आमिर खान की नई फिल्म लाल सिंह चड्ढा को आज फ्लाप बता कर नरेंद्र दामोदरदास मोदी की ट्रोल कंपनी खुश हो रही है कि हमने बहुत बड़ा तीर चला दिया. मगर वे भूलते हैं यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ क्लासिक फिल्म की श्रेणी की है.

आप याद करिए -“मेरा नाम जोकर” अपने समय के महान शोमैन राज कपूर की एक ऐसी फिल्म थी जिससे उनकी बड़ी उम्मीदें थी. मगर मेरा नाम जोकर जब रिलीज हुई तो फ्लाप मानी गई थी मगर आगे चलकर के आज उसे याद क्लासिकल का दर्जा मिला हुआ है. इसी तरह राज कपूर अभिनीत और शैलेंद्र की कहानी पर तीसरी कसम फिल्म के साथ भी हुआ था जो शुरुआत में तो दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई मगर बाद में इतिहास रच दिया. ऐसा ही कुछ होने की संभावना लाल सिंह चड्ढा के साथ भी बनी हुई है.
आमिर खान और अन्य खान बंधुओं के पीछे इन दिनों हमारे देश में प्रोपेगेंडा अपनी सीमाएं लांग चुका है चाहे वे कितना ही अच्छा करें श्रेष्ठतम करें संघ परिवार की ट्रोल कंपनियों को उसमें बुराइयां ही दिखाई देती है और बेवजह की बातों को किस्सा कहानी बनाकर के अफवाह फैलाना इनका काम है . लोग भूल जाते हैं कि सच सच होता है और झूठ के पांव नहीं होते लाल सिंह चड्ढा के संदर्भ में भी झूठ फैलाया जा रहा है पुराने वीडियो को दिखाकर या अफवाह फैलाई जा रही है कि आमिर खान ने स्वीकार कर लिया है लाल सिंह चड्ढा फ्लाप हो गई है .

झूठ का वायरल, सच

आमिर खान की फिल्म ने पहले दिन गुरुवार को सिर्फ 11.50 करोड़ की कमाई की. अब सोशल मीडिया पर आमिर का एक वीडियो वायरल हो रहा है.वीडियो में आमिर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हमने कोशिश पूरी की, कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी हमने, लेकिन कहीं न कहीं हम गलत गए. कुछ लोग हैं, जिन्हें फिल्म पसंद आई है और उनका हम शुक्रिया अदा करना चाहेंगे. हमें खुशी है कि कुछ लोगों को फिल्म पसंद आई है, लेकिन वो माइनॉरिटी में हैं.

आमिर ने आगे कह रहे हैं, -ज्यादातर लोगों को फिल्म पसंद नहीं आई हमारी और इस बात का हमें एहसास है. यकीनन कहीं न कहीं हम गलत गए हैं, मैं उस बात की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं.
दरअसल, यह दावा किया जा रहा है कि फिल्म लाल सिंह चड्ढा के फ्लॉप होने पर आमिर खान ने ये बयान दिया .

मगर यह सौ फीसदी झूठ है –
वायरल वीडियो का सच जानने के लिए हमने इससे जुड़े की-वर्ड्स गूगल पर सर्च किए. सर्च रिजल्ट में हमें इसका पूरा वीडियो हिंदी rush के यू्ट्यूब चैनल पर मिला.अभिनेता निर्देशक आमिर खान का यह वीडियो नवंबर 2018 में रिलीज हुई उनकी फिल्म “ठग्स ऑफ हिंदोस्तान” के फ्लॉप होने के बाद का है.

आमिर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया से कहा था -” फिल्म ठग्स ऑफ हिंदोस्तान के फ्लॉप होने की पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूं. वीडियो में 40 सेकेंड की वायरल हो रही वीडियो क्लिप को देखा जा सकता है.
वस्तुत: हिंदी rush के यू्ट्यूब चैनल पर आमिर खान का ये वीडियो भी 27 नवंबर 2018 को अपलोड हुआ. वहीं, आमिर खान और अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ठग्स ऑफ हिंदोस्तान 8 नवंबर 2018 को रिलीज हुई थी.

इस तरह यह साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा झूठा और गलत है.

पसंद की जा रही है लाल सिंह चड्ढा..
सच तो यह है कि लाल सिंह चड्ढा को दर्शकों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. फिल्म की कमाई अपनी जगह मगर लोगों की पसंद का ज्यादा महत्व हमेशा से माना गया है. ऐसे में हम आपको इस आलेख में बता रहे हैं कि देशभर में किस तरह की प्रतिक्रियाएं लोगों की आई है.
मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक राकेश अचल लिखते हैं-

दरअसल, असली जादू तो फिल्मों कि पास है ,नेताओं कि पास नहीं कुल मिलाकर लोकतंत्र में जादू तो जनता करती है . नेता भी जादू करने का प्रयास करते हैं ,किन्तु सब कर नहीं पाते .राजनीति में फ़िलहाल कोई जादूगर आनंद नहीं है. इसलिए फ़िल्म लालसिंह चड्ढा देखिये ,ये फ़िल्में ही हैं जो आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं ,जहां कुछ देर कि लिए तो सुकून होता ही है .

वासुकी प्रसाद
मै ने भी परिवार के साथ इस फ़िल्म को देखी है।हर साम्प्रदायिक उन्माद चाहे वो सिख दंगा हो या बाबरी विध्वंस ,आम आदमी को ही खामियाजा भुगतना पड़ता है । मैं आपकी इस बेहतरीन टिप्पणी से सौ फ़ीसदी सहमत हूँ कि यह मनुष्यता के पक्ष में संवेदना की जुबान में बोलती, बेहतरीन और अद्भुत कला फ़िल्म है।मनुष्यता विरोधी घृणा के पैरोकार साम्प्रदायिक फ़ासीवादी ताक़तों को भला यह फ़िल्म क्यों अच्छी लगेगी।यह फ़िल्म कुरूप, विभत्स ,बहुसंख्यक साम्प्रदायिक फ़ासीवाद के बरक्स उसका कलात्मक सर्वोत्कृष्ट प्रतिवाद है।बेहतरीन टिप्पणी केलिए आप बधाई के पात्र हैं।

सुरेन्द्र कुमार
आमिर खान एक जीनियस है। उसकी फिल्में भले देर से आती हों लेकिन उनका जवाब नहीं होता। किसी से तुलना नहीं की जा सकती।

राजकुमार सोनी, पत्रकार
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अगर आप नफरती गैंग का हिस्सा नहीं है तो पहली फुरसत में आपको यह फिल्म देख लेनी चाहिए. फिल्म की शुरुआत कहीं से आ भटके हुए एक सफेद रंग के पंख से होती है. यह ‘ पंख ‘ जाने कहां-कहां से गुज़रता हैं और हम सब भी महसूस करने लगते कि एक इंसान की ज़िंदगी पंख जैसी ही होती हैं. बस…अभी इतना ही कहूंगा कि यह फिल्म मासूम सरदार की असरदार भूमिका निभाने वाले जानदार अभिनेता की शानदार फिल्म है. यह एक क्लासिक मूवी है. जिसका मूल्यांकन देर-सबेर अवश्य होगा. नफरत पर भारी इस फिल्म का जब कभी भी रेखांकन प्रारंभ होगा तब अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं के पन्ने कम पड़ जाएंगे.

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