जफर हुसैन उर्फ चांद बाबू के सिर पर धर्म का उन्माद सवार रहता था. वह तरहतरह की तंत्र क्रियाएं करता रहता है, यह पूरा गांव जानता था. इसी वजह से कोई उसे तांत्रिक कहता था तो कोई पागल तो कोई कुछ और. गांव के लोगों से उस के ताल्लुकात अच्छे नहीं थे. इस की वजह यह थी कि वह छोटीछोटी बातों पर गुस्सा हो जाता था. वादविवाद की स्थिति में लोगों को तांत्रिक क्रियाओं की धमकी देना उस की आदत में शुमार था. लिबास भी वह ढोंगियों और पाखंडियों जैसा पहनता था. उस की इन अजीबओगरीब हरकतों से गांव वाले भी अंधविश्वास का शिकार हो गए कि उसे नाराज करने से उन का कोई अनिष्ट हो सकता है. यही वजह थी कि लोग उस से मेलजोल बढ़ाने से कतराते थे.

जफर उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के भोजीपुरा थाना के गांव मैमोर में रहता था. उस के परिवार में पत्नी नईम बानो के अलावा 4 बच्चे, 7 साल का फरहान, 5 साल की फरहीन, 4 साल का फयाज और 1 साल का फमान. जफर का वास्ता चूंकि

लोगों से कम था, इसलिए दूसरे लोग भी उस पर कम ही ध्यान देते थे. लेकिन एक दोपहर जफर के घर से आने वाली चीखनेचिल्लाने की आवाजों ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया.

उस के दरवाजे पर पहुंचे लोगों ने अंदर का नजारा देखा तो ठिठक गए. उन्होंने बाहर खड़े हो कर देखा, जफर अपनी बेटी फरहीन को बुरी तरह पीट रहा था. डरीसहमी मासूम बच्ची उस के चंगुल के छूटने के लिए छटपटा रही थी. नईम बानो बेटी को बचाने के लिए उस के साथ धक्कामुक्की कर रही थी.

“इस ने मेरी सारी तांत्रिक क्रिया खराब कर दी. मेरा अच्छा वक्त आने वाला था, लेकिन इस ने उसे खत्म कर दिया. यह मेरी बेटी नहीं, बल्कि इस के अंदर किसी शैतानी आत्मा का साया है.” जफर फरहीन को प्रताडि़त करते हुए बड़बड़ा रहा था.

“क्या बकवास कर रहे हो तुम?” नईम बानो चिल्लाई तो वह उसे समझाने वाले अंदाज में बोला, “यह हकीकत है बानो, इस ने शैतानी हरकत की है. मैं इसे ङ्क्षजदा नहीं छोड़ूंगा.” कहते हुए वह बेटी को बेरहमी से पीटने लगा. नईम बानो तेजतेज चिल्लाने लगी. नईम ही नहीं, फरहीन भी चिल्ला रही थी, “अब्बू, मुझे छोड़ दो, मैं ने कुछ नहीं किया.”

“कैसे छोड़ दूं. तू फरहीन नहीं, बल्कि ऐसा शैतान है, जो मेरी ङ्क्षजदगी को तबाह कर देना चाहता है. मेरी तांत्रिक क्रिया को फेल करना चाहता है. अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूं. चूल्हे के पास ही तेरी कब्र बना दूंगा.”

जफर गुस्से में बड़बड़ा रहा था. उस के सिर पर जैसे खून सवार था. डर की वजह से जफर के बाकी बच्चे बरामदे में पड़े तख्त के नीचे छिप गए थे. बाप की ही तरह वे भी हरे व काले रंग का खास लिबास पहने हुए थे और उन के सिर पर वैसे ही रंग का कपड़ा बंधा था.

यह नजारा देख रहे लोग चिल्लाए, “जफर, पागल हो गया है तू. मार ही डालेगा क्या बच्ची को?” जफर ने उन की तरफ घूर कर देखते हुए कहा, “खबरदार, मेरे बीच कोई मत आना वरना भस्म कर दूंगा.”

इस के साथ ही उस ने मासूम फरहीन का सिर जमीन पर पटकना शुरू कर दिया. उस का दिल जरा भी नहीं पसीजा. नईम बानो हैवान बने शौहर से फरहीन को बचाने आई तो उस ने उसे धक्का दे कर दूर कर दिया. फरहीन के सिर से खून बह निकला. कुछ देर के लिए उस का शरीर छटपटाया और फिर शांत हो गया.

यह देख कर नईम बानो बदहवास हो गई. बाहर खड़ा कोई शख्स अंदर आने की हिम्मत नहीं जुटा सका. चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पड़ोस में रहने वाले जफर के चाचा वली हुसैन भी वहां आ पहुंचे.

उस जगह का नजारा देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. वह घर के अंदर दाखिल हो कर जफर के नजदीक पहुंचे तो उस ने उन पर चाकू से हमला कर दिया. वली हुसैन वापस दरवाजे पर आ गए. लोग तमाशबीन बने देखते रहे. जबकि जफर पालथी मार कर फरहीन के पास बैठ गया. डरीसहमी पत्नी व दोनों बच्चे भी उस के पास बैठ गए. जफर मन ही मन कुछ बुदबुदाने लगा. दिल दहला देने वाले इस हैरतअंगेज नजारे ने गांव वालों के रोंगटे खड़े कर दिए. इस बीच घटना की खबर पा कर स्थानीय

मीडियाकर्मी भी वहां पहुंच गए. लेकिन कोई भी घर के अंदर घुसने की हिम्मत नहीं जुटा सका. गांव के चौकीदार मुकेश ने इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी अनिल सिरोही, एसआई अखिलेश ङ्क्षसह और कुछ अन्य पुलिसकर्मी मौकाएवारदात पर पहुंच गए. पुलिस ने जफर को हिरासत में ले लिया. वह पुलिस की पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए बोला, “मुझे क्यों पकड़ रहे हो? मैं ने तो शैतान का कत्ल किया है. मेरी बेटी तो अभी कुछ देर में ङ्क्षजदा हो जाएगी. मैं उसे ङ्क्षजदा कर दूंगा.”

मामला संगीन था. थानाप्रभारी ने इस की सूचना एसएसपी धर्मवीर को भी दे दी थी. बाद में पुलिस अधीक्षक (देहात) ब्रजेश श्रीवास्तव भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस ने मौका मुआयना किया और पंचनामा भर कर बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. आरोपी के घर का माहौल बिलकुल अजीब था. वहां तंत्र क्रियाओं का कई तरह का सामान मौजूद था.

पुलिस ने संदिग्ध चीजों को अपने कब्जे में ले लिया. फिर उस की पत्नी, बच्चों और गांव वालों से पूछताछ की. यह घटना किसी को भी झकझोर सकती थी. पुलिस आरोपी को थाने ले आई और उस से विस्तृत पूछताछ की. जफर से हुई

पूछताछ व ग्रामीणों के बयानों के बाद अंधविश्वास के साए में जी रहे एक ऐसे शख्स की कहानी निकल कर सामने आई, जिसने अंधविश्वास में डूब कर अपने परिवार को तो तबाह कर ही दिया था, साथ ही अपना भविष्य भी बरबाद कर लिया था. जफर उन नौजवानों में से था, जो बिना मेहनत किए बड़ेबड़े ख्वाब देखते हैं. सालों पहले जफर का विवाह नईम बानो के साथ हुआ तो वह परिवार से अलग हो गया. वक्त के साथ वह 3 बच्चों का पिता बन गया. जफर के परिवार की माली हालत बहुत

अच्छी नहीं थी. बस किसी तरह छोटेमोटे काम कर के वह परिवार की गाड़ी खींच रहा था. काम के बाद उस का बाकी का वक्त यारदोस्तों में बीतता था. गनीमत यह थी कि वह किसी बुरी आदत का शिकार नहीं था. जफर जब भी दोस्तों के बीच बैठता था, बड़ीबड़ी खयाली बातें किया करता था.

गांवदेहात के इलाकों में अंधविश्वास के अनेक रोचक किस्से होते हैं. समाज का मनोविज्ञान है कि लोग अंधविश्वास के किस्सों को रहस्य के साथ बड़ी रुचि से सुनाते हैं. इन किस्सों पर लोगों के बीच चर्चा होती है. अंधविश्वास के नकारात्मक पहलुओं पर

इतनी चर्चा नहीं होती, जितनी कि इत्तेफाकिया सही हो जाने वाले मामलों की होती है. इसे लोग चमत्कार भी समझते हैं. फलस्वरूप अंधविश्वास की कहानियां बचपन से ही दिमाग में बैठनी शुरू हो जाती हैं. जफर भी अंधविश्वास का शिकार था.

दोस्तों के बीच वह ऐसे किस्सों को दिल लगा कर सुनता और दिनचर्या की बातों और जीवन में आने वाली बाधाओं को अंधविश्वास से जोड़ कर देखता है.

जफर किसी भी परेशानी का शिकार होता तो वह सीधा किसी बाबा या तांत्रिक के पास जा पहुंचता. तांत्रिक उस केअंधविश्वास का फायदा उठा कर उस से रुपए ऐंठ कर कभी ताबीज पकड़ा देते तो कभी भभूत.

बच्चों को कोई बीमारी होती तो भी वह चिकित्सकों से ज्यादा बाबाओं पर भरोसा करता था. उसे यह समझाने वाला कोई नहीं था कि अंधविश्वास के आईने में वह यथार्थ को न भुलाए. दरअसल सुझाव का सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है. यह व्यक्ति के उद्देश्य, मत, विचार एवं जीवन में भी परिवर्तन लाता है. बशर्ते सुझाव सही और उसे मानने वाला अच्छेबुरे का फर्क करना जानता हो.

जफर ने आजीविका चलाने के लिए एक बैंडबाजा मंडली में काम करना शुरू कर दिया था. इस से जो कमाई होती थी, उसी से उस का घर चलता था. इस काम में उसे आमदनी कम थी, लिहाजा वह किसी चमत्कार की उम्मीद किया करता था.

तांत्रिकों के संपर्क में आने के बाद वह खुद भी अजीब ढंग से ङ्क्षजदगी जीने लगा था. इस के बावजूद उस के हालत जस के तस थे. वह चाहता था कि उस के हालात अच्छे हों और ङ्क्षजदगी आसान सी हो जाए.

इंसान का व्यवहार तब बदल जाता है? जब उस की उम्मीदें पूरी नहीं होतीं. जफर जिन उम्मीदों को पाले हुए था, वे मेहनत के बलबूते ही पूरी हो सकती थीं. जबकि वह अंधविश्वास में पड़ कर चमत्कार की चाहत पाले बैठा था.

बैंडबाजे के काम से गुजर मुश्किल हो गई, तो जफर ने एक चिटफंड कंपनी में बतौर एजेंट काम करना शुरू कर दिया. इस से उस की पारिवारिक स्थिति थोड़ी सुधरी. उस ने अपनी जानपहचान वाले लोगों का रुपया तो कंपनी में लगवाया ही, अपनी

कमाई भी उस में निवेश कर दी. यह कंपनी अपनी आकर्षक स्कीमों के जरिए तय वक्त पर लोगों को उन के निवेश का बड़ा फायदा देने का वादा करती थी. बाजारों में ऐसी चिटफंड कंपनियों की भरमार है, जो लोगों को बड़ेबड़े सपने दिखा कर रुपया बंटोरती हैं.

अधिकांशत: इन का शिकार वे लालची लोग होते हैं, जो कम वक्त में रईस बनने के सपने देखते हैं. उन्हें लगता है कि बैठेबिठाए ही उन की रकम बढ़ जाएगी, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं नहीं है. ऐसी कंपनियां मोटी रकम एकत्र होते ही चंपत हो जाती हैं. जफर जिस कंपनी में काम करता था, उस ने भी एक दिन ऐसा ही किया.

कंपनी के लापता होते ही जफर दोराहे पर आ खड़ा हुआ. लोगों ने भी उस से रुपए मांगने शुरू कर दिए. इस से वह परेशान रहने लगा. परेशानी के इसी दौर में अंधविश्वास के शिकार जफर ने फिर पाखंडी तांत्रिकों का सहारा लेने की सोची.

वह तांत्रिकों से मिला तो उन लोगों ने उसे कुछ टोनेटोटके समझा दिए. साथ ही बताया कि वह सब्र से काम ले, बहुत जल्द उस की ङ्क्षजदगी पूरी तरह बदल जाएगी. जफर के लिए यह सब किसी सुखद सपने जैसा था. इस के बाद वह लोगों से कहने

लगा कि अब बहुत जल्द उस का वक्त बदलने वाला है.

बेरोजगार होने के बाद जफर के पास कोई काम नहीं बचा था. वह नौजवान था. वह चाहता तो कोई भी काम कर के अपने

पारिवारिक हालात को संवार सकता था, लेकिन अंधविश्वास ने उसे बुरी तरह जकड़ रखा था. निठल्ला होने की वजह से वक्त

उस के लिए महायातना बन गया. कमाई धेले की नहीं थी, नतीजतन बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ गई.

नईम बानो ने अपने पिता को खबर की. उस का मायका पीलीभीत, जहानाबाद क्षेत्र के गांव चका में था. खबर मिलते ही उस के पिता मोहम्मद अनवार मैमोर आ गए. उन्होंने रुपए दे कर मदद तो की ही, साथ ही वह जफर को समझाया भी, “बेटा,

मेरी बात को गलत मत समझना. मेरी सलाह है कि कोई कामधंधा ढूंढ लो.” “मैं बहुत जल्द सब ठीक कर दूंगा.” जफर ने खयाली अंदाज में आत्मविश्वास से जवाब दिया. मोहम्मद अनवार ने उस से

कहा, “अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो मैं बानो और बच्चों को कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाता हूं. जब हालात सुधर जाएं तो तुम इन्हें ले आना.”

इस बात पर जफर भडक़ गया, “नहीं, यह मुझे हरगिज मंजूर नहीं है.”

अनवार ने अपनी बात पर अडिग रहने की कोशिश की तो जफर ने चेतावनी दी कि अगर वह बच्चों को ले गए तो वह मौत को गले लगा लेगा. दामाद का इस तरह का व्यवहार देख कर अनवार बुझे मन से वापस चले गए. जफर अंधविश्वास में पूरी तरह डूब चुका था. वह तंत्र क्रियाओं में लीन रहता था. उस का स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो गया था. कोई उस पर किसी तरह की टिप्पणी कर देता तो वह बुरी तरह भडक़ जाता. इस के अलावा वह लोगों से छोटीछोटी बातों पर झगडऩे लगता था.

उस की इस तरह की आदत से एक तरफ जहां लोग उस से कतराने लगे थे, वहीं उस ने भी सब से दूरियां बना ली थीं. लोग तब उस से और भी डरने लगे, जब उस ने अपने चचेरे भाई मोहम्मद हुसैन से झगड़ा होने पर एक रात उस की मोटरसाइकिल को आग लगा दी और प्रचारित किया कि उस ने तंत्रमंत्र के बल पर ऐसा किया है.

नईम बानो अनपढ़ महिला थी. जफर ने उसे व बच्चों को भी अपने रंग में रंग लिया था. इसी तरह वक्त बीतता गया. टोनेटोटकों से न हालात सुधरने थे और न सुधरे. जफर अजीब सी गफलत में रहने लगा. उसे लगने लगा कि उस के परिवार

पर कोई शैतानी साया है, जो उसे आगे नहीं बढऩे दे रहा. आॢथक हालात दिनबदिन बिगड़ते जा रहे थे. जफर के घर के आॢथक हालात मोहल्ले वालों से भी छिपे नहीं थे. वे मदद करने का प्रयास करते तो जफर उन्हें गालियां दे कर भगा देता.

स्थिति बिगड़ती गई तो उस ने एक तांत्रिक क्रिया करने का फैसला किया. इस के लिए उस ने सब से पहले पूरे परिवार के लिए काले व हरे रंग के कपड़े सिलवाए. इन कपड़ों को सभी को पहना कर वह घर में तरहतरह की क्रियाएं करता.

बच्चों के सिर पर वह टोपीनुमा एक कपड़ा बंधवा देता. उस ने एक दिन पत्नी व बच्चों को समझाते हुए कहा, “किसी के भी सिर से एक सप्ताह तक यह कपड़ा नहीं उतरना चाहिए, वरना बहुत बुरा हो जाएगा. यह कपड़ा बंधा रहा तो जल्द ही मेरा वक्त

सुधर जाएगा.” घर में पत्नी और बच्चे उस के हुक्म के गुलाम थे. सब ने ऐसा ही किया. वह बच्चों के साथ घर में घंटो बैठ कर अजीबअजीब

क्रियाएं करता रहता. बच्चों व पत्नी के घर से निकलने पर भी उस ने पाबंदी लगा दी थी. 2 अक्तूबर, 2015 की दोपहर का वक्त था. जफर अपनी तंत्र क्रिया में लीन था. इसी बीच नईम बानो खाना बनाने लगी.

फरहीन घर में खेलते हुए मां के पास रोटी लेने चली गई. जैसे ही वह रोटी लेने के लिए झुकी, उस के सिर से दुपट्टेनुमा बंधा कपड़ा हट गया. जफर की नजर उस पर गई तो वह आगबबूला हो उठा, “यह क्या किया तू ने, सिर से दुपट्टा कैसे हट गया?”

“गलती हो गई अब्बू.” फरहीन ने डर कर जवाब दिया. यह सुन कर जफर गुस्से में बोला, “तू जरूर वही शैतानी साया है, जो मुझे आगे नहीं बढऩे दे रहा. अच्छा हुआ तू पकड़ में आ गया. आज मैं तुझे सबक सिखा कर ही दम लूंगा.”

इस के साथ ही जफर ने मासूम फरहीन को पीटना शुरू कर दिया. उस का भयानक रूप देख कर फरहीन के भाई पिटाई के डर से तख्त के नीचे छिप गए. नईम बानो ने बेटी को बचाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन जफर ने आखिर उसे बेरहमी से मार ही डाला.

पूछताछ में पता चला कि जफर की इस कहानी से पुलिस भी हैरान थी. आॢथक परेशानियों और अंधविश्वास की वजह से जफर की हालत पागलों जैसी हो गई थी. पुलिस ने उस के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया. अगले दिन उसे अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

जफर ने मेहनत कर के ङ्क्षजदगी को संवारा होता और अंधविश्वास में न पड़ा होता तो ऐसी नौबत कभी न आती. कथा लिखे जाने तक जफर की जमानत नहीं हो सकी थी. उस की पत्नी व बच्चे नातेरिश्तेदारों की रहमोकरम पर पल रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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