भारत में बुजर्गों में अवसाद की अवस्था बढ़ती जा रही है और 2030 तक अनुमान लगाया जा रहा है कि देश के 25 प्रतिशत बुजुर्ग अवसाद से पीडि़त होंगे. ऐसे में वे कई बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. अकसर आप देखते हैं कि परिवार के बड़ेबुजुर्ग उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंचते ही कुछ ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते हैं. वे एक ही बात को बारबार पूछते हैं. आप को लगता है कि अभी तो इन्हें इस बाबत बताया था और अब फिर टोकना शुरू कर दिया. उन के बारबार पूछनेटोकने पर आप को लगता है कि वे ? बोल रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. यह उन की आदत नहीं बल्कि उन की कमजोरी होती है. इसे अल्जाइमर कहते हैं. अल्जाइमर की तरह ही वैस्कुलर डिमैंशिया में भी बुर्जुग की यही स्थिति होती है. 60 साल के बाद इन दोनों दोषों का असर दिखने लगता है.

80 साल के बाद बुजुर्गों पर इन का असर कुछ ज्यादा ही हो जाता है. सो, उन के बारबार पूछने की स्थिति में आप को ?ां?ालाने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें आहिस्ताआहिस्ता सम?ाने व उन पर देखरेख बढ़ाने की जरूरत है. वास्तविकता यह है कि 55 साल की उम्र में शारीरिक तौर पर कमजोर होने से अधिकतर उम्रदराज लोग खुद को असहाय व दूसरों पर आश्रित होने के बो?ा से परेशान होने लगते हैं. इस स्थिति में उन के बच्चों को चाहिए कि उन पर अतिरिक्त ध्यान रखें. साथ ही, घर में होने वाले निर्णयों में उन्हें शामिल कर उन की अहमियत महसूस होने दें.

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