Tourism : गर्मियों की छु्ट्टियां पड़ने से पहले ही पेरैंट्स अपने बच्चों को घुमाने की जगह डिसाइड कर लेते हैं. लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग है. पहलगाम घटना ने सब को दहला दिया है और देश का माहौल भी ठीक नहीं है. ऐसे में इस बार लोग अपनी ट्रिप प्लान नहीं कर रहे हैं. तो सवाल यह है कि बच्चे इन 1 महीने की छुट्टी में करेंगे क्या?

इनाया ने यह प्लान पहले ही बना लिया था कि इस बार बच्चों की गर्मियों की छुट्टियों में उन्हें मसूरी ले कर जाएगी. पति भी तैयार हो गए थे. ट्रेन का रिजर्वेशन भी करवा लिया था और मसूरी के एक होटल में कमरा भी बुक हो चुका था. इनाया बहुत उत्साहित थी. उस के बच्चों ने अभी तक हिल स्टेशन नहीं देखा था.

इनाया का छोटा बेटा इस वर्ष पहली में और बेटी दूसरी कक्षा में पहुंच गई है. पिछले दो साल तो इनाया छुट्टियों में बच्चों को ले कर अपने मायके चली गई थी मगर छह माह पहले उस की मां की मृत्यु के बाद वह भाईभाभी के पास नहीं जाना चाहती है. दरअसल भाभी का व्यवहार उस के प्रति शुरू से ही अच्छा नहीं था. जबतक मां थी उसे मायके जाने में झिझक नहीं होती थी मगर अब उस का मन नहीं करता.

हिल स्टेशन पर छुट्टियां बिताने के प्लान से इनाया का पूरा परिवार खुश था. लेकिन पहलगाम में हुई आतंकी घटना ने सब को दहला दिया. इस के बाद पड़ोसी देश के साथ हुई गोलाबारी और मिसाइलड्रोन हमलों की खबरों ने उन के दिल में यह डर बिठा दिया कि ऐसे हालात में बच्चों को ले कर कहीं भी निकलना सुरक्षित नहीं है.

पता नहीं कबकहां हालात खराब हो जाएं. इनाया के पति ने तुरंत ही रिजर्वेशन कैंसिल करवा दिया और होटल की बुकिंग भी रद्द कर दी. हालांकि उन को बुकिंग अमाउंट वापिस नहीं मिला. फिर भी उन्होंने रिस्क लेना ठीक नहीं समझा.

ऐसा सिर्फ इनाया के परिवार के साथ हुआ हो, ऐसा नहीं है. देश पर आतंकी घटना और उस के बाद भारतपाक युद्ध को देख कर हजारों लोगों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दीं. जम्मूकश्मीर, देहरादून, मसूरी, चम्बा, लैंसडौन जैसी जगहें जो सीजन में पर्यटकों से भरी रहती थीं इस बार वहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

गर्मियों की छुट्टियों में अनेक पेरैंट्स अपने बच्चों को हौबी क्लासेज ज्वाइन करवाने की सोच रहे हैं. कुछ स्कूलों ने समर कैंप लगाए हैं ताकि बच्चे अगर छुट्टियों में बाहर नहीं जा रहे तो उन के समर कैंप में आ कर स्विमिंग, स्केटिंग, ड्राइंग, पेंटिंग, डांस आदि का लुत्फ उठाएं.

इस के लिए फीस भी काफी ली जा रही है. 15 दिन के समर क्लास के लिए छह से आठ हजार रुपए पेरैंट से वसूले जा रहे हैं. अब पेरैंट्स की भी मजबूरी है. एक महीने की गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को घर पर तो नहीं बिठा सकते हैं.

दो दशक पहले तक बच्चे गर्मियों की छुट्टियां नानी या दादी के घर बिताते थे. एक महीने की छुट्टियां कैसे पलक झपकते बीत जाती थी पता ही नहीं चलता था. बच्चे भी गांवहाट की सैर कर के आनंद में डूबे रहते थे. नानीदादी, चाचीमामी उन के तमाम नखरे हंसतेहंसते उठाती थीं. लेकिन जैसेजैसे संयुक्त परिवार टूटते गए और लोग नौकरी के लिए दूसरे शहरों में जा बसे, वैसेवैसे दिलों में भी दूरियां बढ़ गईं.

आज के समय में जब कि महिलाएं भी नौकरीपेशा हो गई हैं, तो उन के पास अपने ही परिवार के लिए समय कम है. ऐसे में वे नहीं चाहतीं कि कोई रिश्तेदार लंबे समय तक उन के घर पर आ कर रहे. क्योंकि मेहमानों के आने से सब से ज्यादा काम का बोझ घर की औरत पर ही पड़ता है, फिर चाहे वह नौकरीपेशा हो या कोई गृहणी.

घर को साफसुथरा रखने से ले कर मेहमानों के खानेपीने का ध्यान उसे ही रखना पड़ता है. घर के लोगों के लिए तो खाने में कुछ भी बना लो, कभीकभी तो रात का बासी भोजन भी सुबह नाश्ते में खा लेते है, मगर मेहमानों के लिए तो तीनों वक्त ताजा खाना ही बनाना पड़ता है. अगर महिला नौकरीपेशा हो तो उस के लिए यह मेहमाननवाजी बहुत बड़ी मुसीबत है. यही वजह है कि अब गर्मियों की छुट्टियों में लोगों का रिश्तेदारों के वहां जाना बहुत कम हो गया है और हिल स्टेशनों में पर्यटकों की तादाद बढ़ने लगी है.

पहाड़ी या समुद्री क्षेत्रों की सैर खर्चीली तो हैं ही, बच्चे अपने रिश्तेदारों को जाननेसमझने और उन के साथ घुलनेमिलने से भी वंचित रह जाते हैं. दूसरी तरफ अब पर्यटक स्थल सुरक्षित भी नहीं हैं. वहां भीड़भाड़ भी बहुत होती है और सीजन में होटल और धर्मशालाएं बिलकुल फुल हो जाती हैं. उन के रेट भी आसमान छूने लगते हैं. ऐसे में एक तीसरा रास्ता भी हैं जिस से छुट्टियां भी मजे में बीतेंगी, खर्च भी कम होगा और रिश्तेदारों और दोस्तों को जानने का मौका भी मिलेगा.

अपने किसी खास दोस्त या रिश्तेदार के साथ आप प्लान करें कि गर्मियों की छुट्टियों में तीन दिन वे अपने पूरे परिवार के साथ आप के घर में आ कर रहें और तीन दिन आप अपने पूरे परिवार के साथ उन के घर पर जा कर रहें. इस में शर्त यह हो कि तीन दिन के लिए सभी बड़े अपनेअपने औफिस से छुट्टी ले लें, जैसे किसी हिल स्टेशन पर जाते वक्त लेते हैं.

इस के साथ ही इन तीन दिनों में तीनों टाइम का खाना बाहर से मंगवाया जाए. सिर्फ चायकौफी ही घर के किचन में बने. इस से घर की महिला को पूरा वक्त किचन में नहीं बिताना पड़ेगा और वह भी सब की कंपनी इंजौय कर सकेगी. कुछ इनडोर गेम्स का इंतजाम हो. सब एकसाथ बैठ कर स्नैक्स लेते हुए कोई सीरियल देखें.

अपनेअपने अनुभव साझा करें. बच्चों के कमरे में कैरम, लूडो, वीडियो गेम्स का अरेंजमेंट कर दें. उन के लिए कुछ अच्छे स्नैक्स मंगवा लें. अगर घर में आंगन हो या बरामदा हो तो वहां बनेबनाए वाटर पूल में बच्चों को मस्ती करने दें. घर के आंगन में बच्चों से सब के नाम के प्लांट्स लगवाएं. इस से आप के घर के प्रति आने वाले परिवार का लगाव भी बढ़ेगा.

इस प्लान के बहुत फायदे हैं. एक तो आप को और आप के बच्चों को आप के दोस्त या रिश्तेदार के परिवार से घुलनेमिलने का मौका मिलेगा. दूसरे आप को सिर्फ बाहर खाने के लिए ही पैसे खर्च करने होंगे. आप के होटल में रहने का खर्च बच जाएगा जो हर दिन का करीब पांच से 7000 रुपए होता है. इस के अलावा ट्रैवलिंग खर्च भी बचेगा.

इस के साथ ही तीनतीन दिन दोनों घरों में रहने से दोनों परिवारों को मेहमाननवाजी का बराबर मौका मिलेगा और किसी एक पर खर्च का भार नहीं पड़ेगा. इस प्लान से महिलाओं को सब से ज्यादा खुशी मिलेगी क्योंकि उन को खाना बनाने की परेशानी से कम से कम एक हफ्ते तक निजात मिल जाएगी. अगर आप शहर घूमने या शौपिंग का प्लान करते हैं तो भी दोनों परिवार साथ में रह कर ज्यादा एन्जौय करेंगे.

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