हार्ट अटैक ऐसी गंभीर समस्या है जिस में मरीज तो मरीज, पूरा परिवार भी सकते में आ जाता है. ऐसी स्थिति में सारी चीजें आननफानन होती हैं. इस का फायदा अस्पताल और डाक्टर उठाने से गुरेज नहीं करते. हार्ट अटैक ऐसी समस्या है जिस का नाम सुनते ही कुछ लोग तो एकदम से घबरा जाते हैं.

अकसर यह समस्या सर्दी में इंसान पर ज्यादा अटैक करती है क्योंकि ठंड के कारण खून में गाढ़ापन आ जाना, ठंड की वजह से ज्यादा हैवी डाइट लेना जोकि उम्र के हिसाब से ज्यादा नहीं लेनी चाहिए या कभी ऐसा भी होता है कि पारिवारिक परिस्थितियों के चलते अत्यधिक टैंशन लेने से दिल की धड़कन, जोकि नौर्मल 70-72 प्रति मिनट होती है, का बहुत तेज हो जाना आम होता है. ऐसे ही कुछ कारण होते हैं हार्ट अटैक के.

इसी तरह 4 साल पहले जनवरी की ठंड और उस पर शुगर के पेशेंट मेरे पति सुबह ठीकठाक घर से नाश्ता कर के दुकान गए. लेकिन उन्हें अचानक सीने में दर्द हुआ. बेटा ?ाटपट पास के बीएएमएस डाक्टर के पास ले गया. डाक्टर तकलीफ देखते ही ईसीजी करने लगा और रिपोर्ट देख कर उन्होंने मेरे बेटे से कहा कि अभी तुरंत हार्ट केयर सैंटर ले कर जाओ, जोकि हमारे यमुनानगर शहर में ही था, हालांकि अब वह बंद हो चुका है. उस सैंटर के बंद होने का कारण यह कि डाक्टरी पेशा एक बिजनैस बन चुका है.

उस सैंटर में कमीशन खाने या फुजूल में पेशेंट को डरा कर, ऐसे टैस्ट करवाए जाते हैं जिन की जरूरत भी नहीं. इस के चलते लोगों का भरोसा उठ चुका था. यही वजह रही कि हार्ट सैंटर कामयाब नहीं रहा. डाक्टर ने जब मेरे बेटे से कहा कि देर नहीं करनी चाहिए तो वहीं से ही पेशेंट को हार्ट सैंटर ले जाया गया. जाते ही उन्होंने कहा कि स्टेंट डलेंगे. एक, दो या तीन कितने, यह अभी नहीं बता सकते.

यह हमें टैस्ट के बाद पता चलेगा. हम ने पेशेंट को उन के हवाले कर दिया था और कहा, कुछ भी करो बस, ठीक कर दो. दरअसल वह समय ऐसा होता है कि परिवार वाले पेशेंट की जान हथेली पर ले कर घूमते हैं. वे तो उसे अपनी मुट्ठी में संभाल कर रखना चाहते हैं किसी भी कीमत पर. उन्होंने ट्रीटमैंट शुरू कर दिया. मेरे पति को कुछ हलका सा दर्द कम हुआ. मगर अभी भी वे कह रहे थे कि दर्द हो रहा है, मैं पास ही खड़ी थी. अचानक उन की हार्ट बीट बंद होने लगी. वे छटपटाने लगे. मेरी बहू, जो डाक्टरी लाइन से संबंध रखती है, ने शोर मचा कर डाक्टर को बुलाया.

तब हमें बाहर निकाल कर कुछ ‘शौक’ इत्यादि दिया गया तो लगभग हार्टबीट जो बंद हो गई थी, फिर से चल पड़ी और इमरजैंसी में एंजियोग्राफी कर के 2 स्टेंट डाले गए जिस का खर्चा उस समय सवा 2 लाख रुपए आया. 2 लाख रुपए उसी समय पहले डिपौजिट कराए गए. उस समय हमारे पास कहीं और जाने का औप्शन नहीं था. हालात कुछ ऐसे हो गए थे. दूसरा केस जोकि चंडीगढ़ जीरकपुर का है. पेशेंट यानी कि मेरे भाईसाहब को सीने में दर्द हुआ तो पास के ही डाक्टर को दिखाया गया, जिस ने कहा कि आप इन्हें किसी अस्पताल ले जाएं. उन्हें जीरकपुर के अस्पताल ले जाया गया जोकि कार से उतर कर खुद डाक्टर के चैंबर तक गए. डाक्टर को तकलीफ बताने पर और फिर उन के द्वारा ईसीजी करने के बाद डाक्टर ने कहा कि अभी इसी वक्त स्टेंट डालने होंगे.

जब पेशेंट खुद चल कर अंदर तक जाए तो परिवार को नहीं लगता कि कोई मेजर प्रौब्लम हो सकती है. इसलिए वे वहां से चंडीगढ़ के सैक्टर 47 में आईबीवाई अस्पताल ले गए. ईसीजी की रिपोर्ट देख कर उन्होंने भी कहा कि टैस्ट किए जाएंगे. हो सकता है स्टेंट डालना पड़े, लेकिन हम श्योर नहीं हैं, कुछ टैस्ट होंगे तब ही बता पाएंगे. यह सुन कर पेशेंट के परिवार वालों ने सोचा कि वे पेशेंट को चंडीगढ़ पीजीआई इंस्टिट्यूट ले जाएं. ऐसे इंस्टिट्यूट में डाक्टरों की भी अच्छी टीम होती है और साथ में प्राइवेट न होने की वजह से उन्हें कोई लालच भी नहीं होता.

जब पेशेंट को पीजीआई अस्पताल में लाया गया तो डाक्टरों की टीम ने एडमिट कर के टैस्ट किए, एक हार्ट वेन में 100 फीसदी ब्लौकेज था. एंडोस्कोपी कर के उस में से ब्लड के क्लौट्स निकाले. जिस का लगभग 80-90 हजार रुपए खर्च आया. उस के बाद उन्हें 4 दिनों तक अस्पताल में रख कर खून पतला करने का इकोस्प्रीन गोल्ड 10 या 20 नाम की दवाई दी गई. उस के बाद जो वेन 100 फीसदी ब्लौकेज की वजह से काम करना बंद कर चुकी थी, वह रिवाइव हो गई और तब जो शेष ब्लौकेज बचा था,

उस के लिए एक स्टेंट डाला गया जिस का खर्च सवा लाख रुपए आया. तीसरा केस थोड़ा अलग है, जिसे सुन कर शायद आप भी अवाक रह जाएंगे. यह मामला यमुनानगर का है. 55 साल की एक स्त्री को अचानक बाईं बाजू में दर्द उठा. जब दर्द हद से ज्यादा बढ़ने लगा, उस ने पति और बेटे को फोन कर के कहा कि आते हुए डाक्टर से शाम का अपौइंटमैंट लेते आएं ताकि शाम को डाक्टर को दिखा सकें. लेकिन बेटा नहीं माना और वह उसी समय मां को डाक्टर के पास ले गया. जाते ही डाक्टर ने टैस्ट और ट्रीटमैंट शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद कहा कि इन्हें हार्ट अटैक ही आया है और हमें एंजियोग्राफी करनी होगी जिस से पता चलेगा कि वेन्स में कितनी ब्लौकेज है.

उस से पता चलेगा कि इन्हें कितने स्टेंट पड़ेंगे. यदि एक स्टेंट पड़ा तो लगभग 1 लाख 40 हजार रुपए तक खर्च आएगा और अगर 2 स्टेंट डले तो लगभग 1 लाख 75 हजार या 2 लाख रुपए तक खर्च आ सकता है. इतना खर्च पेशेंट के परिवार के वश में न था. पेशेंट के परिवार ने एकदो से सलाह ली. सब ने अम्बाला या चंडीगढ़ ले जाने को कहा कि वहां इंस्टिट्यूट है और ट्रीटमैंट भी अच्छा होगा और शायद कुछ खर्च भी कम आएगा. उन्हें यह सही लगा और उन्होंने डाक्टर से कहा कि वे अपने पेशेंट को दूसरे शहर इंस्टिट्यूट में ले जाना चाहते हैं. इस पर डाक्टर ने बड़े ही रूड वे में बात की.

जब एंबुलैंस के लिए कहा तो साफ मना कर दिया, बोले, ‘हम नहीं देंगे एंबुलैंस.’ कहने लगे कि ‘हो सकता है आप का पेशेंट वहां तक पहुंच ही न पाए.’ उन का कहने का अर्थ यह था कि अस्पताल से निकलते ही पेशेंट की जान को खतरा है. जबकि उस समय पेशेंट ठीक स्थिति में लग रहा था. सब के कहने पर पेशेंट को दूसरी एम्बुलैंस ले कर अंबाला ले जाया गया और वहां जा कर उन्होंने पूरी रात बिना किसी दवाई के रखा क्योंकि उन्होंने कहा कि आप के पेशेंट को ब्लौकेज अवश्य है मगर ऐसा नहीं कि इमरजैंसी हो. कल सुबह इन की एंजियोग्राफी कर दी जाएगी. अगले दिन एंजियोग्राफी कर के एक स्टेंट डाल दिया गया जिस का कुल खर्च 65 हजार रुपए आया. सोच कर भी ग्लानि आती है कि कोई डाक्टर अपने फायदे के लिए पेशेंट को या उस के परिवार को पेशेंट की जान जाने की ?ाठी बातें कर के इतना डरा सकते हैं. अब आते हैं कि एक्चुअल में स्टेंट की सही कीमत व डाक्टर पेशेंट से कितना ले रहे हैं पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘कोरोनरी स्टेंट’ को आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची 2022 में शामिल किया. स्टेंट आमतौर पर 2 तरह का होता है. एक बियर मैटल होता है, जिस की पहले कीमत 13,000 से 25,000 हजार रुपए थी. अब 7,800 से 10,000 हजार रुपए हो गई है.

दूसरा ड्रग ई ल्यूटिंग जिस की पहले कीमत 23,000 से 1 लाख 10 हजार रुपए तक थी और अब 29,500 से 31,000 रुपए तक हो गई है. एक स्टेंट की कीमत 10 से 33 हजार रुपए तक थी जो घट कर 6 से 22 हजार रुपए रह गई है. स्टेंट लगभग 15 से 20 मिलीमीटर तक लंबा होता है. यह स्टेनलैस स्टील, प्लेटिनम क्रोमियम और कोबाल्ट क्रोमियम जैसी धातु से बनता है. स्टेंट पर पौलिमर की कोटिंग होती है एवं ज्यादातर स्टेंट पर ऐसे ड्रग की कोटिंग होती है जो स्टेंट के बीच में स्टार टिश्यू बनने से रोकती है. स्टार टिश्यू की वजह से ही धमनियों में अवरोध उत्पन्न होता है. ऐसे स्टेंट को ड्रग एल्यूटेटिड स्टेंट कहा जाता है. स्टेंट अधिक समय तक काम कर सके, इस के लिए 95 फीसदी ड्रग एल्यूटेटिड स्टेंट ही लगाया जाता है. बीएचएन के वरिष्ठ हृदय रोगी विशेषज्ञ डाक्टर संतोष गुप्ता का कहना है कि एक स्टेंट की एक्चुअल वैल्यू 8 से 25 हजार रुपए तक होती है लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में एक स्टेंट की कीमत एक से सवा लाख रुपए तक वसूली जाती है.

सरकार के स्टेंट की कीमत कम करने के बावजूद 1 से 1.25 या 1.35 लाख रुपए का खर्च आ ही जाता है. जब से रेट कम हुए हैं, अस्पतालों ने पैकेज तय कर दिए हैं. लेकिन पैकेज तय किए जाने के बावजूद मरीजों से अधिक पैसे लिए जाते हैं, जिस में एडमिशन और इन्वैस्टिगेशन चार्ज से ले कर प्रोसीजर और आईसीयू चार्ज बढ़ा दिए जाते हैं, जिस से रेट कम होने पर भी एंजियोग्राफी सस्ती नहीं है. सर्जरी के बाद जरूरी सावधानी साओल हार्ट सैंटर के संस्थापक डा. बिमल छाजेड़ का मानना है कि एंजियोप्लास्टी के बाद पेशेंट्स को उचित उपचार सुनिश्चित करने और कौंप्लीकेशंस को रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए.

एंजियोप्लास्टी के बाद सफल रिकवरी के लिए इन सावधानियों का पालन करना आवश्यक है : मरीजों को अपनी दवा के नियमों का पालन करना चाहिए और कम से कम एक सप्ताह तक भारी चीजों को उठाने या जोरदार गतिविधियों को करने से बचना चाहिए. उन्हें धूम्रपान से बचना चाहिए और हृदय-स्वस्थ डाइट का पालन करना चाहिए जो लो सैचुरेटेड और ट्रांस फैट में कम हो व फलों, सब्जियों, होलग्रेन और लीन प्रोटीन में उच्च हो. सैचुरेटेड और ट्रांस फैट के चलते शरीर में कोलैस्ट्रौल जमने लगता है. चूंकि कोलैस्ट्रौल वसा का एक प्रकार है जिसे लाइपोप्रोटीन कहते हैं.

लाइपोप्रोटीन 2 तरह के होते हैं- एक लो डैंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी एलडीएल और एक हाई डैंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी एचडीएल. शरीर में एचडीएल का बढ़ना अच्छा माना जाता है लेकिन एलडीएल का बढ़ना हमारे शरीर के लिए बहुत खराब माना जाता है. दरअसल एलडीएल ही विलेन या कहें बैड कोलैस्ट्रौल है. एलडीएल ज्यादा होने पर खून धमनियों में जमा होने लगता है जिस से हार्ट की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है. एक सामान्य व्यक्ति में अगर टोटल कोलैस्ट्रौल का स्तर 240 या इस से ज्यादा हो तो यह बेहद खतरनाक माना जाता है.

यदि गुड कोलैस्ट्रौल यानी एचडीएल पुरुषों में 40 से कम हो जाता है और महिलाओं में 50 से कम तो यह बहुत खतरनाक संकेत हो सकता है. डाक्टरों के मुताबिक, टोटल कोलैस्ट्रौल का स्तर अगर 200 से 239 के बीच है तो यह जोखिमपूर्ण संकेत है. वहीं एलडीएल (बैड कोलैस्ट्रौल) का स्तर यदि 100 से 159 के बीच है तो सम?ाना चाहिए कि यह किसी बीमारी के खतरे की घंटी है. मरीजों को अपने डाक्टर के साथ समयसमय पर फौलोअप अपौइंटमैंट लेना चाहिए और सीने में दर्द या सांस की तकलीफ जैसे किसी भी लक्षण का अनुभव होने पर उन्हें तुरंत सूचित करना चाहिए. नियमित व्यायाम, स्वस्थ वजन बनाए रखने और तनाव के स्तर को प्रबंधित करने जैसे जीवनशैली में आवश्यक बदलाव भविष्य में हृदय की समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं. स्टेंट को आमतौर पर सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है. इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ जोखिम भी हैं.

इन में ब्लीडिंग इन्फैक्शन और ब्लड वेसल या उस के आसपास को नुकसान होना शामिल हो सकता है. दुर्लभ मामलों में स्टेंट अलग भी हो सकता है या अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता है. स्टेंट भी समय के साथ ब्लौक्ड या बंद हो सकते हैं. खासकर अगर उन का ठीक से रखरखाव न किया जाए. स्टेंट वाले मरीजों को ब्लड क्लौट्स व टिशू के चारों ओर सूजन व निशान के जोखिम को कम करने के लिए दवा लेने की आवश्यकता हो सकती है. आर्टरी और अन्य खोखले अंगों में रुकावटों के उपचार में स्टेंट एक मूल्यवान उपकरण है. ये सहायता प्रदान कर के और प्रभावित क्षेत्र को खुला रखते हुए काम करते हैं जिस से रक्त या अन्य तरल पदार्थ स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होते हैं. जबकि प्रक्रिया से जुड़े जोखिम हैं. स्टेंटिंग के लाभ महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं, जिन में दिल के दौरे, स्ट्रोक और अन्य गंभीर स्थितियों की रोकथाम शामिल है.

क्या है ईसीजी ईसीजी का पूरा नाम इलैक्ट्रोकार्डियोग्राम है. ईसीजी टैस्ट का उपयोग दिल से संबंधित समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है. इस टैस्ट से दिल की धड़कन की गतिविधियों को रिकौर्ड किया जाता है, यानी पता लगाया जाता है कि हमारा दिल कितनी गति से धड़क रहा है. इस के साथ दिल की मांसपेशियों में किसी प्रकार की सूजन या हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या का पता लगाया जा सकता है. आमतौर पर ईसीजी टैस्ट तभी करवाया जाता है जब पेशेंट डाक्टर के पास दिल से जुड़ी समस्याओं को ले कर जाता है या डाक्टर को लगता है कि पेशेंट की बीमारी का जुड़ाव कहीं न कहीं दिल से संबंधित है. इस में-

सीने में दर्द.

सांस लेने में परेशानी.

जल्दी थक जाना या कमजोरी महसूस होना.

दिल का असामान्य रूप से धड़कना.

दिल से असामान्य आवाज सुनाई देना.

हार्ट अटैक.

दिल की मांसपेशियों में असामान्य रूप से वृद्धि होना. ईसीजी टैस्ट मशीन में 6 वाल्व होते हैं. ये वाल्व पेशेंट के सीने से चिपकाए जाते हैं. इस के अलावा 2 वाल्व हाथों पर और 2 पैरों पर लगाए जाते हैं. ईसीजी मशीन शुरू होती है तो दिल की गतिविधि रिकौर्ड होती है जो ग्राफ के रूप में दिखाई देती है. जैसेजैसे पेशेंट का दिल पंप करता है वैसेवैसे ग्राफ ऊपरनीचे होता है. जब ईसीजी का टैस्ट पूरा हो जाता है तो उस की रिपोर्ट ग्राफ पर प्रिंट कर दी जाती है.

लेखक- प्रेम बजाज 

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