बड़े शहरों में भीड़भाड़ और शोरशराबा युवाओं की मैंटल हैल्थ पर असर डाल रहा है. इस के लिए ब्रेक ले कर कहीं टूर पर निकल पड़ना अच्छा विकल्प है. एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाली समीना सिंगल है और उसे घूमना बहुत पसंद है. उस के परिवार वाले उसे शहर से बाहर कहीं अकेले जाने से मना करते हैं. इसलिए वह हमेशा ग्रुप टूरिज्म को पसंद करती है.

वह अधिकतर महिलाओं के ग्रुप को फौलो करती है, क्योंकि उन के साथ जाने में परिवार वाले मना नहीं करते और वह हर क्षेत्र का आनंद उठा चुकी है. हर दूसरे साल वह इंटरनैशनल या डोमैस्टिक पर्यटन के लिए समय निकालती है, क्योंकि मुंबई जैसे व्यस्त और भीड़भाड़ वाले शहर से निकल कर खुद को रिफ्रैश करने का यह एक अच्छा विकल्प है. अकेले यात्रा की तुलना में समूह पर्यटन का एक निर्विवाद लाभ यह है कि आप के साथ चलने वाले समान विचारधारा वाले दोस्तों का समूह होता है, जो अकेले घूमने वालों को नहीं मिल पाता. यही वजह है कि आजकल ग्रुप टूरिज्म अधिक हो रहा है.

इस के अलावा, आप की नए लोगों से जानपहचान बनती है. जानेआने के खर्चे में कमी आती है. टूर बजट फ्रैंडली हो जाता है. रास्ता अधिक मजेदार और खूबसूरत लगने लगता है. ग्रुप टूर में 4 से ले कर तकरीबन 50 लोगों का समूह होता है, जो डोमैस्टिक और इंटरनैशनल दोनों जगहों पर जाता है. इस बारे में मुंबई के केसरी टूर्स प्राइवेट लिमिटेड की डायरैक्टर झेलम अमित चौबल कहती हैं कि आजकल अधिकतर ग्रुप टूर लोग पसंद करते हैं क्योंकि साथ जाने से उन्हें एक अच्छा माहौल मिल जाता है और खर्चे भी कम होते हैं. इस में किसी प्रकार की समस्या जानेआने में नहीं होती.

घर से निकले और घर पहुंचे वाली स्थिति होती है. इंटरनैशनल ग्रुप में 40 से 80 तक पर्यटकों को ले जाया जाता है. 40 की संख्या में पर्यटकों का ग्रुप सब से अच्छा होता है, क्योंकि बस में भी 40 सीटें ही होती हैं. उस के मल्टीप्लिकेशन में अच्छा होता है. इस में परिवार से ले कर पतिपत्नी या सिंगल सभी होते हैं. छुट्टियों में परिवार और बाकी समय में सिंगल और पतिपत्नी के टूर होते हैं. महिला ग्रुप झेलम ने पहली बार भारत में महिलाओं के ग्रुप को टूर करवाया था जिस में 320 महिलाएं शामिल थीं. उन में अधिकतर सिंगल और वे महिलाएं शामिल थीं जिन के पति के पास पत्नी के साथ घूमने का समय नहीं होता. वे कहती हैं, ‘‘आज पूरी दुनिया मुट्ठी में है.

अंटार्टिका से आर्कटिक और कश्मीर से ले कर कन्याकुमारी तक पूरा टूर होता है. मेरे सैंटर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, पूरे यूरोप (जिस में 8 दिन से 22 दिन के छोटेछोटे टूर भी शामिल होते हैं), आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड आदि कई हैं.’’ तैयारी कब करें तैयारी कितनी पहले से करनी चाहिए, यह पूछने पर झेलम बताती हैं, ‘‘पहले से बुक करने पर कौस्ट में थोड़ी कमी आती है. डोमैस्टिक के लिए 2 से 1 महीने की एडवांस बुकिंग सही होती है, जबकि इंटरनैशनल के लिए वीजा प्रमुख होता है, इसलिए यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के लिए करीबन 4 से 5 महीने पहले बुकिंग करनी पड़ती है. साउथईस्ट एशिया के लिए 2 महीने पहले करने पर सही होती है.’’ कोविड का कितना असर झेलम कहती हैं, ‘‘कोविड की वजह से टूरिज्म पर काफी असर पड़ा है, हालांकि डोमैस्टिक टूर फिर से पटरी पर आ गया है. इंटरनैशनल में अभी भी बहुत कमी है, क्योंकि अभी फ्लाइट की संख्या कम है, वीजा प्रोसेस भी पूरी तरह से खुला नहीं है.

बड़े लोगों को ले जाने में समस्या अधिक नहीं, उन्हें अलग तरीके से ले जाना पड़ता है. वे अधिकतर नियमों के अनुसार चलते हैं, जबकि यूथ बाउंड में नहीं चल पाता. उन्हें सम झाना पड़ता है. असल में टूर को कंडक्ट करने का अपना तरीका होता है. हमें मालूम होता है कि उन्हें सूचित कैसे किया जाए.’’ डिमांड अलगअलग एडल्ट की डिमांड अधिकतर खानपान को ले कर होती है. उन्हें इंडियन फूड खाने की इच्छा रहती है, जबकि कई जगहों पर उन के लिए जुगाड़ मुश्किल भी होता है. एक दिन भले ही वे बर्गर या सैंडविच खा लें, अगले दिन उन के लिए दाल-चावल, चपाती का बंदोबस्त करना पड़ता है. होती हैं चुनौतियां झेलम कहती हैं कि समस्या तो हर रोज आती ही है. कुछ का हल जल्दी मिलता है तो कुछ का हल वातावरण पर निर्भर करता है जिस का हल मिलने में समय लगता है. चारधाम में एक बार टूर गया था. वहां क्लाउड बस्ट हुआ था. वहां हमारा एक टूर ग्रुप फंसा रहा.

उन को लाना बड़ी जिम्मेदारी थी. एक सप्ताह के बाद मैं ने एयरलिफ्ट कर सभी यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने का काम किया. सुनामी के समय जापान में एक ग्रुप था. इस के अलावा 9/11 के समय एक ग्रुप अमेरिका में था. समस्याएं आती हैं लेकिन उन का हल कैसे निकाला गया, यह ट्रैवल एजेंसी की ब्रैंडिंग पर निर्भर करता है. हमारे पास 25 हजार से 10 लाख तक के टूर प्लान हैं और ये ह्यूज रेंज है. कोई भी अपने बजट के हिसाब से कहीं भी टूर पर जा सकता है. एक्स्प्लोर करना है पसंद महाराष्ट्र के ओमकार एग्रो टूरिज्म के गनेश नामदेव उतेनकर कहते हैं, ‘‘मुंबई जैसे शहरों में रहने वालों को जहां जगह की कमी और भीड़भाड़ भरे शहर होने की वजह से कहीं घूमने का बहुत अधिक शौक होता है, वे किसी भी स्थान को एक्स्प्लोर करना पसंद करते हैं.

अधिकतर डोमैस्टिक पर्यटन में गांव के माहौल का आभास करवाता हूं. मुंबई बहुत ही भीड़भाड़ वाली जगह है, यहां दोतीन दिन की छुट्टी पर ही लोग शहर से दूर कहीं भी जा कर सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं. ऐसे में महाराष्ट्र में मुंबई और आसपास के इलाकों में घूमने के लिए बड़ी मात्रा में शहरों में रहने वाले ही होते हैं. ‘‘यहां पंचगनी, महाबलेश्वर, प्रतापगढ़ फोर्ट, वासोटा फोर्ट और जंगल ट्रैक आदि कई स्थल हैं. यहां घर या कंपनी से ग्रुप में वे अधिकतर आते हैं.

ये उन के बजट में भी होते हैं. 4 लोगों के ग्रुप में बजट अधिक होता है, क्योंकि महाराष्ट्र के इस एरिया में ट्रेन की सुविधा नहीं है, इसलिए बजट में जाने के लिए ग्रुप टूर का अरेंजमैंट करते हैं. ‘‘बस 20 सीटर्स से ले कर 38 सीटर्स तक होती हैं. यह टूर पूरे दो या तीन दिन का भी होता है. इस में अधिकतर औरगेनिक और होम मेड फूड का ही इंतजाम होता है. इस से वे यहां की संस्कृति और खानपान का आनंद लेते हैं. महाराष्ट्र से बाहर जाने वाले महाराष्ट्रियन फूड की मांग करते हैं. वहां हम भाखरी, नाचनी जैसे डोमैस्टिक फूड की व्यवस्था करवाते हैं.’’ अलगअलग उम्र ग्रुप गनेश आगे कहते हैं, ‘‘मध्यम आयु और सीनियर सिटिजन के ग्रुप ज्यादा होते हैं. वयस्कों के लिए हैल्दी फूड के अलावा मैडिकल की पूरी व्यवस्था करनी पड़ती है, क्योंकि उन्हें इस उम्र में कुछ न कुछ बीमारी होती है. टूर भी उसी के अनुसार अरेंज किया जाता है. कुछ मौर्निंग वाक वाले ग्रुप होते हैं. ‘‘इन में अधिकतर पुणे से आने वाले ग्रुप होते हैं. सुबह बाग में एकसाथ आ जाते हैं और ऐक्टिविटी करते हैं. वे सारे लोग एकसाथ पर्यटन में जाते हैं और ये डोमैस्टिक को ही अधिक पसंद करते हैं. ये सारे एक उम्र के बैचलर भी होते हैं. ये कम से कम 15 की संख्या में ग्रुप होते हैं.’’ समुद्री टूर में आई कमी डोमैस्टिक टूर के फायदे के बारे में उतेनकर कहते हैं,

‘‘शहरों में रहने वाले बच्चों को गांव की बात पता नहीं होती. ऐसे में उन्हें लोकल सारी चीजें खाने को मिलती हैं. लोकल चीजों को ग्रो करने का तरीका पता चलता है. महाराष्ट्र में स्ट्राबेरी की खेती देखने का पर्यटकों में काफी क्रेज होता है. एडल्ट अधिकतर नेचर पसंद करते हैं, पानी के सामने बैठना, पेड़पौधे के पास बैठना, इस से उन्हें अच्छी औक्सीजन मिलती है. हर्बल प्लांट, हराभरा घना जंगल उन्हें पसंद होता है. केवल महिलाओं की किटी पार्टी के अलावा जिम करने वाली महिलाओं की पार्टी भी होती है. अभी महाराष्ट्र में कोविड के बाद ‘सी बीच’ के टूर में कमी आई है. उन्हें नेचर में जाने की अधिक इच्छा होती है जहां औक्सीजन की मात्रा अधिक और प्रदूषण जीरो प्रतिशत हो.

ग्रुप टूरिज्म के लाभ

-समूह में यात्रा करना एक अलग अनुभव होता है. इस में लोगों से मिलना, घूमना और दोस्ती सब हो जाती है.

– साथ में सब को ब्लैंड होने का मौका मिलता है.

– ऐसे टूर में नए दोस्त बन जाते हैं और साथ में रहने पर किसी नई जगह पर सुरक्षा के बारे में अधिक सोचना नहीं पड़ता.

– इस में ‘मी टाइम’ का प्रयोग अच्छी तरह से होता है, एकदूसरे के विचार और रहनसहन की जानकारी प्राप्त हो जाती है.

-एक दूसरे के साथ रहने और सामंजस्य बिठाने का ज्ञान हो जाता है.

-अकेले घूमने के अलावा ग्रुप में घूमने से कम जिम्मेदारी लेनी पड़ती है, क्योंकि इस में ट्रैवल एजेंसी कहीं जानेआने से ले कर खाना, घूमना, ठहरना सबकुछ निश्चित कर देती है.

-आप के प्रियजनों की चिंता आप के लिए कम हो जाती है, क्योंकि आप समूह में जा रहे हैं.

– सब से अधिक लाभ पौकेट फ्रैंडली टूर का होना है, क्योंकि समूह में जाने पर हर चीज की लागत कम होती है.

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