“शिव्या… शिव्या कहां हो? हर समय कमरे में घुसी रहती हो. कभी तो बाहर निकला करो. तुम तो बस अपनी बहन में ही रमी रहती हो. तुम तो भूल रही हो कि तुम्हारा एक अदद इकलौता जीजा भी इसी घर में रहता है,” कियान ने अपनी पत्नी देबोमिता की बड़ी बहन शिव्या से उपहास करते हुए कहा.

“नहीं कियान, ऐसी तो कोई बात नहीं. बस जरा कल के लैक्चर की तैयारी कर रही थी. देबू कहां है? मैं उसे अभी तुम्हारे पास भेजती हूं.”

“तुम्हारी देबू तो सोने चली गई. वह तो हर समय आने वाले बच्चे के सपनों में खोई रहती है. दिनरात बस उसी की बातें. मैं तो भई उस से और उस की बातों से पक गया हूं. अच्छीभली फिगर का सत्यानाश कर लिया है उस ने तो.”

कियान की बातें सुन शिव्या के जेहन में मानो घंटी बज गई, ‘यह कियान को क्या हुआ? कितनी फालतू बात कर रहा है! अब देबू प्रैगनैंट है तो फिगर तो खराब होगी ही. किस किस्म का इंसान है यह?’

“शिव्या, चलो जरा लौंग ड्राइव पर चलते हैं. यहां पास ही बेहद शानदार तवा आइसक्रीम पार्लर खुला है. वहां तवा आइसक्रीम खा कर आते हैं.”

“कियान, मुझे अप्रैल फूल बना रहे हो क्या? यह तवा आइसक्रीम कौन सी आ गई?”

“शिव्या, कौन सी दुनिया में रहती हो भई? पार्लर वाला आइसक्रीम तवे पर तुम्हारे सामने लाइव बना कर देगा. वहीं देख लेना, कैसे बनती है. कोई अप्रैल फ़ूल नहीं बना रहा मैं तुम्हें. बस, अब तुम झटपट तैयार हो कर आ जाओ.”

“ओके, अभी आई. जरा देबू को भी देख लूं. वह चले तो उस का भी जी बहल जाएगा. पूरे दिन घर ही घर में बंद रहती है.”

“अरे, उसे तो रहने ही दो. वह इतना बड़ा ढोल सा पेट ले कर कहां इस वक्त जाएगी?”

“क्यों? हमारे साथ जाने में हरज ही क्या है? वह भी फ्रैश फील कर लेगी.”

“देबू… अरे ओ देबू… चल रही है क्या आइसक्रीम खाने?” वह धड़धड़ाती हुई अपनी 8 माह की प्रैगनैंट छोटी बहन देबोमिता के कमरे में घुस गई जहां वह दीवार की ओर मुंह किए लेटी हुई थी.

“देबू… देबू… कियान और मैं जरा लौंग ड्राइव पर जा रहे हैं. पूरा दिन घर में बंद रहती है तू. हमारे साथ जाएगी तो अच्छा लगेगा.”

“न शिवि, मुझे नहीं जाना. तू ही चली जा कियान के साथ. मुझे तो बहुत जोरों की नींद आ रही है,” उस ने उबासी भरते हुए कहा.

“श्योर नहीं जाना?”

“हां… हां…कह तो दिया, नहीं जाना. तू चली जा.”

जून का महीना आधा खत्म होने आया था, लेकिन तूफान के चलते कल शहर में घनघोर बारिश हुई थी, जिस के चलते फिजा में अभी तक ठंडक थी.

कियान ने अपनी गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन वह स्टार्ट नहीं हुई,”अरे, यह तो चालू ही नहीं हो रही? अब क्या करें? मेरे मुंह में तो भई आइसक्रीम का जबरदस्त स्वाद आ रहा है. मौसम भी इतना खुशगवार हो रहा है. आज तुम्हारी मोटरसाइकिल पर लौंग ड्राइव का मजा लेते हैं.”

“नहीं कियान, अब मोटरसाइकिल चलाने का मेरा मन नहीं.”

“अरे, अभी रात के 10 ही तो बजे हैं. अब आइसक्रीम का मूड बन गया तो बन गया. डोंट बी ए स्पौयल सट शिव्या. कमऔन, मैं चलाऊंगा मोटरसाइकिल,” कियान का आखिरी वाक्य सुन शिव्या चिहुंक पड़ी.

“नहीं, मैं अपनी बाइक किसी को भी नहीं देती.”

“छोड़ो न कियान, अब तो देबू भी सो चुकी है. कल पक्का उसे ले कर तुम्हारी यह तवा आइसक्रीम खाने जाएंगे. पक्का…”

“ नहीं… नहीं, वह तो आज ही खाने जाएंगे.”

“तुम नहीं मानोगे. शिव्या ने बाहर पोर्च में जा कर कियान को अपने पीछे बैठा कर बाइक स्टार्ट कर दी और तेज गति से बाइक खाली सड़क पर दौड़ा दी. बाइक के दौड़ते ही कियान गुनगुनाने लगा, “मौसम है आशिकाना…” शीतल मंद हवा से बातें करते हुए शिव्या भी बेफिक्री के आलम में बह चली. उस ने बाइक की स्पीड और बढ़ा दी.

तभी कियान बोल पड़ा, “तू जिस से शादी करेगी वह बहुत खुशकिस्मत इंसान होगा. काश…” कहते हुए कियान ने एक लंबी सांस भरी.

“यों लंबीलंबी सांसें क्यों ले रहे हो कियान? तुम ने ही तो देबू को चाहा और वह तुम्हें मिल गई. फिर यह काश क्यों कियान?”

“बस ऐसे ही…कुछ नहीं.”

“नहींनहीं, कियान. कुछ तो है जो तुम छिपा रहे हो. बोलो न क्या बात है?”
शिव्या के कुरेदते ही वह जैसे फट पड़ा,”कभीकभी मुझे लगता है कि देबू मेरे लिए नहीं बनी. पार्टनर के रूप में उस का चुनाव कर के मैं ने बहुत बड़ी गलती की.”

“यह तुम क्या कह रहे हो? याद है, तुम ही तो देबू के पीछे नहाधो कर पड़े थे.”

“सब याद है शिव्या. उसी बात का तो रोना है कि मैं उसे पहले पहचान ही नहीं पाया. तुम्हारी बहन तो बहुत घरेलू है, बिलकुल बहनजी टाइप. मुझे तो तुम जैसी बिंदास, ऐडवैंचरस और बोल्ड लड़की चाहिए थी, जिस के साथ हर लमहा एक ऐडवैंचर होता. तुम्हारी यह देबू तो बेहद बोर है.”

तभी सामने तवा आइसक्रीम पार्लर आ गया और शिव्या ने एक झटके से अपनी बाइक रोक दी. सामने पार्लर में एक मशीन के ऊपर गोल तवा सा बना हुआ था, जिस पर एक पार्लरकर्मी 2 स्पैटुला से तेज गति से खटखट करते हुए फ्रूट्स, दूध, ड्राई फ्रूट्स आदि के मिक्सचर को तेज गति से चला रहा था.

“क्यों भैया, यह तवा क्या गरम है? गरम तवे पर आप की आइसक्रीम पिघलती नहीं?”

“मैम, यह बस देखने भर का ही तवा है. यह गरम नहीं ठंडा है, जिस का टैंपरेचर माइनस में जाता है.”

“अरे, मैं तो कुछ और ही सोच बैठी थी. गरम तवे पर आइसक्रीम कैसे बनेगी?”

उस की हैरान मुखमुद्रा देख कियान बहुत जोरों से हंस पड़ा, “बना दिया न अप्रैल फूल तुम्हें.”

अपने मनपसंद फ्लैवर की आइसक्रीम खा कर दोनों फिर से बाइक पर बैठ गए, लेकिन पार्लर में बैठे हुए और फिर घर वापसी के दौरान शिव्या के अंतर्मन में गहन उठापटक चल रही थी,’यह कियान इतना गलत कैसे हो सकता है? साफसाफ कह रहा है कि देबू बहनजी टाइप बोर है.’

शिव्या इन्हीं विचारों में गुम तेज गति से बाइक दौड़ा रही थी कि तभी उस ने महसूस किया कि कियान के हाथों ने उस की कमर को अपने शिकंजे में जकड़ लिया और अपना चेहरा उस के कंधों में गड़ा बुदबुदा रहा था, “शिव्या, माई डियर, मुझे तो बिलकुल तुम्हारी जैसी स्मार्ट और बोल्ड बीवी की ख्वाहिश थी…” तभी उस की नजदीकी और अल्फाजों से असहज होते हुए क्षण भर को कुछ सोचने के बाद वह बेहद गुस्से से चिल्लाई, “कियान, तुम्हें होश भी है कि तुम क्या कर रहे हो और क्या कह रहे हो? मेरी बहन तुम्हारी बीवी है और तुम अपनी ही साली पर डोरे डाल रहे हो? मैं इतनी गिरी हुई नहीं हूं कि तुम्हारे झांसे में आ जाऊं. मैं तुम्हें और टौलरेट नहीं कर सकती. मैं जा रही हूं बाय…” कहतेकहते शिव्या कियान को बीच सड़क पर छोड़ हवा की गति से फुर्र हो गई.

कियान के इस ओछेपन से उस के मन में मानो ज्वारभाटा उठ रहा था. तो कियान की असली सूरत यह है? वह इतना सस्ता और छिछोरा टाइप इंसान है उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. मेरी देबू की तो जिंदगी खराब हो गई. ऐसे लीचड़ इंसान के साथ वह पूरी उम्र कैसे काटेगी? जब कियान को मुझ पर डोरे डालने से गुरेज नहीं, तो वह तो किसी को भी नहीं छोड़ता होगा. उस के अंतर्मन में खयालों का जलजला आया हुआ था. सगी बहन की चिंता उसे खाए जा रही थी कि वह ऐसी विकृत मानसिकता के इंसान के साथ पूरी जिंदगी कैसे बिताएगी?

रात को शिव्या की आंखों में नींद का दूरदूर तक नामोनिशान नहीं था. वह घोर बेचैनी के आलम में करवटें बदल रही थी. यों ही गहन विकलता के समंदर में डूबतेउतराते देर रात उस की आंखें लगीं. सुबह नाश्ते पर डाइनिंग टेबल पर कियान से उस की मुलाकात हुई, लेकिन उस बेगैरत बंदे के चेहरे पर रात की बात का तनिक भी मलाल न था.

“गुड मौर्निंग साली साहिबा, मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आप के सीने में दिल नहीं पत्थर है पत्थर. अमां यार, छोटी सी जिंदगी है. इसे मौजमस्ती से गुजारी जाए तो आखिर इस में हरज ही क्या है? आखिर साली आधी घरवाली तो होती ही है न फिर आगबबूला होने की जरूरत क्या है आखिर?”

“मिस्टर कियान, कितनी घटिया सोच है आप की? मस्ती करनी है तो आप के पास देबू है न. खबरदार जो आइंदा मेरे साथ किसी भी किस्म की लिबर्टी लेने की कोशिश की,” कहते हुए शिव्या घोर गुस्से से उठ कर वहां से चली गई.

कियान के स्वाभाव की असलियत जान कर वह अपने आपे में न थी. वह सोच रही थी, ‘यह कियान तो बेहद लंपट इंसान निकला.’

दिन यों ही गुजर रहे थे. शिव्या की कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इन परिस्थितियों में वह क्या करे? अभी प्रैगनैंसी के आखिरी दौर में वह उस के सामने कियान की असलियत जाहिर भी नहीं कर सकती. नियत समय पर देबोमिता ने एक स्वस्थ और सुंदर बेटे को जन्म दिया. कियान की असलियत से अनजान देबोमिता बेहद खुश थी. हर समय चहकती रहती, लेकिन शिव्या जबजब उसे देखती, यह सोच कर उस का कलेजा मुंह को आ जाता कि कभी कियान की वास्तविकता देबोमिता पर जाहिर हो गई तो क्या होगा?”

कियान के चरित्र के बदसूरत पक्ष से परिचित शिव्या अब कियान के ऊपर कड़ी नजर रखने लगी थी. उस की रीयल फितरत से वाकिफ होने के लिए. उस के पास किसी का फोन आता तो उस के कान खड़े हो जाते, कहीं किसी लड़की का फोन तो नहीं. वह देबोमिता के भविष्य को ले कर बेहद फिक्रमंद हो गई थी. अभी साल भर पहले ही कोरोना के चलते उन दोनों के पेरैंट्स की असमय मौत के बाद से छोटी देबोमिता अब उस की जिम्मेदारी थी.

तभी एक दिन उस के सामने कियान की वास्तविकता का खुलासा हो ही गया. उस दिन शिव्या देबोमिता के बैडरूम में भांजे कृष को खिला रही थी कि तभी उस ने देखा कियान अपना मोबाइल वहीं छोड़ कर नहाने चला गया. तभी देबोमिता भी अपने रूम से किसी काम से बाहर गई और शिव्या बहनोई की जासूसी की मंशा से झटपट उस का व्हाट्सऐप चेक करने लगी. व्हाट्सऐप पर जो उस ने देखा उस के हाथों के मानो तोते उड़ गए .

कियान की 5-6 लड़कियों से चैटिंग थी, जिन्हें जल्दीजल्दी पढ़ कर वह जैसे आसमान से गिरी. सभी लड़कियों के साथ अश्लीलता की हद लांघते हुए चैटिंग थी. उन्हें भेजी हुई पोर्न वीडियो की क्लिपिंग्स भी थी. तभी देबोमिता के बैडरूम में आने की आहट हुई और उस ने झपट कर कियान का फोन वापस पलंग पर रख दिया.

कियान के बाथरूम से बाहर निकलते ही देबोमिता बाथरूम में घुस गई.
कियान के दोगलेपन का प्रत्यक्ष प्रमाण पा शिव्या गुस्से में उबल रही थी और कियान को देखते ही उस के फोन की अश्लील चैट उसे दिखाते हुए उस पर फट पड़ी, “कियान, यह सब क्या है? मैं ने क्या सोच कर तुम्हारे साथ अपनी बहन की शादी की थी और तुम क्या निकले? इतनी खूबसूरत, जहीन और प्यारी बीवी के होते हुए तुम जगहजगह मुंह मार रहे हो? उसे खुलेआम धोखा दे रहे हो?”

गुस्से में शिव्या को यह खयाल भी न रहा कि देबोमिता बाथरूम में उन दोनों की बातें सुन सकती है. शिव्या की बातें सुन कियान का चेहरा जर्द पड़ गया और अपना परदाफाश होते देख वह बौखलाते हुए उस पर दांत भींच कर घोर गुस्से से उस पर आंखें तरेरते हुए चिल्लाया, “मेरा फोन चेक करने की तुम्हारी जुर्रत कैसे हुई? मेरी जिंदगी मेरी है. मैं अपनी निजी जिंदगी में कुछ भी करूं, तुम्हें इस से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. तुम्हारी बहन को मैं कुछ कहूं या करूं तो मुझ से कुछ कहना. उसे पूरा मानसम्मान देता हूं, फिर भी?”

तभी एकाएक बाथरूम का दरवाज़ा खुला और धारधार बिलखती देबोमिता बाहर आई और वह झपट कर कियान का फोन उठा कर दौड़ कर अगले ही लम्हे यह कहते हुए बाथरूम में बंद हो गई कि उस ने शिव्या और कियान की बातें सुन ली हैं.

यह सब पलक झपकते ही इतनी जल्दी हुआ कि शिव्या कुछ समझ ही नहीं पाई. कुछ देर बाद जब उसे होश आया तो वह बाथरूम का दरवाजा पीटने लगी.

उधर जान से प्यारे पति की सचाई जान देबोमिता की दुनिया एक ही लम्हे में उलटपुलट हो गई. उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उस के पांव तले जमीन ही खिसक गई हो. बेहद गुस्से में उस ने सामने शेल्फ में रखी कैंची उठाई और ताबड़तोड़ उस से अपने हाथों की नसें काट लीं और चीखने के साथ बेहोश होते हुए जमीन पर कटे पेड़ की भांति ढह गई. इधर उसकी चीत्कार सुन शिव्या बाथरूम का दरवाजा पीटते हुए चिल्लाई, “देबू… देबू… दरवाजा खोलो. देबोमिता… ” लेकिन भीतर से बहन की घुटीघुटी कराहों की आवाजें आ रही थीं.
अनहोनी का अंदाजा लगा कर शिव्या कियान पर चिल्लाई, “कियान, दरवाजा तोड़ो जल्दी.”

कुछ ही देर में दरवाजा टूट गया. भीतर का नजारा देख शिव्या और कियान का खून मानो बर्फ बन गया. भीतर शिव्या खून से लथपथ फर्श पर पड़ी हाथपांव मारते हुए छटपटा रही थी. कियान और शिव्या आननफानन में उसे सब से नजदीकी अस्पताल ले गए.

समय पर मैडिकल सहायता मिलने की वजह से देबोमिता की जान बच गई. देबोमिता को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए माह भर होने आया.
इस 1 माह में वह 21-22 साल की बेफिक्र बिंदास युवती से एक परिपक्व संजीदा शख्सियत में बदल गई,”शिव्या, मुझे कियान से डाइवोर्स चाहिए. मैं अपनी पूरी जिंदगी इस लीचड़ इंसान के साथ कतई नहीं बिता सकती.”

“ठीक है, मैं क्या कहूं अगर तेरा यही फैसला है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं.”

कियान और देबोमिता के डाइवोर्स को पूरे 3 साल बीत चुके हैं. इन 3 सालों में देबोमिता अपनी मेहनत और शिव्या के सहयोग से आत्मविश्वास से भरपूर एक वर्किंग प्रोफैशनल में तबदील हो चुकी है. तलाक की अरजी कोर्ट में देने के बाद 1 साल के भीतर उस का तलाक हो गया था. कम उम्र में अपनी शिक्षा पूरी किए बिना कुछ सोचेसमझे एक चरित्रहीन युवक के प्यार में अंधी हो कर मात्र सालभर की पहचान में उस से विवाह करने का भारी खामियाजा वह उठा चुकी थी.

कियान से तलाक की अरजी कोर्ट में देने के बाद वह जीजान से एमबीए के लिए कैट के ऐग्जाम की तैयारी में जुट गई थी. इतना सबकुछ सह कर पढ़ाई में जी रमाना आसान न था, लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर और बहन के सहयोग और प्रोत्साहन से उस ने कैट क्लीयर किया और एक नामचीन बिजनैस स्कूल से एमबीए पूरा किया. संस्थान में पढ़तेपढ़ते आखिरी साल में कैंपस प्लेसमैंट में उस की नौकरी एक प्रतिष्ठित एमएनसी में लग गई.

आज ही उस की पहली तनख्वाह की मोटी रकम उस के बैंक अकाउंट में आई थी. औफिस में अपने केबिन में लैपटौप पर अपनी पहली पेस्लिप देखते हुए अपूर्व खुशी से उछल रही थी. अनायास न जाने क्यों बरसों से भूलेबिसरे कियान का चेहरा उस के जेहन में कौंध उठा और वह मुंह ही मुंह में बुदबुदाई,’थैंक यू कियान. थैंक यू वेरी मच. जिंदगी में तुम न मिले होते तो आज मुझे यह मुकाम न मिला होता.’

औफिस से निकल कर एक अनूठे आत्मविश्वास से भरपूर आंखों में एक सुनहरे भविष्य का सपना संजोए वह तेज चाल से गुनगुनाते हुए एटीएम की ओर चल पड़ी. आज जमीं और आसमां दोनों उस की मुट्ठी में थे.

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