Bangladesh : जैसे भारत के इतिहास को दोबारा से लिखने की कोशिश जोरशोर से चल रही है और हिंदू राजाओं, देवीदेवताओं पर लिखे कल्पित ग्रंथों को इतिहास बना कर पेश किया जा रहा है, वैसा ही बंगलादेश में हो रहा है. तर्क यह दिया जा रहा है कि बंगलादेश में यह बदलाव हाल के सालों की घटनाओं को ले कर किया जा रहा है जिन के बारे में आज भी जीवित लोगों को तथ्य मालूम हैं और पिछली सरकार ने इन्हें तोड़मरोड़ कर लिखवाया था.

मोहम्मद यूनुस की सरकार की नाक तले बंगलादेश के कट्टरवादी पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाबी राज से पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने की घटनाओं को नए सिरे से लिखवा रहे हैं. उस में भारतीय सेना का 1971 में रोल क्या था, यह भी लिखवाया जा रहा है. उस समय शेख मुजीबुर रहमान ने भारत में शरण ले रखी थी और भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को समर्पण करने को बाध्य किया था. यह बात अब अलग ढंग से लिखवाई जा रही है ताकि शेख मुजीबुर रहमान और उन की बेटी शेख हसीना के नाम इतिहास से हटाए जा सकें.

बंगलादेश को एक लोकतंत्र से फिर से कट्टरवादी इसलामिक देश बनाने की इस कवायद का भारी नुकसान न केवल बंगलादेशियों को होगा, भारत को भी होगा. भारत का एक मित्र देश तो खो जाएगा ही, दुनियाभर में फैले बंगलादेशी अब फिर पाकिस्तानियों, अफगानिस्तानियों की तरह से कट्टरपंथी माने जाने लगेंगे.

बंगलादेश ने पिछले 20 सालों में तेजी से उन्नति की थी और उस ने अपने पूर्व साथी पाकिस्तान को पछाड़ कर उसे बौना बना दिया था. वह अब खुद में इतिहास बन जाएगा क्योंकि जिस देश में कट्टरवाद फैलता है वहां से पैसा भागता है.

आर्थिक उन्नति वहीं होती है जहां सामाजिक सुरक्षा होती है और बंगलादेश की अंतरिम सरकार, चाहे अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता के हाथों में हो, कट्टरपंथियों के सामने असहाय है. वे चाहे कितना कर लें, बंगलादेश अब एक खतरनाक देश माना जाएगा और न केवल विदेशी पूंजी नहीं आएगी, विदेशी वहां से खरीदारी करने भी नहीं आएंगे. गारमैंट एक्सपोर्ट में तो बंगलादेश ने भारत को भी पछाड़ दिया था लेकिन वह इसलामी कट्टरवादियों के हाथों अब कुरबान हो रहा है.

पाकिस्तान इस बदलाव पर बेहद खुश है क्योंकि पिछले 50 सालों का भारत से बदला लेने का उसे सुनहरा अवसर मिल रहा है. भारतीय नेता इस मामले में ज्यादा बोल भी नहीं सकते क्योंकि यहां भी धर्म के नाम राजनीति की जा रही है और इतिहास भी फिर से लिखा जा रहा है. हमारी न्यू एजुकेशन पौलिसी और बंगलादेश की पौलिसी में कोई अंतर नहीं है. हमारे यहां जैसा व्यवहार अल्पसंख्कों के साथ हो रहा है वैसा ही बंगलादेश में हो रहा है.

भारत का विदेश मंत्रालय बेचारा चुप है क्योंकि यहां खुद धतूरे के पौधे लगाए गए थे जिन के कुछ बीज उड़ कर बंगलादेश पहुंच गए जो अब वहां ‘लहलहा’ रहे हैं.

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