Sarita-Election-2024-01 (1)

श्रेया वर्मा समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक बेनी प्रसाद वर्मा की पोती हैं. इस से एक बात और साफ होती है कि चुनाव लड़ना अब सामान्य परिवार और खासकर महिलाओं के लिए सरल नहीं है.

समाजवादी पार्टी यानी सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की गोंडा सीट से श्रेया वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. 31 साल की श्रेया वर्मा बेनी प्रसाद वर्मा की पोती और राकेश वर्मा की बेटी हैं. बेनी प्रसाद वर्मा सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे बेनी प्रसाद को मुलायम सिंह यादव के बाद सपा में नंबर 2 का नेता माना जाता था.

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बेनी प्रसाद 5 बार सांसद रहे. केंद्र सरकार में वे मंत्री भी रहे. 2009 में बेनी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर अपने गृह जनपद बाराबंकी से लगे गोंडा से लोकसभा का चुनाव जीता था. इस के अलावा बेनी प्रसाद वर्मा ने अपने सभी लोकसभा चुनाव कैसरगंज सीट से जीते थे. बाराबंकी सुरक्षित सीट है. इस कारण बेनी प्रसाद वर्मा ने यहां से कोई चुनाव नहीं लड़ा. 2016 में वे वापस समाजवादी पार्टी में जुड़ गए थे.

श्रेया के पिता राकेश वर्मा भी सपा नेता हैं. 2012 से 2017 के बीच अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी सरकार में राकेश वर्मा मंत्री रहे. राकेश वर्मा 2022 के विधानसभा चुनाव में बाराबंकी की कुर्सी सीट से भाजपा के साकेंद्र प्रताप से महज 520 वोटों से हार गए थे.

श्रेया समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. श्रेया ने पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा है. श्रेया ने अपनी स्कूली शिक्षा उत्तराखंड के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से की. इस के बाद दिल्ली के रामजस कालेज से अर्थशास्त्र औनर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. उन की मां सुधा रानी वर्मा बाराबंकी में डिग्री कौलेज चलाती हैं. श्रेया कालेज के मैनेजमैंट में अपनी मां की मदद करती हैं.

श्रेया वर्मा 2 साल पहले सपा में शामिल हुईं. तब से पार्टी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं. उन्होने 2022 के विधानसभा चुनाव में पिता के चुनावी अभियान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 2023 में श्रेया वर्मा की शादी हो चुकी है. श्रेया वर्मा का शिक्षा से बेहद लगाव रहा है. बाराबंकी में बेनी प्रसाद वर्मा एकेडमी की शुरुआत की थी उन्होंने. उस में गरीब बच्चों को सिविल सेवा समेत तमाम मामलों में मुफ्त शिक्षा दी जाती है. दिल्ली में एनजीओ के साथ जुड़ कर बच्चों को सेवा देती रही हैं.

मुद्दा परिवारवाद नहीं, विरासत की राजनीति

राजनीति में एक दौर वह था जब परिवारवाद के नाम पर बात करने में नेता असहज हो जाते थे. वह सोच बदल चुकी है. परिवारवाद तो अब किसी तरह का मुद्दा ही नहीं रह गया है. यही वजह है कि अपने चुनावप्रचार में श्रेया वर्मा अपने बाबा बेनी प्रसाद के कार्यकाल में गोंडा में हुए विकास कार्यों को उजागर कर रही हैं. वे कह रही हैं कि ‘बाबा ने जिन कार्यों को अधूरा छोड़ा है उन को पूरा करने मैं आई हूं.’ इस बात पर जनता का समर्थन मिल रहा है.

गोंडा अयोध्या से 50 किलोमीटर दूर है. लगभग 13 लाख मतदाताओं वाली गोंडा संसदीय सीट में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. गोंडा सदर, मेहनौन, उतरौला, मनकापुर और गौरा. जहां गोंडा सदर, उतरौला और मेहनौन में मुसलिम और कुर्मी मतदाताओं की अच्छीखासी संख्या है, वहीं मनकापुर और गौरा में कुर्मी मतदाताओं की अच्छीखासी संख्या है.

श्रेया वर्मा को समाजवादी पार्टी ने कुर्मी वोटरों को साधने के लिए इस सीट पर उतारा है. गोंडा लोकसभा क्षेत्र में लगभग 21 प्रतिशत मुसलिम वोटर हैं. इस के साथ ही जातीय आधार पर कुर्मी वोटर बड़े प्रतिशत में श्रेया वर्मा को वोट करेंगे.

श्रेया वर्मा के लिए चुनौतियां कम नहीं

2022 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. गोंडा लोकसभा सीट पर भाजपा के कीर्ति वर्धन सिंह जीते थे. श्रेया वर्मा अपने चुनावी प्रचार अभियान में बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठा रही हैं. वे शिक्षा के महत्त्व को भी बता रही हैं, जातीय जनगणना की बात भी कर रही हैं. श्रेया की दिक्कत यह है कि अयोध्या से करीब होने के कारण गोंडा लोकसभा सीट पर राममंदिर का अच्छाखासा प्रभाव है.

इस से हिंदू वोटरों में सेंध लगाना मुश्किल है. भाजपा से 2 विधायक प्रभात वर्मा गौरा विधानसभा से और उतरौला विधानसभा से राम प्रताप वर्मा हैं जो वर्मा वोटरों को बिखरने नहीं देंगे. दूसरी चुनौती श्रेया वर्मा के लिए बाहरी होने की भी है. श्रेया बाराबंकी जिले से हैं. श्रेया वर्मा के विरोधी उन के बाहरी होने का मुद्दा उठा रहे हैं. बेनी प्रसाद वर्मा की विरासत के लाभ हैं तो उस के नुकसान भी हैं.

2009 लोकसभा चुनाव में श्रेया के बाबा बेनी प्रसाद वर्मा गोंडा से ही सांसद थे. सांसद बनने के बाद बेनी प्रसाद ने कई प्रोजैक्ट का शिलान्यास गोंडा में किया था. उन्हीं में से एक प्रोजैक्ट का शिलान्यास 2014 में हुआ, जो काफी विवादों में रहा. यह प्रोजैक्ट पावर प्लांट का था. चुनावी साल में बेनी प्रसाद ने आचार संहिता लगने से महज एक दिन पहले शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर एक पावर प्लांट का शिलान्यास किया था, जो गोंडा की जनता के लिए धोखा साबित हुआ. जिस जमीन पर शिलान्यास किया गया था उस जमीन का कोई अनुबंध नहीं था और न ही ऐसा कोई प्रोजैक्ट पावर प्लांट गोंडा को मिला था.

2009 से 2014 तक केंद्र में यूपीए की सरकार थी जिस को समाजवादी पार्टी का समर्थन प्राप्त था. इस के बाद भी बेनी प्रसाद वर्मा गोंडा में कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं करा पाए. इन आरोपों को भी श्रेया वर्मा को झेलना पड़ रहा है. ऐसे में जीत की गारंटी पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक पर ही टिकी है.

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