संडे के दिन मैं शाम को चाय की चुस्की लेतेलेते टीवी देख रही थी. टीवी पर रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ आ रही थी. फिल्म की कहानी बहुत अच्छी लग रही थी. इस फिल्म को देखते हुए मुझे अपने दोस्तों की याद आने लगी. फिल्म के इंटरवल के बाद रणबीर कपूर का एक गाना आता है. जिस का शीर्षक है, ‘बदतमीज दिल…’ इस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘पान में पुदीना देखा, नाक का नगीना देखा, चिकनी चमेली देखी, चिकना कमीना देखा, चांद ने चीटर हो के चीट किया तो सारे तारे बोले गिल्लीगिल्ली अख्खा…’ मतलब कुछ भी.

चिकनी चमेली, चिकना कमीना तो फिर भी ठीक है लेकिन चांद ने चीटर हो के चीट किया तो सारे तारे बोले गिल्लीगिल्ली अख्खा का मतलब, भई कहना क्या चाहते हैं? चांद जिस ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि 2013 में एक गाना आएगा जो उसे चीटर कहेगा.

बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. इसी गाने के आगे के बोल हैं, ‘सारे तारे बोले गिल्लीगिल्ली अख्खा.’ अब कोई बताओ, इस का क्या ही मतलब बनता है. तारों के पास कोई काम नहीं है क्या कि वे बस यही कहें गिल्लीगिल्ली अख्खा. वैसे, इस गिल्लीगिल्ली अख्खा का मतलब क्या है, यह सम   झना भी मुश्किल है. इस बोल की यहां क्या ही जरूरत है?

हालांकि गाने का फिल्मांकन अच्छा बन पड़ा है. गाने में रणबीर स्मार्ट के साथसाथ हौट और सैक्सी भी लग रहे हैं. यह भी सच है कि रणबीर से नजर हटाना आसान नहीं है. हर लड़की की चाहत होती है कि उस का पार्टनर रणबीर जैसा दिखता हो, ऐट लीस्ट, ऐसा लुक तो जरूर हो.

गानों में शोशाबाजी

जब यह गाना आया था तो हर लड़की अपनेआप को नैना और हर लड़का खुद को बनी इमेजिन करने लगा था. बनी और नैना इसी मूवी के दीपिका और रणबीर के कैरेक्टर्स के नाम हैं. सभी ने इस गाने को खूब एंजौय किया. लेकिन क्या किसी ने इस के बोलों पर ध्यान दिया? नहीं न.

ऐसा इसलिए क्योंकि सारा ध्यान तो गाने के फिल्मांकन, रणबीर, दीपिका की ड्रैस या कहें कि लुक पर था. जिन्होंने भी गाने को देखा उन्होंने इस की वाइब्स को एंजौय किया. गाने के बोल पर तो किसी ने गौर ही नहीं किया. फिल्म निर्माता, निर्देशक यह भलीभांति जानते हैं कि इस पीढ़ी को लिरिक्स से कोई मतलब नहीं है. ये लोग बस फैशन देखते हैं और उसे ट्रैंड बना देते हैं और वैसे भी आखिर में ये गाने इंस्टाग्राम रील और यूट्यूब शौट्स पर जो देखे जाने हैं. सो, क्या ही फर्क पड़ता है लिरिक्स से, कुछ भी लिख दो.

यह सिर्फ अकेला गाना नहीं है जिस के बोल बेसिरपैर के हैं. ऐसे गानों से बौलीवुड की फिल्में भरी पड़ी हैं लेकिन फिर भी लोग न सिर्फ इन्हें सुनते हैं बल्कि इन पर बड़ीबड़ी स्टेज परफौर्मेंस भी देते हैं. इसी साल एक और फिल्म आई थी जिसे डायरैक्ट किया था संजय लीला भंसाली ने और ऐक्टर ऐक्ट्रैस थे रणवीर सिंह व दीपिका पादुकोण. इस फिल्म का नाम था, ‘गोलियों की रासलीला : राम लीला’.

इस का एक गाना है, ‘ततड़ततड़…’ इस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘रामजी की चाल देखो, आंखों की मजाल देखो, करें ये धमाल देखो, अरे दिल को तुम संभाल देखो….’ यह क्या गाना हुआ ततड़ततड़ बतड़बतड़ और इस ततड़ततड़ बतड़बतड़ के पीछे हजारों की संख्या में लड़कियां नाच रही हैं. इतने से भी दिल नहीं भरा तो हीरो की शर्ट उतार दो. बाल लहरा दो. बस, हो गया काम. गाना हिट. कितना सही फार्मूला है, नहीं? असल में फिल्म निर्माता जानते हैं कि औडियंस को क्या चाहिए. वे जानते हैं कि दर्शक म्यूजिक और अच्छा फैशन सैंस चाहते हैं, अच्छे लिरिक्स नहीं.

बस, इसी बात का फायदा उठा कर वे गाने में कुछ भी भर देते हैं या कहें लिख देते हैं. औडियंस भी बस लगा रहता है उसे दिनरात सुनने में. लेकिन कोई उस के आड़ेटेढ़े बोलों पर सवाल नहीं उठाता. कोई यह नहीं पूछता कि आप ने गाने में जो लिखा है, आखिर उस का मतलब क्या है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस तरह के गाने हाल ही के कुछ सालों में बनने शुरू हुए हैं. ये बेसिरपैर के गानों की लिस्ट सालों पुरानी है.

ऊटपटांग शब्दों का प्रयोग

साल 2000 में अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, परेश रावल और तब्बू स्टारर फिल्म ‘हेरा फेरी’ आई थी. यह फिल्म दर्शकों द्वारा आज भी बेहद पसंद की जाने वाली फिल्मों में शामिल है. तभी इस का पार्ट 2 भी बना. यहां फिल्म की बात नहीं, हम बात करेंगे ‘हेरा फेरी’ पार्ट 1 के एक गाने की. इस फिल्म का एक गाना है, ‘मैं लड़का पोंपोंपों…’ इस गाने के बोल हैं,  ‘मैं लड़की पोंपोंपों तू लड़का पोंपोंपों…’ इस गाने में विरामचिह्न की जगह पोंपोंपों शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इस गाने में तब्बू रूठे हुए सुनील शेट्टी को मनाने की कोशिश कर रही है और मनाने के लिए वह गाना गा रही है. जिस में पोंपों शब्द आ रहा है.

सोचने वाली बात तो यह है कि इस ‘पोंपोंपों’ या यह भी कह लें कि खोंखोंखों, खोंखोंखों का मतलब क्या है. कितना अजीब लग रहा है यह सुनने में. गाने में इस शब्द की जरूरत क्या ही है. यह सम   झना अपनेआप में बहुत मुश्किल है.

‘खामोश’ डायलौग से देशदुनिया में फेमस होने वाले शत्रुघ्न सिन्हा की बिटिया सोनाक्षी सिन्हा की डैब्यू फिल्म ‘राउडी राठौर’ का गाना ‘चिंता ता चिता चिता’ तो आप सभी को याद ही होगा. हालांकि सभी को यह गाना पसंद बहुत आया था. लेकिन इस गाने के बोल ‘चिंता ता चिता चिता’ ने सभी को चिंता में डाल दिया. वे इस सोच में पड़ गए कि अगर इस तरह के गाने के बोल बनने लगे तो भविष्य में बनने वाले गानों के बोल क्या होंगे.

कहने का मतलब यह है कि गाने के नाम पर कुछ भी लिख दिया जाएगा. किसी दिन किसी गाने के बोल में कुछ ऊटपटांग सुनने को मिले तो इस में हैरान होने वाली कोई बात नहीं होगी. हो सकता है कि राइटर के पास लिखने के लिए कोई शब्द ही न हों, इसलिए उस ने कुछ भी लिख दिया हो या यह भी हो सकता है कि उस वक्त जो भी उस के दिमाग में आया हो उस ने वह सब लिख कर अपना काम खत्म किया हो और सारा कार्यभार छोड़ दिया हो उस गाने के ऐक्टर ऐक्ट्रैस पर.

‘चिंता ता चिता चिता…’ गाने पर संगीत समीक्षक रोहित मेहरोत्रा का कहना है, ‘‘ऐसे बिना मतलब के बेहूदा लिरिक्स लिखना नई बात नहीं है. हो सकता है कि संगीतकार और गीतकार को एकदम से कुछ सू   झा और उस ने लिख दिया.’’ वे आगे बताते हैं, ‘‘कई गानों में लिरिक्स और वीडियो में कोई मेल नहीं होता, कोई तुक नहीं होती फिर भी वे गाने हिट हो जाते हैं.’’

सवाल यह कि ऐसे गाने आखिर क्यों बनाए जाते हैं. इस विषय पर रोहित मेहरोत्रा का कहना है, ‘‘ऐसे गाने इसलिए बनाए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान इन पर जाए और बाकी गानों से ये गाने कुछ अलग लगें.’’

बेसिरपैर के गानों में बौलीवुड के खान भी पीछे नहीं रहे हैं. बौलीवुड के भाईजान कहे जाने वाले सलमान खान की हालिया फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ का गाना ‘लेट्स डांस छोटू मोटू…’ चर्चा में रहा. इस गाने को सुनने के बाद यह सम   झ आएगा कि यह कोई गाना नहीं है. यह तो नर्सरी राइम्स का पुलिंदा है, जिस में ढेर सारी राइम को उठा कर गाने की शक्ल दे दी गई है. इसे सुन कर ऐसा लगता है कि जैसे राइटर साहब नर्सरी की राइम बुक पढ़ रहे हों और पढ़तेपढ़ते उन्होंने यह गाना लिख दिया हो.

जब यह गाना लौंच हुआ था तभी से इस गाने के बोल चर्चा का विषय बन गए थे. इस गाने को ले कर अलगअलग लोगों की अलगअलग राय रही. कुछ लोगों ने इसे फनी गाना कहा तो कुछ ने बेहूदा. वहीं कुछ लोगों ने इसे बचकाने बोल और क्रिंज डांस की वजह से जम कर ट्रोल किया. कुछ लोगों का तो यहां तक भी कहना है कि यह गाना नर्सरी राइम्स से भी बदतर है.

सोशल साइट पर इस गाने को जम कर ट्रोल किया गया. कुछ लोग कह रहे हैं कि यह गाना देखने के बाद उन्हें हार्पिक से अपनी आंखें और कान धोने की जरूरत है. एक यूजर ने सचमुच गाने के बोल दोबारा लिखे और फिल्म को ट्रोल किया. उन्होंने लिखा, ‘‘मु   झे अब अपने स्वयं के गीत आजमाने दीजिए : गीत की धुन के साथ पढ़ें :

‘ट्विंकलट्विंकल लिटिल स्टार, सल्लू ऐसा क्यों कर रहा यार, तुम प्यार के लिए बहुत बूढ़े हो, फिल्म पहले से ही बेकार लग रही है.’

एक अन्य यूजर ने इस गाने पर कमैंट करते हुए कहा, ‘मैं नहीं कर सकता यार.. वे इस बकवास पर कैसे नाच रहे हैं.’ लेकिन इन सब से परे कुछ अच्छे गाने भी हैं जिन की अनदेखी करना बिलकुल भी सही नहीं होगा. इन गानों को सुन कर इन की तारीफ किए बिना रहा नहीं जाएगा.

अच्छे गानों की अहमियत

इन गानों की लिस्ट में प्रसून जोशी का फेमस गाना जैसे- ‘आंखों की डिबिया में निंदिया और निंदिया में मीठा सा सपना और सपने में मिल जाए फरिश्ता सा कोई…’ बहुत अच्छे बोल वाला गाना है. यह गाना आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ का है. इसी तरह ‘मणिकर्णिका’ फिल्म का एक गीत जिस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘मेरी नसनस तार कर दो, स्वानंद किरकिरे का…’, ‘काई पो चे’ का ‘शुभारंभ हो शुभारंभ मंगल बेला आई…’ और ‘तनु वेड्स मनु’ का ‘ऐ रंगरेज मेरे…’ जैसे अच्छे लिरिक्स हैं.

बात करें अगर हालिया रिलीज फिल्म की तो ऐसे भी कुछ गाने हैं जिन के बोल अच्छे बन पड़े हैं, जैसे ‘तू    झूठी मैं मक्कार’ का गाना ‘ओ बेदर्दिया…’, ‘जरा हटा के जरा बच के’ फिल्म का गाना ‘तू है तो फिर और मु   झे क्या चाहिए…’, ‘सत्यप्रेम की कथा’ का गाना ‘तुम मेरी रहना और नसीब से…’, ‘रौकी और रानी’ की प्रेमकहानी का गाना ‘तुम क्या मिले…’ आदि.

गाने हमारी लाइफ का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गाने एक थेरैपी का भी काम करते हैं. ये हमारे माइंड को फ्रैश रखते हैं. ये हमारा स्ट्रैस रिलीज करते हैं और हमारी फीलिंग्स को बयां करते हैं.

हमारी लाइफ में गाने क्यों जरूरी हैं, इस बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कालेज में पढ़ने वाला 20 साल का नवीन पटनायक कहता है, ‘‘मु   झे और मेरी पार्टनर को गाने सुनना बहुत पसंद है. हम अकसर अपनी फीलिंग्स एकदूसरे को बताने के लिए गानों का इस्तेमाल करते हैं. मैं कभी रोमांटिक होता हूं तो अपनी पार्टनर के लिए प्यारभरे गाने गाता हूं, जैसे ‘जब हैरी मेट सेजल’ मूवी का गाना ‘हवाएं’ है जिस के बोल है ‘मैं जो तेरा न हुआ किसी का नहीं… किसी का नहीं,’ ये बोल सुन कर मेरी गर्लफ्रैंड मु   झे बांहों में भर लेती है और हम प्यारभरे एहसास में डूब जाते हैं.’’

वह आगे कहता है, ‘‘गानों का हमारी लाइफ में होना बहुत जरूरी है. इस के बिना हम अपनी बातों को एक्सप्रैस नहीं कर पाते. मानिए किसी को इंप्रैस करना हो तो गाने की चंद लाइनें गाई जा सकती हैं. इसे एक उदाहरण से सम   झा जा सकता है. हाल ही में विक्की कौशल और सारा अली खान की एक फिल्म का एक गाना है जो म्यूजिक लवर्स की जबान पर सिर चढ़ कर बोल रहा है. इस गाने के बोल हैं ‘तेरे वास्ते फलक से मैं चांद लाऊंगा सोलहसत्तरह सितारे संग बांध लाऊंगा….’ इस गाने से हर वह व्यक्ति खुद को रिलेट कर पाएगा जो प्यार में है.

गाने मैलोडी की तरह

28 वर्षीया आकृति मौर्या, जो एक वौइस आर्टिस्ट है, बताती है, ‘‘गाने मेरी लाइफ में रस घोलने का काम करते हैं. बिना गानों के मैं अपनी लाइफ इमेजिन भी नहीं कर सकती. आप मु   झे एक म्यूजिक लवर भी कह सकते हैं.’क्ष् वह आगे बताती है,’’ लड़के यह अच्छी तरह से जानते हैं कि लड़कियों को गाने बहुत पसंद होते हैं.

‘‘यही वजह है कि वे गानों के जरिए उन्हें इंप्रैस करने की कोशिश में लगे रहते हैं और यह काम भी करता है. मु   झे मेरे बौयफ्रैंड ने जब प्रपोज किया था तो उस ने मेरा औलटाइम फेवरेट सौंग गाया था और हम ने साथ डांस भी किया था. वह मेरे लिए यादगार पल था. आज भी जब मैं वह गाना सुनती हूं तो मु   झे अपना प्रपोजल डे याद आ जाता है.’’

गाने न सिर्फ इंप्रैस और प्यार का इजहार करने का काम करते हैं बल्कि ये हमें चीयर्स करने का काम भी करते हैं. इस का एक अच्छा उदाहरण फिल्म ‘वेक अप सिड’ का गाना ‘आजकल जिंदगी’ है जिस के बोल हैं, ‘आजकल जिंदगी मु   झ से है कह रही…’ यह गाना आप को लाइफ के लिए चीयर्स करने का काम करेगा. वहीं फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ का गाना ‘जिंदा…’ आप को एनर्जी से भर देगा. वहीं कुछ सौंग्स हमें जिंदगी के बुरे दौर से बाहर निकालने में भी हैल्प करते हैं जैसे, फिल्म ‘डियर जिंदगी’ का गाना ‘लव यू जिंदगी…’ इस के अलावा ये हमारी खुशी के साथी भी होते हैं.

अगर फिल्मी गानों की बात की जाए तो बिना गानों के फिल्में वीरान सी होती है. कभी आप बिना गाने के किसी फिल्म को देखिए, आप को फिल्म में कुछ कमी सी लगेगी या फिर मजा नहीं आएगा. गाने फिल्मों में जान डालने का काम करते हैं. वहीं कई बार फिल्मों में गाने के नाम पर कुछ भी परोस दिया जाता है. कई गाने तो ऐसे भी होते हैं जिन में शब्दों का कोई मेल नहीं होता. लेकिन फिर भी उन्हें दर्शकों के सामने परोस दिया जाता है. वैसे, फिल्ममेकर यह भलीभांति जानते हैं कि औडियंस को यह गाना जरूर पसंद आएगा और होता भी ऐसा ही है. बस, एक बार ये गाने इंस्टाग्राम रील्स में आ गए. उस के बाद तो ये फेमस हो जाते हैं.

दरअसल उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि लोग म्यूजिक को ज्यादा एंजौय करते हैं बजाय उस के बोलों के. गाने में म्यूजिक का शोर इतना तेज कर दिया जाता है कि गाने के बोल म्यूजिक के नीचे दब जाते हैं. इस के बाद म्यूजिक की बस धकधक सी कानों में पड़ती है. यही वजह है कि राइटर गाने के नाम पर कुछ भी लिख देते हैं और औडियंस मस्त हो कर इन ऊटपटांग के बोल भरे गानों पर थिरकते रहते हैं.

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