Relationship : शादी के बाद जल्दी तलाक न मिलने के चलते गुस्से व तनाव से मन में अपराध की भावना भरता जा रहा है. पतिपत्नी के बीच पंडे और काले कोट वाले न आए तो अलगाव सरल होगा अपराध में नहीं बदलेगा.
रामपुर गांव में एससी परिवार की नेहा नामक लड़की की शादी एक साल पहले नगराम के दीपक से हुई थी. शादी दोनों ही परिवारों ने एकदूसरे को ठीक से देख समझ कर की थी. शादी के कुछ माह के बाद ही नेहा और दीपक में विवाद शुरू हो गया. विवाद का कारण यह था कि दीपक शराब का नशा करने के बाद नेहा से मारपीट करता था. उसे लगता था कि नेहा का चरित्र ठीक नहीं है. वह दूसरे लड़कों से हंसतीबोलती है. झगड़े के बाद नेहा अपने मायके चली आई. दीपक के पिता चाहते थे कि नेहा अपने घर से ससुराल चली आए.
दोनों परिवारों की पंचायत गांव में लगी. दोनों परिवारों के बीच झगड़े न हों इस के लिए गांव में ही पुलिस भी आ गई थी. दीपक और नेहा के बीच बातचीत विवाद की तरह से हो रही थी. दो घंटे से अधिक तक यह विवाद चलता रहा. अंत में नेहा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वह ससुराल नहीं जाएगी. सभी ने उसके फैसले को ही मान लिया. दीपक और उस के पिता यह मानने के पक्ष में नहीं थे. अंत में पंचायत के दबाव में उनको भी फैसला स्वीकार करना पड़ा.
एक लिखित में समझौता पत्र तैयार हुआ. दोनों पक्षों ने एकदूसरे के सामान वापस किए. गवाहों के सामने लिखित में दिया कि नेहा और दीपक के बीच तलाक हो गया है. अब एकदूसरे के बीच कोई रिश्ता नहीं है. दोनों ही अपनी अलग शादी करने के लिए आजाद हैं. पूरी लिखापढ़त में पुलिस कहीं शामिल नहीं थी. इस के बाद भी यह फैसला इसलिए मान्य था क्योंकि पुलिस की मौजूदगी में यह किया गया.
कैसे कोर्ट से शून्य या अमान्य घोषित होती है शादी ?
अगर अदालत से कोई शादी शून्य यानि अमान्य घोषित की जाती है तो लंबा खर्च आता है. इस के साथ ही साथ कई माह भी लगते हैं. पंचायत में यह काम कुछ घंटों में ही बिना किसी बड़े विवाद के हो गया. भारत में विवाह से संबंधित अलगअलग कानून हैं. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के विवाह, तलाक और संतान की वैधता को समझाने वाला कानून बना है. इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, 1872 ईसाई धर्म के लोगों का विवाह कानून है. मुसलिम पर्सनल ला (शरीयत) अधिनियम, 1937 मुसलिम धर्म मानने वालों के विवाह, तलाक और उत्तराधिकार को बताता है. पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936 पारसी धर्म के लोगों के विवाह और तलाक से जुड़ा हुआ है. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 का कानून धर्म और जाति से परे अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों को कानूनी मान्यता देता है.
शून्य विवाह क्या होता है ? कुछ विवाह ऐसे होते हैं, जो कानून की दृष्टि से शुरू से ही अमान्य होते हैं. इन की कोई कानूनी वैधता नहीं होती. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 11 के तहत शून्य विवाह का मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति का पहले से कोई वैध विवाह है तो दूसरी शादी शून्य होती है. पतिपत्नी का संबंध अमान्य या निषिद्ध संबंध माना जाता है. इस के अलावा वह विवाह शून्य माना जाता है जिस में विवाह आवश्यक रस्मों के बिना पूरा हुआ हो. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 24 के तहत शून्य विवाह तब माना जाता है जब शादी के समय लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम या लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम हो.
इस के अलावा यदि कोई पक्ष मानसिक रूप से अस्वस्थ हो और विवाह की सहमति देने योग्य न हो. यदि विवाह अवैध संबंध में आता हो. यदि पति या पत्नी में से कोई नपुंसक हो. यदि कोई पुरुष या महिला पहले से विवाह में हो और दूसरी शादी कर ले. मुसलिम कानून के तहत ‘बातिल निकाह’ वह माना जाता है जिस में विवाह मुसलिम कानून की शर्तों के अनुसार न किया गया हो. विवाह निषिद्ध संबंध में हुआ हो. विवाह ‘इद्दत’ अवधि के दौरान संपन्न हुआ हो. यदि मुसलिम महिला पहले से विवाहित हो. यदि विवाह धोखाधड़ी या जबरदस्ती से हुआ हो. यदि विवाह पूर्ण रूप से सम्पन्न न किया गया हो.
शून्य विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दी जाती है. इस में पतिपत्नी के रूप में कोई अधिकार नहीं बनते हैं. यदि पतिपत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो दूसरा उस की संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं बन सकता. ऐसे विवाह से उत्पन्न संतानें वैध मानी जाती हैं, लेकिन उन्हें केवल पिता की अर्जित संपत्ति में अधिकार मिलता है. शून्य विवाह में पत्नी भरण पोशण की मांग नहीं कर सकती. मुसलिम कानून में शून्य विवाह के बाद उत्पन्न संतानें अवैध मानी जाती हैं. पत्नी को ‘मेहर’ या भरण पोषण का अधिकार नहीं होता. पतिपत्नी के बीच कोई उत्तराधिकार का अधिकार नहीं होता.
शून्य विवाह और तलाक में अंतर
शून्य विवाह और तलाक के बीच अंतर होता है. शून्य विवाह वह है जो कानूनन मान्य नहीं है. तलाक कानूनी रूप से वैध विवाह को समाप्त करने की प्रक्रिया होती है. शून्य विवाह को कानूनी स्थिति विवाह कभी नहीं माना जाता है. तलाक में पहले विवाह मान्य था, लेकिन अब समाप्त हो गया है. शून्य विवाह में कोई वैवाहिक अधिकार नहीं बनते हैं. तलाक के मसले में विवाह से जुड़े अधिकार और कर्तव्य बने रहते हैं. शून्य विवाह में पतिपत्नी को कोई अधिकार नहीं होता. तलाक से पहले उत्तराधिकार का अधिकार रहता है.
संतान की स्थिति में शून्य विवाह में बच्चे वैध होते हैं लेकिन पिता की पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं होता. तलाकशुदा दंपति के बच्चों को पूर्ण उत्तराधिकार मिलता है. भरण पोषण में शून्य विवाह में पत्नी को कोई हक नहीं होता. तलाक के बाद पत्नी भरण पोषण की मांग कर सकती है. विवाह को शून्य करार करने के लिए अदालत का सहारा लेना चाहिए. अदालत विवाह को शून्य घोषित कर सकती है. इस में समय लगता है. समय तलाक में भी लगता है. यही कारण है कि अधिकतर युवा इस तरह के मसलों में छुटकारा पाने के लिए अपराधिक कदम भी उठा लेते हैं.
अलगाव हो अपराध नहीं
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में रहने वाली प्रगति की शादी मैनपुरी के कारोबारी दिलीप से शादी हुई थी. शादी से पहले प्रगति अनुराग से प्यार करती थी. दोनों पिछले 4 साल से रिलेशन में थे. प्रगति किसी भी हाल में अनुराग को पाना चाहती थी. अनुराग भी प्रगति के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था. इस के बाद भी प्रगति की शादी घर वालों ने दिलीप नामक युवक से करा दी. नई नवेली पत्नी प्रगति को अपने पति का साथ मंजूर नहीं था. उस ने शादी के 15 दिन के अंदर ही अपने प्रेमी अनुराग के साथ मिल कर दिलीप को रास्ते से हटाने की योजना तैयार की.
19 मार्च को औरैया के सहार थाना क्षेत्र के पलिया गांव के पास दिलीप गंभीर रूप से घायल हालत में गेहूं के खेत में पड़ा मिला था. उसे गोली मारी गई थी. ग्रामीणों ने तुरंत इस की सूचना पुलिस को दी. मौके पर पहुंच कर पुलिस ने दिलीप को अस्पताल पहुंचाया, जहां उस की हालत नाजुक होने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया गया. इलाज के दौरान दिलीप की मौत हो गई. इस मामले की जांच के लिए सहार थाना पुलिस, सर्विलांस टीम को लगाया गया. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिस में एक संदिग्ध शख्स प्रगति के पति को बाइक पर बैठा कर ले जाता दिखा. ऐसे में पुलिस ने प्रेमी और प्रगति को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. जिस पर दोनों ने राज उगल दिया.
शादी के 15वें दिन की पति की हत्या
पुलिस पूछताछ में प्रगति ने पति की हत्या करने की साजिश को कबूल ली. जांच में सामने आया कि प्रगति का प्रेमी अनुराग यादव उसी गांव का रहने वाला था और दोनों का प्रेम संबंध था. परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था, इसलिए प्रगति की शादी अनुराग से नहीं हो पाई थी. शादी के बाद भी प्रगति अनुराग के प्रेम में पागल थी. यही वजह थी कि उस ने पति को रास्ते से हटाने के लिए अनुराग के साथ हत्या की साजिश रच डाली.
प्रगति ने अनुराग को पति की हत्या के लिए एक लाख रुपए दिए. जिस के बाद अनुराग ने अपने साथी रामजी नागर के साथ मिल कर 2 लाख रुपए में सौदा तय किया. 19 मार्च को जब प्रगति का पति कन्नौज से लौट रहा था, तब आरोपियों ने उसे नहर के पास एक होटल पर रोक कर बहाने से बाइक पर बिठा लिया और सुनसान जगह ले जा कर उस की हत्या कर दी. पुलिस ने रामजी नागर और अनुराग को गिरफ्तार कर लिया है. उन के पास से 315 बोर के तमंचे और जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं. गहराई से पूछताछ के बाद प्रगति को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
सिपाही ने पत्नी के प्रेमी और साथी को मारा
यह कोई अकेली घटना नहीं है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी में सिपाही महेंद्र कुमार और उस की पत्नी अंकिता उर्फ दीपिका ने मनोज और उस के दोस्त रोहित की हत्या की दी. पुलिस को सर्विलांस से पता चला कि मरने वाले मनोज से तेजकिशनखेड़ा निवासी अंकिता उर्फ दीपिका रोज बात करती थी. घटना के दिन उस ने 35 कौल की थी.
इस आधार पर पुलिस ने अंकिता से पूछताछ की. पहले तो उसने पुलिस को सच नहीं बताया. उस के हाथ पर मौजूद ताजा चोट को देख कर पुलिस का शक गहरा गया. पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सच बयां कर दिया. अंकिता और मनोज दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे. तब से ही दोनों में प्रेम प्रसंग था. दोनों शादी भी करना चाहते थे. इसी बीच अंकिता के परिवारजनों ने उस की शादी 20 जून 2021 में तेजकिशनखेड़ा निवासी 2018 बैच के सिपाही महेंद्र कुमार से कर दी थी.
शादी के बाद दोनों का जीवन सही चल रहा था. मौजूदा समय में महेंद्र की पोस्टिंग लखीमपुरखीरी स्थित पुलिस लाइन में थी. उस का घर आना जाना थोड़ा कम हो गया था. इसी बीच अंकिता और मनोज में फिर से बात होने लगी. दोनों ने मिलना शुरू कर दिया. 24 दिसंबर 2024 को सिपाही महेंद्र को पत्नी अंकिता और मनोज के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी हो गई. सिपाही ने विरोध किया. अंकिता को मनोज से बात करने और मिलने से मना किया गया. इस के बावजूद दोनों बात करते थे. अकसर मिलते भी थे. इस बात को ले कर महेंद्र ने पत्नी अंकिता से कहा कि उस में और मनोज में से एक को चुनना होगा.
अंकिता ने महेंद्र का साथ देने की बात कही. इसके बाद सिपाही ने पत्नी के साथ मिलकर में मनोज की हत्या करने का प्लान तैयार किया. साजिश के तहत दो नए सिम लिए थे. अंकिता ने एक सिम मनोज को दिया दूसरा अपने पास रखा था. नए सिम लेने के पीछे कारण यह था कि वारदात के बाद सर्विलांस या कौल डिटेल से पुलिस ट्रेस न कर सके.
लखीमपुर खीरी पुलिस लाइन से सिपाही महेंद्र की ड्यूटी अयोध्या में लगाई गई थी. उसे 21 मार्च की शाम को लखीमपुर खीरी पुलिस लाइन में रिपोर्ट करना था. वह अयोध्या से लखीमपुर खीरी पुलिस लाइंस सीधे न जा कर काकोरी के लिए निकल लिया. उस ने अंकिता, अपने दो सालों और भांजे को कौल कर के मनोज की हत्या उसी दिन करने की बात कही. ड्यूटी मूवमेंट के दौरान हत्या करने से किसी को शक नहीं होगा. इसलिए उस ने अंकिता से मनोज को कौल कर के काकोरी स्थित बरकताबाद पुलिया पर मिलने के लिए बुलाने के लिए कहा. करीब 35 बार कौल करने पर मनोज मिलने के लिए तैयार हो गया. महेंद्र, उस के साले और भांजे पहले से बरकताबाद पुलिया के पास छुप गए थे.
मनोज बाइक से रोहित के साथ पहुंचा था. उन दोनों के बरकताबाद पुलिया के पास पहुंचते ही आरोपी ने दोनों को पकड़ लिया. इस के बाद दोनों को पीटना शुरू कर दिया. उन का प्लान था मनोज को मारने का था. महेंद्र के साथ रोहित स्कूल में पढ़ा हुआ था. दोनों दोस्त भी थे. मनोज की हत्या का राज रोहित खेल देगा इसलिए दोनों की एक साथ हत्या कर दी. वारदात के बाद अंकिता व अन्य 3 लोग अपने घर चले गए थे. महेंद्र लखीमपुर खीरी पुलिस लाइन के लिए रवाना हो गया था. आरोपी सिपाही महेंद्र रिपोर्टिंग टाइम से काफी देर से लखीमपुर खीरी पुलिस लाइन पहुंचा था. उस ने बहाना बनाया कि उस की तबीयत खराब हो गई थी. उंगली में भी चोट लग गई थी. इस लिए उसे देर हो गई. इस के बाद वह अनुमति ले कर बेड रेस्ट पर चला गया था. इस के बाद भी कोई होशियारी काम नहीं आई. पुलिस ने अंकिता और महेंद्र को जेल भेज दिया.
नीले ड्रम का खौफ
उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक सनसनीखेज हत्या का मामला सामने आया. जो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा. लंदन से 22 दिन पहले 24 फरवरी को मर्चेंट नेवी के अफसर सौरभ कुमार वापस अपने घर आए थे. सौरभ कुमार मेरठ के इंद्रानगर सेकेंड में किराए के मकान में अपनी पत्नी मुस्कान और 6 साल की बेटी पीहू के साथ रहते थे. अगले दिन 25 फरवरी को मुस्कान का जन्मदिन था. महल्ले वालों को बताया गया कि वे हिमाचल घूमने जा रहे हैं.
इस के बाद घर के गेट पर ताला लग गया. सौरभ का अपने परिवार से विवाद था. जिस के चलते उन्हें बेदखल कर दिया गया था. 3 साल पहले उन्होंने मुस्कान के साथ अलग रहना शुरू किया था. उन की बेटी पीहू सेकंड क्लास में पढ़ती है. कई दिनों के बाद जब महल्ले वालों को घर से बदबू आने लगी तो पुलिस ने कमरा खोला. मुस्कान की बेटी ने बताया पापा इस नीले ड्रम में है. तब पुलिस ने ड्रिल मशीन से ड्रम तोड़ा.
उस के बाद शव को बाहर निकाला गया. पुलिस को आशंका है कि सौरभ की हत्या करीब 10 दिन पहले ही कर दी गई थी. हत्या के बाद शव को ड्रम में बंद कर सीमेंट से सील कर दिया गया और मुस्कान बाहर चली गई. जब घर से बदबू फैलने लगी, तो मकान मालिक ने पुलिस को सूचना दी. हत्या के मामले में मुस्कान और उस के प्रेमी मोहित को गिरफ्तार कर लिया गया है. हत्या के पीछे मुस्कान और मोहित के अवैध संबंध बताए गए.
मांबाप के द्वारा तय किए जाने वाले रिश्तों में अनबन होना कोई नई बात नहीं है. पहले लड़कियां समझौता करके इस को सहन कर लेती थीं. आज वह इस से बाहर निकलने का रास्ता तलाश करने लगती हैं. शादी से बाहर निकलने का रास्ता काफी कठिन होता है. शादी कराने वाले पंडे होते हैं. तलाक के बीच काले कोट वाले पंडे आ जाते हैं, जिस से तलाक में लंबा समय लगता है. अगर पंचायतों की तरह आपसी रजामंदी से चट शादी पट तलाक होने लगे तो पति पत्नी के बीच आपसी अपराध कम हो जाएगा.
तलाक लेने में केवल लड़की की सुनी जानी चाहिए. दोनों के बीच आपसी सहमति से कुछ माह में तलाक पूरा हो जाए. जिस से वह दोनों अपना नया जीवन शुरू कर सकें. पतिपत्नी के बीच अपराध की घटना में एक दो नहीं पूरे तीन परिवार तबाह होते हैं. अगर नोटरी की तरह एफिडेविड दे कर यह काम हो सके तो बहुत ही बेहतर होगा. शादी के बाद तलाक जितना समय लेगा, परेशानी उतनी होगी, युवा लड़केलड़कियां शादी से उतना ही दूर भागेंगे. विवाह को बचाने के लिए तलाक को बेहद सरल करना होगा.