दुनिया के दूसरे देशों के साथसाथ भारत में भी महिलाएं अपने यौनजीवन को ले कर चिंता में घिरी हुई हैं. ‘सैक्‍स’ शब्द का उच्चारण करना ही पारंपरिक समाजों में गलत माना जाता रहा है. भारतीय समाज में यौन संबंधों या यौन परेशानियों पर बातचीत पतिपत्नी के बीच ही नहीं होती है तो घर के अन्य सदस्यों से कैसे हो सकती है? आज के दौर में महिलाएं अपनी सैक्‍स इमेज, यौन उत्‍तेजना, चरम संतुष्टि, कामेच्छा और परेशानियों को ले कर समस्याग्रस्त रहने लगी हैं.

भारत जैसे परंपरागत देश में सैक्स या शारीरिक अंतरंगता संबंधी किसी भी विषय पर बातचीत करने की लगभग मनाही है. हमारा ऐसा समाज है जहां युवा यह सोचसोच कर बड़े होते हैं कि यौन अंतरंगता ऐसी गतिविधि है जो सिर्फ विवाहित जोड़ों की जिंदगी का हिस्सा होती है और विवाहेतर नजदीकियों को हमारे समाज में अच्‍छा नहीं समझा जाता.

भारत के प्राचीन धर्मग्रंथों और पुराणों आदि में सती सावित्री स्त्री को देवीतुल्य माना गया है जबकि अपने पति के अलावा किसी पराए पुरुष के साथ यौन संसर्ग करने वाली औरत को कुलटा कहा गया है. लेकिन आप को यह जानकर हैरानी होगी कि बेवफाई के मामले में विवाहित भारतीय महिलाएं देश में पुरुषों के मुकाबले आगे हैं.

ग्लीडेन सर्वे में खुलासा

यह खुलासा ग्लीडेन द्वारा हाल में कराए एक सर्वे से हुआ है. ग्लीडेन एक औनलाइन डेटिंग ऐप है और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की तलाश करने वाले विवाहितों की संख्या इस ऐप पर बड़ी तेजी से बढ़ रही है, खासतौर से महिलाओं की. हाल ही में इस ने अपने आंकड़ों के आधार पर एक शोध किया है. इस शोध के मुताबिक, 53 फीसदी भारतीय पत्नियों ने अंतरंग विवाहेतर संबंधों में लिप्‍त होने की बात स्‍वीकार की है जबकि ऐसे पुरुषों का आंकड़ा 43 फीसदी पाया गया है.

ग्लीडेन डौट कौम को महिलाओं का एक ग्रुप चलाता है. यह ऐप महिला यूजर्स के लिए पूरी तरह निशुल्क है. इस प्लेटफौर्म पर आने वालों का आयुवर्ग 34 से 49 वर्ष तक का है. भारत में ज्यादातर वकील, डाक्टर्स और वरिष्ठ कार्यकारी जैसे कई पेशे के लोग इस प्लेटफौर्म से जुड़े हुए हैं.

ग्लीडेन का दावा है कि यह आप की पहचान छिपाने की पूरी गारंटी देता है. इस प्लेटफौर्म पर आने के लिए बच्चों की संख्या, वैवाहिक स्थिति, व्यवसाय, आय, अपना फिगर, बालों का रंग और लंबाई, आंखों का रंग व आदतें सहित कई अन्य निजी जानकारियां देनी पड़ती हैं.

ग्लीडेन के सर्वे से यह भी खुलासा हुआ कि विवाहेतर संबंधों को ले कर खासतौर से जब उस में रोमांस भी घुला हो तो बड़े शहरों की महिलाएं काफी खुली सोच रखती हैं. इस सर्वे में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, पुणे और अहमदाबाद जैसे प्रमुख भारतीय शहरों की 25 से 50 वर्ष की उम्र की विवाहित महिलाओं को शामिल किया गया था.

सर्वे से यह भी पता चला है कि भारत में करीब 50 फीसदी शादीशुदा लोगों ने अपने जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य के साथ अंतरंग संबंध होने की बात स्वीकार की है.

ऐसी महिलाएं, जो अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ नियमित रूप से यौन संबंध बना कर रखती हैं, उन पुरुषों से आगे हैं जो विवाहेतर यौनरिश्ते निभा रहे हैं. इस सर्वे से सब से हैरान करने वाली जो बात सामने आई है वह यह कि भारतीयों का मानना है कि कोई भी व्‍यक्ति एक वक्त में 2 अलगअलग लोगों के प्यार में पड़ सकता है.

सर्वे के मुताबिक, ऐसी शादीशुदा औरतों का प्रतिशत 40 प्रतिशत तक है जो किसी ऐसे पुरुष के साथ नियमित रूप से यौन संबंध रखती हैं जोकि उन का पति नहीं है जबकि केवल 26 प्रतिशत पुरुष ही किसी अन्य महिला के साथ शारीरिक स्तर पर नियमित संबंध रखते हैं.

रिश्तों के भीतर पनपते रिश्ते

भारत में करीब 50 प्रतिशत शादीशुदा पुरुषों ने यह स्वीकार किया है कि वे अपने जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य के साथ भी अंतरंग संबंध रख चुके हैं, जबकि 10 में से 5 पुरुष कैजुअल सैक्‍स या वन-नाइट स्‍टैंड में लिप्त रहे हैं.

भारत में महिलाओं को रोजमर्रा की जिंदगी में काफी बेइज्जती और शर्मिंदगी उठानी पड़ती है, फिर वह चाहे सड़कों-चौराहों की बात हो या शयनकक्षों की निजता के स्‍तर पर. इसी के चलते वे अकसर अपनी यौनिकता (सैक्सुएलिटी) को ले कर खुलापन नहीं रख पातीं. भारतीय परिवारों में आज भी अधिकांश शादीशुदा महिलाओं के सामने सासससुर, ननददेवर के साथ रहने की मजबूरी है, लिहाजा पति के साथ वे ज्यादा खुल नहीं पाती हैं.

दोतीन बच्चे होने के बाद तो बच्चे भी उन के साथ बैडरूम शेयर करते हैं, जिस के चलते यौन आवश्यकताएं भी पूरी नहीं होतीं. यौनतृप्ति की चाह में जहां पुरुष घर से बाहर ठौर तलाशते हैं वहीं महिलाएं या तो घर-पड़ोस के अन्य युवाओं से देहसंबंध बना लेती हैं अथवा जिन के हाथ में स्मार्टफोन हैं वे डेटिंग ऐप, फेसबुक, व्हाट्सऐप आदि पर दोस्त बना रही हैं और रोमांटिक बातों में ही यौनतृप्ति तलाश रही हैं. औनलाइन दुनिया में सक्रियता बढ़ने से वे खुद को अभिव्यक्त भी कर पा रही हैं.

खैर, ग्लीडेन जैसे विदेशी ऐप पर भारत के ग्रामीण परिवेश की महिलाएं नहीं जुड़ी हैं. अगर यह तबका जो भारत में सब से बड़ा तबका है, ग्लीडेन पर जुड़ा होता तो विवाहेतर संबंधों पर विस्फोटक जानकारी सामने आती क्योंकि भारतीय परिवारों में देवरभाभी संबंध, सालीजीजा संबंध इतने कौमन हैं कि इन पर किसी को आश्चर्य नहीं होता है.

रोज के अखबारों में 5 से 7 खबरें नाजायज यौनसंबंध और इन के चलते हत्या या हिंसा की छपती ही रहती हैं. नारायण दत्त तिवारी हों, मुलायमसिंह यादव हों या संजय सिंह जैसे कांग्रेसी नेता, विवाहेतर संबंधों से कौन अछूता रहा है? जिन के मामले खुल गए उन पर बातें होती हैं, जो नहीं खुले वो आराम से चल रहे हैं.

मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों में आ कर काम करने वाले ग्रामीण परिवेश के लोग गांव में बीवीबच्चों के होते हुए यौन जरूरतों को पूरा करने के लिए शहरों में भी औरतों से संबंध बना लेते हैं. उधर, गांव में उन की पत्नियां भी घर के अन्य पुरुषों से या पड़ोसियों से संबंध बना कर भावनात्मक सुख व यौनतृप्ति पाती हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...