पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आह्वान पर राहुल गांधी, ममता बनर्जी, लालू यादव, शरद पवार और कई अन्य कद्दावर नेताओं की ‘विपक्षी एकता’ को देख कर भारतीय जनता पार्टी और उस की सरकार के माथे पर साफसाफ पसीना देखा जा सकता है. लोकतंत्र में सत्ता के विरुद्ध विपक्ष का एक होना एक सामान्य बात है.

अब लोकसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं है। ऐसे में अगर विपक्ष एक हो रहा है तो यह भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी सरकार के लिए स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है क्योंकि जब तक विपक्ष में एकता नहीं है भारतीय जनता पार्टी सत्ता में बनी रहेगी, यह सच विपक्ष के सामने भी और सत्ता में बैठी भाजपा के नेताओं को भी पता है. यही कारण है कि जब पटना में विपक्ष के लगभग सारे राजनीतिक दलों ने एक सुर में भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में उखाड़ फेंकने का ऐलान किया तो भारतीय जनता पार्टी और उस के नेता तिलमिला गए। उन के बयानों से दिखाई देता है कि उन्हें अपनी कुरसी हिलती हुई दिखाई दे रही है।

पब्लिक है सब जानती है

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी और आज की केंद्र सरकार का एजेंडा जगजाहिर हो चुका है. बड़ेबड़े नेता यह ऐलान कर चुके हैं कि हम तो 50 सालों तक सत्ता पर काबिज रहेंगे और यह बोल कर भाजपा के नेताओं और सत्ता में बैठे चेहरों ने बता दिया है कि उन की आस्था लोकतंत्र में नहीं है और सत्ता उन्हें कितनी प्यारी है, उन की मंशा क्या है। यही कारण है कि आज एक वर्ग द्वारा लोकतंत्र को खतरे में माना जा रहा है क्योंकि सत्ता में बैठे हुए लोग अगर यह कहने लगें कि हम तो कुरसी छोड़ेंगे ही नहीं, तो इस का मतलब यह है कि असंवैधानिक तरीके से सत्ता पर काबिज रहने के लिए आप कुछ भी कर सकते।

यही कारण है कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियां कुछ इस तरह की हैं जिस से चंद लोगों को लाभ है। अब हालात यह है कि विपक्षी दलों के एकजुट होने की कोशिशों की आलोचना करते हुए पटना की बैठक को ‘स्वार्थ का गठबंधन’, ‘नाटक’ और ‘तसवीर खिंचवाने का अवसर’ बता कर भारतीय जनता पार्टी के नेता अपना बचाव कर रहे हैं.

भाजपा की बैचेनी जगजाहिर

बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की ओर से साल 2024 के लोकसभा चुनाव में साथ मिल कर लड़ने की घोषणा के तत्काल बाद दिल्ली मे पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मोरचा संभाला और कहा,” जो राजनीतिक दल कभी एकदूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे, वे भारत को आर्थिक प्रगति से वंचित करने के संकल्प से एकत्रित हुए हैं.”

अपने चिरपरिचित अंदाज में स्मृति ईरानी ने कहा, “कहा जाता है कि भेड़िए शिकार के लिए झुंड में आते हैं और यह राजनीतिक झुंड पटना में मिला. उन का ‘शिकार’ भारत का भविष्य है.”

महत्त्वपूर्ण बात यह कि पटना में विपक्षी एकता चल रही थी और केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह जम्मू में थे। उन से भी नहीं रहा गया और बोल पड़े,” विपक्षी एकता लगभग असंभव है.”

उन्होंने कहा,”आज पटना में एक फोटो सैशन चल रहा है। सारे विपक्ष के नेता संदेश देना चाहते हैं कि हम भाजपा और मोदी को चुनौती देंगे। मैं सारे विपक्ष के नेताओं को यह कहना चाहता हूं कि कितने भी हाथ मिला लो, आप की एकता कभी संभव नहीं है और हो भी गई तो इकट्ठा हो जाइए और जनता के सामने आ जाइए…”

दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा उड़ीसा के कालाहांडी में थे। उन्होंने वहीं से कहा, “आज जब सभी विपक्षी दल पटना में गलबहियां कर रहे हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है कि कांग्रेस विरोध के साथ अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाले नेताओं की स्थिति क्या से क्या हो गई है.”

उन्होंने कहा,”यही लालू प्रसाद यादव पूरे 22 महीने जेल में रहे. कांग्रेस की इंदिरा, राहुल की दादी ने उन्हें जेल में डाला था. यही नीतीश कुमार पूरे 20 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहे.”

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी चुप नहीं बैठे। उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक को एक ‘तमाशा’ करार दिया.

अब आप स्वयं देखें और विवेचना करें कि राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जो एकता कर रहे हैं वह कितना देश हित में है और भारतीय जनता पार्टी पर जो सत्ता का मद चढ़ा हुआ है उस से देश को किस तरह हानी हो रही है.

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