Entertainment : फिल्म इंडस्ट्री में यह चर्चा गरम है कि दिनेश विजन अपनी फिल्म भूल चूक माफ के बौक्स औफिस कलेक्शन को 5 से 20 गुना तक बढ़ा कर दिखा रहे हैं.

मई माह का तीसरा सप्ताह ख़राब रहा. इस सप्ताह एक भी हिंदी फिल्म रिलीज नहीं हुई. पुरानी फिल्में भी कुछ नहीं कर पाईं. ऐसे में हर किसी की निगाहें चौथे सप्ताह यानी कि 23 मई को रिलीज होने वाली फिल्मों पर थी. हर सिनेमा प्रेमी उम्मीद लगाए बैठा था कि 23 मई को रिलीज होने वाली तीनों फिल्में बौक्स औफिस पर रौनक लौटाने के साथ ही सिनेमा को नई उम्मीदें देंगी. लेकिन अफसोस ऐसा कुछ नहीं हुआ. बल्कि मई माह के चौथे सप्ताह ने एक नई बहस छेड़ दी. सवाल उठा कि ‘छावा’, ‘भूल चूक माफ’ जैसी फिल्मों के निर्माता दिनेश विजन ने जिस घटिया कदम की शुरूआत की है, उसे कोई रोक क्यों नहीं पा रहा है. इसी के साथ पीवीआर सिनेमा ने भी अपनी इज्जत बचाने के लिए इस बार अपनी हदें पार करते हुए बयानबाजी की, जिस की कटु आलोचनाएं हो रही हैं.

मई माह के चौथे सप्ताह यानी कि 23 मई को ‘कपकंपी’, ‘केसरी वीर’ और ‘भूल चूक माफ’ यह 3 फिल्में रिलीज हुई. पिछले कुछ समय से ‘स्त्री 2’ जैसी हौरर कौमेडी फिल्में काफी पसंद की जा रही थीं, तो उम्मीद थी कि 23 मई को निर्माता जयेश पटेल ओर मशहूर निर्देशक संगीत शिवन की फिल्म ‘कपकंपी’ बौक्स औफिस पर हंगामा बरपाएगी. फिल्म में तुषार कपूर, श्रेयश तलपड़े, सिद्धि इडानी, जय ठक्कर, दिब्येंदु भट्टाचार्य जैसे कलाकार हैं. पहले कहा गया था कि फिल्म का बजट 80 करोड़ रूपए है, लेकिन अब निर्माता फिल्म का बजट बताने को तैयार नहीं हैं.

सैकनिल्क की मानें तो पूरे 7 दिन में इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर महज एक करोड़ 38 लाख रूपए एकत्र किए. जबकि ट्रेड पंडितों की राय में यह आंकड़ा महज 60 लाख रूपए है. इस फिल्म की बौक्स औफिस पर हालात यह हुई कि निर्माता को अपनी जेब से सिनेमाघरों का किराया व अन्य खर्च देने पड़ गए.

23 मई को ही एक दूसरी फिल्म ‘केसरी वीर’ रिलीज हुई. मेरी निजी राय में ‘केसरी वीर’ जैसी फिल्में बननी चाहिए. फिल्मकार ने एक गुमनाम योद्धा की कहानी को परदे पर लाने का नेक काम किया है. मगर फिल्मकार ने इस फिल्म में जिस तरह से बेवजह धर्म व देवीदेवताओं का महिमा मंडन किया है, उस के चलते फिल्म घटिया हो गई और इसे वाहियात बनाने में फिल्म के निर्देशक प्रिंस धीमान और कनुभाई चौहाण व कलाकारों ने अपना पूरा योगदान दिया. अफसोस की बात यह है कि 13 वर्ष पहले कम बजट में गुजराती भाषा में बनी नीलेश इंदु मारुति मोहिते द्वारा निर्देशित फिल्म ‘वीर हमीरजी’ ने हंगामा बरपाया था. उस वर्ष यह फिल्म ‘औस्कर’ के लिए भारतीय प्रतिनिधि फिल्म के रूप में प्रबल दावेदार थी, पर फिल्म फेडरेशन ने बड़े नाम वाली फिल्म ‘बर्फी’ को औस्कर में भेजा था.

खैर, दो घंटे 41 मिनट की अवधि की फिल्म ‘केसरी वीर’ की कहानी 14वीं सदी की है. जब मुगल शासक तुगलक के सिपहसालार जफर खान ने गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में स्थित सोमनाथ मंदिर को तोड़ने व लूटने के लिए लाखों सैनिकों के साथ हमला किया था. तब एक 16 वर्षीय राजपूत राजकुमार हमीर ने अपने सैकड़ों की टुकड़ी के साथ जफर खान के खिलाफ युद्ध लड़ कर खुद मौत के मुंह जातेजाते जफर खान की हत्या की थी.

इस फिल्म में सूरज पंचोली, सुनील शेट्टी, विवेक ओबेराय, किरण कुमार, आकांक्षा शर्मा जैसे कलाकार हैं. 60 करोड़ रूपए के बजट की इस फिल्म ने 7 दिन में बौक्स औफिस पर केवल एक करोड़ रूपए ही कमाए. यह हालात तब है जब इस फिल्म के निर्माण में निर्माता ने महज अपनी स्वर्गीय पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया है.

23 मई को ही निर्माता दिनेश विजन व निर्देशक करण शर्मा की राज कुमार राव और वामिका गब्बी के अभिनय से सजी फिल्म ‘भूल चूक माफ’ रिलीज हुई. पहल यह फिल्म 9 मई को रिलीज होनी थी, लेकिन दिनेश विजन को फिल्म का हाल पता था, इसलिए उन्होंने 8 मई को ऐलान किया कि ‘भूल चूक माफ’ सिनेमाघरों में नहीं आएगी. यह फिल्म सीधे ओटीटी पर जाएगी. इस के खिलाफ पीवीआर ने कोर्ट में दिनेश विजन पर 60 करोड़ रूपए का दावा कर दिया. तब आपसी समझौता कर दिनेश विजन को मजबूरन ‘भूल चूक माफ’ 23 मई को सिनेमाघरों में रिलीज करना पड़ा.

लेकिन इस बार दिनेश विजन ने सारी इथिक्स, सारी मर्यादाएं तोड़ने का मन बना लिया था जिस में पीवीआर आयनौक्स ने भी पूरा साथ देने का वादा किया, ऐसा नजर आ रहा है. निर्माता पहले ‘भूल चूक माफ’ का बजट 100 करोड़ रूपए बता रहे थे, पर अब वह बजट की बात नहीं करना चाहते.

सैकनिल्क के अनुसार पूरे 7 दिन में ‘भूल चूक माफ’ ने बौक्स औफिस पर केवल 44 करोड़ रूपए एकत्र किए. इस में से निर्माता की जेब में 33 करोड़ रूपए आएंगे. लेकिन फिल्म ट्रेड पंडित और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों के अनुसार फिल्म ने बामुश्किल 10 करोड़ रूपए ही एकत्र किए. वास्तव में पहले दिन फिल्म की टिकट पर इतनी छूट दी गई कि कुछ लोगों को फिल्म की टिकट मुफ्त में और कुछ लोगों को महज 25 रूप में ही फिल्म देखने को मिली. जब छठे दिन दिनेश विजन ने ‘भूल चूक माफ’ के बौक्स औफिस पर ब्लौक बस्टर होने का ऐलान किया तो इंडस्ट्री में हंगामा बरपा. कुछ पीवीआर आयनौक्स ने ऐलान कर दिया कि फिल्म ‘भूल चूक माफ’ ब्लौकबस्टर हो गई. तब ट्रेड पंडितों व फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने पीवीआर आयनौक्स को आड़े हाथों लिया. वासतव में पीवीआर आयनौक्स ‘भूल चूक माफ’ का केवल एक्जबीटर है, डिस्ट्रीब्यूटर भी नहीं है. इसलिए फिल्म को सफल या असफल बताने का हक उसे नहीं बनता. पर पीवीआर आयनौक्स ने अपनी कंपनी के गिरते शेयर के दामों पर कंट्रोल करने के लिए सारी हदें पार कर यह कदम उठाया. फिर भी पीवीआर आयनौक्स के शेयर के दाम गिर रहे हैं.

अब फिल्म इंडस्ट्री में यह चर्चा भी गरम है कि दिनेश विजन जिस तरह अपनी फिल्म के बौक्स औफिस कलेक्शन को 5 से 20 गुना तक बढ़ा कर दिखा रहे हैं, उस पर रोक लगनी चाहिए. इस से सिनेमा इंडस्ट्री सिर्फ बरबाद होगी. फिल्म को सफल बताने के बाद कलाकार दूसरे निर्माता से अधिक फीस मांगता है. जबकि कलाकार की फिल्म बुरी तरह से असफल हो चुकी होती है. इस मुद्दे पर फिल्म इंडस्ट्री के अंदर घमासान मचा हुआ है. देखना है कि आगे क्या होगा.

दिनेश विजन ने ‘भूल चूक माफ’ का निर्माण अमेजान के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार की ‘फिल्म बधू’ से सब्सिडी के रूप में करोड़ों रूपए ले कर किया है. फिल्म की कहानी का केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है. अब सराकरी सब्सिडी ली है तो वाराणसी में क्याक्या है, इस का चित्रण करने के साथ ही फिल्म में गंगा नदी, भगवान शिव के साथ ही धर्म का खूब महिमा मंडन तो होना ही था. फिल्म ‘भूल चूक माफ’ की बौक्स औफिस पर चाहे जो दुर्गति हो रही हो, लेकिन दिनेश विजन की इस बात के लिए तो तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने ‘फिल्म बंधू’ यानी कि उत्तर प्रदेश सरकार से धन लेने के साथ ही फिल्म में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का धन्यवाद अदा करते हुए फिल्म की कहानी में इस बात का चित्रण किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिना किसी डिग्री, बिना किसी परीक्षा को दिए महज 6 लाख रूपए घूस दे कर सरकारी नौकरी (सिंचाई विभाग) पा सकते हैं. बाप बड़ा न भईया, सब से बड़ा रूपया.

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