बलात्कार की घटनाओं में राजनीति ज्यादा होती है, पीडित के प्रति मर्म कम होता है. मीडिया भी इस तरह की खबरों को ज्यादा महत्त्व देता है. भारत में एक दिन में औसतन रेप की 87 घटनाएं होती हैं. 2017 से 2022 के बीच रेप के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2022 में उत्तर भारत में रेप की 14,260 घटनाएं हुईं जो कि देश में हुई कुल घटनाओं की लगभग आधी हैं. इन में से कुछ घटनाओं को छोड दें तो किसी घटना की चर्चा नहीं हुई.
कोविड के दौरान रेप की घटनाएं कम हुईं. अगर लौकडाउन का प्रभाव न होता तो आंकडे ज्यादा भयावाह होते. रेप के ज्यादातर मामले सामने नहीं आते. जिन मामलों में एफआईआर दर्ज होती है वही सामने आते हैं. घरों के अंदर सगेसंबंधियों द्वारा किए जाने वाले रेप दबा दिए जाते हैं. रेप की जिन घटनाओं में राजनीति का प्रभाव नहीं होता वे अखबारों के किसी पन्ने में एक कौलम की खबर बन कर रह जाती हैं.
पिछले 24 सालों में रेप की सब से चर्चित घटना 2012 में दिल्ली का निर्भया कांड था. यह चर्चित इसलिए था क्योंकि इस के सहारे उस समय की डाक्टर मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ राजनीति हुई. निर्भया रेप मामले के बाद महिला हिंसा विरोधी कानून में कडे बदलाव किए गए. इस को आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के रूप में जाना जाता है.
इस कानून में रेप की परिभाषा को विस्तार दिया गया. इस में रेप की धमकी देने को अपराध बताया गया. रेप के मामले में न्यूनतम सजा को 7 साल से बढ़ा कर 10 साल कर दिया गया है. अगर मामले में पीड़िता की मौत हो जाती है या उस का शरीर वेजीटेटीव स्टेट यानी निष्क्रिय स्थिति में चला जाता है तो उस के लिए अधिकतम सजा को बढ़ा कर 20 साल कर दिया गया है. इस के अलावा मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया.
निर्भया कांड से पहले सब से अधिक चर्चा में उत्तर प्रदेश के कानपुर का बेहमई कांड था. फूलन देवी नामक महिला ने अपने साथ रेप की घटना के विरोध में 14 फरवरी, 1981 को 20 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस के बाद फूलन देवी को जेल हुई. 1994 में समाजवादी पार्टी ने फूलन देवी के सारे मुकदमे वापस ले लिए और उन को पार्टी में शामिल किया. फूलन देवी 2 बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद भी बनीं.
इस तरह की घटनाओं का राजनीतिकरण नया नहीं है. पौराणिक काल से यह सिलसिला चला आ रहा है. जहां महिला के मर्म से अधिक अपने प्रभाव को बढाने के लिए इस का इस्तेमाल किया जाता है. रामायण में अहल्या, सीता और सुपर्णखां के प्रति संवेदना नहीं थी. यही कारण है कि जिन घटनाओं में राजनीतिक लाभ नहीं दिखता वहां रेप के मामलों की चर्चा नहीं होती. अगर एफआईआर दर्ज हो तो खानापूर्ति भर हो कर रह जाती है.
अपनों ने किया रेप नहीं हुई चर्चा:
फर्रुखाबाद जिले में एक पिता ने अपनी 14 साल की बेटी को जान की धमकी दे कर उस से लगातार 2 साल तक दुष्कर्म किया. घरपरिवार में किसी तरह की चर्चा नहीं हुई. इस के बाद उस ने अपनी छोटी बेटी के साथ भी जब दुष्कर्म का प्रयास किया तो बड़ी बेटी ने विरोध किया. दोनों बेटियां रोती हुईं नानी के पास पहुंचीं और पूरी बात बताई. तब नानी दोनों को पुलिस के पास ले गईं. एएसपी के निर्देश पर शहर कोतवाली पुलिस ने पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की. न घटना मीडिया में बहुत चर्चा का विषय बनी न किसी राजनीतिक दल ने मुद्दा बनाया. इसी तरह का दूसरा मामला उन्नाव जिले के आसीवन थानाक्षेत्र के गांव का है जहां एक युवती ने अपने पिता के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया. बेटी ने आरोप लगाया कि पिता करीब सालभर से शारीरिक शोषण कर रहा है. मां लकवाग्रस्त है और मायके में रहती है. किसी तरह वह भाग कर ननिहाल पहुंची और पूरा वाकेआ बताया. नाना युवती को ले कर थाने पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज कराई.
कानपुर में चकेरी थाना के सनिगवां इलाके में पिता ने अपनी ही बेटी से उस समय दुष्कर्म किया जब उस की पत्नी मायके फतेहपुर गई हुई थी. मां के वापस घर आने पर बेटी ने रोरो कर आपबीती सुनाई. मां ने बेटी के साथ चकेरी थाने पहुंच कर रिपोर्ट दर्ज कराई. कानपुर के ही बाबूपुरवा इलाके में रिक्शाचालक पिता ने अपनी ही बेटी को प्रैग्नैंट कर दिया. उस समय लड़की की उम्र महज 13 वर्ष थी. लड़की की मां नहीं है. घटना का पता चला तब किशोरी के पेट में साढ़े पांच माह का गर्भ था.
मऊ के मुहम्मदाबाद क्षेत्र में ऐसी ही घटना सामने आई जिस में पिता ने अपनी 10 वर्षीया नाबालिग बेटी के साथ रेप किया. बेटी ने मां को घटना की जानकारी दी. मां की तहरीर पर पुलिस ने पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की. वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र के एक गांव में पिता ने अपनी बेटी से हैवानियत की. उस ने 8 साल की बेटी के साथ रेप करने की कोशिश की. मासूम ने मां को पिता की हैवानियत बताई तो उस ने विरोध जताया. इस पर उस की पिटाई की गई. मां ने शिवपुर थाने में आरोपी पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई.
जौनपुर जिले के एक गांव में पिता ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया. आरोपी अकसर नशे में डूबा रहता था. उस की हरकतों से आजिज आ कर उस की पत्नी 3 साल पहले पिता के घर मुंबई चली गई थी. बेटी ने मां को फोन पर घटना की जानकारी दी. मां ने आरोपी पिता के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई. केवल पिता ही नहीं, कई ऐसी घटनाएं भी हैं जहां पति के सामने रेप हुआ. उन घटनाओं पर भी चर्चा नहीं हुई.
राजस्थान के कोटा में पति ही अपने दोस्त को बुला कर अपनी पत्नी से रेप करवाता था. 10 जुलाई, 2024 को दादाबाड़ी थाने में दुष्कर्म व मारपीट सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. पति पत्नी को कौलगर्ल बता कर दोस्त से शारीरिक संबंध बनवाता था. पीड़िता की ओर से दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक विवाहिता घटना के बाद अवसाद में चली गई थी. वह अपने पति से तलाक भी नहीं लेना चाह रही थी, लेकिन पति ने लगातार परेशान किया. इस के बाद वह अपने पीहर में रहने लग गई. उस के परिजन चिकित्सक के पास ले कर गए जहां पर उस की काउंसलिंग की गई. इस के बाद पीड़िता ने अपनी मां को पूरा घटनाक्रम बताया.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बिजनौर थाना क्षेत्र में युवती के साथ रेप की घटना सामने आई है. युवती को नौकरी के नाम पर गेस्टहाउस में बुलाया गया, जहां कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ दे दिया गया, फिर उस के बाद रेप की घटना को अंजाम दिया गया. पीड़िता के साथ रेप की घटना को अंजाम देने वाला आरोपी पीड़िता के पति का दोस्त है.
उस का लखनऊ के बिजनौर में गेस्टहाउस है, जहां उस ने युवती को नौकरी के नाम पर बुलाया था. युवती जब गेस्टहाउस पहुंची तो आरोपी ने कोल्ड ड्रिंक में उसे नशीला पदार्थ मिला कर दे दिया. जब युवती ने वह कोल्डड्रिंक पी तो कुछ देर में वह बेहोश हो गई. पुलिस ने आईपीसी की धारा 64(1) और 123 के तहत केस दर्ज किया.
चर्चा का कारण होता है राजनीतिक लाभ:
रेप के ऐसे मामले भरे पडे हैं जहां रेप केवल एक घटना बन कर रह जाती है. इस के विपरीत जहां राजनीतिक हित और लाभ होते है वहां रेप की घटना राजनीतिक रूप ले लेती है. अयोध्या जिलें में मोइद नामक व्यक्ति पर 13 साल की नाबालिग लडकी के रेप करने का आरोप लगा. आरोप में कहा गया कि लडकी जब गर्भवती हो गई तो इस का पता उस की मां को चला. तब मां ने पुलिस में मुकदमा लिखाया. मोइद खां समाजवादी पार्टी का नगर अध्यक्ष था. इस कारण मसला राजनीतिक हो गया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में इस मामले की चर्चा की. अधिकारी दबाव में आए तो मामला गरम हो गया. मोइद खां के घर बुलडोजर पहुंच गया. उस के घर-बेकरी को ढहा दिया गया. मोइद और उस का नौकर जेल गया. समाजवादी पार्टी ने बचाव में डीएनए टैस्ट की मांग की. लडकी निषाद बिरादरी की थी तो निषाद पार्टी सक्रिय हुई. डाक्टर संजय निषाद ने समाजवादी पार्टी के पीडीए फैक्टर पर सवाल उठाया, कहा कि अखिलेश यादव उस निषाद जाति के साथ नहीं खडे हुए जिस बिरादरी की फूलन देवी को मुलायम सिंह यादव ने सांसद बनने का मौका दिया था.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों के लिए उपचुनाव होने वाले हैं. इन में एक सीट अयोध्या जिले की मिल्कीपुर भी है जहां के विधायक अवधेष प्रसाद 2024 के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जा चुके हैं. अयोध्या की हार भाजपा के दिल में कसक बन कर चुभ रही है. चुनावी नजर से देखें तो मोइद खां के बहाने समाजवादी पार्टी को इस रेप कांड के जरिए घेरा जा सकता है. इस कारण यह घटना सुर्खियों में है.
कन्नौज के पूर्व ब्लौक प्रमुख नवाब सिंह यादव पर किशोरी से रेप का आरोप भी चर्चा में है. इस का भी राजनीतिक निहितार्थ है. नवाब सिंह यादव को ले कर सपा और भाजपा में टकराव हो रहा है. भाजपा नवाब सिंह यादव को अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का सांसद प्रतिनिधि बता रही है. डिंपल यादव जब कन्नौज से सांसद थीं तब नवाब सिंह यादव उन का प्रतिनिधि था. समाजवादी पार्टी नेता उदयवीर सिंह कहते हैं, ‘नवाब सिंह यादव का डिंपल यादव प्रतिनिधि नहीं था. वह भाजपा नेता सुब्रत पाठक का करीबी है. उस के साथ फोटो है. उन का आपस में कारोबारी रिश्ता है.’
सपा ने बयान जारी कर के कहा कि पार्टी ने 5 साल पहले ही नवाब सिंह यादव को पार्टी से बाहर कर दिया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह समाजवादी पार्टी का टिकट चाहता था. जब टिकट नहीं मिला तो आपसी रिश्ते खराब हो गए. अब वह भाजपा का करीबी है. नवाब सिंह यादव अब भाजपा के कन्नौज से सांसद रहे सुब्रत पाठक का करीबी है. भाजपा के समर्थक नवाब सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव और उन की पत्नी डिंपल यादव के साथ फोटो जारी कर रहे हैं तो समाजवादी पार्टी के लोग नवाब सिंह यादव की सुब्रत पाठक के साथ फोटो जारी कर रहे हैं.
10 उपचुनाव में 1 सीट करहल विधानसभा की भी है जहां से विधायक रहे अखिलेश यादव अब कन्नौज से सांसद हैं. उन के इस्तीफे के कारण करहल में उपचुनाव होगा. यह मसला भी चुनाव कोण से जुडा हुआ है. समाजवादी पार्टी नेता जूही सिंह कहती हैं, ‘भाजपा केवल समाजवादी पार्टी को बदनाम करने के लिए रेप की घटनाओं पर राजनीति कर रही है. भाजपा की प्रदेश में सरकार है, वह जांच करे और जो सच हो उस के हिसाब से काम करे. अगर शिकायत झूठी है तो वहां भी एक्शन लिया जाए.’
रेप की तीसरी बडी घटना जो सुर्खियों में है वह पश्चिम बंगाल से जुडी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा के निशाने पर रहती हैं. सरकारी अस्पताल में महिला डाक्टर की हत्या और रेप का मामला पूरे देश में चर्चा में है. बंगाल में रेप की घटना के भी राजनीतिक निहितार्थ हैं. रेप की घटनाओं में जब राजनीतिक लाभ जुड जाता है तो मामला संगीन हो जाता है. जब कोई राजनीतिक लाभ नहीं होता, इन घटनाओं की चर्चा नहीं होती, पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं करती, समाज और मीडिया चर्चा नहीं करता है. यही कारण है कि रेप के आरोपी बुहत सारे मामलों में सजा पाने से बरी हो जाते हैं.
जानकारी के अनुसार, 60 फीसदी मामलों में आरोपी बरी हो जाते हैं. अगर सरकार और पुलिस सही मानो में रेप की चिंता करती तो मुकदमा लिखने के लिए सजा दिलाने तक तत्पर रहती. रेप के ज्यादातर मामले पुलिस तक पंहुचते ही नहीं, जो मामले पुलिस तक जाते हैं उन में पुलिस मुकदमा लिखने से बचती है. जब ऊपर से दबाव पडता है तभी मुकदमा और सही आरोपी का नाम लिखा जाता है. रेप में राजनीतिक लाभ देख कर काम होता है. इस से कोई इनकार नहीं कर सकता है.