नैशनल हाउसिंग बैंक की सालाना रिपोर्ट में एक सुखद और चौका देने वाली बात यह कही गई है कि लोग अब तेजी से होम लोन ले रहे हैं जो कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से उल्लेखनीय बात है. रिपोर्ट के मुताबिक 50 लाख से ज्यादा कीमत वाले होम लोन 120 फीसदी तक बढ़े हैं. लोग किस तेजी से अपना घर बनाने के लिए कर्ज ले रहे हैं यह बात इस तथ्य से भी उजागर होती है. पिछले एक साल में बैंकों के कुल लोन में 65 फीसदी हिस्सा 50 लाख से ज्यादा के लोन का रहा.

साफ दिख रहा है कि मिडिल क्लास के लोगों की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा मकान खरीदने में लग रहा है. यह जरूरत भी है और निवेश भी है जिस के चलते कोविड के बाद 57 हजार से भी ज्यादा के हाउसिंग प्रोजैक्ट लौंच हुए हैं . दिलचस्प बात यह है कि प्रौपर्टी की कीमतों में भी बढोतरी हुई है जो ज्यादा असर लोगों की जेब पर नहीं डाल रही है. जाहिर है होम लोन का सहूलियत से मिल जाना इस की बड़ी वजह है.

होम लोन अब खुली किताब की तरह हो गए हैं जिन को बारीकी से देखें तो कुछ फायदे की गुंजाइश भी नजर आती है बशर्ते यह पत्नी के नाम पर लिया जाए तो. पत्नी के नाम पर लिया जाने वाला होम लोन आपसी प्यार और बौंडिंग बढ़ाने के अलावा कुछ पैसे भी बचाता है.

ये हैं फायदे

– कई बैंक पत्नी के नाम पर होम लोन लेने पर ब्याज में छूट देते हैं जो देखने में बहुत मामूली लगती है लेकिन पूरी किश्तें चुकता होने तक यह राशि काफी बढ़ जाती है. प्रचलित ब्याज दर में 0.05 फीसदी की छूट बैंक देते हैं.

– पत्नी के नाम होम लोन लेने से एक बड़ा फायदा टैक्स में छूट का भी मिलता है. अगर पति पत्नी दोनों आवेदन देते हैं तो सैक्शन 80 सी के तहत 2 लाख रुपए और मूलधन पर 5 लाख रुपए का फायदा वे उठा सकते हैं.

– पत्नी को सह आवेदक बनाने पर यानी जौइंट होम लेने का एक और फायदा ईएमआई का है जिस का भार किसी एक पर नहीं पड़ता . जौइंट होम लोन में पति पत्नी दोनों के बैंक अकाउंट लिंक होते हैं. इस में यह ध्यान रखना जरूरी है कि दोनों में से किसी एक के अकाउंट में ईएमआई का पैसा होना चाहिए. नहीं तो सिविल स्कोर पर फर्क पड़ता है.

– पत्नी के नाम होम लेने पर रजिस्ट्री शुल्क में छूट मिलती है जो अलगअलग राज्यों में अलगअलग है. आमतौर पर यह एक फीसदी है यानी रजिस्ट्री फीस अगर 8 लाख रुपए है तो 8 हजार रुपए का लाभ होता है. दिल्ली में यह छूट 2 फीसदी है.

– अगर पत्नी का सिविल स्कोर ठीकठाक है और पति का कम है तो लोन मिलने में दिक्कत नहीं आती. आप के लोन का प्रस्ताव खारिज होने की आशंका कम हो जाती है.

– अगर पत्नी भी कामकाजी है तो ईएमआई चुकाना सहूलियत वाला काम हो जाता है.

पति पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. पत्नी के नाम मकान खरीदने से आपसी रिश्ते और भी मजबूत होते हैं. इस से किसी तीसरे से कानूनी विवाद होने की संभावना भी कम हो जाती है और पत्नी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है. यह ठीक है कि ब्याज आयु टैक्स में छूट शुरू में बहुत बड़ी नहीं दिखती लेकिन आखिरी मासिक किश्त तक हिसाब आप लगाएंगे तो जो पैसा बचता है वह 2 से 5 लाख रुपए तक का होता है.

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