Family Story : बारिश के बाद की शाम अकसर आसमान में एक अलग सी लाली छोड़ जाती है. सुधा भी कुदरत की इस खूबसूरती को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाह रही थी कि अचानक प्रिया की आवाज से उस का ध्यान टूटा, “मम्मा, यह लो आप की चाय.”

प्रिया को पता था कि सुधा को बालकनी में बैठ कर प्रकृति को निहारते हुए चाय पीना बेहद पसंद है. इसलिए जब भी कभी वह कालेज से जल्दी आ जाती तो दोनों मांबेटी साथ बैठ कर चाय पीते और गप्पें मारते.

शाम को फोन की घंटी बजी। सुधा के फोन उठाते ही सामने से प्रिया की आवाज़ आई,”मम्मा, आज मुझे कालेज से आने में देर हो जाएगी. आप परेशान मत होना.”

ठीक है, लेकिन अंधेरा होने से पहले घर आ जाना, मैं खाना बना कर रखूंगी. हां, बाहर से कुछ खा कर मत आना. सुधा की हिदायत सुन कर प्रिया ने भी हामी भर दी. वह मां की चिंता बखूबी समझती थी.

फोन रखते ही सुधा की नजर दीवार पर लगी प्रिया और रमन की तसवीर पर चली गई. रमन प्रिया को गोद में लिए था. यह तसवीर तब की थी जब प्रिया 2 साल की थी और वे तीनों अकसर समंदर किनारे घूमने जाते थे. समंदर किनारे पड़ी रेत से खेलना प्रिया को खूब भाता था. वे तीनों अकसर छुट्टी वाले दिन वहां जाया करते. यही सब सोचतेसोचते सुधा कब 21 साल पीछे चली गई उसे पता ही नहीं चला.

सुधा और रमन की अरैंज्ड मैरिज थी. रमन जहां शांत स्वभाव का व्यक्ति था तो, वहीं सुधा खुशमिजाज, हंसतीखिलखिलाती रहने वाली लड़की.

सुधा के आने से घर में सभी का मन लगा रहता. धीरेधीरे सुधा भी रमन के साथ घरगृहस्थी में रमती गई. लेकिन रमन का कम बोलना, हर बात पर सीमित सा जवाब देना सुधा को अकसर परेशान कर देता. सुधा ने कई बार रमन से उस के इस तरह के व्यवहार को ले कर बात करनी चाही लेकिन हर बार रमन उस की बात को टाल जाता या कोई और बात शुरू कर देता. खैर, सुधा भी उस के व्यवहार के अनुसार खुद को ढालने लगी.

वक्त के कहां पैर होते हैं वह तो बस पंख लगाए उड़ता जाता है. रमनसुधा के जीवन में विवाह के 2 वर्ष बाद प्रिया आ गई. सुधा अकसर सोचती कि प्रिया के आने से घर में रौनक सी आ गई है। शायद रमन के व्यवहार में भी अब बदलाव आ जाए. मगर ऐसा हो न सका.

रमन प्रिया से बहुत प्यार करता था। उस के साथ घंटों खेलना, उस की हर जिद पूरी करना, उसे घुमाने ले जाना, जैसे हर पिता करता है रमन भी प्रिया को सिरआंखों पर रखता. आखिर संतान के सामने तो बड़े से बड़े कद का व्यक्ति भी खुशीखुशी झुक कर उस का खिलौना बन जाता है.

एक शाम अचानक सुधा की सास की तबियत बिगड़ गई. सुधा ने जीजान से उन की सेवा की लेकिन बढ़ती उम्र और अस्थमा की बीमारी के चलते कुछ ही दिनों में वे इस दुनिया को अलविदा कह गईं. अब सारे घर की जिम्मेदारी सुधा पर आ गई.

सास के जाने के बाद ससुरजी और ननद ने उन की यादों को टटोलने के लिए उन की अलमारी खोली, जिसे सुधा की सास के अलावा कोई नहीं खोल सकता था. सास ने सभी को इस की सख्त हिदायत जो दे रखी थी.

अलमारी खोलते ही उस में से रमन और नेहा के बचपन की तसवीरें निकलीं. दोनों भाईबहन खूब लड़ा करते थे लेकिन प्रेम भी भरपूर था. नेहा ने नम आंखों से रमन के हाथ में एक तसवीर थमा दी जिस में मां ने दोनों को तैयार कर के स्कूल ड्रैस में स्टूडियो ले जा कर फोटो खिंचवाया था. सुधा भी सासूमां की अलमारी से उन की डायरियां निकाल रही थी, जिस में वे अपने मन की बातें लिखा करती थीं, साथ ही उन्होंने कई खत भी संभल कर रखे थे जो उन के मातापिता व भाइयों द्वारा लिखे गए थे. इस में एक खत रमन का भी था जिसे देख कर सुधा थोड़ा चौंक गई.

खत को सभी के सामने पढ़ना संभव नहीं था इसलिए उस ने उसे सभी की नजरों से छिपा कर मुट्ठी में कैद कर लिया. शाम के वक्त सुधा रमन के लिखे उस खत को ले कर छत पर गई. सुधा ने खत को खोल कर पढ़ना शुरू किया और खत के अंत होने से पहले ही सुधा की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. खत में रमन ने सुधा से विवाह न करने का जिक्र किया था, चूंकि मां के सामने वह इस तरह की बात नहीं कह सकता था इसलिए उस ने खत का सहारा लिया था. दरअसल, रमन अपने औफिस में साथ काम करने वाली एक लड़की को पसंद करता था और उसी से विवाह करना चाहता था. लेकिन समाज और मातापिता के दबाव के कारण वह कभी भी अपनी बात नहीं रख पाया था और दबाव में आ कर ही उस ने सुधा से शादी करने के लिए हां कर दी थी.

शाम जैसेजैसे ढलने लगी थी सुधा को अपने जीवन का सूरज भी ढलता हुआ नजर आ रहा था. उसे आज इस बात का एहसास हो गया था कि रमन की इतनी सालों की चुप्पी के पीछे का कारण उस का जबरदस्ती हुआ विवाह था. पर सुधा की भी क्या गलती थी उस ने तो हर कदम पर रमन का साथ दिया. उस के परिवार को अपना माना…लेकिन अब वह क्या करे?

सुधा ने कुछ दिन बाद घर का माहौल सामान्य होने पर रमन से अपने मन की बात खत में लिख कर कह दी-
‘रमन, मैं जानती हूं कि शायद यह समय इन बातों का नहीं है लेकिन मैं अब इस तरह सारा सच जान कर इस रिश्ते में नहीं रह सकती. पतिपत्नी के रिश्ते की नींव सचाई पर खड़ी होती है लेकिन इस रिश्ते में आप का सच तो हमेशा अधूरा ही रहा. आप ने मांजी को खत लिख कर अपने मन की बात तो बता दी लेकिन क्या कभी मेरी इच्छा जानने की कोशिश की? मैं ने इस शादी में खुद को हमेशा अकेला ही पाया लेकिन आप शांत स्वभाव के हैं यह सोच कर खुद को मनाती रही.

‘आज जब सारा सच मेरे सामने है तो मैं कैसे आप के साथ इस अधूरे रिश्ते में रह लूं… मैं हमारे इस रिश्ते को अच्छे मोड़ पर छोड़ कर जाना चाहती हूं, ताकि प्रिया जब बड़ी हो तो वह खुद को अकेला महसूस न करे.’

सुधा ने कुछ दिनों बाद अलग रहने का फैसला कर लिया. रमन ने उसे समझाना चाहा लेकिन सुधा के आगे उस की एक न चली. हां, प्रिया से मिलने रमन आता रहता था और सुधा ने भी कभी प्रिया को रमन से अलग करने की कोशिश नहीं की. सुधा और रमन बेशक अलग हो गए थे लेकिन प्रिया उन के बीच एक महीन लेकिन बेहद मजबूत डोर की तरह थी.

प्रिया अकसर पापा के बारे में पूछती तो सुधा उसे रमन के पास मिलाने ले जाती. स्कूल में पेरैंट्स मीटिंग में भी दोनों साथ जाते, ताकि प्रिया को कभी किसी एक की भी कमी महसूस न हो. समय के साथसाथ प्रिया भी समझने लगी थी कि उस के मातापिता अलग रहते हैं. लेकिन उस ने कभी सुधा से कोई सवाल नहीं किया. सुधा भी रमन को ले कर बहुत सामान्य व्यवहार करती. अलग रहते हुए भी दोनों ने कभी प्रिया को अलगाव का एहसास नहीं होने दिया.

समय के साथसाथ उस ने भी मातापिता के फैसले को स्वीकार कर लिया था. आज भी रमन प्रिया से मिलने सुधा के घर आता है और तीनों बैठ कर घंटों बतियाते हैं. न रमन ने कभी सुधा को ले कर प्रिया से कुछ गलत कहा और न ही सुधा ने कभी रमन का सच प्रिया से जाहिर किया. प्रिया का जब मन करता वह भी पिता से मिलने चली जाया करती.

मातापिता का अलगाव कभी प्रिया के जीवन में खालीपन नहीं लाया.
मातापिता का तलाक या अलगाव का असर बच्चों पर बहुत गहरा पड़ता है. पर सूझबूझ और समझदारी से रिश्ते निभाए जाएं और बच्चों का साथ मिलें तो सारी समस्याएं चुटकियों में हल हो जाती हैं.

सुधा तसवीर को देखते हुए यही सब सोच रही थी कि दरवाजे की घंटी बजी और सुधा एक झटके में अतीत से वर्तमान में लौट आई. दरवाजा खोलते ही सामने रमन और प्रिया खड़े थे.

“मम्मा, जल्दी खाना लगा दो बहुत जोर की भूख लगी है, हम तीनों आज साथ खाना खाएंगे,” कहतेकहते प्रिया रमन और सुधा के गले में हाथ डाल कर झूल गई.

सुधा और रमन भी एकदूसरे को देखकर मुसकरा दिए।

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