J&K Terror Attack : कश्मीर के बहुत ही खूबसूरत इलाके पहलगाम के निकट एक पर्यटन क्षेत्र में 6 आतंकवादियों द्वारा बहुतों की मौजूदगी में नाम, धर्म पूछ कर 26 पर्यटकों को एकएक कर के गोलियों से भून डालना दिल को झकझोर देने वाली घटना है जिस की जितनी भर्त्सना की जाए, कम है. धर्म और स्वार्थ की राजनीति के लिए हिंसा का सहारा लेना है तो हमला उन पर किया जाए जो वास्तव में दुश्मन हैं, आम पर्यटकों को क्यों इस लपेटे में लिया जाए.
अफसोस यह है कि धर्म हो या राज्य, सब ने आम लोगों को ढाल बनाया है और हमेशा उन्हीं के बल पर धर्म या राजा की धौंस परवान चढ़ी है. देशभर में आज भी आम मुसलिमों को रातदिन बुराभला कहा जाता है ताकि हिंदू धर्म की दुकानें चलती रहें, वोट मिलते रहें. आतंकवादियों ने यही काम पहलगाम में किया कि आम लोगों को डरा व उन्हें सजा दे कर उन की सरकार को धमकाया जा सके.
आतंकवादी अच्छी तरह से जानते हैं कि जब उन्होंने अपनी पहचान ही छिपा रखी है तो इस तरह के कांड कर के वे कोई सीधा लाभ न उठा सकेंगे पर उन के धर्म को अपने भक्तों से अब ज्यादा कुरबानी देने को तैयार नौजवान मिलने लगेंगे और ज्यादा पैसा मिलने लगेगा.
ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका में न्यूयौर्क पर हमला करा कर 2,500 से ज्यादा लोगों को मरवा डाला जिस का बदला अमेरिका ने अफगानिस्तान, इराक, लीबिया पर हमला कर के और ओसामा बिन लादेन को मार कर लिया पर उस से क्या इन देशों की जनता को जन्नत मिल गई? आम अफगानिस्तानी, पाकिस्तानी, इराकी, लीबियाई खुद उन आतंकियों के शिकार हैं जिन्हें वे पालते हैं.
किसी आतंकवादी हमले को अंजाम देना मिनटों में तय नहीं होता. इस की लंबी तैयारी करनी पड़ती है. लोगों को म रने के लिए तैयार करना पड़ता है. गोलियों, गनों का इंतजाम करना होता है. रास्ते तय करने होते हैं. जानकारी जमा करनी होती है. सब किस के लिए? क्या इसलिए कि उस धर्म को मानने वालों को एक रोटी ज्यादा मिल जाए, एक कपड़ा ज्यादा मिल जाए, एक किताब पढऩे को और मिल जाए, एक दवा या इंजैक्शन और मिल जाए?
आतंकवादी घटना से 26 लोगों की जानें गईं. पूरा देश दहशत में आ गया. इस घटना से किसी का फायदा हुआ तो सिर्फ धर्मगुरुओं का. अब उन्हें ज्यादा चंदा मिलेगा. ज्यादा लोग धर्म की दुकान पर आएंगे चाहे और ज्यादा फटेहाल हों.
यह आतंकवादी हमला पाकिस्तान ने कराया, यह सच है जो भारत सरकार के निकम्मेपन की पोल खोलता है कि वह पहले पता नहीं कर पाई जैसे मुंबई अटैक पर पता नहीं कर पाई थी. अखबारों में हर 15 अगस्त और 26 जनवरी के पहले छपवाया जाता है कि पुलिस ने संदिग्ध आतंकवादियों के मंसूबे तोड़ डाले, 20-25 संदिग्धों की गिरफ्तारियां कर डालीं. तो यहां वह पुलिस कहां थी?
मतलब साफ है कि सरकार बीचबीच में आतंकवाद का हल्ला मचा कर वोट वसूलती रहती है, पैसा जमा करती रहती है और जिन्हें कुछ करना होता है वे 56 इंच के सीने वाली सरकार से बिना डरे अपना काम करते रहते हैं, सिर्फ अपने धर्म के दुकानदारों के कहने पर.
आतंकवाद के इस हमले में निर्दोषों की जो जानें गई, उन के घाव परिवारों को पूरे जीवन सहने पड़ेंगे. सरकार के सुरक्षा देने में असफल होने का खमियाजा विधवाएं, बिना बाप के बच्चे, बिन बेटों के बूढ़े होते मातापिता जीवनभर झेलेंगे.
इस आतंकवादी हमले से इसलाम को कोई लाभ नहीं होगा. हिंदू धर्म के धंधे पर असर न पड़ेगा. बल्कि, इस वजह से दोनों को ज्यादा चंदा मिलेगा. एक यह कहेगा कि देखो, विधर्मी जो सजा दे दी, दूसरा कहेगा कि विधर्मी से बचना है तो और मंदिर बनवाओ, और पूजापाठ करो, और दान दो. दोनों धर्मों के ठेकेदारों को अपनी जनता से वसूलने का और मौका मिलेगा. दोनों धर्म जनता को देंगे नहीं बल्कि लेंगे. धर्म जान और पैसा दोनों लेता है, देता कुछ नहीं.