पुराने कलाकारों की सफल फिल्मों की अगर बात करें, आज भी ऐसे कलाकारों की फिल्में दर्शक पसंद करते हैं, फिर चाहे वह धर्मेंद्र, शबाना आजमी, अमिताभ बच्चन, शर्मिला टैगोर, अनुपम खेर, नीना गुप्ता, वहीदा रहमान, नाना पाटेकर, अनिल कपूर, जैकी श्रौफ आदि किसी की भी फिल्म हो, दर्शक देखना पसंद करते हैं लेकिन इन्हें ले कर फिल्म बनाने वाले निर्माता निर्देशक की संख्या कम है.

इन कलाकारों की फिल्मों का क्रेज पहले भी था और आज भी है. वे फिल्मों में अभिनय, स्क्रिप्ट से अच्छा करते हैं, साथ ही उन की फिल्मों से अधिकतर दर्शक खुद को जोड़ पाते हैं. इस में सब से अधिक अमिताभ बच्चन और अनिल कपूर हैं, जिन की फिल्मों को देखने दर्शक थिएटर हौल तक खींचे चले आते हैं.

क्या है कलाकारों की सोच

ऐसी फिल्मों की सफलता का राज होता है, जो दमदार स्क्रिप्ट, जिस में कलाकर अपनी प्रतिभा को पूरी तरह से झोंक देते हैं. अभिनेत्री शर्मिला टैगोर एक जगह कही है कि पुराने पुरुष अभिनेताओं के लिए बहुत सारी पटकथाएं आज भी लिखी जाती हैं. महिला अभिनेत्रियों के लिए ये चीजें कम हैं. कुछ बदलाव नई जेनरेशन के लिए हुआ है, लेकिन पुरानी हीरोइनों के लिए ये बहुत कम है.

किसी को यह स्वीकार करना होगा कि जीवन कम उम्र में नहीं रुकता. मेरे समय में, जीवन 30 या 40 पर रुक जाता था, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि जीवन चलता रहता है और इस में कई दिलचस्प चरण आते हैं, जो दर्शकों को पसंद आ सकता है, उस पर कहानी लिखी जानी चाहिए.
नीना गुप्ता ने भी फिल्म साड़ की आंख में तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर को प्रोस्थेटिक मेकअप लगा कर अभिनय करते देख कर अपना दुख जताया था और कहा था कि 60 साल के बुजुर्गों पर फिल्म अगर बनाई जाती है, तो असली अधिक उम्र वाली अभिनेत्रियों को कास्ट, क्यों नहीं किया जाता ? अभिनेत्री सोनी राजदान भी नीना गुप्ता के बात पर अपनी सहमति जताई थी.

उम्र के हिसाब से स्क्रिप्ट जरूरी

अभिनेता अमिताभ बच्चन एक ऐसे अभिनेता है, जिन्होंने अपने उम्र के हिसाब से अभिनय किया और सफल रहे, उन की फिल्में आज भी दर्शकों को हौल तक लाने मे सफल रहती है, यही वजह है कि फिल्म निर्माता, निर्देशक उन्हे किसी भी ब्लौक बस्टर फिल्म में उन्हे लेने की कोशिश करते हैं.
उन्होंने एक बार कहा है कि वे अपने उम्र के हिसाब से फिल्में चुनते हैं जो सफल होती हैं. इस उम्र में कोई उन्हें पेड़ के पीछे घूमते हुए गाना गाते हुए देखना पसंद नहीं कर सकता. वे कहते हैं, “उम्र के हर पड़ाव की एक कहानी होती है, जिसे दर्शक पसंद करते हैं और वैसी कहानी होने पर ही मैँ अभिनय करता हूं.”

सार्थक फिल्मों की कमी

देखा जाए तो सभी पुराने कलाकारों की सोच यही है, क्योंकि वे अपने उम्र के हिसाब से ही अच्छी और सार्थक स्क्रिप्ट चाहते हैं, जिसे लिखने वाले कम हैं. नसीरुद्दीन शाह ने भी हिंदी फिल्मों में सार्थकता की कमी पर सवाल उठाते हुए एक जगह कहा है कि “आजकल एक तरह की फिल्में अधिक बन रही है. बहुत जल्द लोग एक ही तरह की फिल्में देख कर बोर हो जाएंगे. यह वास्तव में मुझे निराश करता है कि हिंदी सिनेमा 100 साल पुराना है, लेकिन अच्छी और गंभीर फिल्मों की कमी है. मैं ने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है, मुझे एक जैसी फिल्मों की कहानी बिल्कुल पसंद नहीं हैं.”

कम लिखी जा रही है स्क्रिप्ट

फिल्म भूल भुलैया 3 की शूटिंग कर रहे निर्माता, निर्देशक अनीस बजमी ने अपनी कई फिल्मों में सीनियर कलाकारों को लिया और फिल्म हिट साबित हुई. इतना ही नहीं, कई फिल्म की धुरी भी ऐसे सीनियर आर्टिस्ट ही रहे हैं. उन का कहना है कि “इतने सालों तक इंडस्ट्री पर राज करने वाले सीनियर कलाकारों की कोई तो वजह अवश्य होगी, जिस की वजह से वे इतने प्रसिद्ध है.

“असल में दर्शक उन्हें प्यार करते हैं और उन के अभिनय को बारबार देखना चाहते हैं. जब ऐसे ऐक्टर को फिल्मों मे लेना है, तो स्क्रिप्ट भी वैसी ही होनी चाहिए, क्योंकि ऐसे कलाकारों के जैसे ऐक्टिंग कोई आज नहीं कर सकता. दुर्भाग्यवशतः ऐसी स्क्रिप्ट कम लिखी जा रही हैं. इसलिए फिल्में भी कम बन रही है. इस के अलावा कोई कारण नहीं हो सकता. मेरे हिसाब से ये कलाकार पुराने नहीं, बल्कि एवरग्रीन है. ये जब किसी फिल्म मे काम करते हैं, तो उस फिल्म मे चार चांद ही लगा देते हैं.

“सीनियर कलाकारों को ले कर काम करना सब से अच्छा होता है, क्योंकि उन्हें जितना स्क्रिप्ट दिया जाता है, उस से कहीं अधिक उन का परफौरमेंस देखने को मिलता है. यही वजह है कि मैंने भूल भुलैया 2 में अभिनेत्री तब्बू को कास्ट किया, क्योंकि उन के साथ काम करने की मेरी बहुत इच्छा थी. फिल्म सब को अच्छी लगी.”

ऐक्टिंग होती है अद्भुत

अनीस आगे कहते है “मैं ने सालों पहले जब वेलकम फिल्म लिखी और बनाई थी, तब मैं ने सीनियर ऐक्टर को ले कर फिल्म बनाने के बारें मे नहीं सोचा था. मैं ने जब लिखना शुरू किया तब भी मेरे मन में फिरोज खान, नाना पाटेकर या अनिल कपूर कोई नहीं था. लिखतेलिखते चरित्र इतना मजेदार बना कि मैँ सोचने पर मजबूर हुआ कि आखिर इस में लिया किसे जाए ? अनिल कपूर को तो मैँ जानता था कि वे अच्छी कौमेडी कर लेते हैं, लेकिन उदय शेट्टी की भूमिका मे नाना पाटेकर को लेना मेरे लिए थोड़ी चिंता की बात रही, क्योंकि नाना पाटेकर कौमेडी की फिल्में नहीं करते थे.

“मैं ने मन में सोचा कि कलाकार चाहे तो हर किरदार को निभा सकता है और नाना ने वाकई बहुत अच्छी भूमिका निभाई. नाना पाटेकर की बौस के लिए मुझे अभिनेता फिरोज खान को लाना था, लेकिन उन की तबीयत की कुछ गड़बड़ी की वजह से वे काम करना नहीं चाह रहे थे. मैँ उन के पीछे पड़ा हुआ था, अंत में उन की सहमति मिली, भूमिका बड़ी नहीं थी, लेकिन बहुत दमदार थी, जिसे दर्शकों ने पसंद किया.”

 

निर्देशक भी जाते हैं चौंक

निर्देशक अनीस कहते हैं कि “सीनियर ऐक्टर्स के साथ काम करने पर बहुत मजा आता है, एक स्क्रिप्ट इन्हें देने पर ये इतना अच्छा काम करते हैं कि निर्देशक भी चौंक जाते हैं. स्क्रिप्ट से भी अधिक इन की परफौरमेंस होती है. अभी मेरी फिल्म भूल भुलैया 3 आने वाली है, जिस में मैं ने कई सीनियर कलाकारों को लिया है. बहुत अलग तरीके की इस फिल्म पर काम चल रहा है.”

देखा जाय तो ऐसी कई फिल्में है, जिस में सीनियर कलाकारों ने काम किया और बौक्स औफिस पर फिल्म हिट रही, जिस में पिकू, इंग्लिश विंगलिश, बधाई हो, ऊंचाई, मस्त में रहने का आदि कई फिल्में हैं, जिसे दर्शकों ने पसंद किया है और इन की कमाई भी अच्छी रही, लेकिन कुछ निर्देशक नए जमाने की चर्चित कलाकारों को ले कर फिल्में बनाना पसंद करते हैं, क्योंकि इस शो बिजनेस में वे सोचसमझ कर कदम रखना चाहते हैं, ताकि उन्हें किसी नुकसान का सामना न करना पड़े. यही वजह है कि ऐसे एवरग्रीन कलाकारों को अभिनय करने का मौका कम मिल पाता है, जबकि वे एक अच्छी कहानी के साथ अच्छी फिल्म दर्शकों को दे सकते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...