यह समझ लें कि हर धर्म वालों की तरह हिंदू सतातन धर्म के दुकानदार भी इतने सक्षम और पैसे वाले हैं कि तमिलनाडू से आ रही आवाजों से उन को कोई हानि न होगी और वे इन आवाजों को इग्नोर कर देंगे. हर धर्म अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों का इस तरह से आसानी से मुकाबला करता रहा है.

तमिलनाडू में द्रविड़ मुनेत्र कषगम पार्टी के तेवर कुछ दिनों से हिंदू सनातन धर्म के बारे में पेरियारवादी होते जा रहे हैं. 4 दशकों तक उन्होंने बीच का रास्ता अपनाया था, शायद इसलिए, द्रमुक की जगह पहले अन्ना डीएमके के फिल्मी नायक एमजी रामचंद्रन ने ले ली थी,फिर उन की चहेती हीरोइन जयललिता ने. ये दोनों ही द्रमुक आंदोलन के ऊपरी तौर पर हिस्सेदार थे पर अंदर से ब्राह्मणवादी सनातन हिंदू धर्म को मानते थे.

अब द्रमुक ने औलइंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्रकषगमको लगभग समाप्त कर दिया है और जो बचीखुची पार्टी थी वह भारतीय जनता पार्टी के कारण बिखर गईक्योंकि भाजपा कभी एक धड़े के साथ होती तो कभी दूसरी के.

द्रमुक आंदोलन मंदिरों के प्रदेश तमिलनाडू में सब से ज्यादा मुखर हुआ और पेरियार ने हिंदू देवीदेवताओं के बारे में बहुतकुछ कहा जो कट्टरपंथियों को बुरा लगे, पर है वह सत्य. हर धर्म की यह खासीयत रही है कि उस की मुख्य किताब या विचारधारा का प्रकाशन करने वाले, ग्रंथों को लिखने वाले बहुत से अतार्किकऔर आसानी से न पचाए जाने वाले तर्क जोड़ते रहे. अपने देवीदेवता के गुणगान में वे उस समय की प्रचलित कहानियों को उन में जोड़ते रहे ताकि ग्रंथ में भारतीयता बनी रहे.

ये कहानियां असल में जीवन जीने के उपदेशों में ज्यादा रोमांचक और रोचक होती है. और आज भी हर धर्म एक अहम हिस्सा हैं. इन्हीं का सहारा ले कर धर्मगुरु अपने भक्तों के साथ मनमानी करते रहे हैं. हर धर्म में भक्तों को पूरा पैकेज एकसाथ लेना पड़ता रहा है. जहां वे जीवन के कुछ गुरों, चमत्कारों से सुख की वर्षा,ईश्वरकृपा से दुखों को भूलना सीखते रहे हैं, वहीं इन कथाओं को ऊपरवाले के दिए समय को मान कर चुपचाप सहन और स्वीकार करते रहेहैं.

भारत में हिंदू धर्म ने जातिव्यवस्था इसी तरह थोपी और उस समय के कमजोर आज कितनी ही सदियां बीत जाने के बाद भी कमजोर, अछूत या अछूत जैसे, गैरबराबर, भेदभाव के जन्म से शिकार रहे हैं. शक्तिशाली, समर्थ, पैसे वाले,लिखनेपढऩे में योग्य अपनी चालबाजियों से धर्म में सफल रहे हैं.

अमेरिका में अफ्रीका से ले जाए गए काले हबशी गुलाम चर्च के कहे अनुसार ईसाई बन गए लेकिन उन्हें यह समझा दिया गया कि उन की गुलामी और मालिक के अत्याचार उन के हिस्से में ईश्वर ने दिएहैं और वह कयामत के दिन न्याय करेगा जब सब मरे लोगों की आत्माएं जाएंगी और ईश्वर उन्हें स्वर्ग तक भेजेगा.

हिंदू धर्म की जन्म से ही भेदभाव वाली पद्धति के खिलाफ द्रमुक ने मोरचा खोल दिया है. पहले करुणानिधि के पौत्र उदयनिधि ने टिप्पणी की, फिर पिता एम के स्टालिन ने उस का खूब समर्थन दिया और अब एक और सांसद ए राजा ने उदयनिधि का समर्थन किया. दबाव इतना बढ़ गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत को मानना पड़ा है कि हिंदू धर्म ने 200 साल तक अन्याय किया है और इसे सुधारना जरूरी है.असल में यह टैक्टिकल विदड्रा यानी दिखावटी पीछे हटना है और इतिहास में ऐसा कितनी ही बार हुआ है. और हर धर्म में हुआ है.दरअसल, ऊंची जातियों की बराबरी शासकीय, शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक बराबरी पिछड़ी निचली जातियां कभी नहीं कर पाएंगी. ऊंची जातियों के पास अब नई टैक्नोलौजी के नए अस्त्र आ गए हैं जिन के माध्यम से वे पूरी कौम की सोच और उन से मिलने वाली सूचनाओं को मनमाने ढंग से फिल्टर कर सकते हैं.

धर्म के शिखंडी की खासीयत यह है कि यह व्यक्ति को एक जंजीर से नहीं, सैकड़ों जंजीरों से बांधता है ताकि किसी जंजीर की कोई कड़ी टूट भी जाए तो भी व्यक्ति आजाद न हो पाए और उस दौरान धर्म के ठेकेदार उस जंजीर पर फिर वैल्डिंग कर देते हैं. उदयनिधि और ए राजा जैसे हमले बहुत बार हुए हैं पर ब्राह्मणवादी सनातन धर्म टस से मस नहीं हुआ जैसे कैथोलिक चर्च या सुन्नी इसलाम नहीं हुआ.

हर धर्म आज फिर फलफूल रहा है क्योंकि अब अमीर भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. अमेरिका के सभी अमीर चर्चों को खूब पैसा देते हैं और खाड़ी के तेल उत्पादक इसलाम के हर धड़े को हिंदू अमीर अब पैसे नहीं, लाखों रुपए के सोना, मोती चढ़ाते हैं. द्रमुक आंदोलन पैसे की ही कमी से ठंडा पड़ जाएगा क्योंकि सत्य से नास्तिकता से पैसे नहीं मिलते.

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