोई भारी नुकसान होगा कहने का मतलब यह कि लोग धर्म की तरह सैक्स को नहीं छोड़ सकते अब वे चोरी से पोर्न फिल्मे देखेंगे. एक दफा लोग धर्म को छोड़ सकते हैं सैक्स को नहीं ( इस की मिसाल नास्तिक हैं ).

कोरोना काल भी इस का उदाह्ररण है जब मंदिर, मस्जिद, चर्च गुरूद्वारे वगैरह के द्वार बंद थे इस के बाद भी लोग घरों से भक्ति कर रहे थे लेकिन तब भक्ति की तादाद कम हो गई थी और सैक्स व पोर्न फिल्मों की बढ़ गई थी.

जब सब कुछ सामान्य हो गया तो देखते ही देखते धर्म का बाजार फिर गरमा उठा. लोगों ने बिना कोई तर्क किये मान लिया कि संकट और मुसीबतों का यह दौर उपर बाले की नाराजी की वजह से था अब दोबारा ऐसा न हो इस के लिए जरुरी है कि धर्म स्थलों में पैसा चढ़ाया जाता रहे सो इफरात से लोग दान दक्षिणा दे रहे हैं.

धर्म ग्रन्थ पौराणिक किस्सेकहानियों से भरे पड़े हैं जो लोगों को बताते हैं कि सुख कैसे हासिल किया जा सकता है. इस के लिए भक्तों को बरगलाने चमत्कारिक प्रसंगों की भरमार है. हरेक धर्म का नायक बहुत ताकतवर और सुपरमेन दिखाया गया है. ईसा मसीह, राम, कृष्ण मोहम्मद वगैरह अतिमानव बताए गए हैं और कुछ इस तरह बताए गए हैं कि उन की लीलाओं के बाबत कोई सवाल या तर्क नहीं करता. आइए कुछ प्रसंगों से समझें कि कैसेकैसे उटपटांग किस्से हरेक धर्म ने गढ़ रखे हैं.

ईसा मसीह बीमार लोगों को बिना किसी डाक्टरी इलाज के सेकंडों में तो ठीक कर देते थे. वे भूतप्रेत भी भगा देते थे लेकिन एक बार तो उन्होंने 120 गेलन पानी को शराब में बदल दिया था. उत्पत्ति 2 – 18 – 25 व मत्ती 1.11-13 के मुताबिक गलील के काना में एक शादी समारोह में उन्होंने यह करिश्मा कर दिखाया था. यह शराब भी उम्दा क्वालिटी की थी यह पीने वालों ने बताया. यह किस्सा शिर्डी वाले साईं बाबा के पानी से दिए जलाने वाले प्रसंग से मिलताजुलता है.

इन मनगढ़ंत बातों पर लोग सदियों से भरोसा कर रहे हैं तो भला पोर्न फिल्मों के कारोबारी क्यों न इस फार्मूले की कौपी करें. अब उन का नायक लगातार 8 – 10 बार सहवास कर रहा है तो इस में गलत किया अगर उस में भी कुछ गलत नहीं है तो पोर्न फिल्में यही तो बताती हैं कि आप कैसेकैसे आर्गेज्म और फोरप्ले सहित दूसरे सैक्स सुख प्राप्त कर सकते हैं लेकिन चूंकि यह तथाकथित रूप से अनैतिक है इसलिए भक्ति की तरह खुलेआम नहीं किया जा सकता.

पोर्न फिल्में देख लोग उत्तेजित होते हैं यह एक तरह की आस्था और ध्यान नहीं तो क्या है. ओशो यानी रजनीश ने लोगों की इन दोनों कमजोरियों और जरूरतों पर एक चर्चित और विवादित किताब ही लिख डाली थी जिस का नाम था सम्भोग से समाधि तक. वह इन दोनों को ही चेतना और ऊर्जा मानते थे. हालांकि यह मशहूर मनोविज्ञानी सिंगमड फ्रायड की थ्योरी का विस्तार था जिसे उन्होंने सरल तरीके से समझाया था.

यही धर्म के दुकानदारों ने किया, मसलन हजरत मोहम्मद चांद को दो हिस्सों में बांट सकते हैं, कृष्ण उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा सकते हैं तो पोर्न फिल्मों के नायक नायिका तरहतरह से सैक्स और सहवास क्यों नहीं कर सकते. इन फिल्मों पर लगता यह आरोप गलत कहीं से नहीं है कि ये दर्शकों को भरमाती और बरगलाती हैं जिस से लोगों की सैक्स लाइफ क्वालिटी गिरती है और सुखी नहीं रह जाती. तो फिर पौराणिक किस्से कहानियों में आस्था क्यों जबकि वे भी यही करती हैं पौराणिक धार्मिक चक्करों में तो पूरी लाइफ ही ख़राब हो जाती है.

दिक्कत तो यह है कि नैतिकता की परिभाषा और उदाहरण धर्म के धंधेबाजों ने तय किए. उन के नाम पर लोगों को डराया पाप पुण्य मोक्ष मुक्ति स्वर्ग नरक वगैरह के सांप बिच्छू दिखाए जब इन्हें यह लगा कि उन्मुक्त सैक्स दुकान खराब कर सकता है तो उन्होंने इसे वर्जित अनैतिक और समाज को बिगाड़ने वाला घोषित कर दिया और ऐसे किया कि लोग सैक्स को पाप ही समझने लगे.

आज के दौर के टीनएजर्स भले ही कितने आस्थावादी हो जाएं इफरात से पोर्न फिल्में चोरी छिपे देखते हैं और फिर हस्तमैथुन कर अपनी उत्तेजना शांत करते हैं.

कपल्स मनमाफिक तरीकों से सहवास करते हैं

विवाहितों के सैक्स प्रयोग चर्चा का विषय कम ही बनते हैं लेकिन शामत अविवाहितों की होती है जो हस्तमैथुन करने के बाद कुंठा और ग्लानि से भर जाते हैं. इस समस्या पर एक सटीक फिल्म ‘ओ माई गोड – 2’ साल 2023 में निर्देशक अमित राय ने बनाई थी. एक टीनएजर अपनी सैक्स अज्ञानता के चलते आत्महत्या करने तक उतारू हो जाता है क्योंकि स्कूल के बाथरूम में हस्तमैथुन करते उस का वीडियो दोस्तों ने बना कर वायरल कर दिया था. इस किशोर को यह वहम भी हो गया था कि उस का पेनिस आम या सामान्य आकार से छोटा है. सैक्स के लिए वह नीम हकीमों के चक्कर में भी पड़ जाता है और वियाग्रा भी खरीदता है जो नकली निकलती है.

किशोर मानसिकता पर बनी यह पहली फिल्म है जिसे शिक्षाप्रद कहा जा सकता है. निर्देशक ने सेंसर के प्रकोप से बचने शंकरजी को भी ठूंस दिया है जो पीड़ित परिवार की मदद किया करते हैं. यानी भगवान भी सैक्स समस्याएं हल करता है और सैक्स को वर्जित नहीं मानता. खजुराहों के मंदिरों की तो थीम ही सैक्स और सहवास है कि यह कैसे कैसे किया जा सकता है. बात आज के लिहाज से अजीब तो है कि मंदिरों के अंदर देवीदेवताओं भगवानों की मूर्तियां हैं और बाहर दीवारों पर यौन क्रियाओं को उसी तरह चित्रित किया गया है जैसा पोर्न चलचित्रों में दिखाया जाता है. इन चित्रों में वह सब कुछ है जो पोर्न फिल्मों में दिखाया जाता है और वह भी जो मस्तराम टाइप की नीली पीली किताबों में लिखा होता है.

इन मंदिरों और मूर्तियों का मकसद यौन शिक्षा देना ही माना जा सकता है क्योंकि मैथुनरत मूर्तियों की पूजा कोई नहीं करता लेकिन शिव और विष्णु की करते हैं. यह धर्म के धंधेबाजों की साजिश ही है कि उन्होंने धर्म और सैक्स को नदी के दो किनारों की तरह कर दिया है. गौर और बारीकी से पढ़ें और देखें तो धार्मिक साहित्य में भी इफरात से पोर्न है यह और बात है कि उस की चर्चा कोई कथाकार या धर्म गुरु नहीं करता.

यह सच है कि पोर्न फिल्में जागरूकता को बढ़ावा दे सकती हैं लेकिन उन के निर्माताओं और कारोबारियों ने ज्यादा पैसा कमाने के लालच में इन का कचरा कर दिया है ठीक वैसे ही जैसे धर्म गुरुओं ने पौराणिक साहित्य का कर रखा है. इन फिल्मों से कल्पनाशीलता गलत दिशा में बढ़ती है तो पौराणिक साहित्य भी कोई सही दिशा नहीं दिखाता जो अंधविश्वासों और कुरीतियों को प्रोत्साहन देता रहता है.

शनिवार की रात पीपल के पेड़ के नीचे दिया रखने से अगर सारे कष्ट दूर होते और जीवन सुखी होता तो दुनिया में कोई हैरान परेशान नहीं होता. करवा चौथ का व्रत रखने से अगर अखंड सुहाग मिलता तो देश में लाखों करोड़ों विधवाए न होतीं.

पोर्न और पौराणिक दोनों ही भ्रमित करने वाले हैं लेकिन इन से बचा भी नहीं जा सकता क्योंकि सैक्स कुदरती जरूरत है तो धर्म एक ऐसी परिकल्पना है जिस ने सदियों से लोगों के दिमाग को जकड़ रखा है. पोर्न तो जिंदगी के एक पहलू को डसता है लेकिन धर्म जन्म से पहले से ले कर मरने के बाद तक पीछा नहीं छोड़ता.

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