राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में 5 दिसंबर को दिनदहाड़े 3 बदमाशों ने राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को उन के घर में घुस कर उन्हें गोलियां से भून डाला और निकल भागे. आननफानन करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह को अस्‍पताल ले जाया गया, जहां डाक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया. शादी का कार्ड देने के बहाने उन के घर में घुसे 2 लोगों ने उन पर कई राउंड फायरिंग की थी. इस में सुखदेव सिंह का एक सहयोगी अजीत भी गंभीर रूप से घायल हुआ और फिलहाल अस्पताल में है.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की जिम्मेदारी गैंगस्टर रोहित गोदारा ने ली है, जो खुद को लौरेंस बिश्नोई गैंग का सदस्य बताता है. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के कुछ देर बाद ही सोशल मीडिया पर एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो गई. इस में रोहित गोदारा कपूरीसर के अकाउंट से दावा किया कि “सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या के लिए मैं और गोल्डी बरार जिम्मेदार हैं. यह हत्या हम ने करवाई है. सुखदेव सिंह हमारे दुश्मनों से मिल कर उन का सहयोग करता था. उन्हें मजबूत करता था.” साथ ही पोस्ट में दुश्मनों को धमकी भी दी गई है कि वह भी अपनी अर्थी को तैयार रखें.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी राजस्थान में राजपूतों के नेता थे. राजपूतों में उन का खासा सम्‍मान था और वे युवाओं के पसंदीदा थे. वह लंबे समय तक राष्ट्रीय करणी सेना से जुड़े रहे थे. बाद में करणी सेना में कुछ विवाद होने के बाद गोगामेड़ी ने राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के नाम से अपना अलग संगठन बना लिया था. तब से वह ही इस संगठन के अध्‍यक्ष थे. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी देश में पहली बार तब चर्चा में आए थे, जब उन्‍होंने बौलीवुड फिल्म पद्मावत की शूटिंग के दौरान फिल्‍म के डायरैक्‍टर संजय लीला भंसाली को थप्पड़ जड़ दिया था. गोगामेड़ी ने ‘पद्मावती’ फिल्म का खूब विरोध किया था. इस दौरान फिल्‍म का विरोध करते हुए राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने सैट पर तोड़फोड़ की थी और भंसाली पर थप्पड़ बरसाए. आखिरकार भंसाली को फिल्म का नाम बदल कर ‘पद्मावत’ करना पड़ा था.

सुखदेव सिंह की पिछले कई वर्षों से लौरेंस बिश्नोई गैंग के साथ आपसी झड़प की खबरें आ रही थी. लौरेंस बिश्नोई गैंग पहले भी कई नामचीन लोगों की हत्या कर चुका है. यह भी बात सामने आई है कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी काफी दिनों से सुरक्षा मांग रहे थे लेकिन उन्हें शासन से सुरक्षा नहीं मिली और अंततः वही हुआ जिस की उन को आशंका थी.

हाल के दिनों में लौरेंस बिश्नोई गैंग का नाम काफी चर्चा में है. हालांकि गैंग का मुखिया और पंजाब के फाजिल्का निवासी लौरेंस बिश्नोई लम्बे समय से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन राजस्थान, पजाब, हरियाणा, दिल्ली में जब भी किसी बड़े आदमी या किसी नेता की ह्त्या की वारदात होती है लौरेंस का नाम उछलता है.

पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या में बिश्नोई का नाम सामने आया है. इस से पहले दबंग खान यानी सलमान खान को मारने की धमकियां मिलने की बात सुनाई दी तो भी कहा गया कि यह धमकियां बिश्नोई गैंग से आती हैं. बिश्नोई गैंग ने हाल ही में दोबारा बौलीवुड अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी है.

पुलिस कहती है कि लौरेंस बिश्नोई भले जेल में बंद हो मगर बाहर उस का गैंग काफी मजबूत है और उस के गुर्गे संगीन अपराधों को अंजाम देते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी लम्बे समय से इस गैंग की छानबीन में जुटे हैं और इस के कई ऐसे सदस्यों की पहचान कर चुके हैं जो खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेताओं के संपर्क में हैं और उन को मदद पहुंचाते हैं.

राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के बाद पुलिस और एनआईए की करवाई तो चल रही है, प्रवर्तन निदेशालय ने भी बिश्नोई गैंग के करीबियों के ठिकानों पर छापा मारना शुरू कर दिया है. यह कार्रवाई मनी लौन्ड्रिंग के मामले में की जा रही है.

जांच एजेंसी ने हरियाणा और राजस्थान में 13 जगहों पर छापेमारी कार्रवाई की है. लौरेंस बिश्नोई और उन के सहयोगी गोल्डी बराड के खिलाफ एनआईए और कई राज्यों की पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केसों पर संज्ञान लेते हुए ईडी ने मनी लौन्ड्रिंग की जांच शुरू की है. गोल्डी बराड के बारे में कहा जाता है कि वह खालिस्तान समर्थक है और उस के तार अन्य देशों में फैले खालिस्तान समर्थक लोगों से जुड़े हुए हैं. जिन के जरिए उस को धन और हथियार मिलते हैं.

जांच एजेंसी ने दोनों गैंगस्टरों के सहयोगी और करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी की है. साथ ही यह भी जांच चल रही है कि कैसे लौरेंस बिश्नोई गैंग द्वारा जबरन वसूला गया पैसा खालिस्तान समर्थकों के लिए विदेशों में भेजा जा रहा है.

गौरतलब है कि 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फिरोजपुर के एक गांव में जन्मे लौरेंस बिश्नोई के पिता हरियाणा पुलिस में सिपाही थे जिन्होंने 1997 में पुलिस बल छोड़ खेती-किसानी शुरू कर दी. लौरेंस बिश्नोई ने 2010 में 12वीं कक्षा तक अबोहर में पढ़ाई की, उस के बाद वह चंडीगढ़ के डीएवी कौलेज और 2011 में पंजाब यूनिवर्सिटी पहुंचा. यहां वह कैंपस स्टूडेंट्स काउंसिल में शामिल हुआ और यहीं उस की मुलाकात गोल्डी बराड़ से हुई. दोनों विश्वविद्यालय की राजनीति में शामिल हो गए और नेतागिरी के साथ साथ छोटेमोटे अपराधों को भी अंजाम देने लगे.

हालांकि दोनों ने पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई भी पूरी की. सत्ता का संरक्षण मिलने के बाद छात्र राजनीति करते करते दोनों ने एक गैंग बना लिया और बड़ी वारदातों को अंजाम देने लगाए. पैसे और हथियार की कमी कभी नहीं हुई.

पुलिस दावा करती है कि आज लौरेंस के गैंग में 700 से ज़्यादा शार्प शूटर्स हैं जो देशभर में फैले हुए हैं. 2014 में राजस्थान पुलिस के साथ सशस्त्र मुठभेड़ में लौरेंस को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया मगर वह जेल से ही हत्याओं और गवाहों को मौत की सजा देने की साजिश रचनी शुरू कर दी और अपने गुर्गों के जरिए कई घटनाओं को अंजाम दिया.

29 मई, 2022 को पंजाब के मानसा में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गोली मार कर हत्या कर दी गई. जिस की जिम्मेदारी बिश्नोई गैंग ने ली. 21 सितंबर 2023 को बिश्नोई ने गैंगस्टर और खालिस्तानी अलगाववादी सुखदूल सिंह की हत्या की भी जिम्मेदारी ली और अब करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की जिम्मेदारी भी बिश्नोई गैंग ने ली है.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को गोली मारने वाले दोनों आरोपियों की पहचान हो गई है. एक आरोपी का नाम रोहित राठौर है जो कि नागौर के मकराना का रहने वाला है. वहीं दूसरे का नाम नितिन फौजी है, वो हरियाणा के महेंद्रगढ़ का रहने वाला है. फिलहाल दोनों फरार हैं.

बड़ा सवाल यह है कि क्या लौरेंस बिश्नोई देश की सब से सुरक्षित कही जाने वाली जेल में बैठ कर अपना गैंग संचालित कर रहा है? कहा जाता है कि तिहाड़ की दीवारों के भीतर चिड़िया भी पर नहीं मार सकती और फिर बिश्नोई जैसे गैंगस्टरों को वह सुविधा कैसे मिल रही है कि वह अपने संदेशे जेल से बाहर अपने गैंग तक पहुंचा रहा है? मंसूबे बना रहा है और उन को अंजाम तक पहुंचा रहा है. अगर सरकार पुलिस और कानून अपराधियों को जेल के अंदर बंद कर के भी उन के कारनामों को रोक पाने में असफल है तो फिर सजा का औचित्य ही क्या रहा?

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