Psychology : कुछ लोगों के लिए रोना जहां अपने इमोशन, अपनी परेशानी, अपने दुख को एक्सप्रेस करने का एक जरिया होता है वहीं कुछ लोगों के लिए रोना अपनी बात मनवाने का एक हथियार होता है.
“अब तो तुम्हें मेरे रोने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता, पहले तुम्हें मेरे एक आंसू से कितनी तकलीफ होती थी, तुम मुझे मनाने की कोशिश करते थे.”
“यार ये क्या तुम हर बात पर रोनेधोने और आंसू बहाने लग जाती हो, क्या तुम अपनी कोई भी बात बिना रोए नहीं कर सकती.”
कुछ लोगों के लिए रोना जहां अपने इमोशन, अपनी परेशानी, अपने दुख को एक्सप्रेस करने का एक जरिया होता है. वहीं कुछ लोगों के लिए रोना अपनी बात मनवाने का एक हथियार होता है, उन्हें लगता है कि वे रोधो कर अपनी बात मनवा लेंगे.
ऊपर के दो डायलोग्स में भी ऐसा ही है जहां एक ओर वाइफ को शिकायत है कि अब पति को उस के रोने से, उस के आंसुओं से कोई फर्क नहीं पड़ता. वहीं दूसरी ओर हसबैंड वाइफ की बात पर रोने की आदत से परेशान हो चुका है. अब वाइफ का रोना उसे इरिटेट करता है.
दरअसल, हंसने, खुश होने, गुस्से, उदासी की तरह रोना भी एक इमोशन है. जैसे, खुश होना, हंसना एक सामान्य इमोशन है उसी तरह किसी बात पर दुखी होना या रोना भी एक नौर्मल इमोशन है.
रोना गलत बात नहीं है और न ही ऐसी कोई गाइडलाइंस है कि इंसान को कब और कितना रोना चाहिए. एक अध्ययन के अनुसार, महिलाएं प्रतिमाह औसतन 5.3 बार रोती हैं और पुरुष प्रति माह औसतन 1.3 बार रोते हैं.
रोना, एक नौर्मल इमोशन
रोना उतनी बुरी बात भी नहीं है, जितना इसे हमारे समाज में माना जाता है. रोना मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह अपनी भावनाओं को एक्सप्रेस करने का एक माध्यम होता है . रोने से हमारे शरीर में औक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन जैसे कैमिकल्स रिलीज होते हैं. ये आप की हार्टबीट को कम कर सकते हैं और आप के मन को शांत कर सकते हैं.
कई बार रोने से गुस्सा शांत हो जाता है, गुस्सा होने पर रोना इमोशंस को शांत करने में मदद करता है. यह इमोशनल रिलीज का एक हिस्सा होता है, जिस के बाद तनाव और निराशा कम होती है.
• किसी बहुत बड़ी उपलब्धि के मिलने पर खुशी में रोना खुशी के आंसू निकलना एक सामान्य रिएक्शन है.
• अपनी या किसी और की तकलीफ में, दर्द में, किसी अपने से दूर या अलग होने के दुख में रोना आंसू आना नौर्मल इमोशन है.
• कई बार काम के प्रैशर में, ज्यादा वर्कलोड होने पर सिचुएशन न संभाल पाने, ज्यादा थक जाने पर रोना आना सामान्य है.
• गुस्से में किसी से लड़ाई हो जाने पर, किसी के दिल दुखाने वाली बात कह देने पर आंखों से गंगाजमुना बहने लगना एक नौर्मल बात है.
• कई बार अपने नजदीकी रिश्तों से किसी बात पर लड़ाई होने पर रोना आना या फिर दोस्त की किसी बात पर अपसेट होने पर रोना आना भी नौर्मल है. सीधे शब्दों में जब कोई आहत महसूस करता है तो यह इमोशन तब सामने आता है, तो रोना आता है और यह बिलकुल नौर्मल है. जो लोग भावुक होते हैं, वे दिल के बिलकुल साफ होते हैं और जब किसी से लड़ाई का समय आता है, तब वे बहस करने की बजाय, अपनी बात थोपने की जगह रो कर अपनी भावना एक्सप्रेस करते हैं.
कई बार जब कोई किसी गलत बात पर कुछ कह नहीं पाता या ऐसी किसी स्थिति में होता है जो परेशान करने वाली होती है तो वह गुस्से में बस रोने लगता है. यह भी अपनी फीलिंग्स को बाहर निकालने का एक नौर्मल तरीका है.
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के शोधकर्ता किम्बर्ली एल्सबैक और बेथ बेचकी के शोध के अनुसार परिवार में किसी की मृत्यु या बड़ी बीमारी जैसी स्थिति में, किसी व्यक्ति का रोना अपेक्षित है. लेकिन इसे आदत बनाना सही नहीं होता, यह रोने वाले की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसा करने से आप के आसपास के लोग, कलीग्स आप को कमजोर, गैरपेशेवर या चालाक समझ सकते हैं.
बातबात पर रोने से कुछ मिलता नहीं
अगर कोई वाजिब कारण पर कभीकभार रोता है तो उस के आसपास के लोग उस के रोने, उस के इमोशन को अहमियत देते हैं लेकिन अगर किसी का मोटिव यानी उद्देश्य रोने का या ढोंग कर के कर अपनी बात पूरी कराना है तो जरूरी नहीं उस का यह मोटिव हर बार पूरा होगा.
कुछ महिलाएं अपने इस इमोशन को एक घटिया चाल के रूप में चलाती हैं. अपनी बात मनवाने के लिए अपनाती हैं, ऐसा करना गलत है और लंबे समय में कोई भी उन की इस चाल के झांसे में नहीं आएगा क्योंकि जिस हसबैंड की वाइफ ने रोने को अपनी हर मांग पूरी करवाने का हथियार बना लिया हो तो उस बेचारे पति का तो सर दर्द ही हो जाएगा और एक समय के बाद उस पर पत्नी के आंसुओं और रोने का कोई असर नहीं होगा.
रोने से हर चीज या मनचाही चीज मिल जाएगी या आप की बात मान ली जाएगी यह जरूरी नहीं. कभीकभार रोने पर पति मनाएगा, पुचकारेगा पर बारबार हर बात पर रो कर बात मनवाने की साजिश से कुछ नहीं मिलेगा.
रोने को हथियार न बनाएं
अगर किसी की वाइफ बारबार रोती है, तो ये यकीनन ऐसा करना उन की शादीशुदा जीवन पर असर डाल सकता है. अधिकांश पुरुष कभी भी किसी महिला के आंसू देख कर खुश नहीं होते, फिर चाहे वह आंसू पत्नी के हों, मां के हों या बहनबेटी के हों. उन के आंसू देख कर वे खुद को कमजोर महसूस करते हैं और अपने निर्णय पर मजबूत रह पाने में असहाय महसूस करते हैं. 60% मामलों में पत्नी के आंसू पति को कमजोर बना देते हैं परंतु 40% मामलों में आंसू काम नहीं आते.
बातबात पर रोना पलटवार न कर दे
इजराइल के विजमान संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं ने अपने शोध में यह खुलासा भी किया है कि महिलाओं के आंसुओं में ऐसे रसायन होते हैं जो पुरुषों में सैक्स की इच्छा को कम करते हैं. इसलिए वे महिलाएं जो पुरुषों से अपनी बात मनवाने के लिए आसुओं को अपना हथियार मानती हों, उन का यह हथियार उलटवार भी कर सकता है और उन की सैक्सलाइफ को बरबाद कर सकता है.
रोने के मामले में महिला और पुरुष के हार्मोन अलग
रोने के पीछे शरीर में पाए जाने वाले हार्मोन जिम्मेदार होते हैं. रिसर्च के मुताबिक पुरुषों में टैस्टोस्टेरोन हार्मोन होता है जो उन्हें महिलाओं के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली और मजबूत बनाता है. यही हार्मोन पुरुषों को रोने और भावुक होने से रोकता है और आंसुओं को बहने से रोकता है.
अकसर देखा जाता है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा और तेजी से रोने लगती हैं और अगर पुरुष रोता है तो उसे कहा जाता है, “क्या औरतों की तरह रो रहे हो.” हौलैंड की एक प्रोफैसर ने एक रिसर्च में पाया कि पुरुषों के कम आंसुओं के पीछे की वजह प्रोलैक्टिन हार्मोन होता है. दरअसल प्रोलैक्टिन हार्मोन मनुष्य को भावुक बनाता है और एक्सप्रेशन व्यक्त करने के लिए उत्साहित करता है.
जानकारी के मुताबिक पुरुषों में प्रोलैक्टिन हार्मोन न के बराबर होता है और औरतों में इस की मात्रा ज्यादा होती है. इसलिए अपने अंदर कूटकूट कर भरे हार्मोन के चलते ही औरतें ज्यादा रोती और भावुक होती हैं.
रोने के इमोशन पर कंट्रोल
कई बार बिना बात के रोना परेशान करने वाला, असहज, शर्मनाक और थका देने वाला हो सकता है. ऐसे में यह समझना कि रोने का कारण क्या है, और इस इमोशन पर कंट्रोल करना सीखना अकसर एक बड़ी राहत होती है.
पौजिटिव या मजेदार सोचें
जब किसी को किसी इमोशनल बात पर रोना आए तो कुछ पौजिटिव या मजेदार सोचें, हालांकि जब कोई परेशान या दुखी होता है तो यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन फिर भी जब रोना आए तो अगर किसी की कोई पौजिटिव या प्रेरणादाई बात सुनी या वीडियो देखी जाए तो इस इमोशन पर कंट्रोल किया जा सकता है.
गहरी सांस लें
जब रोना आए तो धीरेधीरे गहरी सांस लेना और सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करने से रोने के इमोशन पर कंट्रोल हासिल करने में मदद मिल सकती है. डीप ब्रीदिंग मन को शांत करती है और इस से भावनाओं के प्रवाह को दूसरी दिशा में ले जाने में मदद करती है.
जगह बदल लें, किसी और काम में मन लगाएं
जब बहुत रोना आ रहा हो, मन उदास हो और आंसू रुकने का नाम न ले रहे हों उस समय जगह से चले जाना, उस स्थिति से खुद को डिस्ट्रैक्ट कर लेना, वौक पर चले जाना, कोई मूवी देखना, ध्यान को भटका सकता है और रोना रोकने में मदद कर सकता है. ऐसा करने से फीलगुड एंडोर्फिन निकलता है और जो बात परेशान कर रही होती है, जिस की वजह से रोना आ रहा होता है उस पर काबू पाने में मदद मिलती है.
कई बार बहुत अधिक गुस्सा, परेशान होना, या निराश होने से रोना आ सकता है, इसलिए खुद को उस स्थिति से हटा कर ध्यान घर के छोटेमोटे कामों में लगाने से रोना रोकने में मदद मिल सकती है.