अपने आसपास हम अकसर देखते हैं कि मेट्रो, बस, कैब में कुछ लोग खुद से ही बातें करते हुए चलते हैं. पहली नजर में तो देखने में लगता है कि यह व्यक्ति पागल है जो खुद से ही हंस रहा है लेकिन दूसरे ही पल समझ में आ जाता है कि वह खुद से नहीं बल्कि ईयरफोन लगा कर किसी से बात कर रहा है.
यह अपनेआप में बहुत फनी लगता है. उस व्यक्ति को यह पता भी नहीं होता कि बात करतेकरते उस की आवाज इतनी तेज हो गई है कि उस की प्राइवेसी की बातें उस के साथ गुजरने वाले हर व्यक्ति के कान में पड़ रही है और अनजान लोग मंदमंद मुसकराते हुए आंखों ही आंखों में मानो एकदूसरे से उस व्यक्ति की चुगलियां करते हुए निकल जाते हैं. उस पर कमाल यह कि ईयरफोन लगाए उस व्यक्ति को इस सब की कोई खबर ही नहीं होती कि वह अपने आसपास लोगों में हंसी का पात्र बन रहा होता है.
यह सोशल एटिकेट्स के भी खिलाफ है. अगर कोई बहुत जरुरी बात है और ईयरफोन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है तब तो ठीक लेकिन बेवजह हर वक्त इन्हें कानों में ठूसे रखना, सोशली एम्बैरस्मेंट का कारण तो है ही साथ ही सेहत के लिहाज से भी ठीक नहीं है.
बौलीवुड की जानीमानी सिंगर अल्का याग्निक ने अभी हाल ही में सोशल मीडिया के जरिये जानकारी दी कि उन्हें अपने कानों से कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है. उन्होंने अपने सुनने की क्षमता खो दी है. अल्का ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, “मेरे सभी फैंस, दोस्त, फौलोअर्स और वेलविशर्स. कुछ हफ्ते पहले फ्लाइट से उतरने पर मुझे अचानक महसूस हुआ कि मैं सुन नहीं पा रही हूं.” अल्का ने आगे लिखा, “मैं अपने फैंस और यंग साथियों को बहुत लाउड म्यूजिक और हेडफोन के कान्टेक्ट में आने को ले कर वार्न करना चाहूंगीं. एक दिन, मैं अपनी प्रोफैशनल लाइफ की वजह से हैल्थ पर होने वाले नुकसान पर भी बात करूंगीं.”
ये एक अकेली घटना नहीं है बल्कि आएदिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जिस में ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से लोग बहरे हो रहे हैं.
आइए जानें ईयरफोन का अधिक इस्तेमाल कैसे है घातक
आप घर में हैं डाइनिंग टेबल पर खाना खा रहे हैं और तेज आवाज में म्यूजिक सुन रहें हैं और वहां मौजूद बाकी लोग आप से बात करने की कोशिश कर रहें हैं पर आप को कुछ पता नहीं.
घर में 4 मेहमान आए हैं और आप ड्राइंग रूम में ईयरफोन लगा कर बैठे हैं तो फिर वहां बैठे ही क्यों हैं जब आप वहां होने वाली किसी भी कन्वर्सेशन का पार्ट ही नहीं हैं?
कोई आप से कुछ कह रहा है और आप सुन ही नहीं रहे और कई बार कहने पर ईयरफोन भी कुछ इस तरह बंद किया, मानो सामने वाले पर कोई अहसान कर दिया हो क्या यह सही है?
सोचिए पब्लिक प्लेस में किसी को आप की हेल्प की जरूरत है, जैसे कोई आप से रास्ता पूछ रहा है या फिर कुछ और कहना चाहता है लेकिन आप को कुछ सुनाई नहीं दे रहा?
अगर आप बहरे नहीं हो, तो हर वक्त ऐसी मशीन को कानों में क्यों लगाना जो सोशली आप को लोगों से दूर कर रही है? आप का लगातार इस तरह का व्यवहार आप को एंटी सोशल बना देगा और आप को पता भी नहीं चलेगा.
लोग आप से बात करने में हिचकिचाएंगे
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे कुछ सुन रहे हों या न सुन रहे हों हर वक्त इसे कानो में लगाए रखते हैं. इस से सामने वाला बात करने से पहले 10 बार सोचता है कि यह बंदा, तो खुद में ही बिजी है इस से क्या बात करना. ऐसे में बहुत सी जरुरी बातों से आप अनजान रह सकते हैं. इस से धीरेधीरे लोग आप को पूछना और बातें शेयर करना कम कर देंगे और सोशल सर्कल लगभग न के बराबर हो जाएगा.
हेडफोन लगा कर किसी से बात करना अपमानजनक
हां, हेडफ़ोन लगा कर किसी से बात करना अपमानजनक हो सकता है. हेडफ़ोन लगा कर किसी से बात करने से, वह व्यक्ति आप को अनदेखा कर सकता है. लड़कियों को यह पसंद होता है कि लड़का पूरे अटेंशन से उन से बात करने का करे. अगर कोई लड़का हेडफोन हटाने के अनुरोध को नहीं मानता तो लड़कियां उस से विमुख हो सकती हैं. उन्हें लगता है कि व्यक्ति उन्हें इग्नोर कर रहा है जबकि सच तो यह है कि उस व्यक्ति को पता ही नहीं होता कि सामने वाला उस से क्या कह रहा है.
क्या आप यह बताना चाहते हैं कि आप को अकेले रहना पसंद है
लोगों को यह बताने का सब से आसान तरीका है कि आप अकेले रहना चाहते हैं. हेडफोन पहनने से या तो आप दूसरे लोगों को सुन नहीं पाएंगे, या वे मान लेंगे कि आप उन्हें नहीं सुन सकते. इस से नुकसान आप का ही है. वह एकदो बार तो आप से बात करना चाहेंगे लेकिन आप के हर बार ऐसा करने पर वे आप को अकेला छोड़ देंगे और लोंग टर्म में देखा जाए तो इस का नुकसान आप को ही होगा.
पहले जो लोग आप से घंटों बात करते थे वे आप को अकेला छोड़ देंगे. शुरू में हो सकता है आप को यह अकेलापन अच्छा लगे लेकिन कुछ समय बाद आप खुद ही अवसाद से घिर जाएंगे क्योंकि आप के पास अपने मन की बात करने के लिए कोई नहीं होगा.
पीठ पीछे नहीं, आप के सामने आप की बुराइयां करेंगे
अगर लोग मान लेते हैं कि आप सुन नहीं सकते या ध्यान नहीं दे रहे हैं, तो वे आप की पीठ पीछे खुल कर बात करने के बजाए आप के मुंह पर आप के सामने ही बात करेंगे और आप को कुछ पता भी नहीं चलेगा. ये बिलकुल ऐसा होगा जैसे कि अपने सुनने की क्षमता आप खो चुके हों और नहीं पता कौन क्या बात कर रहा है. ये स्थिति सही नहीं होती. ऐसे में लोगों की नजरों में अपना सम्मान खोते देर नहीं लगेगी.
घर में भी किसी अनचाही सिचुएशन में फंस सकते हैं
अगर आप घर में हैं और ईयरबड्स लगाए हुए हों और तेज आवाज में गाने सुन रहे हैं तो आप को पता भी नहीं चलेगा कि साथ वाले कमरे में क्या हो रहा है. हो सकता है आप के घर को चोर आ जाए या फिर आप के पेरैंट्स में से किसी को कोई मैडिकल एमरजैंसी हो और वे आप को बुला रहे हों लेकिन न सुन पाने के कारण वे किसी गंभीर दुर्घटना का शिकार भी हो सकते हैं. ऐसे में आप खुद को पूरी जिंदगी माफ नहीं कर पाएंगे.
मैट्रो या लंबे सफर के दौरान ईयरफोन लगाना खतरनाक
यदि आप भी मैट्रो या लंबे सफर के दौरान कानों में ईयरफोन या हेडफोन लगा कर घंटों गाने सुनते हैं तो सतर्क हो जाने की जरूरत है क्योंकि आप की ये आदत आप को खतरे में डाल सकती है. अगर आप के आसपास कोई अप्रत्याशित घटना घट जाती है तो आप अपने ईयरफोन में इतना मस्त होंगे कि आप को पता भी नहीं चलेगा कि क्या हो रहा है. आप को पब्लिक प्लेस में कोई फौलो कर रहा है इस का अहसास भी नहीं होगा जो किसी बड़े खतरे का कारण भी बन सकता है.
दुर्घटना के शिकार होते हैं ईयरबड्स का इस्तेमाल करने वाले
हेडफोन लगा कर रोड क्रौस करना मतलब जान जोखिम में डालना है. आजकल बहुत सारे एक्सीडैंट हुए वे युवा आते हैं जिन का मुख्य कारण यही है कि ईयर फफोन लगाकर गाड़ी चलाते हैं या पैदल चलते हैं जिस कारण वो पीछे से आ रहे वाहन की आवाज नहीं सुन पाते और दुर्घटना के शिकार होते हैं. अगर आप रोड पर चल रहे हैं तो ईयरबड्स का यूज़ बिलकुल न करें अगर ईयरबड्स का यूज़ करना ही है तो किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज करें ताकि अपने साथ किसी और की जिंदगी को खतरे में न डालें.
हेडफोन लगाने से सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है
दरअसल, हमारे कान के अंदर कुछ कोशिकाएं होती हैं जो सुनने के काम में हमारी मदद करती हैं. ये कोशिकाएं, आवाज के रूप में सिग्नल को ट्रांसमिट करने का काम करती हैं. इसलिए, जब हम तेज आवाज सुनते हैं तब इन कोशिकाओं पर उस का असर पड़ता है और इसी वजह से हमें सुनने में समस्या का सामना करना पड़ता है.
इन के अधिक प्रयोग से न केवल हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है बल्कि कई बार बहरेपन की स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है. साथ ही कानों के सुन्न होने की समस्या, कानों में दर्द रहना, सिर में भारीपन रहना, नींद आने में दिक्कत होना, दिमागी रूप से थकान महसूस करना, कानों में इंफैक्शन होना या कानों में हर समय शोर सुनाई देते रहने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
ध्यान दें कि आप हेडफोन को ज्यादा देर तक न सुनें. 60 मिनट के लिए 60 प्रतिशत वौल्यूम पर इसे सुनें और फिर अपने कानों को आराम देने के लिए कम से कम 30 मिनट के लिए ब्रेक लें.
कितनी देरी तक करें ईयरबड्स का इस्तेमाल
बहुत लंबे समय तक हेडफोन और ईयरफोन का इस्तेमाल न करें. अगर आप घंटों तक ईयरबड्स का इस्तेमाल करते हैं तो तुरंत ही उन्हें अपने रूटीन में बदलाव कर लेना चाहिए. 60 मिनट से अधिक समय तक ईयरबड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस के अलावा बीचबीच में वौल्यूम को भी कम कर देना चाहिए.
आप शायद नहीं जानते, लेकिन हेडफोन इललैक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स पैदा करता है. इसलिए मीटिंग, म्यूजिक या फिर औनलाइन क्लासेस के लिए भी ज्यादा देर तक इस का इस्तेमाल करेंगे तो दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. ईयरफोन के साथ भी यही स्थिति बनती है. इसलिए ईयरफोन हो या हेडफोन इस्तेमाल करते समय अपनी सेहत का ख्याल जरूर रखें.
जब भी हेडफोन से सुने तो धीमे सुनें, नहीं तो बहरा होने या ऊंचा सुनने वालों में आप का भी नाम होगा. साथ ही इस का सीमित इस्तेमाल करें जब बहुत जरुरत हो तभी इस का यूज करें, लेकिन इसे अपनी रोजमर्रा की आदत न बनाएं. नहीं तो आप न घर के रहेंगे न घाट के. अपनी सेहत भी खराब करेंगे और सोशलली भी आप अनमैनेर्ड कहलाएंगे.