कभी विज्ञान की कहानियों में भारतीय और दुनिया के साहित्य में ऐसी कहानी किताबों के पन्ने में तक ही सीमित थी याद करिए चंद्रकांता संतति, भूतनाथ और जाने कितनी चर्चित कहानियां जिस में क्षण भर में अपना रूप बदल कर के अपराध घटनाक्रम पारित कर के पात्र निकल जाता है और जब यह पता चलता है, कि सच्चाई क्या थी, देर हो चुकी होती है.

ऐसा ही कुछ आजकल सोशल मीडिया में देखने को मिल रहा है. विज्ञान के इस करतब से दुनियाभर के लोग हैरान परेशान हैं इसलिए कहा भी गया है कि विज्ञान मानव समाज के लिए हितकारी है तो कभीकभी विनाशकारी भी हो सकता है.यही कारण है कि हौलीवुड के इतिहास में सब से लंबी हड़ताल आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस से उत्पन्न हालात के कारण हुई.

दरअसल, एआई के पूरी तरह से, जीवन के हर पहलू पर छा जाने के बाद मनुष्य के जीवन में भारी दुश्वार हो सकता है दुनिया के फिल्म उद्योग के लेखक और अभिनेताओं को महीनों एआई तकनीक के उपयोग विरोध में हड़ताल करनी पड़ी.

आखिरकार 8 नवंबर, 2023 को घोषणा हुई कि निर्माता कंपनियों ने यह वादा लिखित रूप में किया है कि वे फिल्म निर्माण के लिए एआई का उपयोग नहीं किया जाएगा. अब सवाल है कि क्या बौलीवुड और भारत के अन्य फिल्म निर्माण के केंद्र के केंद्र भी क्या इसे स्वीकार कर के एआई को प्रतिबंधित करेंगे.

यह तो बात हुई कानून और नैतिकता की बंधन की, मगर यह तकनीक अगर अपराधिक किस्म के लोग उपयोग करेंगे तो उन्हें कौन रोक सकता है और उस का खामियाजा क्या दुनिया को आने वाले समय में नहीं उठाना पड़ेगा?

दुनिया के लिए चिंता का सबब एआई

आज दुनिया एक छोटा सा गांव जैसा बन चुका हिया. ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस अर्थात एआई से सारी दुनिया हैरान और चिंतित है जिस का सब से बड़ा उदाहरण मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एआई और ‘डीपफेक’ प्रौद्योगिकी से उत्पन्न चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘आवश्यकता है इन तकनीकों के कारण पैदा हुई चुनौतियों के बारे में लोगों को जागरूक और शिक्षित करने की.’

भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में ‘दीपावली मिलन’ कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले दिनों गरबा महोत्सव में भाग लेते हुए अपना एक वीडियो देखा, जबकि उन्होंने स्कूल के दिनों से ऐसा नहीं किया है.” उन्होंने हंसते हुए कहा, “यहां तक कि जो लोग उन्हें प्यार करते हैं, वे भी वीडियो को एकदूसरे से साझा कर रहे हैं.”

विविधतापूर्ण समाज में ‘डीपफेक’ एक बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं और यहां तक कि समाज में असंतोष की आग भी भड़का सकते हैं क्योंकि लोग मीडिया से जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं जैसे आम तौर पर गेरुआ वस्त्र पहने व्यक्ति को सम्मान देते हैं.

एआई के माध्यम से उत्पादित ‘डीपफेक’ के कारण कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल ‘डीपफेक’ के लिए होना चिंताजनक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस के इस प्रयोग पर अपनी बात विस्तार से कही मगर सोचने वाली बात यह है कि अगर इस का विध्वंस या आपराधिक गतिविधियों में उपयोग किया जाने लगेगा तब क्या होगा?

कानून का पालन जरुरी

नरेंद्र मोदी ने इसे रेखांकित करते हुए कहा, “यह एक नया संकट उभर रहा है. समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जिस के पास समानांतर सत्यापन प्रणाली नहीं है. इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया का सहयोग चाहिए.”

पाठकों को बताते चलें कि दरअसल यह तकनीक शक्तिशाली कंप्यूटर और शिक्षा का उपयोग कर के वीडियो, छवियों, आडियो में हेरफेर करने की एक विधि है.

यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “ऐसी फिल्मों का प्रदर्शन भी इस आधार पर मुश्किल हो जाता है कि उन्होंने समाज के कुछ तबकों का अपमान किया है, भले ही उन्हें बनाने में भारी राशि खर्च की गई. जिस तरह सिगरेट जैसे उत्पाद स्वास्थ्य संबंधी चेतावनियों के साथ आते हैं, उसी तरह ‘डीपफेक’ के मामलों में भी होना चाहिए.”

मगर यह सब तो अगर कानून का पालन किया जाता है तब संभव है कुल मिला कर आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस एक ऐसा माइग्रेन जैसा सिरदर्द है जिस का इलाज मानवता के लिए आवश्यक है.

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