दुनिया भर में जनसंख्या घट रही है. कुछ देशों में हालात खतरनाक स्तर पर पहुंच रहे हैं. इस वजह से अलगअलग देशों में समयसमय पर यह मांग उठती रहती है कि औरतें ज्यादा बच्चे पैदा करें. ताजा चिंता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने व्यक्त की है, उन्होंने औरतों से अपील की है कि ‘वह कम से कम 7-8 बच्चे पैदा करें . यह कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि पुराने जमाने में ऐसा ही होता था. यह काफी अच्छा था. इसी परंपरा को बरकरार रखना चाहिए.’ पुतिन ने कहना है कि बड़ा परिवार महज समाज की नींव नहीं बल्कि एक आदर्श जीवन का तरीका है.

इस के पीछे की वजह को रूस और यूक्रेन को माना जा रहा है. इस जंग में बड़ी तादाद में रूसी सैनिक मारे जा रहे हैं. रूस में लड़के सेना में जाने से बच रहे हैं. इसलिए ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ रही है, जिस की वजह से पुतिन औरतों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं. रूस मे कई सालों से बर्थ रेट में कमी आ रही है. यूक्रेन और रूस के दरमियान यह जंग तकरीबन डेढ़ साल से जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक रूस के 50 हजार सैनिक मारे गए और तकरीबन 900,000 लोगों ने देश छोड़ दिया है.

रूस की ज्यादातर आवाम अपने घर छोड़ने पर मजबूर थी, क्योंकि पुतिन ने जंग में सैनिक की कमी पड़ने के वजह से तीन लाख फोर्स तैयार करने का ऐलान किया था. पुतिन ने रूस की औरतों से अपील कर कहा है कि हमारा पहला लक्ष्य देश की आबादी को बढ़ाना है. रूस की आबादी में पिछले कई दशकों से कमी हो रही है. जिसे बेहतर करने के लिए पुतिन औरतों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील कर रहे हैं. रूस की सरकार ने इस के लिए अहम मदद देने को भी कहा है. यहां तक की बड़े परिवार को जमीन देने का भी वादा किया.

इस के बाद भी वहां की लड़कियां और औरतें ज्यादा बच्चे पैदा करने को तैयार नहीं हैं. असल में पुतिन की चिंता परिवार और औरतें नहीं है. उन की चिंता युद्ध है. युद्ध में लड़ने के लिए सिपाही चाहिए. रूस में लड़के सेना में जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं इसलिए वह जनसंख्या बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. जनसंख्या की परेशानी केवल रूस के सामने ही नहीं है. देश की सब से बड़ी आबादी वाला चीन भी इस से परेशान है. आंकड़ों के अनुसार चीनी लोगों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 850,000 कम हो कर 1.4118 अरब हो गई. इस की जन्म दर कई वर्षों से धीमी हो रही थी. चीन की जनसंख्या 60 वर्षों में पहली बार गिरी है.

भारत में भी ज्यादा बच्चों की मांग

भारत में भी लोग बच्चे कम पैदा कर रहे हैं. भारत में भी प्रजनन दर यानि टोटल फर्टिलिटी रेट में पिछले कुछ सालों में गिरावट आई है. इस के परिणाम 30-40 साल में देखने को मिलने लगेंगे. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारत में सभी धर्मों और जातीय समूहों में कुल प्रजनन दर या फर्टिलिटी रेट में कमी आई है. इस सर्वे के अनुसार 2015-2016 में जहां फर्टिलिटी रेट 2.2 थी, वहीं 2019-2021 में यह घटकर 2.0 पहुंच गई. टोटल फर्टिलिटी रेट में कमी का मतलब है कि दंपती औसतन 2 बच्चे पैदा कर रहे हैं.

अब संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं. इस का प्रमुख कारण आर्थिक दबाव के साथसाथ कामकाजी दंपतियों के लिए बच्चों की देखरेख सही से न कर पाना होता है. कम बच्चे पैदा होने का कारण लड़कियों की शादी की उम्र में बढ़ोतरी हो गई है. शादी के बाद वहीं गर्भ निरोध का प्रयोग बढ़ा है. जिन धर्मं और जातियों में गरीबी ज्यादा है और शिक्षा का स्तर खराब हैं, वहां ज्यादा बच्चे पैदा हो रहे हैं. शहरों में फर्टिलिटी रेट 1.6 है तो गांवों में यह 2.1 पाई गई है. यही नहीं सर्वे में मुसलमानों में भी फर्टिलिटी रेट में काफी कमी दिखी है. 1950 के दशक में भारत की टोटल फर्टिलिटी रेट लगभग 6 थी. जहां महिलाएं शिक्षित हैं, वहां उन के बच्चे कम हैं.

1979 में चीन अपने देश मे ‘एक बच्चा’ पैदा करने की नीति बनाई. यह करीब 30 साल तक चली. चीन की फर्टिलिटी रेट 2.81 से घट कर 2000 में 1.51 हो गई. इस से चीन के लेबर मार्केट पर बड़ा प्रभाव पड़ा. भारत में 2050 के आसपास इस तरह के हालात दिखने लगेंगे.
भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने कहा था कि हिंदू औरतें कम से कम 4 बच्चे पैदा करें. इस तरह के बयान दूसरे हिंदूवादी नेताओं के भी आते रहते हैं. इस तरह भारत में भी औरतों से कहा जा रहा है कि वह ज्यादा बच्चे पैदा करें. रूस में पुतिन को सेना के लिए सिपाही चाहिए जबकि भारत में पूजापाठी वर्ग को यह एक कमाई का जरिया दिख रहा है.

भारत में जैसे ही बच्चा गर्भ में आता है ‘गर्भ संस्कार’ से पूजा शुरू हो जाती है. इस के साथ ही साथ अगर बच्चे का जन्म खराब ग्रह नक्षत्र में हो गया है तो उस को सही करने के लिए पूजा होती है. ‘गोद भराई’ की रस्म बच्चे के पेट में आते ही होती है. अब बच्चा खराब नक्षत्र में पैदा न हो इस के लिए पहले पंडित से सही समय की गणना करा कर डाक्टर से कहा जाता है कि वह प्रसव इस सही नक्षत्र में कराएं.

बच्चा पैदा होने के बाद ‘जन्मोत्सव’ के नाम पर पूजा होती है. 6 दिन होने पर ‘छठी’ और 12 दिन होने पर ‘बारहीं’ होती है. जब बच्चे को पहली बार अन्न खिलाया जाता है तो ‘अन्न प्राशन’ का आयोजन होता है. पंडितों के साथ ही साथ किन्नरों की भी कमाई होती है.

बच्चे खासतौर पर लड़के के पैदा होने पर जन्मोत्सव अधिक बड़ा हो जाता है. पूजापाठ और चढ़ावा बढ़ जाता है. कट्टरवादी लोग जब बच्चे अधिक पैदा करने की बात कर रहे होते हैं तो उन का मकसद होता है कि लोग लड़के ज्यादा पैदा करें. पुतिन के लिए लड़के ही सेना में लड़ने का काम करेंगे और भारत में पूजापाठ करने वालों को भी तभी चढ़ावा ज्यादा मिलेगा जब लड़के पैदा होंगे. यह लोग एक तरफ तो औरतों को बच्चा पैदा करने की मशीन बनाना चाहते हैं दूसरी तरफ यह भी चाहते हैं कि लड़कियां कम पैदा हो. यह लोग औरतों से दो तरह का भेदभाव कर रहे हैं.

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