हम ज्यादा दूर न भी जाएं, पिछले वर्ष की विजेता आशा पारेख को ही हम लें, तो यह सब जानते हैं कि वहीदा रहमान की अभिनययात्रा आशा पारेख से बहुत पहले की है. कम से कम भारत सरकार की पुरस्कार समिति और सरकार को यह देखना चाहिए कि पुरस्कारों में वरिष्ठता क्रम तो बना रहे. यह कदापि नहीं होना चाहिए कि किसी जूनियर को तख्तोताज पर पहले बैठा दिया जाए और किसी वरिष्ठ को बाद में यह सम्मान मिले तो फिर यह आलोचना का विषय तो बन ही जाएगा. इस के साथ ही हम अपने पाठकों को वहीदा रहमान के उसे जलवे के बारे में बता रहे हैं जिसे उन्होंने वह मुकाम दिया है जो कभी मिटाया नहीं जा सकता और आने वाली पीढ़ियां उसे हमेशा याद रखेंगी.

फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान को आखिरकार भारतीय सिनेमा में महान योगदान के लिए इस वर्ष के दादासाहेब फाल्के स्कार से सम्मानित किए जाने की केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने घोषणा की है. दरअसल, भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाला दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय फ़िल्म दुनिया के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च पुरस्कार है. महान अभिनेत्री वहीदा रहमान को पूर्व में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 2 फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

अपने सिस्टमेटिक अभिनय से देशदुनिया में अपनी अलग जगह बनाने वाली वहीदा रहमान ने ‘प्यासा’, ‘सीआईडी’, ‘गाइड’, ‘कागज के फूल’, ‘साहिब बीवी और गुलाम’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘तीसरी कसम’, ‘नील कमल’, ‘खामोशी’ और ‘त्रिशूल’ समेत लगभग सौ फिल्मों में अभिनय कर‌ लोगों का दिल जीता. उन्होंने दिवंगत अभिनेता देव आनंद की जन्मशती पर कहा- ‘मैं बहुत खुश हूं और दोगुनी खुशी है क्योंकि आज (26 सितंबर) देव आनंद जी की जयंती है. मुझे लगता है, ‘यह तोहफा उन को मिलना था, मुझे मिल गया है.’

लीक से हट कर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इस पुरस्कार के संबंध में घोषणा की. उन्होंने लिखा- ‘मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी और सम्मान महसूस हो रहा है कि वहीदा रहमान जी को भारतीय सिनेमा में उन के उत्कृष्ट योगदान के लिए इस वर्ष प्रतिष्ठित ‘दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमैंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा रहा है.’

पाठकों को हम बताते चलें कि 2021 के लिए यह पुरस्कार 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा. पुरस्कार के 5-सदस्यीय निर्णायक मंडल में वहीदा रहमान की करीबी और विगत वर्ष दादासाहब फाल्के सम्मान की विजेता आशा पारेख, अभिनेता चिरंजीवी, परेश रावल, प्रसन्नजीत चटर्जी और फिल्मकार शेखर कपूर थे जिन्होंने सर्वसम्मति से वहीदा रहमान के नाम पर सहमति जताई. वहीदा रहमान (85 वर्ष) ने 1955 में तेलुगू फिल्मों ‘रोजुलु मारायी’ और ‘जयसिम्हा’ से अभिनय के क्षेत्र में पदार्पण किया. हिंदी फिल्मों में वहीदा रहमान ने 1956 में ‘सीआईडी’ फिल्म के जरिए डैब्यू किया. इस फिल्म में वहीदा रहमान के सब से पसंदीदा नायक देव आनंद ने भी अभिनय किया था.

वहीदा रहमान का जन्म तमिलनाडु के चेंगलपटू में हुआ. उन्होंने और उन की बहन ने मुसलिम होते हुए भी चेन्नई में भरतनाट्यम सीखा. जब वे किशोरावस्था में थीं तब उन के पिताश्री की मृत्यु हो गई. वहीदा रहमान ने 6 दशकों से अधिक के अपने कैरियर में विभिन्न भाषाओं में लगभग सौ फिल्मों में अभिनय कर‌ अनेक फिल्मों को अमर बना दिया जिन में ‘कागज के फूल’, ‘प्यासा’, ‘तीसरी कसम’ प्रमुख हैं. उन्हें ‘रेशमा और शेरा’ (1971) में उत्कृष्ट अभिनय के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से पहले ही सम्मानित किया जा चुका है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया मंच के जरिए कहा- ‘जब संसद ने ऐतिहासिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है, तो ऐसे में भारतीय सिनेमा की शीर्ष महिलाओं में शुमार वहीदा रहमान को इस ‘लाइफटाइम अचीवमैंट’ पुरस्कार से नवाजा जाना और भी उपयुक्त है. उन्होंने आगे कहा- ‘वहीदा रहमान ने फिल्मों के बाद अपना जीवन परोपकार और समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. मैं उन्हें बधाई देता हूं और उन के उस उत्कृष्ट कार्य के प्रति विनम्रतापूर्वक सम्मान व्यक्त करता हूं जो हमारे फिल्म इतिहास का एक अहम हिस्सा है.”

85 वर्ष की उम्र में

बेंगलुरु में‌ अपने सादगी पूर्ण आवास में रहने वाली वहीदा रहमान बहुत कम फिल्मों में ही काम करती थीं. 1990 और 2000 के दशकों में उन्होंने ‘लम्हे’, ‘चांदनी’, ‘रंग दे बसंती’ और ‘दिल्ली 6’ में चरित्र भूमिकाएं अदा कीं. उन्होंने 2021 में रिलीज हुई ‘स्केटर गर्ल’ फिल्म में आखिरी बार अभिनय किया था. फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी ‘मारे गए गुलफाम’ पर आधारित ‘तीसरी कसम’ की हीराबाई अगर अमर है तो वहीदा रहमान भी अपने जीवंत अभिनय के लिए लोगों का प्यार सदैव पाती रहेंगी.

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