Best Love Story : आज बैंक में बहुत भीड़ थी। दो स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण कैश काउंटर (रूपयों का लेन- देन) पायल को ही देखना पड़ रहा था। एक जानी – पहचानी आवाज उसके कानों में पड़ी -” मैडम, मुझे 500 की गड्डियाँ ही दीजिएगा ।” उसने झट से ऊपर देखा। देखते ही उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। सामने ऋषि खड़ा था। वो भी उसे एकटक देख रहा था। पायल ने काँपते हाथों से 500 के नोटों के तीन गड्डी निकाल कर देते हुए कहा, ये लीजिए, और चेक के पीछे हस्ताक्षर कर दीजिए। हस्ताक्षर करते वक्त पायल की नजर पेन पर पड़ते ही वो समझ गई कि ये वही पेन है, जो उसने जन्मदिन पर ऋषि को उपहार में दिया था।

उस पेन को देखते ही यादों के तूफान बादल बन कर उसके दिलो – दिमाग में घुमड़ने लगे। ऋषि का जन्मदिन था। सभी मिलकर उसे कुछ देना चाहते थे। उपहार खरीदने का काम पायल और सोनल को सौंपा गया था। सोनल उससे जुनियर थी, और ऋषि के घर के पास ही रहती थी। सोनल ने ही उसे बताया था, कि ऋषि भईया को विभिन्न प्रकार के पेन इकट्ठा करना बहुत पसंद है। वो लिखने और हस्ताक्षर करने के लिए अलग – अलग प्रकार के पेन इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने अपने कमरे में पेन को कुछ इस तरह से सजा कर रखा है। जैसे कि उनका कमरा नहीं, कोई पेन की दुकान हो। इतना सुनते ही पायल ने कहा – ” तो पेन का सेट ही ले लेते है।” पेन का सेट लेते समय पायल की निगाह बार – बार एक खूबसूरत से पेन पर जाकर ठहर रही थी। पर क्यों? ये वो समझ नहीं पा रही थी। उसने सोनल से कहा – ” तू जाकर केक का आर्डर दे कर आ। मैं इस पर रैपर लगवाती हूँ।” सोनल के जाते ही उसने अपनी पसंद की भी एक पेन ले ली, और साथ ही डंठल में लगा एक लाल गुलाब भी ले लिया। जिस पर लिखा हुआ था… some one special. पढ़ते ही उसके होठों पर एक मुस्कुराहट फैल गई।

इधर ऋषि भी पायल के प्रति एक आकर्षण महसूस कर रहा था। जिस दिन पायल नहीं आती थी। उसका लाइब्रेरी में मन नहीं लगता था। ऋषि अपने में आए इस बदलाव को समझने की कोशिश कर रहा था। पायल एक साधारण से व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। पर उसकी निश्छल सी मुस्कान और सादगीपूर्ण बातें ऋषि को बहुत अच्छी लगती थी । उसके छरहरे बदन पर काले – लम्बे घने बाल के सामने सभी लड़कियाँ उसे फीकी लगती थी।

आज ऋषि का जन्मदिन है। उसने नीली जींस पर लाल शर्ट पहन रखी थी। वो बहुत आकर्षक लग रहा था। केक कटा, सबने ऋषि को जन्मदिन की बधाई दी। पायल ने भी लाल गुलाब के साथ अपने पसंद की पेन उसे दी। ऋषि ने धीरे से कहा – “धन्यवाद” । दोनों की नजरें टकराई, और एक प्यार भरी मुस्कुराहट दोनों के होठों पर फैल गई। ऋषि ने सबके कहने पर एक गाना भी गाया था।

भोली सी सूरत, आँखों में मस्ती,
दूर खड़ी शरमाए, आए – हाए…

अब दोनों लाइब्रेरी के बाद काफी हाउस जाते, और घंटों बातें करते रहते। ऋषि की शर्ट की जेब में पेन देखकर पायल खुशी से झूम जाती थी। ठीक ही तो कहा था, ऋषि ने – ” ये पेन अब हमेशा मेरे साथ रहेगा।” पायल मन ही मन सोचने लगी। वो दिन भी कितने खूबसूरत थे। उन्मुक्त जीवन, अल्हड़पन, कॉलेज, लाइब्रेरी, कॉफी हाउस और ऋषि का साथ कितना सुकून देता था। ऋषि का ख्याल आते ही उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट आ गई।… “अरे! आप आधे घंटे से यही बैठी है। हमने तो लंच भी कर लिया।” बैंक में ही काम करने वाली मीना बहल की आवाज़ से उसकी तंद्रा टूटी। पायल ने अनमने भाव से कहा – ” आज मुझे भूख नहीं है।”

घर आकर आज पायल का दिल नहीं लग रहा था। उसे कॉलेज की लाइब्रेरी याद आ रही थी। जहाँ उसकी मुलाकात ऋषि से हुई थी। स्नातक का आखिरी साल था। जहाँ सभी कोर्स की किताबों से ज्यादा बैंकिंग और सिविल सर्विसेज की किताबें ज्यादा पढ़ते थे। ऋषि बहुत मेधावी छात्र था। सभी उससे कुछ न कुछ जानकारी लेते रहते थे। वहाँ बैठकर आपस में पढ़ाई – लिखाई की ही बातें होती थी। इन सबके बीच ऋषि और पायल कब एक – दूसरे को पसंद करने लगे। उन्हें पता ही नहीं चला। पायल ने जब अपनी मम्मी से ऋषि के बारे में बात की। तो घर में हंगामा हो गया। पायल ने रूआंसी होते हुए कहा – “माँ, ऐसी कोई बात नहीं है। बस, उससे बातें करना मुझे अच्छा लगता है। हम लाइब्रेरी में पढ़ने के बाद कभी-कभी साथ में कॉफी पीते है।” इतना कहकर पायल अपने कमरे में चली गयी।

अब पायल पर हर वक्त नजर रखी जाने लगी। वो कहीं भी घर से जाने के लिए निकलती, तो माँ उसे टोकते हुए कहती – ” कहाँ जा रही है? जल्दी आ जाना।” उसके फोन पर भी उनका ध्यान कुछ इस तरह से गड़ा रहता था। जैसे फोन का रिंग टोन न होकर कोई खतरे की घंटी बजने वाली है। पायल को अपने ही घर में अजनबी सा लगने लगा था। कभी-कभी उसे घुटन सी महसूस होती थी। हर वक्त चिड़िया सी फुकदने वाली अपनी माँ की बिट्टो रानी अब एक उदास सी घूंटे में बंधी गाय के बछड़े सी हो गयी थी।

पायल के भाई की शादी को अभी दो साल ही हुए थे। उसकी भाभी उम्र में उससे बस चार साल बड़ी थी। दोनों में खूब निभती थी। सीमा (भाभी) ने पायल की मनःस्थिति को भाँप लिया था। एक दिन मौका पाते ही उसने पायल से ऋषि के बारे में जानना चाहा तो बस इतना ही पता चला कि वो पायल से सीनियर है, कॉलेज में उसका आखिरी साल है। पर सीमा को इससे संतुष्टि नहीं हुई। उसने पायल पर दबाव बनाया कि उसे ऋषि की पूरी जानकारी चाहिए। जिससे कि वो उसकी मदद कर सके। पायल ने अश्रू भरी निगाहों से सीमा की तरफ देखा, और कहा – “ऋषि अपने भाई के पास रह कर पढ़ाई कर रहा है। उसके माता-पिता गाँव में रहते हैं। मैं इतना ही जानती हूँ।”

आज पायल की माँ ने सीमा को अपने पास बुलाकर एक फोटो दिखाते हुए कहा –
” देख बहू, हमारी पायल के लिए ये कैसा रहेगा। एक बड़ी कम्पनी में काम करता है। मोटी रकम कमाता है। हमारी पायल रानी बनकर रहेगी। ”
सीमा ने हैरानी से अपनी सासू माँ की तरफ देखते हूए कहा – “माँ जी, अभी उसके कॉलेज की परीक्षा है, फिर उसके बाद बैंक की परीक्षा भी उसे देनी है। उसने कितनी मेहनत की है। ”
शारदा (पायल की माँ) ने उसे झिड़कते हुए कहा –
” हो गई, उसकी पढ़ाई-लिखाई। कल उसे सब देखने आ रहे है। उसकी तैयारी कर।”

आज एक बुजुर्ग दम्पति पायल को देखने आए थे। उन्हें अपने बेटा के लिए पायल बहुत पसंद आयी। उन्होंने उसे एक हीरे की अंगूठी दी, और कहा – “ये सागर की तरफ से है। सगाई नहीं होगी। अगले महीने ही हम शादी करना चाहते है।” फिर कुछ औपचारिक बातें करने के बाद वो लोग चले गए।

उनके जाते ही सीमा ने सासू माँ की तरफ देखते हुए कहा – “माँ जी मुझे कुछ अजीब लग रहा है। आज के समय में कोई लड़का न लड़की की फोटो देखे, न उससे बात करे, न अपने होने वाले जीवन संगिनी के बारे में जानने की कोशिश करे। ऐसा नहीं हो सकता है। मुझे तो कुछ दाल में काला लगता है।” शारदा ने प्रत्युत्तर में कहा –

“अरे! बहू ये तो कितनी अच्छी बात है। संस्कारी लड़का है। माता-पिता पर विश्वास कर रहा है। उनकी पसंद से ही शादी कर रहा है। ”

सीमा अपनी सासू माँ की बातों से संतुष्ट नहीं हुई। उसने अपने पति से भी इस बारे में बात की। पति ने भी दो टूक जवाब देते हुए कहा – “पापा – मम्मी ने रिश्ता ठीक किया है,तो सब ठीक ही होगा ।”

सीमा वहाँ से निकलकर पायल के कमरे में गयी। पायल वहाँ नहीं थी। उसके बिस्तर पर एक डायरी और पेन रखा था। सीमा ने इधर-उधर नजरें दौड़ाई तो देखा कि पायल बरामदे में चुपचाप बैठी थी। उसने पायल से कहा तुम कुछ बोलती क्यों नहीं हो। पायल ने एक कागज का टुकड़ा अपनी भाभी की तरफ बढ़ा दिया। जिसमें लिखा था

जिंदगी मेरे इतने करीब आई
फिर रूठ कर बेवजह चली गई।।
तुम्हारा ऋषि

पायल ने झकझोरते हुए कहा – “तुम ऋषि से बात क्यों नहीं करती हो।”
” जब तक उसका कैरियर नहीं बन जाता है। वो कुछ नहीं कर सकता है। उसने दो साल रूकने को बोला है। अब मैं उसे परेशान करना नहीं चाहती। ”

आज पायल के हाथों में मेहंदी लग रही थी। सभी मेहमानों के आ जाने से घर में खूब चहल-पहल थी। शारदा ने सजावट में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दूसरे दिन बारात आयी। खूब धूमधाम से शादी हुई। बिदाई की रस्म के बाद पायल अपने ससुराल के दहलीज़ पर पहुँच गई। वहाँ पर बहू भोज हो जाने के बाद भी उसका अपने पति सागर से कोई बात नहीं हो पायी थी।

आज सागर अपनी माँ के साथ उसके कमरे में आया। सासू माँ ने पायल की तरफ देखते हुए कहा –
“सागर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में ही उलझा हुआ था। अब तुम दोनों भी एक – दूसरे को समझो। आपस में बातें करो। और हा पायल, कल पूजा है। सुबह जल्दी नहा लेना। प्रसाद तुम्हें ही बनाना है।”

इतना कह कर वह कमरे से चली गई। सागर अपना मोबाइल उठाया, और बाहर बरामदे में जाकर किसी से बातें करने लगा। पायल को कुछ अजीब सा लग रहा था। उसने एक बार भी उसकी तरफ आँख उठाकर नहीं देखा। पायल की कब आँख लग गई, उसे पता ही नहीं चला। जब आँख खुली तो उसने देखा कि पलंग के सामने रखे सोफे पर सागर गहरी नींद में सो रहा है। सुबह के चार बज रहे थे। उसका फोन सामने टेबल पर था। जिस पर लगातार किसी का फोन आ रहा था। पायल अपनी डायरी निकालकर उस पर कुछ पंक्तियाँ लिखने लगी।

नया सफर कुछ धुंधला सा है
दो दिल अब तक तन्हा सा है।।

पायल की नजर जैसे ही घड़ी पर पड़ी। सुबह के पाँच बज रहे थे। सागर अभी भी गहरी नींद में सो रहा था। पायल नहाने के लिए जैसे ही बाथरूम जाने को उठी। तभी उसकी नजर फोन पर पड़ी। जिस पर फोन फिर लगातार आने लगा था। उसने देखा my love Nisha लिखा है ।फोन साइलेंट मोड पर था।

पायल नहा कर निकली ही थी, कि सासू माँ की आवाज़ आयी –
“पायल जल्दी से नहा लो। प्रसाद बनाना है।”

पायल जल्दी से तैयार होकर बाहर निकल गई। लाल रंग की गोल्डन बार्डर साड़ी में पायल बहुत सुंदर लग रही थी। सासू माँ ने उसकी तरफ देखते हुए कहा –

” सागर अभी तक सो रहा है। रात देर तक जागना और सुबह देर तक सोना उसकी आदत है। तू आ गई है न, धीरे-धीरे उसकी आदत सुधार देना। पायल ने मुस्कुराते हुए हामी भर दी। पूजा की सारी तैयारियाँ हो गई। पंडित जी भी आ गए। पूजा शुरू होते ही सागर भी पजामा – कुर्ता पहन कर आया, और पूजा पर बैठ गया। पायल ने महसूस किया कि सागर कुछ बोझिल और थका – थका सा लग रहा था। उसके कुर्ते की जेब में मोबाइल रखा था, जिस पर बार – बार किसी का फोन आ रहा था। सागर उसे निकाल कर देखता, फिर अपनी पाॅकेट में रख लेता था। पूजा समाप्त हो गई। सभी मेहमान भी प्रसाद लेकर चले गए। सागर ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा –

“माँ आने में थोड़ी देर हो जाएगी। दोस्त के यहाँ पार्टी है।” माँ के कुछ कहने से पहले ही निकल गया।

पायल ने अपनी सासू माँ से सीधे – सीधे सवाल करते हुए कहा – “मम्मी जी ये निशा कौन है? कल रात भर सागर को फोन कर रही थी।” विनीता (सागर की माँ) उसे हक्की – बक्की उसे देखने लगी। फिर अपने को सम्हालते हुए बोली – “आओ आराम से बैठकर बात करते है। तुम अब सागर की पत्नी हो। तुम्हें समझदारी से काम लेना होगा। निशा और सागर एक साथ पढ़ते थे। नौकरी भी दोनों की एक ही शहर में लग गयी। दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं। शादी करना चाहते थे। पर हम लोगों ने सहमति नहीं दी। बस इतनी सी बात है। ”

पायल चुपचाप सासू माँ की बातें सुनती रही। कोई जवाब नहीं दिया। दोनों कुछ देर खामोश बैठे रहे। विनीता (सागर की माँ) ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा –

” कल तुझे पग फेरा के लिए मायका जाना है। उसकी तैयारी कर ले। सागर तुझे छोड़ आएगा। ”

दूसरे दिन पायल को उसका भाई लेने आया। मायका पहुँचते ही पायल अपनी भाभी से लिपटकर रोने लगी। घर में हंगामा मच गया। सारी बात जानने के बाद सीमा जोर – जोर से बोलने लगी -” मैंने तो पहले ही कहा था कि लड़के के बारे में पूरा पता करो। पर किसी ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया।”… “मैं उसे छोड़ूँगा नहीं, जिसने मेरी बहन की जिंदगी बर्बाद की है। शारदा भी रोते हुए कहने लगी -” मैं अभी विनीता को फोन लगाती हूँ। ”

इतना सुनते ही पायल ने कहा –

” नहीं, कोई किसी को फोन नहीं करेगा। मैं किस माँ को दोष दूँ। जिसने मुझे जन्म दिया, या जो कुछ दिन पहले मेरी माँ बनी थी। मेरी दोनों माँ ने बस समाज और रिश्तेदारों की परवाह की। मेरे बारे में किसी ने नहीं सोचा। मम्मी हम आज के जमाने के बच्चे है। हम चाहते हैं कि हमारा जीवनसाथी हमारी सोच का हो। हम एक-दूसरे को समझे और उनका सम्मान करें। हम बगावत करना नहीं चाहते है। हम अपने माता-पिता की सहमति चाहते है। अगर आपकी पारखी नजर में ऋषि खरा नहीं उतरता तो मैं खुशी-खुशी आपकी बात मान लेती। पर आपने तो मेरी कोई बात ही नहीं सुनी। सबसे बड़ी बात कि आपने मेरी पढ़ाई छुड़ा कर मुझे अंदर से खोखला बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ा। अब मेरे लिए कोई कुछ नहीं करेगा। जो कुछ करूंगी, मैं खुद करूंगी। मैं पहले कॉलेज की परीक्षा और फिर बैंक नियुक्ति की परीक्षा दूँगी।”

सीमा दूर खड़ी पायल की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी। वो पायल में यही हिम्मत देखना चाहती थी। आज उसे ऐसा लग रहा था कि कॉलेज में ” नारी सशक्तिकरण ” विषय पर हुए डिबेट में उसे जो शिल्ड मिला था। उसकी असली हकदार तो पायल जैसी लड़कियाँ है, जो इतना कुछ हो जाने के बाद भी इतना साहस दिखाती है।

पायल फिर पलटकर ससुराल नहीं गई। बैंक की परीक्षा पास करते ही उसने सागर से मिलकर इस शादी को खत्म करना चाहा। दोनों अपनी सहमति आपसी सहमति से अलग हो गए। पायल को बैंक में नौकरी करते हुए दो साल हो चुके थे। वो ऋषि को आज तक नहीं भूल पायी थी। आज अचानक बैंक में उसे देखकर पिछली सारी बातें चलचित्र की भांति उसकी आँखो के सामने घूमने लगे।

दूसरे दिन बैंक पहुँचते ही पायल ने देखा कि ऋषि बाहर उसका इंतजार कर रहा है। पायल को देखते ही उसने कहा – ” इतना कुछ हो गया, और तुमने मुझे बताया ही नहीं।”…

” क्या बताती? कुछ कहने को था ही नहीं।”
ऋषि कुछ देर तो पायल को निहारता रहा, फिर धीरे से बोला- “अगले महीने मेरी शादी होने वाली थी। मैं अपनी सगाई तोड़ कर आया हूँ। मेरे साथ चलोगी।”

पायल की कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ऐसे रास्ते में उसने इतनी सारी बातें कह दी। उसकी आँखों से अश्रू बह रहे थे। जो उसकी सहमति प्रकट कर रहे थे।

शाम को ऋषि घर आया। अब पायल की मम्मी को कोई एतराज नहीं था। बल्कि पायल की पढ़ाई बीच में छुड़वाने का पछतावा था। वो मान गई। अब दोनों एक साथ नए सफर की ओर चल पड़े थे। जहाँ बाँहें फैलाए सतरंगी सपने उनका इंतजार कर रहे थे।

लेखिका : कल्याणी झा कनक

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...