Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश सरकार धर्म परिवर्तन के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करेगी. यह तालिबान के नियमों की याद दिलाती है. यह एक चिंताजनक बात है कि क्या मध्य प्रदेश तालिबान बनने की ओर बढ़ रहा है?
जब से नरेंद्र मोदी की सत्ता देश में आई है धीरेधीरे देश, धर्म धार्मिकता के मुद्दे पर कट्टरता की ओर बढ़ता चला जा रहा है. ऐसा ही एक मामला अब “धर्म परिवर्तन” पर मृत्युदंड देने की घोषणा बन कर सुर्खियां बटोर रहा है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की घोषणा कि है मध्य प्रदेश सरकार लड़कियों के धर्म परिवर्तन के लिए दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करेगी.
लोकतंत्र में यह एक ऐसा अधोकदम है, जो महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की बिनाह पर उठाया गया है. मजे की बात यह कि यह घोषणा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की गई, जो महिलाओं के सशक्तिकरण और उन के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. इस तरह मध्यप्रदेश सरकार ने एक तरह से एक तीर से दो निशाने लगाए हैं.
दिखावे के लिए, इस घोषणा के पीछे मुख्यमंत्री का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और स्वाभिमान की रक्षा करना है. उन्होंने कहा- उन की सरकार महिलाओं के खिलाफ अत्याचार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी और उन्हें “मृत्युदंड की सजा” दिलाने के लिए काम करेगी.
यह कदम मध्य प्रदेश सरकार की ओर से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए उठाया गया एक ऐसा थोथा कदम है जिस के पीछे कट्टरपंथी मानसिकता है. यह घोषणा कहने को महिलाओं को उन के अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने में मदद करेगी. मगर इस के पीछे भयावह सच है की मध्य प्रदेश एक तरह से तालिबान बनने वाला है.
दरअसल, इस तरह के कानून को लागू करने से पहले इस के व्यापक प्रभावों पर विचार किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यह कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में मदद करे और उन्हें सशक्त बनाने में योगदान करे. इस के अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि इस कानून को तत्काल रोकना होगा.
अंत में, यह कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश सरकार की यह घोषणा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम नहीं कही जा सकती. यह घोषणा महिलाओं को उन के अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने की जगह कट्टरपंथी मानसिकता का प्रसार करेगी.
स्मरण रहे, तालिबान शासन में भी धर्म परिवर्तन और महिलाओं के अधिकारों के मामले में बहुत सख्त नियम थे. तालिबान के अनुसार, इस्लाम छोड़ना या धर्म परिवर्तन करना एक गंभीर अपराध माना जाता था, जिस के लिए मृत्युदंड की सजा दी जा सकती थी.
तालिबान शासन में महिलाओं के अधिकारों को भी बहुत सीमित किया गया था. महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने, काम करने और सार्वजनिक स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं थी. उन्हें पुरुषों की उपस्थिति में ही घर से बाहर निकलने की अनुमति थी.
“तालिबान” के इन नियमों का उद्देश्य इस्लामी कानूनों को लागू करना और समाज में इस्लामी मूल्यों को बढ़ावा देना था. लेकिन इन नियमों के कारण महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का हनन हुआ.
मध्यप्रदेश सरकार आज उसी दिशा में जाना चाहती है, वह धर्म परिवर्तन के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करेगी, तालिबान के नियमों की याद दिलाती है. यह एक चिंताजनक बात है कि क्या हम तालिबान की ओर बढ़ते कदम नहीं देख रहे हैं?
धर्म में व्यक्तिगत, सामाजिक, और राजनीतिक पक्ष शामिल
संविधान के अनुसार धर्म अकसर व्यक्तिगत विश्वासों और मूल्यों का प्रतिबिंब होता है. यह व्यक्ति के जीवन को अर्थ और उद्देश्य देता है, और अकसर नैतिक और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है. इस दृष्टिकोण से, धर्म व्यक्तिगत मामला है जो व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन और निर्णयों को प्रभावित करता है.
राजनीतिक दृष्टिकोण
धर्म जब राजनीतिक और सामाजिक शक्ति का स्रोत बन जाता है, तब विध्वंस पैदा होने लगता है. यह राजनीतिक दलों और सरकारों द्वारा उपयोग किया जाने लगा है जैसे महाकुंभ में उत्तरप्रदेश सरकार की भागीदारी. आज के भारत में धर्म शासन का सत्ता का विषय होता जा रहा है, जहां यह राजनीतिक शक्ति और प्रभाव का एक साधन बनाया जा रहा है.
दरअसल,धर्म सामाजिक संरचना और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. यह सामाजिक मूल्यों और नियमों को आकार देता है, और अकसर सामाजिक संगठन और संबंधों को प्रभावित करता है. इस दृष्टिकोण से, धर्म एक सामाजिक मामला भी है जो व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन को प्रभावित करता है.
सवाल यह कि धर्म शासन का, सत्ता का विषय है या व्यक्तिगत आजादी मिलने के बाद संविधान में यही प्रावधान किए गए कि धर्म एक व्यक्तिगत मसला है. मगर अब धीरेधीरे नरेंद्र मोदी की सरकार इसे सत्ता के आधार पर तय करना चाहती है और ऐसे कानून बनाना चाहती है की कोई भी व्यक्ति इस जलती हुई आग में झुलस सकता है.