कई दफा जो बात हम जुबान से नहीं कह पाते वह हमारी बौडी लैंग्वेज कह देती है. हमारी बौडी लैंग्वेज यानी हमारे हावभाव हमारे दिल और दिमाग से कनैक्टेड होते हैं. तभी तो जुबान की तरह ये हमें एक्सप्रेस करने में हेल्प करते हैं. अकसर हम जो बात करते हैं लोग उस का सिर्फ 50 प्रतिशत ही सुनते हैं. बाकी का काम बौडी लैंग्वेज करती है. यूसीएलए के प्रोफैसर एलबर्ट मेहराबियान के अनुसार किसी की बात को समझने में 55 प्रतिशत सहायता हमारी बौडी लैंग्वेज यानी शारीरिक प्रतिक्रयाएं करती हैं.

 

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शारीरिक भाषा में पहली एकेडमिक इन्वेस्टीगेशन किसी और ने नहीं बल्कि चार्ल्स डार्विन ने लिखी थी. उन की ‘द एक्सप्रेशन औफ द इमोशंस इन मैन एंड एनिमल्स’ किताब 1872 में प्रकाशित हुई थी. इस भाषा को समझना काफी दिलचस्प है. इस बौडी लैंग्वेज के जरिए हम किसी को दोस्त और किसी को दुश्मन बना सकते हैं. हम किसी के प्रति प्यार तो किसी के प्रति नफरत दर्शा सकते हैं. हम किसी को यह समझा सकते हैं कि उन में हमारी कोई रूचि नहीं तो किसी को यह अहसास भी दिला सकते हैं कि हमें उन की चाहत है और हम उन से दोस्ती करना चाहते हैं.

हमारी आंखों की मुसकान बताती है हमें कितना प्यार है

जब हम किसी को पसंद करते हैं तो हमारे दिल से निकली मुसकान हमारी आंखों से छलकती है. जब हम खुशी से मुसकरा रहे होते हैं तो हमारी आंखें भी हंसती हैं. किसी को करीब पा कर या उस से दिल की बातें कर हमें जो सुकून मिलता है और ह्रदय में जो तितलियां सी उड़ने लगती हैं उस का खुलासा हमारी मदमस्त मुसकान करती है. मगर जब हम दिल से नहीं हंसते और केवल हंसने का दिखावा करते हैं तो इस हंसी के पीछे की सचाई दूसरों को समझ आ जाती है.

यह तब होता है जब हम फेक स्माइल यानी झूठी हंसी ओढ़ते हैं. अगर कोई सिर्फ खुश दिखने की कोशिश कर रहा है लेकिन है नहीं तो उस की बौडी लैंग्वेज खासकर आंखों से इसे समझ पाना आसान होता है. इसलिए कहा जाता है कि अगर दिल के रिश्ते को पाना है तो हंसी भी रियल वाली होनी चाहिए.

चढ़ी या उठी हुई भौंहें रिश्तों में लाती हैं दूरी

जिस तरह ‘रियल मुसकराहट’ का पता हमारी आंखों में छिपा होता है ठीक उसी तरह हमारे मन की बेचैनी और अनिक्छा का पता चढ़ी हुई या तनी हुई भौंहे दे देती हैं. इसलिए अगर रिश्ते में प्यार और सकरात्मकता चाहिए तो ऐसी बौडी लैंग्वेज से तौबा कर लें.

बात करते समय आवाज के उतारचढ़ाव से व्यक्ति की रुचि का पता चलता है

हमारी आवाज का उतारचढ़ाव, बोलने का तरीका या बोलते समय बातों पर दिया जाने वाला जोर बातचीत में हमारी रुचि को प्रदर्शित करता है. किस की बात को हम रुचि ले कर सुन रहे हैं और किस की बात में हमारी रूचि नहीं या हम किस के जाने की राह देख रहे हैं यह सब हमारे बोलने के टोन या तरीके से पता चल जाता है. इसलिए आप जिस के करीब जाना चाहते हैं या जिस का साथ चाहते हैं उस से बातें करते समय अपने बोलने के टोन पर हमेशा ध्यान दें.

अगर वे आप की बौडी लैंग्वेज को मिरर कर रहे हैं तो समझ लीजिए बातचीत सही दिशा में है

दो लोगों में जब बातचीत हो रही होती है तो बातचीत के दौरान प्रयोग किए जाने वाले जेस्चर, तरीके, हाथों या मुंह के मूवमेंट हर चीज से आप को बातचीत का नेगेटिव या पौजिटिव पहलू सब समझ आएगा. कहने का अर्थ है कि जब दो लोग आपस में बात कर रहे होते हैं तो उन की मुद्राएं एकदूसरे का दर्पण होती हैं.

उदाहरण के लिए यदि हमारी सहेली पैर क्रौस कर के बैठती है तो हम भी वैसे ही बैठ जाते हैं. हमारी सहेली के चेहरे पर मुसकान आती है तो हम भी हंस पड़ते हैं. यानी हम अपनी सहेली से बहुत अच्छी तरह कनैक्ट कर पा रहे हैं. मनोवैज्ञानिक बारबरा फ्रेडरिकन कहती हैं कि जब दो लोग एकदूसरे से कनैक्शन फील करते हैं या उन में किसी भी तरह का सकारात्मक जुड़ाव होता है तब ऐसा होता है. यानी तब हम एकदूसरे को मिरर करते हैं.

आंखों में देख कर बात करना रुचि दर्शाता है

जब कोई व्यक्ति सीधे हमारी आंखों में देख कर बात करता है तो कुछ देर के लिए हम असहज महसूस करने लगते हैं. दरअसल जब हम किसी की आंखों में लगातार देखते हैं तो शरीर में एक उत्तेजनापूर्ण स्थिति पैदा होती है. इसी से हम असहजता महसूस करते हैं. क्लेयरमोंट मैककेना कालेज के मनोवैज्ञानिक रोनाल्ड ई रिगियो कहते हैं, ‘किसी अजनबी द्वारा घूरे जाने पर जहां ऐसा आई कौन्टैक्ट डर या भय का माहौल बनाता है और हमें सचेत होने के संकेत देता है. वहीं एक संभावित पार्टनर या प्रेमी को टकटकी लगा कर देखने से प्यार के अहसास पैदा होते हैं जो सकारात्मक रूप में महसूस किए जा सकते हैं. इस के विपरीत अगर हम बातें करते समय सामने वाले के बजाए इधरउधर देख रहे होते हैं तो इस का मतलब है हमें उस की बातों में इंटरेस्ट नहीं आ रहा या हम उस से कनैक्ट होना नहीं चाहते.

इसलिए ध्यान रखें कि बात करते समय आंख से आंख मिलाना संकेत देता है कि आप ध्यान दे रहे हैं. लेकिन बहुत ज्यादा आंख से आंख मिलाना लोगों को परेशान कर सकता है. एक अध्ययन के अनुसार 60-70% समय आंख से आंख मिलाना भावनात्मक संबंध स्थापित करने के लिए आदर्श है.

पैर क्रौस कर के बैठना यानी बातचीत में बुरा संकेत

अकसर हम ने देखा होगा बचपन में हमारे बड़े हमें पैर क्रौस कर के बैठने को मना करते थे. उस का कारण ही यही था कि इसे एक ‘निगेटिव साइन औफ बौडी लैंग्वेज’ माना जाता है. वैसे भी हमारे सामने जब कोई कुर्सी पर पीछे की ओर टेक ले कर पैरों को क्रौस करे आराम से बैठता है तो उसे देख कर ही समझ आ जाता है कि यहां बातचीत का आगे बढ़ पाना मुश्किल है.

मनोवैज्ञानिक रूप से भी क्रौस किए गए पैरों का संकेत एक व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से बंद होने से लगाया जाता है. जिस का अर्थ है- कि उन के साथ किसी तरह की बातचीत, सलाह या फीलिंग्स के आदानप्रदान होने की संभावना न के बराबर ही है. इस के विपरीत कोई आराम से करीब हो कर बैठता है तो उस के बैठने का अंदाज दोस्ती का इशारा कर देता है.

फीलिंग्स का असली कनैक्शन

कई दफा आप अपनी फीलिंग्स अपने हावभाव से दर्शा सकते हैं और इस के लिए कई सारी गतिविधियां शामिल करनी पड़ सकती हैं. खासकर अपने प्यार का अहसास अगर आप बिना बोले जाहिर करना चाहती हैं तो आप को बौडी लैंग्वेज की मदद मिल सकती है. उदाहरण के लिए न्यूरोसाइकोलौजिस्ट मार्शा ल्यूकस किसी फीमेल फिल्मी कैरेक्टर के एक उदाहरण से समझाती हैं, ‘उस ने आंखें मिलाई फिर वह नीचे देखने लगी. फिर उस ने हौले से नजरें उठा कर आंखों के कोने से फिर मुझे छेड़ा. फिर वह अपने बालों को छेड़ते हुए हौले से मुसकरा देती है.’ हुआ न यह एक पूरा संदेश यानी संकेतों का पूरा जखीरा.

यदि वे आप के साथ हंस रहे हैं

यदि कोई आप के मजाक या ह्यूमर पर हंसता है, आप के वन लाइनर्स उसे समझ में आते हैं, वह उन पर रिस्पोन्ड भी करता है तो हो सकता है वह आप में रुचि रखते हों. दरअसल हास्य किसी रिश्ते के बनने की इच्छा रखने को इंगित करता है. कहने का अर्थ है कि हमें किसी का साथ कितना पसंद है या नहीं इस का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि हमारा साथ और हमारी बातें वह कितना एन्जोय कर रहा है. जब आप उस के साथ होती हैं तो वह कितना खुश रहते हैं या उस के साथ आप कितना हंसती हैं या रिलैक्स फील करती हैं.

पैर हिलाना यानी मन का अस्थिर होना

मैसाचुसेटस के प्रोफैसर सुसान व्हिटबौर्न के अनुसार, ‘पैर हमारे शरीर का सब से बड़ा क्षेत्र होते हैं और जब वे मूव करते हैं या कहें हम उन्हें जल्दीजल्दी हिलाते हैं तो उन की अनदेखी करना नामुमकिन सा होता है. अस्थिर या हिलता हुआ पैर अशांत मन, चिंता, तनाव या जलन इन में से किसी भी बात का संकेत दे सकता है.’

पूरी तरह से उन की ओर मुड़ें

जब आप के शरीर का केवल एक हिस्सा जैसे कि आप का सिर, किसी दूसरे व्यक्ति की ओर मुड़ा होता है तो यह उन्हें बताता है कि आप बातचीत में शामिल नहीं हैं और शायद बातचीत से जल्दी बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं. किसी को जीतने का एक सरल और शक्तिशाली तरीका है अपने पूरे शरीर को उन की ओर मोड़ना.

सिर हिलाएं लेकिन बहुत ज्यादा नहीं

सिर हिलाना सामने वाले को बताता है कि आप उन की बात सुन रहे हैं और उन की बातों में दिलचस्पी रखते हैं. लेकिन आंख से आंख मिलाने की तरह जहां थोड़ाबहुत अच्छा होता है वहीं बहुत ज्यादा सिर हिलाना नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. बहुत ज्यादा सिर हिलाना अधीरता का संदेश देता है जैसे कि आप बातचीत को जल्दी खत्म करने की कोशिश कर रहे हों.

विनम्रता के साथ मिलना

जब भी आप किसी से मिलें तो अपने चेहरे पर एक विनम्र भाव अवश्य रखें. आप को सब से पहले मिलने वाले इंसान के साथ विनम्रता से हाथ मिलाना है और बड़ी शालीनता के साथ उन का कुशल मंगल पूछना है फिर आगे अपनी बात को बढ़ाना है. इस से आप अपनी बात को एक अच्छी शुरुआत दे सकते हैं और यह एक अच्छी बौडी लैंग्वेज को भी दर्शाता है.

स्माइली फेस

मुसकराता हुआ चेहरा किसे पसंद नहीं है. जब भी आप किसी से मिलने जाते हैं तो अपने चेहरे पर एक हल्की मुसकान रखें. किसी भी प्रकार का स्ट्रैस आप के चेहरे पर नजर नहीं आना चाहिए. जब भी कोई इंसान आप का मुसकराता हुआ चेहरा देखेगा तो वह आप से बातें करे बिना रह नहीं सकता और बिना किसी हिचक और परेशानी के सहजता के साथ आप से बातें करेगा.

सकारात्मक रहें

जब भी आप किसी से रिश्ता आगे बढ़ाना चाहते हैं तो अपने व्यवहार को सकारात्मक रखें. अगर आप अपने साथ नकारात्मकता को ले कर जाएंगे तो कोई इंसान आप से प्रभावित नहीं हो सकता. अतः आप को प्रयास करना चाहिए जब भी आप किसी से मिले तो एक सकारात्मक ऊर्जा के साथ मिलें ताकि सामने वाला आप के सकारात्मक विचारों से प्रभावित हुए बिना न रह सके.

शारीरिक भाषा समझने के लाभ

जाहिर है बौडी लैंग्वेज को समझने और उस का इस्तेमाल करने के तरीके में सुधार कर के आप दूसरों के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं. इस से आप को यह देखने में मदद मिलेगी कि कोई आप से कितना जुड़ा हुआ है, क्या वह आप का साथ एन्जोय कर रहा है? आप इस के जरिए ज्यादा दोस्त बना सकते हैं या अपने प्यार को भी पा सकते हैं.

वैसे बौडी लैंग्वेज के बारे में एकदम से किसी नतीजे तक नहीं पहुंचना चाहिए. इसे महज एक संकेत के रूप में देखने का प्रयास करें. बौडी लैंग्वेज के विभिन्न संस्कृतियों या परिस्थितियों में कई अर्थ हो सकते हैं. उदाहरण के लिए जम्हाई लेना यह संकेत देता है कि सामने वाला ऊब चुका है और उसे बातचीत करने में मजा नहीं आ रहा. लेकिन कई बार अगर कोई सच में थका हुआ है या नींद पूरी न हुई हो तो उसे बातचीत करते हुए बार बार उबासी आ सकती है. यानी किसी दिए गए व्यवहार का हमेशा एक ही मतलब नहीं होता. बौडी लैंग्वेज जटिल होती है और संदर्भ पर भी निर्भर कर सकती है. बौडी लैंग्वेज को लोगों की बातों के साथ जोड़ कर देखना चाहिए.

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